The Hermit And The Mouse Story In Hindi – Tales of Panchatantra
प्राचीन काल की बात है कि भारत के दक्षिण में महिलारोपियम नाम का एक नगर था जहां एक शिव मंदिर था। उस शिवालय में एक पवित्र और निर्मल ऋषि रहते थे। उनका नित्य नियम भगवान की पूजा करना और आने-जाने वाले लोगों को धर्म का उपदेश देना था।
गांव के लोग जब भी मंदिर आते थे तो साधु को कुछ न कुछ दान करते थे। इसलिए साधु के लिए भोजन और वस्त्रों की कोई कमी नहीं थी।
साधु प्रतिदिन भोजन करने के बाद बचा हुआ भोजन एक बर्तन में भरकर छत से लटका देता था। समय इसी तरह आराम से बीत रहा था, लेकिन अब साधु के साथ एक अजीब घटना घटने लगी। जिस भोजन को साधु बर्तन में लटकाकर रखता था, वह भोजन गायब हो जाता था।
जब यह सिलसिला बार-बार होने लगा तो साधु परेशान हो गया और उसने इसके बारे में पता लगाने का फैसला किया।
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वह रात में दरवाजे के पीछे छिप गए और उन्होंने देखा कि एक छोटा चूहा उनका भोजन निकालकर ले जा रहा है। दूसरे दिन उन्होंने बर्तन को और ऊंचा कर दिया ताकि चूहा उस तक न पहुंच सके, लेकिन यह उपाय भी काम नहीं आया। उन्होंने पाया कि चूहा और ऊंची छलांग लगाता था और बर्तन पर चढ़कर खाना निकाल लेता था।
इस कारण ऋषि ने उस चूहे को कई बार पकड़ने का प्रयास किया, लेकिन उसमें भी ऋषि असफल रहे। अब साधु चूहे से काफी परेशान रहने लगा था।
एक दिन उस मंदिर में एक भिक्षुक भिक्षा मांगने आए लेकिन साधु उस चूहे को पकड़ने में व्यस्त थे। इसी वजह से वह उस भिक्षुक से नहीं मिल पाए, जिससे भिक्षुक ऋषि से क्रोधित हो उठा। उन्होंने इसे अपमान के रूप में लिया और कहा, “मैं फिर कभी आपके इस मंदिर में नहीं आऊंगा, आपके पास मेरे अलावा कुछ महत्वपूर्ण कार्य हैं, जिसके कारण आपके पास मुझसे मिलने के लिए पर्याप्त समय नहीं है।”
यह सुनकर साधु दीनतापूर्वक भिक्षुक को अपनी परेशानी बताने लगा। साधु ने बताया कि “वह चूहा इतना तेज है कि कहीं से भी खाना ढूंढ कर चुरा लेता है। वह चूहा इतना फुर्तीला है कि उसे न तो बिल्ली पकड़ सकती है और न ही बंदर। वह चूहा इतना शैतान है कि मेरे कटोरे में रखा खाना तक चट कर जाता है।”
भिक्षुक ने साधु की परेशानी को समझा और उसने सलाह दी, “चूहे के पास इतनी शक्ति, आत्मविश्वास और चंचलता होने के पीछे कोई कारण होगा।”
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इस पर भिक्षुक ऋषि से कहने लगा कि “जरूर चूहे के पास ढेर सारा खाना जमा होगा, जिससे वह सोचता है कि भले ही वह आज का खाना चुरा न पाए, लेकिन जमा हुआ खाना खाकर अपना पेट भर सकता है। इसलिए वह ऊंची से ऊंची छलांग लगाकर भी भोजन चुरा लेता है, उसके मन में विश्वास है कि वह भोजन चुरा लेगा। उसके पास भला खोने को है ही क्या।”
अगली सुबह साधु ने चूहे के बिल तक उसका पीछा किया और जब उन्होंने उस बिल की गहराई तक खुदाई की तो अंदर अनाज का एक बड़ा भंडार था। साधु ने वह सारा अनाज इकट्ठा कर गरीबों में बाट दिया।
अब चूहे के पास खाने के लिए कुछ नहीं था तो उसी रात चूहा ऊपर लटके हुए कटोरे से खाना चुराने की कोशिश करने लगा और वह सोचने लगा कि मैं खाना वापस इकट्ठा करके एक भंडार बना दूंगा।
लेकिन जब चूहे ने कटोरे तक पहुंचने के लिए छलांग लगाई तो वह उस तक नहीं पहुंच सका और धड़ाम से नीचे गिर गया। क्योंकि अब चूहे में न तो आत्मविश्वास था और न ही ताकत।
तभी साधु वहां पहुंचा और उसने गिरे हुए चूहे को देखा और अपनी छड़ी से उस पर प्रहार करने की कोशिश की। किसी तरह वह चूहा अपनी जान बचाकर मंदिर से भाग गया और फिर कभी उस मंदिर की ओर नहीं आया।
कहानी का भाव:
यदि व्यक्ति के पास संसाधनों की कमी न हो तो उस व्यक्ति का मनोबल और आत्मविश्वास और अधिक बढ़ जाता है।
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