जैसे को तैसा – पंचतंत्र की कहानी (The Rat that ate Iron Story In Hindi)

जैसे को तैसा – पंचतंत्र की कहानी (The Rat that ate Iron Story In Hindi)

दोस्तों, पंचतंत्र की कहानियां (Tales of Panchatantra in Hindi) श्रृंखला में आज हम – जैसे को तैसा की कहानी (The Rat that ate Iron Story In Hindi) पेश कर रहे हैं। Jaise ko Taisa Ki Kahani में बताया गया है की कैसे एक बनिया एक ठग को चुनौती देता है। उसके बाद क्या होता है? यह जानने के लिए पढ़ें – Jaise Ko Taisa Panchtantra Kahani

The Rat that ate Iron Story In Hindi – Tales of Panchatantra

जैसे को तैसा – पंचतंत्र की कहानी (The Rat that ate Iron Story In Hindi)
Jaise Ko Taisa Panchtantra Kahani

प्राचीन काल में सीतापुरी नामक एक नगर में जीर्णधन नाम का एक बनिया रहता था। परिवार में कोई नहीं होने के कारण वह अपना जीवन अकेले ही व्यतीत करता था। उसका कारोबार अच्छा नहीं चल रहा था, इसलिए बनिया ने पैसा कमाने के लिए विदेश जाने की सोची।

हांलाकि उसके पास कोई विशेष संपत्ति नहीं थी, उसके पास केवल एक मन (चालीस किलोग्राम) का भारी लोहे का तराजू था। उसने उस तराजू को साहूकार के पास विरासत के रूप में रखा, बदले में कुछ पैसे उधार लिए और व्यापारी विदेश चला गया। 

जीर्णधन ने साहूकार से कहा कि वह विदेश से लौटेगा और अपना कर्ज चुकाने के बाद तराजू वापस ले लेगा। जब बनिया विदेश से लौटा और उसने साहूकार से तराजू मांगा तो साहूकार ने कहा, “उस लोहे के तराजू को तो चूहों ने खा लिया है।”

बनिया समझ गया कि साहूकार की नियत खराब हो गई है और वह उसे तराजू नहीं देना चाहता था। तभी जीर्णधन के मन में एक युक्ति सूझी। बनिए ने धैर्य और विनम्रता से कहा, “यदि चूहों ने वह तराजू खा लिया है, तो यह चूहों की गलती है, आपकी गलती नहीं है। आप बेवजह चिंता न करें।”

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कुछ देर बाद बनिया बोला, “मैं नदी के किनारे नहाने जा रहा हूं। तुम अपने पुत्र धनदेव को मेरे साथ भेज देना, वह भी स्नान करके आ जाएगा।”

साहूकार बनिए की बातों से प्रभावित हुआ, इसलिए उसने अपने बेटे को बनिए के साथ नहाने के लिए भेज दिया।

बनिया साहूकार के बेटे को वहां से कुछ दूर ले गया और उसे एक गुफा में बंद कर दिया और गुफा के द्वार पर एक बड़ी सी शीला रख दी ताकि साहूकार का बेटा वहां से भाग न सके।

वहां से जब बनिया साहूकार के घर आया तो साहूकार ने उसे अकेला देखकर पूछा, “मेरा बेटा कहां है, वह आपके साथ नहाने गया था न?”

बनिया बोला, “माफ करना दोस्त, उसे तो चील उठाकर ले गई।”

साहूकार हैरान रह गया और गुस्से से बोला, “ऐसा कैसे हो सकता है? क्या चील कभी इतने बड़े बच्चे को उठा सकती है?”

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बनिया – “मित्र ! जिस प्रकार चूहे लोहे के तराजू को खा सकते हैं, उसी प्रकार चील भी बच्चे को उठा ले जा सकती है। यदि आप अपना बच्चा चाहते हैं, तो मेरा तराजू वापस लौटा दो।”

इस तरह विवाद बढ़ता गया। तब इस समस्या को लेकर दोनों राजदरबार में पहुंचे। वहां साहूकार ने न्यायिक अधिकारी के सामने अपनी दुख भरी कहानी सुनाई और बनिया पर आरोप लगाया कि उसने मेरे बच्चे को चुरा लिया है।

धर्म अधिकारी ने बनिए से कहा, “इसका बेटा इसे वापिस दे दो।”

बनिया – “राजन उस बालक को तो चील उड़ा कर ले गई।”

धर्माधिकारी – “असंभव! भला कोई चील इतने बड़े बालक को कैसे उड़ा कर ले जा सकती हैं?”

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बनिया – “यदि मेरा एक मन वजन का तराजू चूहे खा सकते हैं, तो चील इनके बच्चे को उड़ाकर क्यों नहीं ले जा सकती है?” इसके बाद बनिए ने धर्माधिकारी के पूछने पर अपनी पूरी कहानी कह सुनाई।

धर्माधिकारी ने पड़ताल में पाया कि जीर्णधन के साथ अन्याय हुआ है और उन्होंने साहूकार को दण्डित करने की बात कही।

साहूकार ने सजा के डर से अपनी गलती स्वीकार कर ली और जीर्णधन को तराजू लौटाने का वादा किया।

उसके बाद साहूकार ने जीर्णधन का तराजू उसे वापस लौटा दिया और जीर्णधन ने भी साहूकार के बेटे को मुक्त कर दिया।

कहानी का भाव:

जो आपके साथ जैसा व्यवहार करे उसके साथ वैसा ही व्यवहार करें, ताकि उसे भी अपनी गलती का एहसास हो। जैसी करनी वैसी भरनी।

Jaise ko Taisa Story in Hindi

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