तिरुवल्लुवर, जिन्हें आमतौर पर वल्लुवर के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रसिद्ध तमिल कवि और दार्शनिक थे. उन्हें ‘तिरुक्कुरल’ साहित्य के लेखक के रूप में भी जाना जाता है, जो नैतिकता, राजनीतिक और आर्थिक मामलों और प्रेम पर आधारित दोहों का एक संग्रह है.
थिरुवल्लुवर के जीवन से जुड़े कई सारे विवरण उपलब्ध हैं, लेकिन उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि, धार्मिक संबद्धता या जन्मस्थान के बारे में बहुत कम वास्तविक जानकारी उपलब्ध है.
संत तिरुवल्लुवर के अनमोल विचार
1. जब आपको कोई बेहतरीन अवसर मिले तो उसे अपना ले और सर्वश्रेष्ठ कार्य ही करे.
2. व्यक्ति भीतर से जितना मजबूत होगा, उसकी श्रेष्ठता उतनी ही अधिक होगी.
3. उचित और विनम्र शब्दों का ज्ञान होने के बावजूद, दूसरों के लिए अपशब्दों का उपयोग करना यानि पेड़ पर पके फल लगे होने के बावजूद कच्चे फल का सेवन करने के समान है.
4. पानी चाहे कितना भी गहरा क्यों न हो, कमल का फूल पानी के ऊपर ही खिलता है. उसी तरह कोई व्यक्ति कितना महान है, यह उसकी आंतरिक और मानसिक शक्ति पर निर्भर करता है.
5. खराब चाल-चलन या बुरी आदतों वाले व्यक्ति से संभाषण करना यानि, जैसे दीपक की मदद से डूबते हुए आदमी को पानी में खोजने जैसा है.
6. अगर जरूरत के समय थोड़ी सी मदद की जाए, तो इससे ज्यादा महत्वपूर्ण या श्रेष्ठ कुछ भी नहीं हो सकता.
7. छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करने वाले लोग मृत इंसानों की तरह होते हैं. जिन्हें क्रोध नहीं आता उन्हें मृत्यु का भी भय नहीं होता हैं
8. सबसे बड़ा मूर्ख वह है जिसने बहुत कुछ सीखा है, बहुत कुछ पढ़ा और लिखा है, लेकिन फिर भी उसने संतुष्टि हासिल नहीं की है.
9. अग्नि से हुए ज़ख्म समय के साथ ठीक हो जाते है, लेकिन जो आघात शब्दों से होते हैं, वे कभी ठीक नहीं होते हैं.
10. एक योग्य शिक्षक अपने छात्रों के लिए अध्ययन करना सरल बनाता है. शिक्षक के चले जाने के बाद भी, छात्र अपने पाठ के बारे में सक्षम बन जाते हैं.
11. अच्छे लोगों के साथ नीतिपूर्ण व्यवहार करें, लेकिन मूर्खों के बीच मौन बनाये रखे.
12. समय के साथ, अच्छे लोगों के साथ मित्रता ज्यादा गहरी होती जाती है. और आयु के साथ-साथ, एक अच्छी किताब अधिक से अधिक पसंद आने लगती है.
13. ऐसा कोई कार्य न करें जिसके बारे में सोचकर आपको पछतावा हो. यदि कोई कार्य गलती से हुआ है, तो इसे कभी दोहराए नहीं.
14. मजबूत इरादों के साथ आगे बढ़ना आसान हो जाता है, लेकिन बेकार बैठे रहने से कुछ भी प्राप्त नहीं होता है.
15. किसी भी कार्य को ठीक से समझने के बाद ही उसे पूर्ण करने के लिए आगे बढ़े. कार्य आरंभ करने के बाद, यदि इसे पूरा करने में असमर्थ होने से या बहाने बनाने से आपका ही अपमान होगा. कोई भी कार्य करने से पहले दस बार ज़रूर सोचें.
16. जब यजमान के घर में कोई अतिथि हो, तो चाहे अमृत ही क्यों न हो, अकेले सेवन नहीं करना चाहिए.
17. उत्साह मानव के भाग्यशीलता का एक प्रमाण है.
18. धार्मिकता से दूर होना निस्संदेह बुरा है. लेकिन सामने मुस्कुराना और पीठ पीछे चुगली करना और भी ज्यादा बुरा है.
19. नशे में धुत्त व्यक्ति की सूरत उसकी मां को भी बुरी लगती है.
20. जब आपके पास धन अधिक हो तो विनम्र बने रहें और कम होने पर भी अपना सिर ऊंचा बनाए रखें.
21. स्वभाव में नम्रता और मधुर वचन ही मनुष्य के असली आभूषण हैं, शेष सब नाममात्र और क्षणिक भूषण हैं.
22. एक ऐसे व्यक्ति की शान और गरिमा जिसे लोग प्यार नहीं करते हैं, गांव के बीच में उगे विषवृक्ष की तरह है.
23. जो व्यक्ति ऐसे शब्द बोलता है जिसे सुनकर किसी का भी हृदय खुश हो जाता है, वह कभी भी गरीब नहीं हो सकता है.
24. आलस्य से दरिद्रता आती है, लेकिन जो लोग आलस्य को त्याग कर परिश्रम करते है उनके परिश्रम में स्वयं लक्ष्मी निवास करती हैं.
25. महानता सदैव ही दूसरों की कमजोरियों को ढंकना जानती है, लेकिन ओछापन दूसरों की कमियों को दिखाने के अलावा और कुछ करना ही नहीं जानता.
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