सोने के आम (तेनाली रामा की कहानियां) – Sone Ke Aam | Tenali Raman Stories In Hindi
विजयनगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेव राय की माता वृद्धावस्था के कारण बहुत बीमार रहती थीं। महाराजा कृष्णदेव राय अपनी माता को बीमार देखकर दुखी रहते थे, अगले दिन उनकी माता ने खाना-पीना भी छोड़ दिया।
जब राजमाता को अहसास हुआ की अब उनकी उम्र ज्यादा नहीं है तो उन्होंने अपने पुत्र कृष्ण देव राय को अपने पास बुलाया और कहा, “बेटा, मैं मरने से पहले सभी ब्राह्मणों को आम देना चाहती हूं।” इतना कहकर उनकी सांसें थम गईं और इसी के साथ उनका स्वर्गवास हो गया।
माता के वियोग पर महाराज को बहुत दु:ख हुआ। क्योंकि वह अपनी मां की आखिरी इच्छा पूरी नहीं कर सके। महाराज ने दो दिन तक कुछ नहीं खाया और हमेशा चिंतित रहते थे। अगले दिन महाराज ने इसका उपाय पाने के लिए राज्य के कुछ विद्वान ब्राह्मणों को बुलाया और उन्हें अपनी पूरी कहानी सुनाई।
राजा की बात सुनकर ब्राह्मण मन्त्रों का जाप करने लगे और बोले, “हे राजन! आपकी माता ने मरने से पहले सभी ब्राह्मणों को आम देने की इच्छा व्यक्त की लेकिन भगवान ने ऐसा नहीं चाहा और इससे पहले ही आपकी माता चल बसीं। ऐसी स्थिति में आपकी माताजी की इच्छा पूरी न होने के कारण उनकी आत्मा इधर-उधर भटकती रहेगी।”
तब राजा ने ब्राह्मणों से माता के मोक्ष का उपाय पूछा। महाराज ने ब्राह्मणों से कहा, मैं अपनी माता की शांति के लिए कुछ भी करने को तैयार हूं। आप केवल शास्त्र सम्मत उपाय बताएं।
महाराज की सहमति देखकर ब्राह्मणों ने कहा, महाराज अपनी माता की शांति के लिए आपको माता की पुण्यतिथि के दिन सभी ब्राह्मणों को भोजन कराना होगा और साथ ही उन्हें एक-एक सोने का आम भी देना होगा।
महाराज ने ब्राह्मणों की सलाह मान ली। विधि के अनुसार, सभी ब्राह्मणों को पुण्यतिथि पर स्वादिष्ट भोजन परोसा गया और प्रत्येक को एक-एक सोने का आम भी दिया गया। तेनाली रामा यह सारा दृश्य देख रहे थे। तेनाली तेनाली रामा को आभास हो गया कि यह ब्राह्मण जरूर बेईमानी कर रहे हैं।
तेनाली रामा ने उस समय चुप रहना ही उचित समझा। लेकिन उन्होंने निश्चय किया कि वह इन ब्राह्मणों को सबक जरूर सिखाएंगे।
अब तेनाली रामा ने भी अपनी माता की शांति के लिए उन सभी ब्राह्मणों को पुण्यतिथि पर अपने घर बुलाया। तेनाली रामा ने उन ब्राह्मणों का बहुत सत्कार किया। उन्होंने सभी ब्राह्मणों को स्वादिष्ट भोजन भी कराया।
जब सभी ब्राह्मण भोजन कर चुके, तो तेनाली रामा ने अपने सेवकों से गर्म सलाखें लाने को कहा। सलाखों के बारे में सुनकर सभी ब्राह्मण चकित रह गए। सभी ब्राह्मण तेनाली रामा से पूछते हैं कि गर्म सलाखें क्यों? आप उनके साथ क्या करेंगे?
विधि में गर्म सलाखों का कोई कार्य नहीं है। तेनाली रामा ने मुस्कुराते हुए कहा कि मेरी मां के शरीर पर फोड़े हो गए थे, मेरी मां चाहती थी कि मैं उन फोड़ों पर गर्म छड़ का इस्तेमाल करूं। लेकिन इससे पहले ही मेरी मां का निधन हो गया।
यह उनकी अंतिम इच्छा थी, इसलिए अब मैं आपको गर्म छड़ों से दागुंगा, ताकि मेरी मां का दर्द कम हो और उनकी आत्मा को शांति मिले। तेनाली रामा की बात सुनकर सभी ब्राह्मण परिणाम के बारे में सोचकर कांपने लगे। ब्राह्मण ने कहा, अरे मूर्ख, अगर तुम हमें गर्म छड़ों से दागोगे तो तुम्हारी माता को शांति कैसे मिलेगी?
तेनाली रामा ने उत्तर दिया कि जब महाराज के सोने के आमों के दान से उनकी माता को शांति मिल सकती है, तो आपको दागने पर मेरी मां को शांति कैसे नहीं मिल सकती। डरे-सहमे सभी ब्राह्मण समझ गए कि तेनालीराम क्या कहना चाहते हैं। सभी ब्राह्मणों ने तेनाली रामा के सामने अपनी गलती स्वीकार की और उनसे क्षमा भी मांगी।
ब्राह्मणों द्वारा महाराज से लिए गए सभी सोने के आम तेनाली राम को लौटा दिए गए। तेनाली रामा सोने के सारे आम लेकर दरबार में पहुंच गए। तेनाली रामा की इस हरकत को देखकर महाराज बहुत क्रोधित हुए। महाराज ने कहा – तेनालीराम अगर रुमहे आम ही चाहिए होता तो मुझसे मांग लेते, ब्राह्मणों से आम छीनने की क्या जरूरत थी, इतना लालच ठीक नहीं है।
तेनाली ने कहा महाराज, मैं लालची नहीं हूं और न ही मैंने ये आम ब्राह्मणों से छीने हैं, उन्होंने खुद ही ये आम मुझे वापस कर दिए हैं। वास्तव में ये सभी ब्राह्मण आपकी मजबूरी और भावनाओं का अनुचित लाभ उठा रहे थे। इसलिए मैंने उनकी लालची प्रवृत्ति को रोकने के लिए यह उपाय किया और उन्हें सबक सिखाया।
उन्होंने खुद अपनी गलती मानी और ये आम मुझे आपको लौटाने के लिए दिए। राजा तेनाली रामा की सारी बातें समझ गए थे। उन्होंने सभी ब्राह्मणों को राजदरबार में बुलाया और उन्हें सलाह दी कि वे ऐसा गलत काम न करें।
इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
हमें कभी लालची नहीं होना चाहिए और इस तरह दूसरों की मजबूरी का फायदा नहीं उठाना चाहिए।
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