सुधा चंद्रन की जीवनी – Sudha Chandran Biography In Hindi

सुधा चंद्रन की जीवनी - Sudha Chandran Biography In Hindi

Sudha Chandran Biography In Hindi – दुनिया में ऐसे कई सफल लोग हैं जिनका बचपन बेहद मुश्किलों और गरीबी में बीता, लेकिन अपनी काबिलियत और मेहनत के दम पर उन्होंने सफलता की नई ऊंचाइयां हासिल की हैं।

आपने किताबों, अखबारों और इंटरनेट पर कई ऐसे लोगों की कहानियां पढ़ी होंगी, जिन्हें दो वक्त के खाने के लिए भी काफी जद्दोजहद करनी पड़ी, लेकिन आज वे लोग दुनिया के सामने सफलता की बेहतरीन मिसाल बन गए हैं।

ऐसे ही लोगों में से आज हम आपके सामने एक ऐसी महिला की कहानी लेकर आए हैं जो शारीरिक रूप से अक्षम होने के बावजूद आज सफलता की बुलंदियों पर है और लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी है। जी हां, हम बात कर रहे हैं मशहूर भारतीय अभिनेत्री सुधा चंद्रन की।

सुधा चंद्रन कौन है और क्यों वे प्रसिद्ध है?

आज हम आपको अभिनेत्री सुधा चंद्रन के संघर्ष और सफलता की कहानी से रूबरू कराने जा रहे हैं।

सुधा चंद्रन को आज कौन नहीं जानता, सुधाजी ने न केवल अपने नृत्य कौशल से बल्कि अपने अभिनय कौशल से भी दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाई है।

16 साल की सुधा बचपन में जब डांस करती थीं तो लोग उनकी तारीफ करते नहीं थकते थे। लेकिन अचानक 17 साल की उम्र में इस बच्ची की जिंदगी में एक ऐसा हादसा हुआ जिसने उसकी पूरी जिंदगी बदल कर रख दी।

तो दोस्तों आइए सुधा चंद्रन के जीवन (Sudha Chandran Biography in Hindi) के बारे में विस्तार से जानते हैं।

सुधा चंद्रन का संक्षिप्त में जीवन परिचय – Sudha Chandran Wikipedia Biography In Hindi

नामसुधा चंद्रन (Sudha Chandran)
राष्ट्रीयताभारतीय
जन्म तिथि27 सितंबर 1965
जन्म स्थानमुंबई
पिता का नामके. डी. चंद्रन
माता का नामथंगम चंद्रन (Thangam Chandran)
धर्महिंदू
पेशाअभिनय और नृत्य
वैवाहिक स्थितिशादीशुदा
पति का नामरवि डांग (Ravi Dang)
पुरस्कारराष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारसर्वश्रेष्ठ हास्य भूमिका के लिए गोल्डन पेटल अवार्डनंदी विशेष जूरी पुरस्कारनकारात्मक भूमिका में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए भारतीय टेलीविजन अकादमी पुरस्कार

सुधा चंद्रन का प्रारंभिक जीवन (Sudha Chandran early life)

प्रसिद्ध अभिनेत्री सुधा चंद्रन का जन्म 27 सितंबर 1965 को मुंबई, महाराष्ट्र, भारत में एक सामान्य परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता बेहद साधारण परिवार से होने के बावजूद उन्होंने अपनी बेटी को उच्च शिक्षा मुंबई में दिलवाई।

उनके पूर्वज वायलूर, तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु से हैं, लेकिन उनके दादा केरल के पलक्कड़ में बस गए थे। उनके पिता स्वर्गीय के.डी. चंद्रन थे, उनकी माता का नाम थंगम चंद्रन था।

सुधाजी को बचपन से ही नृत्य में रुचि थी और यही कारण है कि उन्होंने महज 3 साल की उम्र में भारतीय शास्त्रीय नृत्य (Indian classical dance) का अभ्यास करना शुरू कर दिया था। स्कूल के दिनों में पढ़ने के बाद वह डांस की प्रैक्टिस करती थीं। 

सुधा चंद्रन की शिक्षा (Sudha Chandran Education)

