टाइटैनिक जहाज की असली कहानी क्या है? What is the real story of the Titanic ship?
Titanic ship history in hindi – टाइटैनिक जहाज निर्माण से लेकर डूबने तक और उसके बाद भी हमेशा ही सुर्खियों में रहा है.
टाइटैनिक, अपने समय का सबसे बड़ा और सबसे शानदार ‘अकल्पनीय’ समुद्री जहाज था और इस जहाज की पहचान ‘कभी ना डूबने’ (Unsinkable) वाले जहाज के रूप में प्रसिद्ध हुई थी. टाइटैनिक को सपनों का जहाज भी कहा जाता था.
यह 1912 में अपनी पहली यात्रा पर एक हिमखंड से दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, और 2,240 यात्रियों में से 1,500 से अधिक यात्रियों के साथ नीचे समुद्र की गहराई में समा गया था.
टाइटैनिक जहाज का आकार क्या था? What was the size of the Titanic ship?
जब टाइटैनिक जहाज बनकर तैयार हुआ था, तब यह दुनिया की सबसे बड़ी चलायमान चीज थी. यह 882 फीट यानी 3 फुटबॉल मैदान जितना लंबा और 17 मंजिला इमारत जितना ऊंचा था.
अगर इसे सीधा खड़ा कर दिया जाता तो ऊंचाई के मामले में यह उस समय की हर इमारत से ऊंचा साबित होता.
टाइटैनिक जहाज का पूरा/वास्तविक नाम क्या है? What is the full/real name of the Titanic ship?
टाइटैनिक, का पूरा नाम Royal Mail Ship (RMS) Titanic है. यह एक ब्रिटिश लक्जरी यात्री जहाज था और इसे बनाने वाली कंपनी का नाम ‘White Star Line’ था.
टाइटैनिक जहाज का निर्माण कार्य – Titanic ship construction
31 मार्च 1909 को तीन हजार लोगों की टीम ने उत्तरी आयरलैंड के बेलफास्ट (Belfast) में टाइटैनिक जहाज का निर्माण शुरू किया था.
जब तक इस विशाल जहाज का निर्माण चरम पर पहुंच गया, तब तक हारलैंड और वोल्फ शिपयार्ड (Harland and Wolff Shipyard) निर्माता ने जहाज बनाने के लिए लगभग 14,000 पुरुषों को नियुक्त कर लिया था.
26 महीने बाद इसे 31 मई 1911 को पूरा किया गया. इसे बनाते समय 246 लोग घायल हो गए थे और 2 लोगों की मौत हो गई थी.
31 मई 1911 को जब टाइटैनिक जहाज बनकर तैयार हुआ तो इसे देखने के लिए बंदरगाह पर 1 लाख लोग पहुंचे थे.
टाइटैनिक बनाने वाले मजदूरों का मुआवजा – Compensation of workers who built Titanic
कहा जाता है कि 1912 में टाइटैनिक जहाज बनाने वाले कुशल कारीगरों को हफ्ते के 10 डॉलर और अकुशल कारीगरों को हफ्ते के 5 डॉलर मिलते थे.
टाइटैनिक की पहली और आखिरी यात्रा – Titanic’s first and last voyage
10 अप्रैल, 1912 को टाइटैनिक जहाज इंग्लैंड के साउथेम्प्टन (Southampton) से अपनी पहली और आखिरी यात्रा के लिए न्यूयॉर्क (New York) के लिए रवाना हुआ. इसने रास्ते में दो पड़ाव बनाए – पहला पड़ाव उत्तरी फ्रांस के चेरबर्ग (Cherbourg) में और दूसरा पड़ाव कोभ (Cobh), आयरलैंड में.
अपनी पहली यात्रा के चौथे दिन, यह जहाज जमीन से 640 किमी दूर उत्तरी अटलांटिक सागर में एक हिमखंड (Iceberg) से टकरा गया था.
टाइटैनिक के हिमखंड से टकराने पर क्या हुआ? What happened to the Titanic when it hit the iceberg?
टाइटैनिक इतिहास का एकमात्र जहाज है जो हिमखंड (Iceberg) की टक्कर के कारण डूब गया था. 14 अप्रैल 1912 की रात 11:40 बजे उत्तरी अटलांटिक सागर में टाइटैनिक बर्फ के एक बड़े टुकड़े से टकरा गया था.
