Why are there only 28 days in the month of February? फरवरी महीने में केवल 28 दिन क्यों होते हैं?
फरवरी महीने में 28 दिन ही क्यों होते हैं? इसकी रंजक कहानी रोम के पहले सम्राट ‘रोमुलस’ (Romulus) से शुरू होती है.
‘रोमुलस’, रोम के संस्थापक और पहले सम्राट थे. रोमन पौराणिक कथाओं के अनुसार, ‘रोमुलस’ और उनके जुड़वां भाई ‘रेमुस’ (Remus) ने मिलकर रोम शहर की स्थापना की थी. कुछ लोगों का मानना है कि वह केवल एक काल्पनिक पात्र है जब की कुछ लोगों का मानना है कि वह वास्तविक सम्राट थे.
उनके शासनकाल के दौरान, कानूनी, राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक क्षेत्रों में काफी प्रगति हुई, जिसका श्रेय ‘रोमुलस’ को जाता है. लेकिन सम्राट ‘रोमुलस’ की एक समस्या थी! रोमनों को त्योहारों, दावतों, सैन्य समारोहों और धार्मिक समारोहों की बढ़ती संख्या और उन सभी के व्यवस्थित रखरखाव की निगरानी के लिए एक कैलेंडर की आवश्यकता थी.
प्राचीन खगोल-विज्ञान के विद्वानों के पास पहले से ही दो सौर विषुव (Equinoxes) या अयनकाल (Solstices) के आधार पर सटीक समय गणना थी. इसलिए कई अन्य संस्कृतियों की तरह, रोमन भी लुनार कैलेंडर (Lunar Calendar :- लुनार कैलेंडर चंद्रमा के कलाओं के मासिक चक्र पर आधारित होता है) उपयोग में लाते थे, जिसे चंद्र कैलेंडर भी कहते है.
‘रोमुलान गणतंत्र’ के कैलेंडर में दस महीने होते थे और प्रत्येक महीने में 30 या 31 दिन होते थे, कैलेंडर की शुरुआत ‘मार्च’ महीने से होती थी और ‘दिसंबर’ आखरी महीना होता था. इस तरह एक साल में 304 दिन होते थे, लेकिन समस्या यह थी कि चार ऋतुओं के लिए कैलेंडर वर्ष पर्याप्त नहीं था.
उस समय, ‘जनवरी’ और ‘फरवरी’ के महीने अस्तित्व में नहीं थे.
क्योंकि उनका कैलेंडर दस महीने का था, इसलिए दिसंबर से मार्च तक 61 दिन और एक चौथाई अतिरिक्त दिन का शीतकालीन अंतराल होता था. और रोमन लोग बहुत अधिक ठंड के कारण खेती और अन्य बड़े काम करने में असमर्थ होते थे, इसलिए उन्होंने साल के इन दिनों को गिनना जरूरी नहीं समझा.
लेकिन इससे ‘दिसंबर’ से ‘मार्च’ तक की काल गणना बुरी तरह से प्रभावित होती थी. यह वास्तव में एक बुरी प्रणाली नहीं थी, लेकिन यह पता लगाना की ‘दिसंबर’ और ‘मार्च’ के बीच का यह कौन सा दिन है बेहद ही जटिल कार्य था. इसलिए रोम के दूसरे सम्राट, नुमा पोम्पिलियस (Numa Pompilius) ने कैलेंडर को अधिक सटीक और बेहतर बनाने का फैसला किया.
प्राचीन रोम में सम संख्या (Even numbers) को दुर्भाग्यपूर्ण माना जाता था, इसलिए ‘नूमा’ ने सभी समान संख्या वाले महीनों में से एक-एक दिन कम कर दिया. ‘नुमा’ कैलेंडर को चंद्रमा के 12 आवर्तनों पर आधारित करना चाहते थे. लेकिन 12 आवृत्तियों को जोड़ने पर, कुल दिनों की संख्या 354 होती थी, जो कि एक सम संख्या थी… मतलब एक अशुभ संख्या. इसलिए उन्होंने अपने वर्ष में एक अतिरिक्त दिन जोड़ा और इसे 355 तक पूरा किया.
