‘मोना लिसा’ के पीछे क्या रहस्य है? What is the mystery behind the Mona Lisa?

What is the mystery behind the Mona Lisa? 'मोना लिसा' के पीछे क्या रहस्य है?

विलक्षण प्रतिभा और अपने अद्वितीय इतिहास दोनों के लिए प्रसिद्ध, ‘मोना लिसा’ कला इतिहास में सबसे प्रसिद्ध चित्रों में से एक बन गई है. 

दुनिया की सबसे प्रसिद्ध पेंटिंग के रूप में, लौवर संग्रहालय में ‘मोना लिसा’ को देखने के लिए दुनियाभर से हर साल छह मिलियन से अधिक प्रशंसक आते है.

आखिर इस पेंटिंग में ऐसा क्या खास है जो इसे इतना मशहूर बनाता है?

500 साल पहले इटली के एक प्रतिभाशाली व्यक्ति लिओनार्दो दा विंची ने एक ऐसी चित्रकारी बनाई थी जो आज भी एक रहस्य बनी हुई है. ‘मोना लिसा’ – आखिर इस चित्रकारी में कौन से गुप्त रहस्य छिपे हैं, जो इसे दुनिया की सबसे रहस्यमय और सबसे प्रसिद्ध चित्रकारी बनाता है?

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क्या है मोना लिसा के मुस्कान का राज – What is the secret of the Mona Lisa smile

‘मोना लिसा’ के बारे में सबसे रहस्यमयी बात उसकी मुस्कुराहट है, जो कलाकारों और इतिहासकारों को सबसे ज्यादा सोचने पर मजबूर करती है. 

‘मोना लिसा’ के मुस्कुराहट की बनावट कुछ ऐसी है जो अलग-अलग जगहों से देखने पर अलग-अलग प्रतीत होती है. मतलब यह बदलती रहती है, पहले तो यह तस्वीर मुस्कुराती हुई प्रतीत होती है, फिर यह मुस्कान फीकी पड़ जाती है और फिर गायब हो जाती है.

एक खोज से पता चला है कि इस तस्वीर में जिस महिला को दा विंची ने बनाया है, वह औरत अपने अंदर कुछ राज छुपाये हुए है. इसलिए ‘मोना लिसा’ की मुस्कान इतनी रहस्यमयी है.

मोना लिसा के प्यार में एक कलाकार ने आत्महत्या कर ली – In love with Mona Lisa, an artist committed suicide 

23 जून 1852 को ल्यूक मासपरो (Luc Maspero) नामक एक युवा कलाकार ने पेरिस के एक होटल की चौथी मंजिल से कूदकर अपनी जान दे दी. वह ‘मोना लिसा’ की रहस्यमय मुस्कान का दीवाना था और उसकी सुंदरता पर मोहित था. उसने आत्महत्या करने से पहले एक चिट्ठी भी छोड़ी थी, जिसमें उसने ‘मोना लिसा’ के लिए अपने प्यार और वर्षों के इंतजार का जिक्र किया था. 

मोना लिसा की मुस्कान पर तर्क – Argument on Mona Lisa’s smile

कुछ सालों पहले, एक डॉक्टर ने यह कहकर सबको चौंका दिया था कि ‘मोना लिसा’ की रहस्यमयी मुस्कान का राज उसके टूटे ऊपरी दो दांतों के कारण है और इसलिए उसका ऊपरी होंठ थोड़ा दबा हुआ है.

साल 2000 में, हार्वर्ड विश्वविद्यालय के एक न्यूरोसाइंटिस्ट डॉ. मार्गरेट लिविंगस्टोन ने कहा था कि ‘मोना लिसा’ की मुस्कान नहीं बदलती है, बल्कि इंसान की मानसिकता बदल जाती है. 

मतलब ये आपके दिमाग की उपज है. जैसा कि आप ‘मोना लिसा’ के चेहरे को देखते हैं, वह आपको वैसा ही दिखेगा. यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस बात पर ध्यान केंद्रित करते हैं.

