ये हैं दुनिया की सबसे विशाल घंटाये (These are the world’s largest bells)

These are the world's largest bells
ग्रेट बेल ऑफ़ धम्मजेडी (Great Bell of Dhammazedi):

माना जाता है कि “ग्रेट बेल ऑफ़ धम्मजेडी” मानव इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी घंटा है. इस घंटा का निर्माण 5 फरवरी 1484 को म्यानमार में हंथावाडी साम्राज्य के राजा धम्मजेडी के आदेश से किया गया था, पीतल से बने इस शानदार घंटा का वजन 327 टन था. कहते है यह घंटा बारह हाथ ऊंची और आठ हाथ चौड़ी थी. इसे “श्वेदागोन पगोडा” के मंदिर में स्थापित किया गया था, जहासे इसे पुर्तगाली साहसवीर और मुक्त-सैनिक फ़िलिप डी ब्रिटो ई निकोट ने अपनी सेना द्वारा म्यांमार को परास्त करने के बाद चुरा लिया था. उसने घंटा को एक जहाज द्वारा बागो नदी के माध्यम से बर्मा से बाहर ले जाने की कोशिश की, लेकिन घंटा इतना ज्यादा वजनदार था की जहाज इसका भार संभाल नहीं पाया, घंटा ने जहाज को नष्ट कर दिया और लहरों के नीचे नदी के गहराई में चला गया. माना जाता है कि धम्मजेडी की यह विशाल घंटा आज भी बागो नदी के तल में स्थित है. इस घंटा को खोजने के लिए आजतक कई प्रयास किए गए हैं, हालांकि अभी तक कोई भी सफल नहीं हुआ है.

ज़ार बेल (Tsar Bell):

रूस की 216 टन वजन वाली ज़ार बेल, जिसे ज़ार कोलोकोल III के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया में मौजूद सबसे बड़ी और भारी घंटा है. ज़ार बेल III को 1735 में इवान फेओडोरोविच मोटरिन द्वारा बनाया गया था जो रूस की सबसे बड़ी और सबसे भारी घंटा थी. इसकी ढलाई के तुरंत बाद बड़ी आग के एक हादसे ने इसे क्षतिग्रस्त कर दिया था, जिसके बाद यह किसी काम का नहीं रहा और इसी वजह से इसे कभी उपयोग में शामिल नहीं किया गया. वर्तमान में इसे मॉस्को शहर के क्रेमलिन परिसर में रखा गया है जो की रूस के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है.

बेल ऑफ़ गुड लक (Bell of Good Luck):

बेल ऑफ़ गुड लक चीन की सबसे बड़ी घंटा है, जिसे दिसंबर 2000 में ढाला गया और इसी महीने में नए साल की पूर्व संध्या पर पहली बार बजाया गया. इसका कुल वजन 116 मीट्रिक टन है, यह 8 मीटर ऊंची और 5 मीटर चौड़ी है. यह चीन के हेनिंग प्रांत में पिंगडिंगशान शहर के “फुकन मंदिर” में स्थित है, और यह स्थान “स्प्रिंग टेम्पल बुद्धा” के काफी करीब है, जो दुनिया की सबसे ऊंची बुद्ध प्रतिमा है. चीन ने इसे दुनिया की सबसे भारी कार्यरत घंटा होने का दावा किया है.

शितेंन-जी ( Shitennō-ji ):

शितेंन-जी, जापान के ओसाका शहर में स्थित बौद्ध मंदिर की 128 टन भारी घंटा थी, जिसका निर्माण 1902 से 1903 के बिच किया गया था. आधिकारिक तौर पर यह बौद्ध मदिर जापान का पहला बौद्ध और सबसे पुराना प्रशासित मंदिर माना जाता है. दुर्भाग्य से, 1942 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान युद्ध सामग्री बनाने के लिए ओसाका की घंटा को पिघला दिया गया था.

मिंगुन बेल (Mingun Bell):

मिंगुन बेल, मध्य म्यांमार के एक छोटे से शहर मिंगुन में स्थित एक घंटा है. म्यांमार के 90.7 टन वजनी मिंगुन बेल ने लंबे समय तक दुनिया की सबसे भारी घंटा के रूप में कीर्तिमान कायम किया था. घंटा के ढलाई का कार्य 1808 में शुरू हुआ और 1810 तक पूर्ण हो गया. म्यांमार में 23 मार्च 1839 में आए शक्तिशाली भूकंप ने मिंगुन बेल के मूल संस्करण को उध्वस्त कर दिया था, इसे मार्च 1896 में इरावाडी फ्लोटिला कंपनी ने स्क्रू जैक और लीवर के उपयोग से पुनर्स्थापित कर दिया. 

