जब बात खानपान की होती है तब आपने अक्सर बडे बुजुर्गों को बोलचाल में छप्पन भोग का जिक्र करते हुए सुना होगा. छप्पन भोग यानि छप्पन प्रकार के पकवान और व्यंजन होते है, जो हमारे रोज के खानपान का हिस्सा नहीं है इसीलिए हम में से अधिकांश लोगों को केवल एक प्रचलित वाक्य लगता है. लेकिन हकीकत में छप्पन प्रकार के पकवान और व्यंजन होते है जिसे “छप्पन भोग” कहते है, और इसे अक्सर कृष्ण जन्माष्टमी के दिन बनाया जाता है.
कृष्ण जन्माष्टमी, जिसे केवल जन्माष्टमी या गोकुलाष्टमी के रूप में भी जाना जाता है, यह एक हिंदू त्योहार है. इस दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन मनाया जाता हैं, और श्री कृष्ण को छप्पन प्रकार के खाद्य पदार्थ अर्पित किये जाते है, जिसे छप्पन भोग कहा जाता है.
भगवान श्री कृष्ण को क्यों चढाये जाते है छप्पन भोग?
भगवान श्री कृष्ण को छप्पन भोग चढाये जाने का कारण उनकी एक कृष्ण-लीला पर आधारित है. एक दिन श्री कृष्ण ने देखा कि सभी बृजवासी इंद्र देव की पूजा कर रहे थे. जब उन्होंने अपनी मां को भी इंद्र देव की पूजा करते हुए देखा तो सवाल किया कि लोग इंद्र देव की पूजा क्यों करते हैं? उन्हें बताया गया कि वह वर्षा करते हैं जिससे अन्न की पैदावार होती है और हमारी गायों को चारा मिलता है. तब श्री कृष्ण ने कहा ऐसा है तो सबको गोर्वधन पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि हमारी गायें तो वहीं चरती हैं.
श्री कृष्ण की बात मान कर सभी ब्रजवासी इंद्र की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे. देवराज इन्द्र ने इसे अपना अपमान समझा और क्रोध में आकर प्रलय के समान मूसलाधार वर्षा शुरू कर दी. तब भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों को भगवान इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को उठाकर अपनी छोटी उंगली की नोक पर रख दिया था, जिसके नीचे सभी ब्रजवासियों की भारी बारिश से रक्षा की थी.
श्री कृष्ण पूरे सात दिनों तक लगातार खडे रहे, जब तक कि भगवान इंद्र को अपनी गलती का एहसास नहीं हुआ. भगवान कृष्ण आम तौर पर हर दिन आठ खाद्य पदार्थों का सेवन करते थे, लेकिन उन्होंने इन सात दिनों के दौरान किसी भी भोजन का उपभोग नहीं किया. तो सातवें दिन के अंत में, सभी ब्रजवासियों ने श्री कृष्ण को कुल 56 व्यंजन (प्रति दिन आठ व्यंजन के सात गुणा), अर्पण कर अपनी कृतज्ञता व्यक्त की और तभी से श्री कृष्ण को छप्पन भोग चढाये जाने की प्रथा की शुरुआत हुई.
शास्त्रों के अनुसार छप्पन भोग में भगवान कृष्ण के पसंदीदा व्यंजन शामिल किये जाते हैं और आमतौर पर अनाज, फल, सूखे मेवे, मिठाइयां, पेय, नमकीन और अचार शामिल हैं. इसमें 16 प्रकार के नमकीन, 20 प्रकार की मिठाइयां और 20 प्रकार के सूखे मेवे प्रदान किये जाते हैं. छप्पन भोग में सभी व्यंजनों को पारंपरिक रूप से एक विशेष क्रम में रचा जाता है, शुरुआत में दुग्धजन्य पदार्थ रखें जाते है बाद में बेसन से बने पदार्थ और नमकीन भोजन रखे जाते है और अंत में मिठाई, सूखे फल और इलायची के साथ यह क्रम पूर्ण होता है.
भोग सबसे पहले श्री कृष्ण को चढाया जाता है, और फिर सभी भक्तों और पुजारियों के बीच वितरित किया जाता है.
छप्पन भोग में समाविष्ट व्यंजनों की सूचि इस प्रकार है:
(1) भक्र्त (भात यानी चावल), (2) सूच (दाल), (3) प्रलेह (चटनी), (4) सादिका (कढ़ी), (5) दधि शाकजा (दही शाक की कढ़ी), (6) सिखरिणी (सिखरन), (7) अवलेह (शरबत), (8) बालका (वाटी), (9) इक्षूखेरिणी (मुरब्बा), (10) त्रिकोण शर्करायुक्त (तिकोने शक्करपारे), (11) बटक (बडा), (12) मधु शीपर्क (मठरी), (13) केणिका (फैनी), (14) परिष्टिश्च (पूरी), (15) शतपत्र (खजरा), (16) संघिद्रक (घेवर), (17) चकाम (मालपुआ), (18) चिल्डिका (चीला), (19) सुधा कुंडिलका (जलेबी), (20) धु्रतपुर (मेसू), (21) वायुपुर (रसगुल्ला), (22) पगैमा चंद्रकला (चंद्रकला), (23) दधि पदार्थ (मट्ठा, रायता), (24) स्थूली (थूली), (25) पूपिका (रबडी), (26) पर्पट (पापड), (27) शक्तिका (शीरा), (28) लसिका (लस्सी), (29) सबूत (सूबत), (30) संघाय (मोहन), (31) कर्पूर नाडी (लोंगपुरी), (32) खंड मंडलम (खुरमा), (33) गोधूम (गेहूं का दलिया), (34) पारिखा (पारिखा), (35) सुफलहाघा (सौंफयुक्त), (36) दूधिरूप (विलासहन), (37) मोदक (लड्डू), (38) शाक (साग), (39) सौधान (अचार), (40) मंडका (माठे), (41) पायस (खीर), (42) दधि (दही), (43) गोघृत (गाय का घी), (44) हैयंगपीनम (मक्खन), (45) मंडूरी (मलाई), (46) सफला (सुपारी), (47) सिता (इलायची), (48) फल, (49) ताम्बूल (पान), (50) मोहन भोग, (51) लवन (नमकीन पदार्थ), (52) कषाय, (53) मधुर (मीठे पदार्थ), (54) तिक्त (तीखे पदार्थ), (55) कडु (कड़वे पदार्थ), (56) अमल (खट्टे पदार्थ).
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बहुत ही रोचक ओर शानदार जानकारी है सभी हिन्दु भाइयो को स्वस्थ ओर मानवता धारण करने के लिए अवश्य ये जानकारी लेनी चाहिए
Thank you Rameshji 🙂