अविवेक का मूल्य – पंचतंत्र की कहानी (The Price of Indiscretion Story In Hindi)

अविवेक का मूल्य – पंचतंत्र की कहानी (The Price of Indiscretion Story In Hindi)

दोस्तों, पंचतंत्र की कहानियां (Tales of Panchatantra in Hindi) श्रृंखला में आज हम – अविवेक का मूल्य कथा (The Price of Indiscretion Story In Hindi) पेश कर रहे हैं। Avivek ka mulya panchtantra story in Hindi में बताया गया है की एक ऊंट अपने घमंड में किसी की बात नहीं मानता है। उसके बाद क्या होता है? यह जानने के लिए पढ़ें – The Price Of Indiscretion Panchatantra Story In Hindi

The Price of Indiscretion Story In Hindi – Tales of Panchatantra

अविवेक का मूल्य – पंचतंत्र की कहानी (The Price of Indiscretion Story In Hindi)
Avivek ka mulya panchtantra story in Hindi

एक गांव में उज्ज्वल नाम का एक मेहनती बढ़ई रहता था। उसकी पारिवारिक स्थिति बहुत खराब थी। कभी-कभी तो उसके परिवार के लिए पर्याप्त खाने-पीने की भी व्यवस्था नहीं हो पाती थी। उसका बढ़ईगीरी का काम ठीक नहीं चल रहा था।

एक दिन उसने धन कमाने के उद्देश्य से विदेश जाने का निश्चय किया। अगले ही दिन वह अपने औजारों के साथ यात्रा पर निकल गया। बीच रास्ते में घना जंगल था। जब वह जंगल से गुजर रहा था तो उसने देखा कि एक ऊंटनी प्रसव पीड़ा से तड़प रही है।

उस ऊंटनी ने एक सुंदर बछड़े ऊंट को जन्म दिया। बढ़ई को ऊंटनी और उसके बच्चे पर दया आ गई और उसने विदेश जाने का विचार त्याग दिया और दोनों को लेकर वापस अपने घर लौट आया और घर के बाहर उन्हें बांध दिया। 

बढ़ई दोनों की अच्छी तरह देखभाल करने लगा और उन्हें खाने के लिए हरी घास-पत्तियां देने लगा। कुछ दिनों के बाद ऊंट और ऊंटनी अच्छे भोजन के कारण हट्टेकट्टे और फुर्तीले हो गए। 

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ऊंट भी बड़ा हो गया था इसलिए बढ़ई ने उसके गले में घंटी बांध दी थी ताकि वह कहीं खो न जाए। बढ़ई उस घंटी की आवाज सुनकर उसे कहीं से भी ढूंढ कर वापस ले आता।

बढ़ई के बच्चों का ऊंटनी के दूध से अच्छे से पालन पोषण हो रहा था। अब ऊंट भी काफी बड़ा हो गया था, तो वह बोझ ढोने के काम आता था। बढ़ई का यह धंधा अच्छा चलने लगा था, जिससे उसकी आमदनी में भी इजाफा हुआ।

बढ़ई ने एक साहूकार से कुछ पैसे उधार लिए और दूसरे देश से एक ऊंटनी और लेकर आया। कुछ समय बाद बढ़ई के पास ऊंट-ऊंटनी की संख्या भी बढ़ गई। अब उसके यहां दूध की नदियां बहने लगीं थी। उनका कारोबार चारों दिशाओं में फैल चुका था।

सभी ऊंटो में वह ऊंट अपने आप को सबसे अलग मानता था, जिसके गले में घंटी बंधी थी। एक तो जंगल में जंगली जानवरों का भय था और उस पर उसके गले में बंधी घंटी शोर करती थी, जिसकी आवाज से जंगली जानवरों को ऊंटों के बारे में पता चल जाता था। 

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अन्य ऊंटों ने उसे चेतावनी दी, परन्तु उसने अपने घमंड में किसी की नहीं सुनी। जब सारे ऊंट जंगल में पत्ते खाने चले जाते थे तो वह समूह छोड़कर अकेला इधर-उधर घूमने लगता था और देर से घर लौटता था। 

एक दिन जब सभी ऊंट ऊंटिया तालाब पर पानी पी रहे थे तो वह ऊंट जंगल में घूमने निकल गया। घूमते-घूमते वह शेर की गुफा के पास जा पहुंचा। शेर ने जब उस घंटी की आवाज सुनी तो वह उस आवाज के सहारे ऊंट तक पहुंच गया और उस ऊंट को अपना शिकार बना लिया।

कहानी का भाव:

हमें अपने शुभचिंतकों की बात सुननी चाहिए।

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