अंगूठी चोर (तेनाली रामा की कहानियां) – Anguthi Chor | Tenali Raman Stories In Hindi
बहुत समय पहले की बात है, जब विजयनगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेव राय हीरे जड़ित एक बहुत ही महंगी अंगूठी पहनते थे, जिसकी कीमत आज के समय में बहुत अधिक होगी। वह अंगूठी उनके सबसे पसंदीदा आभूषणों में से एक थी। वह इसे अपने दरबारियों, मंत्रियों और मिलने वाले सभी लोगों को दिखाते थे और सभी उस अंगूठी की बहुत तारीफ करते थे।
एक दिन राजा दरबार में उदास बैठे होते है, तभी सारे दरबारी सोचने लगते है कि आज ऐसा क्या हुआ कि महाराज इतने उदास बैठे है, तब उन दरबारियों में राजा के प्रिय दरबारी तेनाली रामा उससे पूछते है, महाराज, आज आप इतने उदास क्यों हो, क्या हुआ? कि आप इतने दुखी प्रतीत हो रहे है?
तब राजा उन्हें बताते है की उनकी प्यारी अंगूठी खो गई है। मुझे लगता है कि किसी ने मेरी प्यारी अंगूठी चुरा ली है और मुझे अपने इन अंगरक्षकों पर शक है। तब तेनाली रामा महाराज को आश्वासन देते है कि आप निश्चिंत रहें, मैं किसी भी तरह आपकी अंगूठी ढूंढकर लाऊंगा।
तेनाली रामा महाराज के उन सभी अंगरक्षकों को बुलाते है और उनसे पूछते ही कि तुम लोगों में से किसने राजा की बहुमूल्य अंगूठी ले ली है? सभी अंगरक्षक मना कर देते है और कहते है हमने नहीं ली है। तब तेनाली रामा ठान लेते है की मैं इस बात का पता लगा कर ही रहूंगा कि अंगूठी किसने ली है।
तेनाली रामा सभी अंगरक्षकों को अपने साथ चलने के लिए कहते है और कहते है कि वह सुबह तक इस बात का खुलासा कर देंगे की अंगूठी किसने ली है। फिर वह उन सभी को हनुमान जी के एक मंदिर में ले जाते है और खुद पहले अंदर जाकर पुजारी जी से कुछ बात करके बाहर आते है और अंगरक्षकों से कहते है कि अब आप एक-एक करके अंदर जाएं और हनुमान जी को प्रणाम करके आएं और सुबह हनुमान जी खुद बता देंगे कि चोर कौन है।
तो एक-एक करके सारे अंगरक्षक भीतर जाने लगे और हनुमानजी को प्रणाम करके बाहर आने लगे। जब तक सारे अंगरक्षक अंदर जाकर बाहर आने लगे, तब तक सभी दरबारी और ग्रामीण मंदिर के सामने एकत्र हो गए। तब तेनाली रामा ने कहा कि मुझे चोर के बारे में पता चल गया है।
तब सभी ने आश्चर्य से पूछते है कि तुमने चोर को कैसे ढूंढ लिया। तेनाली रामा बताते है कि जब मैंने उन सभी को अंदर जाकर हनुमानजी को प्रणाम करके बाहर आने को कहा था। फिर वह व्यक्ति या दरबारी चोर, मंदिर के भीतर गया और झुककर प्रणाम नहीं किया और सीधे बाहर आ गया और पुजारी ने उसे देखा और मुझे इशारा किया।
यह सुनते ही अंगूठी चोर अंगरक्षक वहां से भागने लगता है, लेकिन वहां खड़े लोग उसे पकड़ लेते है और जेल में डाल डाल देते है।
इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
एक पुरानी कहावत है कि जो जैसा करेगा, उसे वैसा ही फल मिलेगा, इसी तरह अंगरक्षक से चोरी करने पर उसे जेल की सजा मिली।
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