जब अधिकारियों ने हिमखंड को देखा, तो उनके पास कार्रवाई करने के लिए केवल 37 सेकंड बचे थे. हिमखंड को देखते ही प्रथम अधिकारी ‘मर्डोक’ ने जहाज को बायीं ओर मुड़ने का आदेश दिया और इंजन कक्ष को इंजन को उल्टा चलाने का आदेश दिया और जहाज बायीं ओर मुड़ भी गया लेकिन यह उस हिमखंड से बचने के लिए यह सब पर्याप्त नहीं था.
जानकारों का कहना है कि अगर 30 सेकेंड पहले हिमखंड का पता लगा लिया जाता तो शायद टाइटैनिक को बचाया जा सकता था.
यह भी बताया जाता है कि हिमखंड थोड़ा पहले भी दिखाई देता, लेकिन टाइटैनिक के चालक दल के सदस्य के पास उस समय दूरबीन नहीं थी. दरअसल दूरबीन को एक तिजोरी में रखा गया था जिसकी चाबी खो गई थी.
टक्कर के 2 घंटे 40 मिनट बाद यह पूरी तरह जलमग्न हो गया. इसकी डूबने की गति 16 किलोमीटर प्रति घंटा थी और इसे समुद्र की अंतिम सतह तक पहुंचने में केवल 15 मिनट का समय लगा था.
टाइटैनिक दुर्घटना में कितने यात्रियों की मौत हुई थी? How many passengers were killed in the Titanic crash?
टाइटैनिक दुर्घटना में 2,240 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों में से, इस आपदा में 1,500 से अधिक लोगों की जान चली गई.
टाइटैनिक जहाज पर डूबने वालों में ज्यादातर पुरुष थे. क्योंकि इस कठिन समय में कुछ जागरूक लोग सामने आए और लोगों को राफ्ट में बैठाते समय ‘महिला और बच्चे पहले’ इस प्रोटोकॉल का पालन किया गया.
जहाज के डूबने की जांच कर रही अमेरिकी समिति के अनुसार, दुर्घटना में कुल 1,517 लोग मारे गए, और उसके ब्रिटिश समकक्ष ने निर्धारित किया कि कुल 1,503 लोग मारे गए थे.
इस दुर्घटना के कारण जहाज के चालक दल को सबसे अधिक नुकसान हुआ क्योंकि इसमें लगभग 700 चालक दल के सदस्यों की मृत्यु हो गई थी. जहाज के तीसरी श्रेणी को भी भारी क्षति हुई थी, इसके लगभग 710 यात्रियों में से केवल 174 ही जीवित बच पाए थे.
लाइफबोट (Lifeboat) उन लोगों के सबसे करीब थी, जिन्होंने प्रथम श्रेणी का टिकट लिया था. इसलिए प्रथम श्रेणी के 60%, द्वितीय श्रेणी के 42% और तृतीय श्रेणी के केवल 25% यात्री ही जिंदा बच गए.
आखिर में टाइटैनिक के डूबने से 706 लोगों को बचाया गया. जहाज पर सवार नौ कुत्तों में से दो कुत्तों को भी जीवित बचा लिया गया.
इस हादसे में मरने वालों में से अब तक सिर्फ 340 लोगों के ही शव मिले हैं. इस प्रकार, आपदा में मारे गए लगभग 1,500 लोगों में से, लगभग 1,160 शव समुद्र में ही कहि खो गए हैं.
टाइटैनिक के डूबने से ज्यादा लोग क्यों नहीं बच पाए? Why didn’t more people survive the sinking of the Titanic?
टाइटैनिक में मरने वालों की संख्या अधिक होने के मूल रूप से तीन कारण हैं:
1. पर्याप्त संख्या में जीवनरक्षक नौकाओं (Lifeboats) का अभाव (या उन्हें प्रबंधित करने के लिए चालक दल की अनुपलब्धता)
टाइटैनिक को 48 लाइफबोट ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया था, लेकिन यह संख्या घटाकर 20 कर दी गई क्योंकि प्रशासकों को लगा कि लाइफबोट्स की संख्या के कारण डेक बहुत अव्यवस्थित दिखाई देगा.