मोनालिसा की मुस्कान को चित्रित करने में सबसे अधिक समय लगा था – It took the most time to portray Mona Lisa’s smile

लिओनार्दो दा विंची ने 1503 में ‘मोना लिसा’ की तस्वीर बनाना शुरू किया था और उन्होंने 1517 तक इस पर काम करना जारी रखा. 

‘मोना लिसा’ के होठों को बनाने में उन्हें सबसे ज्यादा समय लगा, लिओनार्दो दा विंची को ‘मोना लिसा’ के होठों को चित्रित करने में 12 साल लगे थे. 

एक चोर ने मोना लिसा को प्रसिद्ध कर दिया – A thief made the Mona Lisa famous

यह सच है कि ‘मोना लिसा’ एक बहुत ही खूबसूरत पेंटिंग है और यह शुरू से ही बहुत प्रसिद्ध रही है, लेकिन पेरिस के लौवर संग्रहालय (Louvre Museum) से चोरी होने से पहले यह इतनी प्रसिद्ध नहीं थी.

पाब्लो पिकासो को मोना लिसा पेंटिंग चुराने के लिए गिरफ्तार किया गया था – Pablo Picasso was arrested for stealing Mona Lisa painting

दुनिया की सबसे प्रसिद्ध पेंटिंग दुनिया के सबसे बड़े संग्रहालय से चोरी हो गई थी और यह एक चौंकाने वाली घटना थी. 

लेकिन इससे भी अधिक आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि जिस व्यक्ति को पेंटिंग के चोरी के लिए संदेह के घेरे में लिया गया था, वह पाब्लो पिकासो (Pablo Picasso) थे, जो 20 वीं शताब्दी के एक महान चित्रकार थे, जिन्होंने अपना अधिकांश वयस्क जीवन फ्रांस में ही बिताया था. . 

जी हां, पाब्लो पिकासो पर शुरुआती समय में पेंटिंग को चोरी करने का आरोप लगाया गया था, लेकिन बहुत पूछताछ और लंबी जांच पड़ताल के बाद, उन पर से यह आरोप हटा लिया गया.

आखिर वह कौन शख्स था जिसने मोना लिसा की पेंटिंग चुराई थी? Who was the person who stole the Mona Lisa painting?

21 अगस्त 1911 को ‘मोना लिसा’ की पेंटिंग चोरी हो गई थी. लेकिन उस दिन चोरी की घटना पर किसी का ध्यान नहीं गया और अगले दिन देखा गया कि ‘मोना लिसा’ की पेंटिंग गायब थी. 

लौवर संग्रहालय को जांच पड़ताल के लिए एक सप्ताह के लिए बंद कर दिया गया था. इस भ्रम की वजह से की शायद पेंटिंग को संग्रहालय में ही कहीं और रख दिया होगा.

बाद में यह पता चला कि ‘मोना लिसा’ की पेंटिंग को खुद संग्रहालय के एक कर्मचारी विन्सेन्ज़ो पेरुगिया (Vincenzo Peruggia) ने चुराया था. वह संग्रहालय के एक छोटे से कमरे में छिप गया और संग्रहालय बंद होते ही अपने कोट में पेंटिंग छिपाकर भाग निकला.

मोना लिसा लौवर संग्रहालय में लौट आई – Mona Lisa returned to Louvre Museum

विन्केन्ज़ो पेरुगिया इटली का एक देशभक्त नागरिक था. उसका मानना था कि लियोनार्डो की इस पेंटिंग को उनके देश में लौटाया जाना चाहिए और इसे इटली के संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाना चाहिए.

दो साल बाद, विन्सेन्ज़ो को पकड़ा गया जब वह इटली के फ्लोरेंस शहर के आर्ट म्यूजियम के डायरेक्टर को ‘मोना लिसा’ की पेंटिंग बेचने जा रहा था. 

दो सप्ताह तक पेंटिंग को उसी संग्रहालय में रखे जाने के बाद ‘मोना लिसा’ की पेंटिंग को 4 जनवरी 1914 को पेरिस के संग्रहालय में वापस लाया गया.

