दोस्तों, पंचतंत्र की कहानियां (Tales of Panchatantra in Hindi) श्रृंखला में आज हम – सियार की रणनीति की कहानी (Panchatantra Story The Jackal’s Strategy Story In Hindi) पेश कर रहे हैं। Siyar Ki Ranneeti Ki Kahani में बताया गया है की एक सियार अपने भक्ष को खाने लिए एक तरकीब अपनाता है। उसके बाद क्या होता है? यह जानने के लिए पढ़ें – Jackal’s Strategy Story In Hindi।
The Jackal’s Strategy Story In Hindi – Tales of Panchatantra
एक जंगल में महाचतुरक नाम का एक सियार रहता था। वह बहुत तेज दिमाग और बहुत चालाक था। एक दिन जंगल में घूमते हुए उसे एक मरा हुआ हाथी मिला। वह हाथी कई दिनों से मरा हुआ था, जिससे उसका शरीर संघनित हो गया था और चमड़ी बहुत मोटी हो गई थी।
सियार ने हाथी के मांस को खाने के इरादे से अपने दांतों से उसकी चमड़ी फाड़ने की कोशिश की लेकिन चमड़ी बहुत मोटी होने के कारण वह चमड़ी काटने में असफल रहा।
तभी उसने देखा कि एक शेर उसकी तरफ आ रहा है। उसने विनम्रतापूर्वक शेर को प्रणाम किया और कहा, “महाराज, मैंने आपके लिए इस हाथी को मारा है। अब आप इस हाथी को खाकर मुझे कृतज्ञ करें।”
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शेर ने कहा, “मैं किसी और के द्वारा मारे गए शिकार को नहीं खाता। तुम स्वयं इस शिकार को खाओ।”
सियार मन ही मन बहुत खुश हुआ, लेकिन अब भी उसकी समस्या का समाधान नहीं हुआ था। कुछ देर उस हाथी के पास बैठने के बाद एक बाघ उसके पास आ गया। मृत हाथी को देखकर बाघ लाल टपकाने लगा।
सियार ने बाघ के मन को भांप लिया और कहा,”यह शिकार महाराज सिंह ने किया है और मुझे इसकी रखवाली के लिए रखा है। एक बार महाराज के शिकार को एक बाघ ने खा लिया था। उसके बाद महाराज को पूरी बाघ प्रजाति से नफरत होने लगी। निश्चित ही महाराज उस बाघ को मार डालेंगे जो इस हाथी को खा जायेगा।”
यह सुनते ही बाघ वहां से नौ-दो-ग्यारह हो गया। थोड़ी देर बाद वहां एक चीता आया। सियार जानता था कि चीते के दांत बहुत नुकीले होते हैं।
सियार ने चीते से कहा, “चीते भाई, आज तुम कुछ भूखे लग रहे हो। महाराज ने यह शिकार किया है और मुझे इसकी देखभाल करने के लिए कहा है। तुम चाहो तो इसमें से कुछ खा लो।”
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शेर द्वारा शिकार किए जाने की बात सुनकर चीते ने शिकार को खाने से मना कर दिया। लेकिन सियार ने उसे आश्वासन दिया कि जब महाराज आएंगे तो वह उसे पहले ही सूचित कर देगा ताकि वह यहां से भाग जाए।
काफी मशक्कत के बाद चीता शिकार को खाने को तैयार हो गया। कुछ ही देर में चीता हाथी की ऊपरी खाल फाड़कर उसे खाने लगा।
जब सियार ने देखा कि हाथी की ऊपर की चमड़ी फाड़ कर हटा दी गई है तो वह घबराई हुई आवाज में बोला, भागो-भागो, शेर आ रहा है।
यह सुनते ही चीता वहां से सरपट दौड़ पड़ा। उसके बाद सियार उस शिकार को कई दिनों तक खाता रहा।
कहानी का भाव:
बुद्धि की शक्ति शरीर की शक्ति से कहीं अधिक होती है और यदि बुद्धि से काम लिया जाए तो कठिन से कठिन समस्या भी आसानी से हल हो जाती है। इसलिए समस्या या खतरे को देखकर घबराने की बजाय चतुराई से काम लें।
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