उन्नीस-बीस होना का अर्थ – Unees-bees Hona Muhavare Ka Matlab
उन्नीस-बीस होना मुहावरे का अर्थ | मामूली अंतर होना, नाममात्र का अंतर होना, नगण्य अंतर होना। |
उन्नीस-बीस होना मुहावरे का अर्थ
Unees-bees Hona Muhavre Ka Arth – उन्नीस-बीस होना मुहावरे का अर्थ है मामूली अंतर होना, नाममात्र का अंतर होना, नगण्य अंतर होना।
उन्नीस-बीस होना मुहावरे का हिंदी में वाक्य प्रयोग
Unees-bees Hona Muhavre Ka Vakya Prayog
#1. वाक्य प्रयोग: रमेश और सुरेश दोनों जुड़वा भाई हैं लेकिन फिर भी उनके बीच उन्नीस-बीस का अंतर है जिससे उन्हें पहचाना जा सकता है।
#2. वाक्य प्रयोग: सगे भाइयों के स्वभाव में उन्नीस-बीस का अंतर होना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन सभी को एक-दूसरे पर भरोसा होना जरूरी है।
#3. वाक्य प्रयोग: अक्सर नया घर बनाते समय हिसाब-किताब उन्नीस-बीस हो जाता है, इसलिए इतना बड़ा काम करने से पहले अच्छी खासी पूंजी जमा कर लेनी चाहिए।
#4. वाक्य प्रयोग: बेतुके पाकिस्तानियों का कहना है कि भारत और पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में सिर्फ उन्नीस-बीस का अंतर है जबकि उनकी अर्थव्यवस्था भारत से कोसों दूर है।
#5. वाक्य प्रयोग: जब गोपाल मोबाइल खरीदने गया तो उसने दो मोबाइल देखे जिसमें दूसरा मोबाइल तो बहुत अच्छा था लेकिन दोनों मोबाइल की कीमत में उन्नीस-बीस का अंतर था।
मौखिक बातचीत में अक्सर मुहावरों का प्रयोग किया जाता है जो मानवीय भावनाओं को वास्तविक बनाते हैं। मुहावरों को स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं में भी मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है।
प्रत्येक पाठ्यक्रम में मुहावरों का अपना-अपना अनुभाग होता है, छोटी-बड़ी कक्षाओं में मुहावरों को पढ़ाया जाता है, याद कराया जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में भी इसे मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है और महत्व दिया जाता है।
मुहावरा अधिक असामान्य अर्थ प्रकट करता है इसीलिए मुहावरे का अर्थ दोहरा लाभ प्राप्त करना है। एक शब्द के कई अलग-अलग मुहावरे हो सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि यहां दिए गए मुहावरे ही परीक्षा में पूछे जाएंगे।
मुहावरे सभी प्रकार की परीक्षाओं की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में मुहावरों की अपनी अहमियत होती है। पेपर चाहे हिंदी में हो या अंग्रेजी में, यहां तक कि संस्कृत में भी मुहावरे पूछे जाते हैं।
मुहावरों का अभ्यास करना कोई बहुत कठिन विषय नहीं है। अगर इसे ध्यान से समझा जाए तो इसे याद रखने की जरूरत ही नहीं पड़ती। इसे समझ-समझ कर ही लिखा और बोलचाल में उपयोग किया जा सकता है।
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