नीलकेतु और तेनाली रामा (तेनाली रामा की कहानियां) – Neelketu Aur Tenali Rama | Tenali Raman Stories In Hindi
एक बार नीलकेतु नाम का व्यक्ति महाराजा कृष्णदेव राय के दरबार में आया। नीलकेतु बहुत दुबला-पतला और दुर्बल व्यक्ति था। वह राजा से मिलता है और उन्हें बताता है कि वह नील देश से आया है और विश्व भ्रमण के लिए निकला हुआ है।
वह महाराज से कहता है कि मैं सारे संसार का भ्रमण कर चुका हूं और सभी स्थानों का भ्रमण करने के बाद आपके दरबार में आया हूं। यह सुनकर महाराज नीलकेतु से बहुत प्रसन्न हुए।
नीलकेतु ने महाराज की नगरी और उनके दरबार की बहुत प्रशंसा की। महाराज ने भी नीलकेतु का विशेष व्यक्ति के रूप में स्वागत किया। राजा द्वारा किया गया सम्मान देखकर नील केतु बहुत प्रसन्न हुआ।
नील केतु ने महाराज से कहा कि महाराज मैं एक ऐसे स्थान को जानता हूं जहां बहुत सारी परियां निवास करती हैं। मैं खुद वहां गया था और वहां खूब मजे किए। इतना ही नहीं मैं उन्हें अपने जादू से यहां बुला भी सकता हूं।
महाराज ने आश्चर्य से पूछा – “क्या तुम जादू भी जानते हो?”
नीलकेतु ने कहा – “जी हां महाराज। मैंने अपने गुरु से जादू सीखा है।”
महाराज ने कहा कि इसके लिए मुझे क्या करना होगा? महाराज की बात सुनकर उसने राजा से कहा कि आपको रात में तालाब के पास आना होगा। मैं उन्हें आपके मनोरंजन और नृत्य के लिए बुला सकता हूं।
महाराज ने नीलकेतु की सलाह मान ली और रात के समय महाराज अपने घोड़े पर बैठकर तालाब की ओर चल पड़े। किले के सामने नीलकेतु खड़ा था, महाराज उसके पास गए। नीलकेतु ने महाराज का स्वागत किया और कहा कि मैंने सारी व्यवस्था कर दी है। किले के अंदर ही सभी परियां मौजूद हैं।
राजा और नीलकेतु किले के अंदर जाने लगते हैं। तभी उनके पीछे सैनिकों का एक दल आता है। सैनिक नील केतु को बंधक बना लेते हैं और महाराज देखते रह जाते हैं। महाराज सिपाहियों से पूछते हैं कि तुमने उसे बंधक क्यों बनाया है, उसने क्या अपराध किया है? तभी पीछे तेनाली रामा आते है।
मैं आपको सब कुछ बताता हूं, महाराज, यह नील केतु कोई आम आदमी नहीं है और न ही यह दुनिया की यात्रा करके हमारे दरबार में पहुंचा है। दरअसल यह नीलदेश के रक्षा मंत्री हैं। उसने आपको यहां बुलाने के लिए बरगलाया है और आपको यहां मारना चाहता है।
सारी छानबीन के बाद, जब महाराज को नीलकेतु के दुष्ट उद्देश्य के बारे में पता चलता है, तो वे तेनाली रामा का आभार व्यक्त करते हैं। महाराज ने तेनाली राम को अपनी जान बचाने के लिए धन्यवाद दिया और उत्सुकता से पूछा कि तुम्हें नीलकेतु के बुरे मकसद के बारे में कैसे पता चला।
तेनाली रामा ने कहा, मुझे तो उस दिन ही इस पर शक हो गया था जिस दिन यह पहली बार आपके दरबार में आया था। इसलिए मैंने अपने कुछ जासूसों को इसकी जासूसी करने के लिए भेजा था और उन जासूसों ने ही मुझे बताया कि यह आपको मारने के उद्देश्य से यहां पहुंचा है।
इतना ही नहीं नीलादेश आपको मारकर विजयनगर पर भी कब्जा करना चाहता है। वह विजयनगर को अपने अधीन करना चाहते है। महाराज ने एक बार फिर तेनाली रामा को उनकी समझ के लिए धन्यवाद दिया।
इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
हमें किसी भी अनजान व्यक्ति पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए। क्योंकि वह आपको किसी भी तरह से नुकसान पहुंचा सकता है। किसी भी व्यक्ति को परख कर ही उस पर विश्वास करना चाहिए।
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