किसी लंबी यात्रा या सफर के दौरान आपने सडक के किनारे में लगे कई मील के पत्थर देखे होंगे. इन पत्थरों पर आने वाले विभिन्न स्थानों के नाम और दूरी अंकित होती है, इसके अलावा कई बार अन्य निशान भी बने होते है. मील के पत्थर, न केवल ये सूचित करते हैं कि हमने कितनी दूरी की यात्रा की है या कितनी दूरी शेष है, बल्कि यह भी दर्शाते है कि आप किस सडक पर यात्रा कर रहे हैं. लेकिन अगर आपने इन पत्थरों को ध्यान से देखा होगा तो आपने गौर किया होगा की सभी मील के पत्थर एक जैसे या एक ही रंग के नहीं होते. क्या आपने कभी ये सोचा है, कि इन मील के पत्थरों का रंग अलग-अलग क्यों होता है?
भारत में मील के पत्थर का सबसे पहले उपयोग 16 वीं शताब्दी के अफगान शासक शेर शाह सूरी के शासन काल में किया गया और बाद में मुगल सम्राटों द्वारा बनाए गए जिसे “कोस मीनार” कहा जाता था. “कोस” दूरी मापने की एक प्राचीन भारतीय इकाई है जो 1.8 किलोमीटर के बराबर है. ये मीनारें मुगल सम्राटों द्वारा साम्राज्य के मुख्य राजमार्गों पर दूरी तय करने के लिए बनाई जाती थीं, यात्रा के दौरान “कोस मीनार” दूरी मापने के एकमात्र स्रोत थे; नतीजतन, वे बहुत महत्वपूर्ण थे.
आज के आधुनिक भारत में मील के पत्थर सडकों के आधार पर विभिन्न वर्गों में विभाजित किये गए हैं. विशिष्ट रंग वाले ये मील के पत्थर किसी खास प्रकार की सडकों का प्रतिनिधित्व करते हैं. जैसे की केंद्र सरकार के अधीन आने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग या एक्सप्रेस-वे, या राज्य सरकार और जिला प्रशासन के अधीन आने वाली सडके हो सकती है, तो आइए नजर डालते हैं कि मील के पत्थर अपने रंगों से क्या सूचित करते हैं.
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# पीला और सफेद मील का पत्थर: यह राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highway) को दर्शाता है. राजमार्ग की संख्या, मील के पत्थर के ऊपरी पिली पट्टी पर लिखी जाती है, जैसे की NH-7 या केवल 7 लिखा हुआ हो सकता है. इस पत्थर के दोनो बाजुओं पर निकटतम स्थानों की दूरी अंकित होती है. अगर आपको रास्ते में पीले रंग के पत्थर दिखे, तो समझ जाइए कि अभी आप राष्ट्रीय राजमार्ग पर हैं. राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) भारत के अंतर्गत मुख्य राजमार्ग होते हैं जो देश के सभी शहरों और राज्यों को आपस में जोडने का कार्य करते हैं.
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# हरा और सफेद मील का पत्थर: यह राज्य राजमार्ग (State Highway) का प्रतिनिधित्व करता है. इस पत्थर पर आने वाले स्थान के नाम के बाद किलोमीटर की संख्या का उल्लेख किया जाता है. हरे रंग के पट्टे वाले मिल के पत्थर दिखे, तो इसका मतलब है कि अभी आप राज्य राजमार्ग पर यात्रा कर रहे हैं. राज्य के मुख्य मार्ग, राज्यों और जिलों को आपस में जोड़ते हैं. इनकी देखरेख की जिम्मेदारी राज्य सरकार के अधीन होती है.
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# नीला या काला और सफेद मील का पत्थर: यह शहर या मुख्य जिला राजमार्ग (District Roads) का प्रतिनिधित्व करता है. इस पत्थर पर आने वाले स्थान के नाम के साथ किलोमीटर की संख्या का उल्लेख किया जाता है. यह पत्थर दिखे, तो इसका मतलब है की आप किसी बडे शहर या जिले में प्रवेश कर चुके हैं. जिला स्थित सडके केवल एक विशेष जिले तक ही सीमित होती हैं और इन सडकों की जिम्मेदारी जिला प्रसाशन की होती है.
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# नारंगी और सफेद मील का पत्थर: यह ग्राम सडक (Rural Roads) का प्रतिनिधित्व करता है. यह मील का पत्थर गावों और ग्रामीण क्षेत्रों में “प्रधान मंत्री योजना” के तहत बनाई जाने वाली सडकों का प्रतिनिधित्व भी करता है. सडक के किनारे नारंगी मील के पत्थर दिखाई पडने का मतलब है की आपने किसी गांव के क्षेत्र में प्रवेश किया है.
सड़क पर बनी सफेद और पीली लाइन का मतलब क्या है?