भारतीय राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) का इतिहास, विकास और रोचक तथ्य – History, Development and Interesting Facts of Indian National Flag (Tricolor)

History, Development and Interesting Facts of National Flag (Tricolor) - राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) का इतिहास, विकास और रोचक तथ्य

History of the Indian National Flag since Pre-independence in Hindi – दोस्तों जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत को आजादी मिले सात दशक से ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत की आजादी से पहले भारतीय ध्वज (तिरंगा) का डिजाइन कई बार बदल चुका है.

तिरंगे (Tricolor) का वर्तमान स्वरूप 22 जुलाई 1947 को भारत की संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था, तब से ध्वज का यह डिज़ाइन प्रचलन में है, इस ध्वज को 26 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय ध्वज (National Flag) के रूप में अपनाया गया था.

वर्तमान में हम जिस तिरंगे (Tricolor) को वैभव और अभिमान से फहराते है उसका एक बहुत ही रंजक इतिहास (History of Indian Flag) और क्रमिक विकास (Evolution of the Tricolour) भी है. 

आज के इस लेख में हम आपको भारत के राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगे) के इतिहास और विकास के बारे में विस्तृत जानकारी History Of Tiranga – The Evolution of Indian Tricolor प्रदान करने जा रहे हैं. 

इसके साथ ही आपको राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) के बारे में बहुत ही महत्वपूर्ण रोचक तथ्य Interesting Facts of National Flag (Tricolor) से भी अवगत कराएंगे, जिससे भारत के प्रत्येक नागरिक को अवगत होना चाहिए.

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का वर्तमान स्वरूप कैसा है? What is the present form of the Indian National Flag?

भारत के राष्ट्रीय ध्वज को “तिरंगा (Tiranga)” नाम से भी संबोधित किया जाता है. इस नाम के पीछे का कारण इसमें इस्तेमाल होने वाले तीन रंग (अलग-अलग रंग की पट्टियां) हैं – केसरिया (Saffron), सफेद (White) और हरा (Green).

सबसे ऊपर केसरिया रंग है जो साहस और बलिदान का प्रतीक है; मध्य में सफेद रंग है जो सत्य, शांति और पवित्रता का प्रतीक है; सबसे नीचे हरा रंग है जो समृद्धि का प्रतीक है.

भारत के राष्ट्रीय ध्वज में सफेद रंग के केंद्र में एक नीला पहिया होता है, जिसे “अशोक चक्र (Ashoka Chakra)” कहा जाता है. इसमें 24 छड़ होते हैं और इसे प्रगति का प्रतीक माना जाता है.

तिरंगे का आकार आयताकार (Rectangular) होता है और लंबाई-चौड़ाई का अनुपात हमेशा 3:2 होता है. जबकि अशोक चक्र का कोई निश्चित माप तय नहीं है, इसमें केवल 24 छड़ का होना आवश्यक है.

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज अपने वर्तमान स्वरूप में कैसे पहुंचा? How did Indian National Flag reach its present form?

भारत का राष्ट्रीय ध्वज अपने वर्तमान स्वरूप में पहली बार 22 जुलाई, 1947 को आयोजित संविधान सभा के दौरान अपनाया गया था. 

लेकिन तिरंगा अपने वर्तमान स्वरूप में कैसे पहुंचा? क्या इससे पहले भारत का झंडा एक अलग रूप में था? और यदि हां, तो वे सबसे पहले कैसे दिखते थे और किसने और कब रचे थे?

इन सभी सवालों के जवाब हम आगे जानने वाले हैं, तो आइए शुरू करते हैं भारतीय ध्वज के इतिहास और विकास (History and evolution of Indian Flag) की कहानी.

भारतीय ध्वज का पहला विकसित रूप – First developed form of Indian flag

आजादी से पहले 7 अगस्त 1906 को कोलकाता के पारसी बागान चौक पर पहला झंडा फहराया गया था, जिसे उस समय क्रांतिकारियों द्वारा “राष्‍ट्रीय ध्‍वज” की संज्ञा दी गई थी.

यह ध्वज हरे, पीले और लाल रंग की समस्तरीय पट्टियों से बना था. जहां हरी पट्टी पर कमल के 8 फूल, बीच में पीले रंग पर “वंदे मातरम” और लाल रंग पर चंद्रमा और सूर्य बने थे.

भारतीय ध्वज का दूसरा विकसित रूप – Second developed form of Indian flag

बताया जाता है कि भारत का दूसरा झंडा देश के बाहर पेरिस में फहराया गया था, हालांकि इसके समय को लेकर इतिहासकारों में मतभेद हैं.

