रंग-बिरंगे नाखून (तेनाली रामा की कहानियां) – Rang Birangi Nakhun | Tenali Raman Stories In Hindi
विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय को पशु-पक्षियों से बहुत लगाव था। महाराज हमेशा सुबह जल्दी उठकर अपने शाही बगीचे में टहलने जाते थे, वहां उन्हें अजीबोगरीब प्रकार के पशु-पक्षी दिखाई देते थे, जिससे उनका मन प्रसन्न हो जाता था।
एक दिन महराज कृष्णदेव राय के दरबार में एक बहेलिया आया, बहेलिए को देखकर महराज बहुत खुश हुए। राजा को खुश करने के लिए बहेलिया अपने साथ एक रंग-बिरंगा पक्षी लाया था। बहेलिया उस पक्षी को राजा को बेचने के लिए लाया था।
राजा उस पक्षी को देखकर हैरान रह गए कि हमारी दुनिया में ऐसे अजीबोगरीब पक्षी भी मौजूद हैं। तब राजा ने कौतुहलवश बहेलिए से उस पक्षी के गुण पूछे। बहेलिए ने कहा कि यह पक्षी मोर की तरह नाच सकता है, तोते की तरह बोल सकता है और यह दुनिया का सबसे सुंदर पक्षी है।
मैंने इस पक्षी को कहीं दूर घने जंगलों के बीच देखा था, बड़ी मुश्किल से मैंने आपके लिए इस पक्षी को पकड़ा है। मैंने सुना है कि आपको पशु-पक्षी बहुत पसंद हैं, इसलिए मैं इसे आपके पास बेचने के लिए लाया हूं।
महराज बहुत खुश हुए और कहा कि यह पक्षी देखने में तो बहुत सुंदर लग रहा है, मैं इसे जरूर खरीदूंगा और आपको इसका उचित इनाम भी मिलेगा। राजा ने उस पक्षी की कीमत पचास सोने के सिक्कों के रूप में दी और इसके अतिरिक्त उपहार देने की भी घोषणा की।
बहेलिया बहुत खुश हुआ और मन ही मन मुस्कुराने लगा। उसी समय तेनाली रामा को उस बहेलिए में कुछ कपट नजर आया।
तेनाली रामा तुरंत उठ खड़े हुए और राजा से बोला कि महाराज, मुझे नहीं लगता कि यह पक्षी मोर की तरह नाच सकता है और न ही तोते की तरह बोल सकता है, यह इतना सुंदर भी नहीं दिखता है, इसलिए आप इस पक्षी को मत ख़रीदे।
तेनालीराम की ये बातें सुनकर बहेलिया डर गया और भोली सूरत बनाकर बोला कि महाराज, मैं बेशक गरीब हूं लेकिन मुझसे ज्यादा पक्षियों को कोई नहीं जानता। यही मेरा धंधा है और इसी से मेरा घर चलता है। आप मेरे पेट पर लात नहीं मार सकते और जहां तक मैं पशु-पक्षियों को जानता हूं, मुझे इसे साबित करने की जरूरत नहीं है।
महाराज भी बहेलिए की बातों में आ जाते हैं और तेनाली रामा से पूछते हैं, तुम कैसे कह सकते हो कि यह बहेलिया झूठा है, क्या तुम्हारे पास इसका कोई प्रमाण है? इस पर तेनाली रामा कहते – महाराज मेरे पास प्रमाण भी है और मैं इसे सिद्ध भी कर सकता हूं।
महाराज तेनालीराम को उन्हें सिद्ध करने का आदेश देते हैं। राजा तेनाली राम और बहेलिए के साथ उनके शाही बगीचे में जाते हैं, जहां पक्षी को एक पिंजरे में रखा जाता है।
तेनाली रामा एक सेवक से जग में पानी लाने के लिए कहते है और वह पिंजरे में बंद पक्षी पर पानी डाल देते है। पानी की वजह से उस पक्षी का सारा रंग फीका पड़ जाता है और वह अपने प्राकृतिक रंग में आ जाता है। जब राजा उस पक्षी का रंग धुलते हुए देखते है तो उनके पैरों तले जमीन खिसक जाती है।
जब बहेलिए की चाल पकड़ी जाती है तो वह भागने की कोशिश करता है, लेकिन सिपाहियों द्वारा पकड़ लिया जाता है। बहेलिए की इस हरकत पर महाराज को बहुत गुस्सा आता है और वे बहेलिए को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हैं।
इस बीच महाराज तेनाली रामा से पूछते हैं कि तुम्हे कैसे पता चला कि यह पक्षी रंगा हुआ है। तेनालीरामा कहते है महाराज जब मैंने बहेलिया का अच्छी तरह से निरीक्षण किया तो पाया की उसके नाखूनों में वही रंग फसा था जो पक्षी का था।
तभी मुझे पता चला कि यह पक्षी जरूर रंगा हुआ है और मैं यह भी जानता था कि इस तरह का पक्षी कहीं नहीं मिल सकता है। महाराज तेनाली रामा की चतुराई देखकर बहुत खुश होते हैं और उनकी खूब तारीफ भी करते हैं। और फिर जो मूल्य बहेलिए को दिया गया था, वह तेनाली रामा को उपहार के रूप में दिया जाता है।
इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
समय कितना भी खराब क्यों न हो लेकिन हमें सच का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए और झूठ का साथ नहीं देना चाहिए क्योंकि झूठ एक न एक दिन सामने आ ही जाता है।
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