लेकिन 20 लाइफबोट सभी लोगों को बचाने के लिए काफी नहीं थी और अगर सभी 20 लाइफबोट पूरी तरह से भरी जाती तो 1,178 लोगों की जान बचाई जा सकती थी, जबकि ऐसा नहीं हुआ और हादसे में से सिर्फ 706 लोग ही बच पाए.
वजह यह रही कि कुछ लोग पहले ही कुछ लाइफबोट लेकर भाग गए. उदाहरण के लिए, लाइफबोट नंबर 1 में 40 लोग सवार हो सकते थे, लेकिन जहाज के चालक दल के सात सदस्य और पांच यात्री लाइफबोट लेकर भाग गए. इसी तरह लाइफबोट नंबर 7 में 65 लोग आ सकते थे, लेकिन 24 लोग ही इसे लेकर भाग गए.
साथ ही, जीवनरक्षक नौकाओं का प्रबंधन करने के लिए वास्तव में पर्याप्त प्रशिक्षित कर्मचारी भी नहीं थे.
2. अत्यधिक ठंडी
जहां टाइटैनिक डूबा था वहां हवा का तापमान हिमांक बिंदु (Freezing point) से नीचे था और पानी का तापमान -2 डिग्री सेल्सियस था. जो लोग लाइफबोट पर नहीं चढ़ सके वे जल्द ही हाइपोथर्मिया (Hypothermia) से पीड़ित होने लगे थे.
अधिकांश लोगों ने उस ठंडे पानी में 15 मिनट के भीतर होश खो दिया और 30 मिनट के भीतर उनकी मृत्यु हो गई.
3. जहाज पर सवार अधिकांश लोगों द्वारा जताई गई लापरवाही
हालांकि, मरने वालों की संख्या वास्तव में जहाज के डूबने के दौरान यात्रियों की शालीनता थी. जहाज पर सवार अधिकांश लोग तब तक संतुष्ट थे जब तक कि बात उनके जान पर नहीं बन आई.
उनमें से अधिकांश लोगों को तो इस बात पर विश्वास ही नहीं हुआ कि जहाज वास्तव में डूब रहा है जब तक कि बहुत देर हो चुकी थी. इसका एक कारण यह भी है कि टाइटैनिक जहाज को ‘कभी ना डूबने वाला जहाज’ के रूप में प्रचारित किया जाता था, जिसके कारण लोग भी आश्वस्थ थे.
जब टाइटैनिक ने इमरजेंसी सिग्नल भेजे तो ‘SS Californian’ नाम का जहाज उसके सबसे करीब था. लेकिन टाइटैनिक का वायरलेस ऑपरेटर लगभग खराब हो चुका था. ऐसा माना जाता है कि अगर ‘SS Californian’ से किसी तरह संपर्क हो जाता तो और लोगों की जान बचाई जा सकती थी.
टाइटैनिक के संगीतकारों की साहसी प्रवृत्ति – The Courageous Instincts of the RMS Titanic Musicians
1912 में टाइटैनिक जहाज के डूबने के साथ ही टाइटैनिक के सभी संगीतकारों को भी जल समाधि मिल गई थी.
जहाज के डूबने के दौरान चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई और हर कोई अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहा था, लेकिन जहाज के धीरे-धीरे डूबने की खबर मिलने के बावजूद भी, इसके संगीतकार अंतिम सांस तक गीत बजाते रहे ताकि वे सभी और अन्य बदकिस्मत लोग जो कुछ समय बाद मरने वाले थे, अपने अंतिम क्षणों को खुशी से बिता सकें.
जैसे-जैसे स्थिति अधिक गंभीर होती गई, और डेक का कोना-कोना अधिक गंभीर दृश्यमय होता गया, संगीतकारों ने ताल बदल दी और सराहना वाले धुन बजाना शुरू कर दिया था.
सभी आठ संगीतकारों की डूबने से मृत्यु हो गई और जीवित बचे लोगों द्वारा उनकी बहादुरी की कहानी को व्यापक रूप से दुनिया के सामने उजागर किया गया.
