धूर्त बिल्ली का न्याय – पंचतंत्र की कहानी (The Cunning Mediator Story In Hindi)

धूर्त बिल्ली का न्याय – पंचतंत्र की कहानी (The Cunning Mediator Story In Hindi)

दोस्तों, पंचतंत्र की कहानियां (Tales of Panchatantra in Hindi) श्रृंखला में आज हम – धूर्त बिल्ली का न्याय कहानी (The Cunning Mediator Story In Hindi) पेश कर रहे हैं। Billi Ka Nyay Story In Hindi में बताया गया है की कैसे एक बिल्ली अपने शिकार को फांसती है। उसके बाद क्या होता है? यह जानने के लिए पढ़ें – Panchtantra Kahani Billi Ka Nyay

The Cunning Mediator Story In Hindi – Tales of Panchatantra

धूर्त बिल्ली का न्याय – पंचतंत्र की कहानी (The Cunning Mediator Story In Hindi)
Billi Ka Nyay Story In Hindi

प्राचीन काल में कपिंजल नाम का एक तीतर जंगल में एक पेड़ के खोखले तने में रहता था। वह प्रतिदिन भोजन की तलाश में खेतों में जाता था और शाम तक लौट आता था। एक बार वह तीतर अपने साथियों के साथ धान की नई फसल खाने के लिए अपने घर से बहुत दूर चला गया।

उसी दिन शाम को शीघ्रगो नाम का एक खरगोश आश्रय की तलाश में उस पेड़ पर पहुंच गया जहां तीतर रहता था। उस जगह को खाली देखकर खरगोश उसमें रहने लगा।

बहुत दिन बीत जाने के बाद एक दिन अचानक तीतर अपने घर वापस आ गया। धान की नई-नई फसल खाने के कारण वह काफी मोटा और तरोताजा हो गया था।

खरगोश को अपने घर में देखकर उसने खरगोश से कहा, “यह घर मेरा है, तुम यहां से चले जाओ।”

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खरगोश तीखे मिजाज का था, वह बोला, “यह घर अब तुम्हारा नहीं रहा। आश्रय केवल मनुष्यों के पास होता है। वन में पशु जिस स्थान पर रहने लगता है, वह स्थान उसका अपना हो जाता है। तदनुसार, यह घर अब मेरा है।”

दोनों के बीच झगड़ा बढ़ गया और अंत में दोनों की इच्छा से इस समस्या को किसी तीसरे मध्यस्थ द्वारा हल करने का निर्णय लिया गया।

एक जंगली बिल्ली उनके झगड़े और सुलह को बड़े ध्यान से सुन रही थी। उसने सोचा कि यदि मैं पंच बन जाऊं तो मुझे इन दोनों को मारकर खाने का अवसर मिल जाएगा।

यह सोचकर बिल्ली हाथ में माला लेकर सूर्य के सामने मुख करके नदी के किनारे बैठ गई और ज्ञान का उपदेश देने लगी।

जब खरगोश ने बिल्ली का उपदेश सुना तो उसने कहा कि नदी के किनारे कोई धर्मात्मा बैठा है, उसे ही मध्यस्थ बनाकर इस समस्या का समाधान कर लेते हैं।

तीतर ने जब बिल्ली को देखा तो वह डर गया और दूर से ही बोला, “धर्मात्मा, आप हमारा झगड़ा सुलझाए और जिसकी बात धर्म के विरुद्ध हो उसे मारकर खा ले।”

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बिल्ली ने अपनी आंखें खोलीं और बोली “राम राम! ऐसी हिंसक बातें मुझसे मत कहो। मैंने हिंसा का मार्ग छोड़कर विद्या का मार्ग अपनाया है। इसलिए मैं विरुद्ध पक्ष पर भी हिंसा नहीं करती। मैं तुम्हारा यह झगड़ा निपटाने को तैयार हूं। मैं बूढी हो गई हूं इसलिए दूर से सुन नहीं सकती। कृपया मेरे पास आकर अपना पक्ष प्रस्तुत करें।”

तीतर और खरगोश ने बिल्ली की बात मानी और उसके पास गए। जैसे ही वे वहां पहुंचे, बिल्ली ने एक ही पंजे के वार से तीतर और खरगोश को दबोच लिया और अपना भोजन बना लिया।

कहानी का भाव:

किसी अनजान व्यक्ति पर आसानी से विश्वास न करें।

पंचतंत्र की कहानी धूर्त बिल्ली का न्याय

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