कुछ विद्वानों का कहना है कि ध्वज को मैडम भीकाजी कामा (Madam Bhikaji Cama) और उनके साथियों ने 1907 में फहराया था, जबकि कुछ अन्य विद्वानों का कहना है कि यह घटना 1905 में हुई थी.

यह नया संशोधित झंडा काफी हद तक कलकत्ता के झंडे पर ही आधारित था लेकिन डिजाइन बदल दिया गया था. 

इस तिरंगे में ऊपरी पट्टी में केवल एक कमल और सात तारे थे जो “सप्तर्षि” का प्रतिनिधित्व करते थे और इसका रंग केसरिया था जबकि तीसरे पट्टी पर हरा रंग दिखाया गया था. इस झंडे में भी बीच की पीली पट्टी पर “वंदे मातरम” लिखा हुआ था.

यह ध्वज बर्लिन में समाजवादी सम्मेलन में भी प्रदर्शित किया गया था और इसे लोकप्रिय रूप से बर्लिन समिति के ध्वज के रूप में जाना जाता था.

भारतीय ध्वज का तीसरा विकसित रूप – Third developed form of Indian flag

तीसरा झंडा 1917 में अस्तित्व में आया, इसे होमरूल आंदोलन के दौरान एनी बेसेंट (Annie Besant) और लोकमान्य तिलक (Lokmanya Tilak) द्वारा डिजाइन किया गया था.

इस झंडे में 5 लाल और 4 हरी समस्तरीय धारियां बारी-बारी से रची गई थीं. इस ध्वज में भी “सप्तऋषि” का प्रतिनिधित्व करने वाले सात सितारों के चित्रण को भी बरकरार रखा गया था. 

इसके बाएं और ऊपरी किनारे पर “यूनियन जैक” का प्रतीक था, जबकि दाहिने कोने पर इसके विपरीत एक सफेद अर्धचंद्र और तारा भी था.

भारतीय ध्वज का चौथा विकसित रूप – Fourth developed form of Indian flag

वर्ष 1921 में आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा है में आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अधिवेशन में पिंगली वेंकय्या (Pingali Venkayya) नाम के एक युवक ने महात्मा गांधी को उनके द्वारा डिजाइन किया गया झंडा सौंपा. यह झंडा लाल और हरे रंग में बनाया गया था, जो भारत के दो प्रमुख धार्मिक समुदायों का प्रतिनिधित्व करता था. 

ध्वज को देखने के बाद, गांधीजी के सुझाव पर, बाकी समुदायों का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक सफेद पट्टी और उसपर एक चरखा भी जोड़ा गया, जो उन दिनों राष्ट्रवादी संघर्ष के एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में उभर रहा था.

भारतीय ध्वज का पांचवां विकसित रूप – Fifth developed form of Indian flag

एक दशक बाद, वर्ष 1931 हमारे तिरंगे के इतिहास में एक मील का पत्थर बनकर उभरा, जिसमें अपने वर्तमान स्वरूप वाले ध्वज की नींव स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी.

वेंकय्या ने कुछ बुनियादी संशोधनों के साथ ध्वज को फिर से डिजाइन किया और ध्वज का एक संशोधित संस्करण पेश किया. 

इसमें लाल रंग को केसरिया रंग से बदल कर सबसे ऊपर रखा गया था. सफेद और हरी धारियों को क्रमशः मध्य और तीसरे स्थान पर रखा गया था. इसके साथ ही झंडे के बीच में सफेद रंग पर गांधीजी का चरखा अंकित किया गया था.

इस सुधारित ध्वज को भारत के आधिकारिक ध्वज के रूप में वर्णित करने के लिए कांग्रेस कमेटी में एक प्रस्ताव पारित किया गया था. यह ध्वज भारतीय राष्ट्रीय सेना का युद्ध प्रतीक भी था.

भारतीय ध्वज का छठा विकसित रूप – Sixth developed form of Indian flag

तिरंगे का अंतिम और वर्तमान स्वरूप 22 जुलाई 1947 को अस्तित्व में आया जब संविधान सभा ने इसे स्वतंत्र भारत के राष्ट्रीय ध्वज (National flag) के रूप में अपनाया.

इस ध्वज में रंग और उनका महत्व वही रहा जबकि केवल चरखे के प्रतीक को सम्राट अशोक के “धम्म चक्र (Dhamma Chakra)” द्वारा ध्वज की सफेद पट्टी पर प्रतीक के रूप में बदल दिया गया था.

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