दो सिर वाला पक्षी – पंचतंत्र की कहानी (The Bird With Two Heads Story in Hindi)

दो सिर वाला पक्षी – पंचतंत्र की कहानी (The Bird With Two Heads Story in Hindi)

दोस्तों, पंचतंत्र की कहानियां (Tales of Panchatantra in Hindi) श्रृंखला में आज हम – दो सिर वाला पक्षी की कहानी (Panchtantra Story Do Sir Wala Pakshi) पेश कर रहे हैं। Do Sir Wala Pakshi Ki Kahani में बताया गया है की कैसे अपने अहंकार को सिद्ध करने के लिए एक पक्षी विनाशकारी निर्णय लेता है। उसके बाद क्या होता है? यह जानने के लिए पढ़ें – The Bird With Two Heads Story in Hindi

The Bird With Two Heads Story in Hindi – Tales of Panchatantra

दो सिर वाला पक्षी – पंचतंत्र की कहानी (The Bird With Two Heads Story in Hindi)
Panchtantra Story Do Sir Wala Pakshi

प्राचीन समय की बात है कि घने जंगल में एक तालाब के किनारे “भारण्ड” नाम का एक विचित्र पक्षी रहता था। वह विचित्र इसलिए था क्योंकि उस पक्षी के दो सिर थे पर शरीर एक था। एक शाम उसे तालाब के किनारे एक अमृत समान फल मिला।

पहले सिर ने उस फल का कुछ हिस्सा खाया और दूसरे सिर से कहा कि “यह फल तो बहुत स्वादिष्ट है, मैंने अपने पूरे जीवन में बहुत से फल खाए हैं, लेकिन इतना स्वादिष्ट, इतना मीठा फल मैंने कभी नहीं खाया।”

तब दूसरे सिर ने कहा, “यदि ऐसा है तो इस फल का कुछ हिस्सा मुझे भी दे दो, मुझे भी इसका स्वाद चखना है।”

तो पहले सिरने कहा कि “मैंने फल खा लिया है, यह फल हमारे पेट में चला गया है, हम दोनों का पेट एक ही तो है, इसलिए हम दोनों को इससे संतुष्टि मिली है” और बाकी बचा फल उसने अपनी पत्नी को दे दिया। फल खाने के बाद पत्नी ने कहा कि सच में यह फल बहुत स्वादिष्ट है।

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उस दिन के बाद से दूसरा सिर उदास रहने लगा, उसके मन में बदले की भावना जाग उठी। वह हर समय उस दिन का बदला लेने के बारे में सोचता रहता था।

बहुत दिनों के बाद जंगल में घूमते समय उसे एक जहरीला फल मिला। तो दूसरे सिर ने पहले सिर से कहा कि “मैं यह जहरीला फल खाऊंगा।”

तभी पहले सिर ने कहा कि “क्या तुम पागल हो गए हो? अगर तुमने यह जहरीला फल खा लिया तो हम दोनों मर जाएंगे।” और उसे जहरीला फल खाने से रोकने के लिए कई प्रयास किए।

लेकिन दूसरा सिर नहीं रुका और अपने अपमान का बदला लेने के लिए उस जहरीले फल को खा लिया और परिणाम यह हुआ कि थोड़ी देर बाद मैं दोनों मर गए।

कहानी का भाव:

जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय कभी भी अकेले नहीं लेने चाहिए।

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