तो दोस्तों, दो मिनट में बनने वाली मैगी आज हम सभी के बीच बहुत लोकप्रिय है. आज हम आपको ‘मैगी ’की पूरी कहानी बताने जा रहे हैं कि कैसे ‘मैगी’ अस्तित्व में आई और कैसे यह अब एक बड़ा ब्रांड बन गया है.
विज्ञापनों की देन से आज हर कोई दो मिनट में तैयार होने वाले ‘मैगी’ नूडल्स से परिचित है. ‘मैगी’ न केवल बच्चों में बल्कि बड़े और बुजुर्गों में भी बहुत लोकप्रिय है. हालांकि, बहुत कम लोग जानते हैं कि ‘मैगी’ को पहली बार कब और कहां बनाया गया था? और इसे ‘दो मिनट’ में बनने वाले नूडल्स का सिद्धांत किसने दिया? तमाम विवादों के बाद भी इसे प्रतिबंधित क्यों नहीं किया गया? ‘मैगी’ आज भी लाखों खानपान शौकीनों की पसंद कैसे बनी हुई है? जानिए आज की पोस्ट में मैगी के पीछे की पूरी कहानी.
स्विट्जरलैंड के जाने-माने व्यवसायी और आविष्कारक जूलियस मैगी (Julius Maggi) ने 1872 में अपनी कंपनी का नाम ‘मैगी’ रखा. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि ‘मैगी’ नूडल्स का आविष्कार मजबूरी के तहत किया गया था. विशेषज्ञ बताते हैं कि वह स्विट्जरलैंड में औद्योगिक क्रांति का दौर था. उस समय, महिलाओं को कारखानों में लंबे समय तक काम करने के बाद घर जाकर खाना बनाना पड़ता था. ऐसे मुश्किल समय में ‘स्विस पब्लिक वेलफेयर सोसाइटी’ ने समय बचाने के उद्देश्य से जूलियस मैगी की मदद ली थी.
‘मैगी’ को यह नाम कैसे प्राप्त हुआ? How did Maggi get its name?
इस बीच, जूलियस ने अपने उपनाम के नाम पर उत्पाद का नाम ‘मैगी’ रखा. उनका पूरा नाम जूलियस माइकल जोहान्स मैगी (Julius Michael Johannes Maggi) था. ‘मैगी’ नूडल्स को 1897 में जर्मनी में पहली बार पेश किया गया था.
‘मैगी’ नूडल्स का आविष्कार किसने किया था? Who invented Maggi noodles?
शुरुआत में, जूलियस मैगी का व्यवसाय प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ और बना-बनाया सूप बनाना था. उनके एक चिकित्सक मित्र, फ्रिडोलिन शुलर (Fridolin Schuler) ने उन्हें तत्परता से बनाने योग्य नूडल्स के निर्मिति के लिए बहुत मदद की जिसे बनाने केवल दो मिनट का अवधि पर्याप्त था और इसे बहुत पसंद भी किया गया था. 1912 तक, ‘मैगी’ संयुक्त राज्य अमेरिका और फ्रांस तक पहुंच गई थी. लेकिन इसी साल, जूलियस मैगी का निधन हो गया. फिर वर्ष 1947 में, विश्व प्रसिद्ध नेस्ले (Nestle) कंपनी ने ‘मैगी’ का व्यवसाय खरीदा और इसकी जबरदस्त ब्रांडिंग और मार्केटिंग ने मैगी को हर घर की रसोई तक पहुंचा दिया.
‘मैगी’ का भारत में प्रवेश और लोकप्रियता – ‘Maggie’ entry and popularity in India
‘मैगी’ को भारतीय बाजार में दाखिल हुए 37 साल हो चुके हैं. नेस्ले इंडिया लिमिटेड कंपनी ने 1984 में भारत में ‘मैगी’ का प्रमोचन किया था. भारतीय बाजार में आने वाली ‘मैगी’ ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि उसे इतनी शानदार सफलता मिलेगी.
नेस्ले इंडिया, ‘मैगी’ के उच्चतम शेयर के साथ, विज्ञापन पर लगभग 100 करोड़ रुपये खर्च करती है. ‘मैगी’, भारत के सबसे मूल्यवान ब्रांडों में से एक, वास्तव में एक प्रसिद्ध स्विस कंपनी नेस्ले का सहयोगी ब्रांड है, लेकिन ज्यादातर लोग नेस्ले को मूल ब्रांड मानते हैं.
80 के दशक में पहली बार, नेस्ले कंपनी ने ‘मैगी’ ब्रांड के तहत नूडल्स को भारतीय बाजार में लॉन्च किया जो शहरी लोगों के लिए सबसे अच्छा स्नैक विकल्प बन गया था. समय के साथ, भारतीय लोगों की जीवन शैली बदलने लगी. 1999 के बाद, ‘मैगी’ हर घर की रसोई की जरूरत बन गई क्योंकि इसे केवल दो मिनट में बनाया जा सकता था.
इसके अलावा, नेस्ले द्वारा ‘मैगी’ ब्रांड के तहत भारत में कई अन्य उत्पाद भी लॉन्च किए है. भारत में, 90 प्रतिशत ‘मैगी’ उत्पाद विशेष रूप से भारत की विविध संस्कृति को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं और यह दुनिया के बाकी हिस्सों में उपलब्ध नहीं होते हैं. ‘मैगी’ ब्रांड भारत में नेस्ले समूह के कुल लाभ का लगभग 25 प्रतिशत हो गया है और वार्षिक आंकड़ा 1000 करोड़ रुपये को पार कर गया है.
भारत में ‘मैगी’ पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया था? Why was Maggi banned in India?
भारत के खाद्य नियामक मंडल ने 2015 में ‘मैगी’ पर प्रतिबंध लगा दिया था क्योंकि परीक्षणों से पता चला था कि इसमें अत्यधिक मात्रा में सीसा था और स्वाद बढ़ाने वाले एमएसजी उपयोग किया जाता है.
अगस्त 2015 में, नेस्ले ने मुंबई हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसने राष्ट्रीय प्रतिबंध हटा दिया लेकिन लैब परीक्षणों की मांग की. कई परीक्षणों के बाद नमूनों को नियमों के अनुपालन में पाया गया, और मैगी को वापस बाजार में जारी किया गया.
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