दोस्तों, पंचतंत्र की कहानियां (Tales of Panchatantra in Hindi) श्रृंखला में आज हम – संगीतमय गधा की कहानी (The Musical Donkey Story In Hindi) पेश कर रहे हैं। Sangeetmay Gadha Ki Kahani में बताया गया है की कैसे अपने हितचिंतक की बात न मानने से गधा मुसीबत में आ जाता है। उसके बाद क्या होता है? यह जानने के लिए पढ़ें – Panchatantra Story The Musical Donkey In Hindi।
The Musical Donkey Story In Hindi – Tales of Panchatantra
बहुत समय पहले की बात है एक छोटे से नगर में एक धोबी अपने गधे के साथ रहता था। वह दिन भर गधे से कपड़ों की पोटलिया ढोने का काम करवाता था। किंतु वह गधे के लिए चारा-पानी का प्रबंध ठीक से नहीं किया करता था, क्योंकि धोबी निर्दई और कंजूस था।
धोबी दिन भर गधे से मेहनत का काम करवाता और रात को उसे चरने के लिए छोड़ देता। आस-पास कोई चारावाह न होने के कारण गधे को भरपेट भोजन नहीं मिल पाता था। पर्याप्त भोजन न मिलने के कारण गधे की हालत बहुत खराब हो गई थी।
एक रात जब धोबी ने उसे चरने के लिए छोड़ दिया तो वह चरता हुआ कहीं दूर जंगल में चला गया। उस रात जंगल में उसकी मुलाकात एक सियार से हुई।
सियार ने गधे से कहा कि “गधे भाई! तुम इतने कमजोर क्यों हो गए हो?”
तो गधे ने दुखी स्वर में उत्तर दिया, “मुझसे सारा दिन काम कराया जाता है और मुझे कुछ भी खाने को नहीं दिया जाता है। इस कारण मुझे इधर-उधर भटक कर अपना पेट भरना पड़ रहा है। इस वजह से मैं बहुत कमजोर हो गया हूं।”
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इस पर सियार ने कहा कि “दोस्त, अगर ऐसा है तो समझ लो कि अब से तुम्हारे भुखमरी के दिन गए।” मुझे पास के ही एक सब्जियों के बागान का पता है जिसमें कई तरह की हरी-भरी सब्जियां और फल उगाये जाते हैं। मैं रोज रात को उस बागान में जाता हूं और हरी सब्जियां और फल खाता हूं। यही वजह है कि मैं बहुत स्वस्थ हूं।
मैंने उस बाग़ के एक सिरे की बाड़ को तोड़ कर उसमें प्रवेश करने के लिए जगह भी बनायी है। अगर तुम चाहो तो तुम भी मेरे साथ चल सकते हो और वहां भरपेट सब्जियां खा सकते हो। इसपर तो गधे ने लार टपकाते हुए हामी भर दी और सियार के साथ चल पड़ा।
गधा सियार के पीछे-पीछे चलता उस सब्जियों के बागान में जा पहुंचा। बागान में पहुंचकर गधे की आंखे चमक उठती हैं। इतने सारे फल और सब्जियां देखकर, गधा अपने आप को रोक नहीं पाता है और बिना देर किए अपनी भूख मिटाने के लिए रसीले फलों और सब्जियों का आनंद लेने लगता है।
सियार और गधा दोनों भरपेट खाना खाकर उसी बागान में सो जाते हैं। गधे को कई महीनों के बाद इतना भरपेट भोजन मिल था। अगले दिन सूर्योदय से पहले सियार जाग जाता है और गधे को तुरंत बागान से बाहर निकलने के लिए कहता है। गधा सियार की बात बिना किसी सवाल के मान जाता है और दोनों वहां से निकल जाते हैं।
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यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा, दोनों रोज मिलते और ऐसे ही बगीचे में जाकर हरी सब्जियां और फल खाते। धीरे-धीरे समय बीतता गया और गधा स्वस्थ हो गया।
रोज पेट भर खाना खाने से गधे के बाल चमकने लगे थे और उसकी चाल में भी सुधार हो गया था। वह अब भुखमरी के दिनों को भूल गया था।
एक रात गधा खूब खाकर बहुत खुश हुआ और जमीन पर लोटने लगा। तभी सियार ने पूछा, “गधे भाई, तुम्हारी तबीयत तो ठीक है न?” तो गधा कहता है, “आज मैं बहुत खुश हूं और मेरा गाना गाने का मन कर रहा है।”
गधे की यह बात सुनकर सियार घबरा गया और बोला, “नहीं गधे भाई, यह काम भूलकर भी मत करना। यह मत भूलो कि हम चोरी कर रहे हैं। कहीं बगीचे के मालिक ने तुम्हारा बेसुरा गाना सुन लिया और यहां आ गया, तो बड़ी आफत आ जायेगी भाई, क्यों मुसीबत को न्यौता दे रहे हो?”
गधे ने सियार की तरफ टेडी नजर से देखा और कहा कि तुम जंगली के जंगली ही रहोगे। गाने के बारे में तुम क्या जानो?
सियार ने कहा, “मैं गाने के बारे में नहीं जानता, मैं केवल अपनी जान बचाना जानता हूं।” तुम अपना बेसुरा राग अलापने का हठ छोड़ दो, इसी में हम दोनों की भलाई है।”
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गधे ने सियार की बात का बुरा मानकर हवा में दुलत्ती चलाई और शिकायत करने लगा, ”मेरे राग को बेसुरा कहकर तुमने मेरा अपमान किया है।” हम शुद्ध शास्त्रीय लय में रेंकते हैं। वह मूर्खों को नहीं समझ सकता।”
सियार ने कहा, “दोस्त, मैं मूर्ख ही सही लेकिन एक मित्र के नाते मेरी बात मान लो। यदि तुम गाना गाओगे तो चौकीदार जाग जाएगा।”
गधा इतराते हुए बोला, “अरे मूर्ख सियार! मेरा गाना सुनकर तो चौकीदार मेरे लिए फूलों की माला लाएगा।”
सियार को लगा कि इस मूर्ख को समझाने का कोई फायदा नहीं है। सियार ने चालाकी से काम लिया और हाथ जोड़कर कहा, “गधे भाई, मैं अपनी गलती स्वीकार करता हूं। तुम बहुत ही सुरीले राग में गाते हो, लेकिन मेरे जाने के कुछ देर बाद आप अपना गाना शुरू करना ताकि मैं आपका गाना खत्म होने से पहले आपके लिए फूलों की माला ला सकूं।”
गधे ने सहमति में सिर हिलाया और सियार जंगल की ओर भाग गया। सियार के जाने के कुछ देर बाद ही गधा आलाप करने लगा। गधे की आवाज से चौकीदार जाग गए और लाठी लेकर उसकी ओर दौड़े।
यही वह दुष्ट गधा है जो इतने दिनों से हमारे बागान की सब्जियां खा रहा है, यह कहकर सभी पहरेदार उस गधे पर टूट पड़े। पहरेदारों ने गधे को डंडे से मार-मार कर उसे अधमरा कर भगा दिया।
कहानी का भाव:
इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि हमें अपने शुभचिंतकों और हितैषियों की सलाह माननी चाहिए। कई बार स्थिति ऐसी बन जाती है कि दूसरों की बात न सुनने से हम परेशानी में पड़ सकते हैं।
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