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क्या टाइटैनिक के जीवित बचे लोगों में से कोई अभी भी जीवित है? Is anyone still alive from the Titanic survivors?
टाइटैनिक दुर्घटना में जीवित बचे लोगों में से कोई भी आज जीवित नहीं है. ‘मिलविना डीन’ (Millvina Dean) टाइटैनिक दुर्घटना में जीवित बची अंतिम व्यक्ति थी, जिनकी मृत्यु 31 मई 2009 को 97 वर्ष की आयु में हुई थी.
‘मिलविना डीन’ टाइटैनिक पर सवार सबसे कम उम्र की व्यक्ति थी और उस समय उनकी आयु केवल 2 महीने थी.
टाइटैनिक जहाज की टिकट की कीमत क्या थी? What was the ticket price for the Titanic ship?
1912 में जब टाइटैनिक अपनी पहली यात्रा पर निकलने वाला था, तो उसके टिकट की कीमतें इस प्रकार थीं:
- प्रथम श्रेणी (पार्लर सुइट) = £870/$4,350
- प्रथम श्रेणी (बर्थ) = £30/$150
- द्वितीय श्रेणी = £12/$60
- तृतीय श्रेणी = £3 – £8/$15 – $40
टाइटैनिक जहाज के बारे में कुछ अन्य रोचक तथ्य – Some other interesting facts about the Titanic ship
#1. टाइटैनिक जहाज 882 फीट 9 इंच (269.06 मीटर) लंबा था और इसकी अधिकतम चौड़ाई 92 फीट 6 इंच (28.19 मीटर) थी.
#2. टाइटैनिक पर एक दिन में इंजन चलाने के लिए 600 टन यानी 6 लाख किलो कोयला जलाया जाता था. इस कोयले को 176 आदमी अपने हाथों से भट्टी में डालते थे. हर 24 घंटे में 1 लाख किलो राख समुद्र में फेंक दी जाती थी.
#3. जहाज का इंजन 46,000 हॉर्स पावर ऊर्जा का उत्पादन करता था. यह ‘बोइंग 777’ विमान इंजन की शक्ति का लगभग आधा है.
#4. पूरी तरह से लोड होने के बाद टाइटैनिक का वजन 46,326 टन (करीब 4 करोड़ 63 लाख 26 हजार किलो) होता था. इतने भारीभरकम वजन के बावजूद भी यह 42 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता था.
#5. टाइटैनिक जहाज पर चार चिमनियां लगाई गई थीं, जिनमें से सिर्फ तीन चिमनियों से धुंआ निकलता था. चौथी चिमनी नकली थी, इसे जहाज को मजबूत और अधिक सुंदर दिखाने के लिए लगाया गया था.
#6. टाइटैनिक पर यात्रियों और कर्मचारियों के लिए 39,000 किलो मांस, 40,000 अंडे, 40 टन आलू, 1,590 किलो प्याज, 36,000 सेब उपलब्ध थे. जहाज पर प्रतिदिन 63,000 लीटर पानी की खपत होती थी.
#7. टाइटैनिक पर लगी सीटी की आवाज 16 किमी दूर तक सुनी जा सकती थी.
#8. टाइटैनिक के बोर्ड पर ‘Atlantic Daily Bulletin’ अखबार हर दिन प्रकाशित होता था. इसमें समाचार, विज्ञापन, स्टॉक की कीमतें, घुड़दौड़ के परिणाम से लेकर दिन के मेनू तक सब कुछ शामिल होता था.
#9. 13 नवविवाहित जोड़े अपना हनीमून मनाने के लिए टाइटैनिक की जलयात्रा पर आए थे.
#10. टाइटैनिक के यात्रियों के पास नकद, आभूषण समेत 60 लाख डॉलर का सामान था.
#11. टाइटैनिक के डूबने से इंग्लैंड की अर्थव्यवस्था को भी गहरा झटका लगा था. क्योंकि इसमें यात्रा करने वाला सबसे ज्यादा अमीर लोग इंग्लैंड के ही थे, ‘John Jacob Astor IV’ जहाज पर मौजूद सबसे अमीर व्यक्ति थे, वह भी इंग्लैंड से थे और उस समय उनकी कुल संपत्ति $85 मिलियन थी.