सुधा जी पढ़ाई में बहुत अच्छी थीं और उन्होंने 10वीं बोर्ड में भी पहला स्थान प्राप्त किया था, लेकिन उन्होंने फिर भी विज्ञान के बजाय कला शाखा (Art) को चुना क्योंकि वह नृत्य को अधिक समय देना चाहती थीं।

उनके माता-पिता ने उन्हें पांच साल की उम्र में मुंबई के प्रसिद्ध डांस स्कूल “कला-सदन (Kalasadan)” में दाखिला दिलवाया था। उन्होंने मीठीबाई कॉलेज, मुंबई से औद्योगिक और अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र में एमए की डिग्री पूरी की।

सुधा चंद्रन का निजी जीवन (Personal life of Sudha Chandran)

16 साल की उम्र तक सुधा जी 75 से ज्यादा स्टेज शो कर चुकी थीं। अब सुधाजी की पहचान भरतनाट्यम (Bharatanatyam) की एक महान कलाकार के रूप में होने लगी थी और उन्हें नृत्य के क्षेत्र में कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था।

सुधा चंद्रन ने उस व्यक्ति को पति के रूप पा लिया है जिसे वह प्यार करती थी। उनके जीवनसाथी का नाम रवि डांग है जो एक सहायक निर्देशक हैं।

सुधा चंद्रन की सड़क दुर्घटना

17 वर्षीय सुधा चंद्रन अपने माता-पिता के साथ तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली के एक मंदिर से लौट रही थी, तभी उनकी बस अचानक सामने से आ रहे एक ट्रक से जा टकराई। इस भीषण हादसे में बस में सवार कई यात्री गंभीर रूप से घायल हो गए, जिसमें सुधाजी भी शामिल थीं।

अस्पताल में डॉक्टरों ने सुधाजी के माता-पिता को बताया कि उनके एक पैर की हड्डी टूट गई है और उन्हें गैंग्रीन हो गया है, जो एक प्रकार का संक्रमण है। डॉक्टरों ने बड़े दुखी मन से सुधाजी के माता-पिता से कहा कि अगर समय रहते उनका पैर नहीं काटा गया तो सुधाजी की जान भी जा सकती है। 

हालात के आगे हताश माता-पिता ने दिल पर पत्थर रखकर डॉक्टरों को पैर काटने की अनुमति दे दी। आखिरकार, दुर्घटना के एक महीने बाद, सुधा का दाहिना पैर घुटने से साढ़े सात इंच नीचे से काट दिया गया।

एक पैर का विच्छेदन शायद किसी भी नर्तकी के जीवन का अंत होता और सुधा के साथ भी ऐसा ही हुआ। सुधा चंद्रन के जीवन का यह सबसे बुरा दौर था, वह लड़की जो नाचते-नाचते नहीं थकती थी, जिसने नृत्य के लिए अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया था, जिसके लिए उसने कितने सपने देखे थे, अब ऐसे हालात में सुधाजी इन सबको बिखरा हुआ देख रही थी।

सुधा सारा दिन बिस्तर पर पड़ी अपनी किस्मत को कोसती रहती। दिन-रात नर्तकी बनने का सपना देखने वाली सुधा अब परिस्थितियों के आगे बेबस थी। सुधाजी की यह दशा देखकर उनके माता-पिता भी चिन्तित होने लगे, उनकी नजर में उनकी बेटी का अंधकारमय भविष्य स्पष्ट दिखाई देने लगा था।

बताया जाता है कि हालात यहां तक आ गए थे कि उनके माता-पिता ने घर से बाहर निकलना तक बंद कर दिया था। जब भी उन्हें घर का कुछ सामान लेने जाना होता, तो वे रात को ही निकल जाते थे कि लोग उनसे सुधाजी के बारे में प्रश्न न पूछें। यह सब देखकर सुधा जी को बहुत दुख हुआ।

ऐसी परिस्थितियों में सुधाजी ने प्रण लिया कि अब चाहे कुछ भी हो जाए, उन्हें जीवन में कुछ ऐसा करना है जिससे उनके माता-पिता उन्हें अपनी बेटी कहकर गर्व महसूस करें। सुधाजी ने अपना मन बना लिया और फिर से नृत्य करने का फैसला किया।