‘नुमा’ ने बाकी बचे दिनों को दो महीने में विभाजित किया और उन्हें वर्ष के अंत में जोड़ दिया, और इस तरह ‘फरवरी’ का महीना 28 दिन का हो गया. यह एक सम-संख्या वाल महीना था, अर्थात अशुभ संख्या, इसीलिए ‘फरवरी’ महीने को आध्यात्मिक शुद्धिकरण के लिए समर्पित कर दिया गया.
रोम द्वारा कैलेंडर में अभिनव परिवर्तन किए गए, लेकिन वे ब्रह्मांड के नियमों को नहीं बदल सकते थे, और यह मौसम के बदलाव के अनुसार नहीं बन पाया. क्योंकि ‘नुमा’ ने इसे चंद्रमा के 12 आवर्तनों के आधार पर बनाया था, जबकि पृथ्वी पर मौसम में बदलाव पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा से होता है.
‘नुमा’ के बाद ‘जूलियस सीजर’ (Julius Caesar) रोम के सम्राट बने. जब तक ‘जूलियस सीजर’ सत्ता में आये, तब तक ‘नुमा’ का अंधविश्वासी कैलेंडर बहुत भ्रामक बन चूका था. सम्राट ‘जूलियस सीजर’ ने अपना काफी समय इजिप्त में बिताया था, और वह मिस्र के कैलेंडर से बहुत प्रभावित थे, जिसमे एक साल 365 दिनों का होता था.
इसलिए 46 ईसा पूर्व में, ‘जूलियस सीजर’ ने रोम के चंद्र कैलेंडर को खारिज कर दिया और सौर कैलेंडर को स्थापित किया जो की सूर्य के आधार पर रखा गया था. जैसा की मिस्र के कैलेंडर में किया जाता था, ‘जनवरी’ और ‘फरवरी’ महीने को साल के शुरू में रखा गया और सीज़र ने कुल 365 प्राप्त करने के लिए अलग-अलग महीनों में 10 दिन जोड़े.
‘जूलियस सीजर’ ने सातवे महीने का नाम बदलकर ‘जूलियस’ (Julius) रखा, याने की ‘जुलाई’ (July), और यह सीज़र के जन्मदिन का महीना था. सीज़र के बाद बने रोम के सम्राट ‘ऑगस्टस’ (Augustus), ने आठवे महीने का नाम बदलकर ‘ऑगस्टस’ (Augustus) कर दिया, जिसे ‘अगस्त’ (August) कहा जाता है. इस तरह से हमे हमारा वर्तमान कैलेंडर और फरवरी महीने को 28 दिन मिले.
लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती है, अब बारी आती है अधिवर्ष (Leap year) की.
Leap year (अधिवर्ष) क्या होता है? What is a Leap year?
जैसे की ‘जूलियस सीजर’ ने सौर कैलेंडर को स्थापित किया, और सौर कैलेंडर सूर्य पर आधारित है. एक सौर वर्ष में पृथ्वी को सूर्य की परिक्रमा करने में लगभग 365.25 दिन लगते हैं, या दूसरे शब्दों में कह सकते है की पृथ्वी को सूर्य की परिक्रमा करने के लिए 365 दिन और 6 घंटे का समय लगता है. यानि हर साल एक चौथाई दिन (.25 दिन) छूट जाता है जो की लगभग 6 घंटे का होता है. और हर साल के यह 6 घंटे बचाकर रख दिए जाते है, और चौथे साल के 6 घंटे को मिलाकर 24 घंटे यानि पूरा एक दिन बन जाता है. यह अतिरिक्त दिन ‘फरवरी’ महीने में जोड़ दिया जाता है. और इस प्रकार हर चौथे साल फरवरी महीने को एक अतिरिक्त दिन प्राप्त हो जाता है. इसी कारण फरवरी महीना लगातार तीन साल तक 28 दिनों का होता है और हर चौथे साल यह 29 दिनों का हो जाता है जिसे अधिवर्ष (Leap year) कहा जाता है.
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