#12. टाइटैनिक दुर्घटना में जो जापानी लोग बच गए थे, उनके परिवारों को आज भी जापान के लोग कायर कहते हैं क्योंकि उनके पूर्वज अन्य लोगों के साथ नहीं मरे थे.
#13. 14 अप्रैल, 1912 को टाइटैनिक का प्रथम श्रेणी का लंच मेनू, 31 मार्च, 2012 को 76,000 ब्रिटिश पाउंड यानि करीब 62 लाख में बेचा गया था.
#14. टाइटैनिक में कुछ लोग ऐसे भी थे जो उसमें सफर नहीं करना चाहते थे. दरअसल, कोयले की कमी के चलते इसकी कंपनी व्हाइट स्टार लाइन (White Star Line) को ओशनिक (Oceanic) और एड्रियाटिक (Adriatic) नाम के दो जहाजों की यात्रा रद्द करनी पड़ी और इन दोनों जहाजों के यात्रियों को टाइटैनिक में शिफ्ट कर दिया गया था.
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टाइटैनिक जहाज अब कहां है? Where is the Titanic ship now?
टाइटैनिक का मलबा 73 साल बाद उत्तरी अटलांटिक महासागर के तल में 1 सितंबर 1985 को समुद्र में 12,600 फीट की गहराई पर पाया गया था.
अपने अंतिम क्षणों में टाइटैनिक बीच से दो टुकड़ों में टूट गया था. ये दोनों टुकड़े अभी भी समुद्र में ही पड़े हैं और इनके बीच की दूरी 600 मीटर है.वैज्ञानिक अभी तक स्पष्ट रूप से यह नहीं बता पाए हैं कि जहाज के दो टुकड़े किस वजह से हुए थे.
क्या टाइटैनिक से टकराने वाला हिमखंड अभी भी मौजूद है? Does the iceberg that hit the Titanic still exist?
टाइटैनिक के डूबने का कारण बना हिमखंड (Iceberg) 10,000 साल पहले ग्रीनलैंड के एक ग्लेशियर से अलग होकर आया था. हिमखंड का सही आकार शायद कभी पता नहीं चलेगा, लेकिन जैसा कि बचे हुए लोगों ने बताया यह पानी से लगभग 100 फीट ऊंचा था. टक्कर के दो हफ्ते बाद यह भी नष्ट हो गया था क्योंकि इसे भी काफी नुकसान पहुंचा था.
टाइटैनिक फिल्म में कितनी सच्चाई है? How much of the Titanic movie is true?
1997 में ‘टाइटैनिक’ नाम की एक हॉलीवुड फिल्म आई थी. यह फिल्म ऐतिहासिक और काल्पनिक दोनों पहलुओं को दर्शाते हुए, RMS Titanic के डूबने के दुर्घटना पर आधारित है और जिसका बजट वास्तविक ‘टाइटैनिक जहाज’ से भी ज्यादा था.
वास्तविक ‘टाइटैनिक जहाज’ को बनाने में 75 लाख डॉलर की लागत आई थी, जबकि फिल्म की लागत 20 करोड़ डॉलर थी. आज यह फिल्म कमाई के मामले में दुनिया में तीसरे नंबर पर है. इस फिल्म ने 2.21 अरब डॉलर की कमाई की थी. इतने पैसों से आज 5 टाइटैनिक बनाए जा सकते हैं.
फिल्म टाइटैनिक ने 1998 के ऑस्कर पुरस्कार समारोह में कुल 13 पुरस्कार जीते थे.
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Jisne Bhi Yh Jaankari Di Wo Bilkul Satik Aur Perfect Hai !! Isse Pehle Maine Kai Jaankari (TAITANIC) Ship Ke Baare Main Padhi Lekin Aapki Is Baat Main Jyada Pata Chala Hai . Sacchai to yahi hai Us Jamane Ki . Aapne Jo Bhi Bataya ..Ship ke baare main , Passenger Aur Animals Ke Baare Main . Is Main Marne Aur Jinda Logo ki bhi Sankhya Sahi batai . Aapka Bohot Bohot Dhanyawad . Aur ESI HE SACCHI Jaankari dijiegaa . I Impressed !!
Thank you Divyeshji 🙂