विन्सेन्ज़ो को अपने अपराध के लिए छह महीने की सजा सुनाई गई थी लेकिन इटली ने उसकी देशभक्ति के लिए विन्सेन्ज़ो का स्वागत किया.

क्या आप जानते हैं कि मोना लिसा की एक जुड़वां पेंटिंग भी है? Do you know that there is also a twin painting of the Mona Lisa?

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि ‘मोना लिसा’ की एक जुड़वां पेंटिंग भी है, जो बिल्कुल लिओनार्दो दा विंची द्वारा निर्मित ‘मोना लिसा’ पेंटिंग की तरह दिखती है. 

कहा जाता है की दूसरी पेंटिंग को लिओनार्दो दा विंची के समय में ही उनके एक शिष्य फ्रांसेस्को मेल्जी (Francesco Melzi) ने बनवाया था. 

यह दूसरी पेंटिंग स्पेन की राजधानी मैड्रिड (Madrid) के प्राडो संग्रहालय (Prado Museum) में रखी गई है.

मोना लिसा कौन थी? Who was Mona Lisa?

आज तक यह एक रहस्य है कि ‘मोना लिसा’ कौन थी? इसका मतलब है कि जिसकी तस्वीर लिओनार्दो दा विंची ने बनाई थी वह महिला कौन थी?

ज्यादातर विद्वानों का मानना है कि इस पेंटिंग में जिस महिला को चित्रित किया गया है वह फ़्लोरेंस निवासी महिला लिसा घेरार्दिनी (Lisa Gherardini) है. लिसा घेरार्दिनी एक प्रसिद्ध व्यवसायी, फ्रांसेस्को डेल गिओकोंडो की पत्नी थी.

लेकिन एक सिद्धांत यह भी दर्शाता है कि ‘मोना लिसा’ खुद लिओनार्दो दा विंची की तस्वीर है. मतलब कि इस पेंटिंग में लिओनार्दो दा विंची ने खुद को एक महिला के रूप में चित्रित किया था. 

मोना लिसा पेंटिंग को नुकसान पहुंचाने के कई प्रयास किए गए हैं – There have been many attempts to damage the Mona Lisa painting

इस खूबसूरत पेंटिंग को नुकसान पहुंचाने की कई कोशिशें हुईं है. 

1956 में, एक बोलिवियाई पर्यटक ने ‘मोना लिसा’ की पेंटिंग पर एक पत्थर फेंका था, जिसमें ‘मोना लिसा’ के बाएं हाथ की कोहनी के पास एक छोटा सा निशान बन गया, जिसे बाद में पुनः स्थापित कर दिया गया था, लेकिन अभी भी एक हल्का निशान दिखाई देता है. 

इस घटना से पहले, ‘मोना लिसा’ की पेंटिंग पर एक व्यक्ति ने एसिड डाला था, जिसके बाद, ‘मोना लिसा’ की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, इसे बुलेटप्रूफ ग्लास के अंदर रखा गया. 

लेकिन इसके बाद भी अप्रैल 1974 में, एक महिला ने टोक्यो नेशनल म्यूजियम में प्रदर्शित ‘मोना लिसा’ पेंटिंग पर लाल रंग के स्प्रे से छिड़काव किया था.

2 अगस्त 2009 को, एक रूसी महिला ने ‘मोना लिसा’ पेंटिंग पर एक टेराकोटा मग मार फेंका था. लेकिन पेंटिंग दोनों मामलों में सुरक्षित रही. 

लिओनार्दो दा विंची ने कभी भी मोना लिसा का उल्लेख नहीं किया – Leonardo da Vinci never mentions the Mona Lisa anywhere

लिओनार्दो दा विंची एक लेखक भी थे. लियोनार्डो अक्सर अपनी नोटबुक में शरीर रचना विज्ञान, खगोल विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, कार्टोग्राफी, पेंटिंग, और जीवाश्म विज्ञान सहित विभिन्न विषयों पर चित्र और टिप्पणियां लिखते थे.