बेल ऑफ़ किंग सेन्गदेओक (Bell of King Seongdeok):

बेल ऑफ किंग सेओंगदेओक, पीतल से बनी एक विशाल घंटा है, यह कोरिया की सबसे बड़ी मौजूदा घंटा है. इसे महान राजा सेन्गदेओक की पवित्र/दिव्य बेल भी कहा जाता है. इस घंटा का वजन 72 टन है, इसकी ऊंचाई 2.8 मीटर और व्यास 2.2 मीटर है. इसकी ढलाई के बारे में सम्बंधित पौराणिक कथा और इसे पहली बार “बोंग्देकोसा मंदिर” की बेल के रूप में स्थापित किये जाने के बाद से, इसे “एमिल बेल” के नाम से भी जाना जाता था. घंटा का निर्माण राजा ग्योंगदेओक ने अपने पिता, राजा सियोंगडोक के सम्मान में किया था. हालांकि, घंटा के ढलाई से पहले ही राजा ग्योंगदेओक की ईस्वी 765 में मृत्यु हो गयी. आखिरकार ईस्वी 771 में ग्योंगदेओक के बेटे, राजा हिंगोंग के शासनकाल के दौरान घंटा बनाने का कार्य पूर्ण हुआ. यह मूल रूप से शहर के “पंडोक मंदिर” में स्थापित किया गया था, लेकिन अंततः अब इसे ग्योंगजू शहर के राष्ट्रीय संग्रहालय में संग्रहीत किया गया है. 

बेल टॉवर, बीजिंग (Bell Tower, Beijing):

बीजिंग में 63 टन की एक विशाल घंटा है जिसे “बेल टॉवर” कहा जाता है. इस घंटा के साथ 1402 और 1423 के बीच एक ही आकार की 9 अन्य घंटाये भी बनाई गई थी, लेकिन अब तक केवल “बेल टॉवर” ही अपना वजूद बनाये रखने में सक्षम रहा. “बेल टॉवर” 1924 तक युआन, मिंग और किंग राजवंशों के दौरान बीजिंग का आधिकारिक समय-सूचक था. 1990 के बाद से, केवल 31 दिसंबर को साल में एक बार यह घंटा बजाया जाता है.

योंगले बिग बेल, बीजिंग (Yongle Big Bell, Beijing):

“योंगल बिग बेल” का निर्माण ईस्वी 1420 में मिंग राजवंश के योंगले सम्राट के शासनकाल के दौरान किया गया था. पीतल से बनी इस विशाल घंटा को 1733 में सम्राट योंग झेंग, किंग राजवंश के शासनकाल में बने प्रसिद्ध मंदिर “जू शेंग मंदिर” के अंदर स्थित किया गया, इस वजह से यह मंदिर “बिग बेल मंदिर” के नाम से भी प्रसिद्ध हुआ. “योंगले बिग बेल” का वजन लगभग 46.5 टन है, जिसकी ऊंचाई 5.5 मीटर और व्यास 3.3 मीटर है. यह घंटा न केवल अपने विशाल आकार के कारण प्रसिद्ध है, बल्कि इसपर उत्कीर्ण बौद्ध ग्रंथों के 230, 000 चीनी और संस्कृत शब्दों के लिए भी महत्वपूर्ण है.

इवान द ग्रेट बेल टॉवर (Ivan the Great Bell Tower):

मास्को शहर की इवान द ग्रेट बेल टॉवर, रूस की एक और विशाल घंटा है. इवान द ग्रेट बेल टॉवर में आज कुल 22 घंटाये मौजूद हैं. इनमें से, 18 छोटी घंटाये टॉवर के नींव और बीच में लटकाई गई है. बाकि चार बड़ी घंटाये में से एक का नाम उसपेन्स्की बेल है, इसका वजन 65.5 टन है, और इसे याकोव ज़ाव्यालोव द्वारा बनाया गया था. यह घंटा केवल ईस्टर जैसे महत्वपूर्ण पारंपरिक धार्मिक समारोहों के दिन ही बजाई जाती है. इवान द ग्रेट बेल टॉवर का निर्माण 16 वीं शताब्दी की शुरुआत में किया गया था.

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