लेकिन यह आश्चर्यजनक है कि उन्होंने ‘मोना लिसा’ की पेंटिंग के बारे में कभी कहीं कुछ नहीं लिखा.

सुरक्षा कारणों से मोना लिसा पेंटिंग को छह बार स्थानांतरित किया गया था – Mona Lisa painting was moved six times due to security reasons

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ‘मोना लिसा’ पेंटिंग का स्थान छह बार बदला गया ताकि यह बेशकीमती पेंटिंग जर्मन नाज़ियों के हाथों में न लग जाए. 

पेरिस को 25 अगस्त, 1944 को मित्र राष्ट्रों द्वारा मुक्त किया गया था. 8 मई, 1945 को जर्मनी ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया और यूरोप में युद्ध समाप्त हो गया. अंत में, ‘मोना लिसा’ पेंटिंग लौवर संग्रहालय में लौट आई.

मोना लिसा की अर्ध-नग्न पेंटिंग – Semi-nude painting of Mona Lisa

लिओनार्दो दा विंची के एक शिष्य ने 1514 से 1516 के बीच ‘मोना लिसा’ का एक अर्ध-नग्न चित्र बनाया था जिसे मोना वन्ना (Monna Vanna) कहा जाता है. 

मोना वन्ना के हाथों और शरीर की रचना लियोनार्डो की ‘मोना लिसा’ से लगभग मिलती-जुलती है, कुछ विशेषज्ञों का सुझाव है कि यह प्रसिद्ध पेंटिंग ‘मोना लिसा’ के लिए बनाई गई एक प्रारंभिक ड्राइंग हो सकती है.

इस पेंटिंग को 1862 से फ्रांस के कॉन्डे संग्रहालय (Condé Museum) में रखा गया है.

मोना लिसा पेंटिंग के लिए तीस से अधिक परतों का उपयोग किया गया था – More than thirty layers were used for the Mona Lisa painting

फ्रांस के संग्रहालय के अनुसंधान और पुनर्स्थापना केंद्र के विशेषज्ञों ने पाया कि लिओनार्दो दा विंची ने सूक्ष्मता के अपने मानकों को पूरा करने के लिए और ‘मोना लिसा’ का चित्रण करने के लिए तीस से अधिक परतों का उपयोग किया था और उनमें से कुछ परतें तो इंसान के बाल से भी पतली है. 

मोना लिसा दुनिया की सबसे मूल्यवान पेंटिंग है – Mona Lisa is the world’s most valuable painting

‘मोना लिसा’ दुनिया की सबसे मूल्यवान पेंटिंग है, गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार, ‘मोना लिसा’ इतिहास की सबसे कीमती पेंटिंग है.

14 दिसंबर, 1962 को पेरिस के लौवर संग्रहालय में आयोजित एक स्थायी प्रदर्शन में ‘मोना लिसा’ को $ 100 मिलियन में मूल्यांकित किया गया था.

आज, 2021 में, मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए, ‘मोना लिसा’ पेंटिंग का मूल्य $ 867 मिलियन से अधिक होने का अनुमान है.

‘मोना लिसा’ वास्तव में एक अनमोल पेंटिंग है लेकिन फ्रांसीसी विरासत कानून (French heritage law) के अनुसार इसे खरीदा या बेचा नहीं जा सकता है.

मोना लिसा फ्रांस के सम्राटों के निजी संग्रह का गौरव बन गई – Mona Lisa became the pride of the private collection of the Emperors of France

1519 में लिओनार्दो दा विंची की मृत्यु के बाद, ‘मोना लिसा’ फ्रांस के सम्राटों के निजी संग्रह का हिस्सा बन गई.

फ्रांसीसी क्रांति (French Revolution) के बाद, ‘मोना लिसा’ को पेरिस के लौवर संग्रहालय में रखा गया था.

नेपोलियन बोनापार्ट (Napoleon Bonaparte) को यह पेंटिंग इतनी पसंद थी कि उन्होंने इसे कुछ समय के लिए अपने शयन कक्ष में स्थापित किया था.

मोना लिसा पेंटिंग एक लकड़ी की पट्टी पर बनाई गई है – Mona Lisa painting made on a wooden strip

जितना आपको लगता है यह पेंटिंग उससे काफी छोटे आकर की है, इसका आकर केवल 30 x 21 इंच है और वजन 8 किलोग्राम है. 

लिओनार्दो दा विंची ने इसे कागज और कैनवास पर नहीं बनाया, बल्कि इसे एक पॉपलर वुड पैनल पर ऑइल पेंट के साथ चित्रित किया था और इसे इतनी खूबसूरती से बनाया गया कि इस पर ब्रश के निशान देखना बहुत मुश्किल है.

कागज और कैनवास लिओनार्दो दा विंची के समय में मौजूद थे, लेकिन उस समय के चित्रकारों की सोच थी की लकड़ी का उपयोग करना ही सबसे उपयुक्त है.

मोना लिसा की भौहें और पलकें समय के साथ धुंधली हो गईं – Mona Lisa’s eyebrows and eyelids blurred over time

जब आप इस पेंटिंग को ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि ‘मोना लिसा’ की भौहें और पलकें दिखाई नहीं दे रही हैं. अब सवाल यह उठता है कि लिओनार्दो दा विंची ने ‘मोना लिसा’ की भौहें और पलकें क्यों नहीं बनाई.

2017 में, एक फ्रांसीसी आविष्कारक पास्कल कोटे (Pascal Cotte) ने एक मल्टीस्पेक्ट्रल कैमरे से पेंटिंग का अध्ययन किया और यह निष्कर्ष निकाला कि लिओनार्दो दा विंची ने ‘मोना लिसा’ की भौहें और पलकें बनाई थीं, और समय के साथ यह धीरे-धीरे धुंधली पड़ गई, शायद पेंटिंग के साफ-सफाई के कारण.

क्या दा विंची की मोना लिसा में ‘एलियन’ छिपा है? Is ‘Alien’ hidden in Da Vinci’s Mona Lisa?

Paranormal Crucible नामक एक वेबसाइट ने यह दावा किया था की उन्होंने दा विंची कोड को क्रैक किया है और प्रसिद्ध कलाकृति ‘मोना लिसा’ में एक परग्रही (alien) को पाया है.

यह कहा गया है कि यदि इस पेंटिंग को बाईं ओर से दर्पण से जोड़कर देखा जाता है, तो परग्रही के चेहरे जैसी आकृति दिखाई देती है.

यह बात तब सोचने पर मजबूर कर देती है जब एक और सिद्धांत सामने आता है जिसमे यह कहा गया की दा विंची ने इस पेंटिंग के बाईं ओर गुप्त रूप से एक संदेश छिपाया है.

यह सिद्धांत बताता है की पेंटिंग में इटैलियन भाषा में लिखा गया है और इसका शब्दांकन है “La risposta si trova qui” जिसका अर्थ है “उत्तर यहां है”. हालांकि, इस सिद्धांत में कितनी सच्चाई है, इसकी पुष्टि नहीं की जा सकी.

मोना लिसा का अपना मेलबॉक्स है – Mona Lisa has her own mailbox

‘मोना लिसा’ के दुनिया भर में बहुत सारे प्रशंसक हैं और इस पेंटिंग पर कई कविताएं भी लिखी जा चुकी हैं और गाने भी बनाए गए हैं.

सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि जब से इसे पेरिस के लौवर संग्रहालय में रखा गया है, तब से इसे प्रेम पत्र मिल रहे हैं और प्रशंसकों से फूल और पुष्पगुच्छ  भी प्राप्त होते है.

इतना ही नहीं, बल्कि लिओनार्दो दा विंची की ‘मोना लिसा’ के पास वास्तव में अपना मेलबॉक्स भी है क्योंकि उसे नियमित रूप से प्रेम पत्र मिलते रहते हैं.

“द लास्ट सपर” पेंटिंग के बारे में कुछ रोचक तथ्य (Some interesting facts about “The Last Supper” painting)

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