सुधा जी लकड़ी के ब्लॉक और बैसाखियों के सहारे चलने लगी और मुंबई आकर फिर से पढ़ाई में लग गई। इस बीच, सुधा ने मैग्सेसे पुरस्कार जीतने वाले प्रसिद्ध कृत्रिम अंग विशेषज्ञ डॉ. पी.के. सेठी (Dr. P.K. Sethi) के बारे में सुना।

सुधाजी ने अखबार में एक विज्ञापन देखा था जिसमें “चमत्कारी पैर (Miraculous Foot)” के बारे में लिखा था। सुधा चंद्रन जी ने जयपुर फुट (Jaipur Foot) के डॉ. पी.के. सेठी से मिलने के लिए पत्र लिखा जो दुनिया में सबसे सस्ता कृत्रिम पैर बनाने के लिए प्रसिद्ध थे और सौभाग्य से डॉ. सेठी उनसे मिलने के लिए तैयार हो गए।

जब सुधाजी पहली बार डॉ. सेठी से मिलीं, तो उन्होंने सबसे पहला सवाल यही किया कि डॉ. क्या वे “जयपुर फुट” के सहारे दोबारा चल पाएंगी? क्या वह फिर से पहले की तरह नृत्य कर पाएगी? इस पर डॉ. सेठी ने कहा कि यह सब आप पर निर्भर करता है, आपकी इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है। यदि आप पूरी इच्छा शक्ति से इसे चाहते हैं तो यह संभव है।

सुधाजी के पैर का ऑपरेशन किया गया और उन्हें कृत्रिम पैर लगाया गया। डॉ. सेठी ने सुधा जी के लिए एक विशेष प्रकार का पैर बनाया जो एल्युमिनियम का बना था और उसमें ऐसी व्यवस्था थी कि वह आसानी से पैर को घुमा सकती थी।

फिर धीरे-धीरे समय के साथ सुधाजी का साहस बढ़ने लगा, अब अपने दुखद अतीत को भूलकर सुधाजी अपने सुनहरे भविष्य को साकार करने पर ध्यान देने लगीं।

उन्होंने प्रतिदिन कृत्रिम पैर की मदद से नृत्य का अभ्यास करना शुरू किया, जिसके दौरान उन्हें बहुत दर्द होता था और कभी-कभी उनके पैर से खून बहने लगता था लेकिन इन सबके बावजूद उन्होंने अभ्यास करना नहीं छोड़ा।

सुधाजी बहुत कठिन अभ्यास और कड़ी मेहनत के बाद अच्छा नृत्य करने में सक्षम हो गयी थी। अब सही अवसर प्राप्त करने और दुनिया के सामने अपनी योग्यता साबित करने का समय आ गया था। सुधाजी इसके लिए उपयुक्त अवसर की प्रतीक्षा कर रही थीं।

ऑपरेशन के बाद सुधाजी को डांस करने का पहला मौका

लंबे इंतजार के बाद आखिरकार वह दिन आ ही गया जब दुर्घटना के बाद पहले कार्यक्रम में सुधाजी को आमंत्रित किया गया। यह सेंट जेवियर्स कॉलेज में प्रदर्शन करने का एक अवसर था, और उस दिन समाचार पत्र का शीर्षक था “Loses a Foot, Walks a Mile” इस तरह की हेडलाइन से सुधाजी का हौसला और भी बढ़ गया।

पूरा शो लोगों से खचाखच भरा हुआ था, सुधाजी इतने लंबे समय के बाद पहली बार किसी शो में परफॉर्म कर रही थीं, तो वो थोड़ी नर्वस भी थीं, लेकिन वो किसी भी हालत में इस मौके को गंवाना नहीं चाहती थीं।

जब सुधाजी ने पहली बार प्रोस्थेटिक लेग के साथ डांस किया तो पूरा ऑडिटोरियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा, यह कई लोगों के लिए एक प्रेरणा थी। सुधाजी के हौसले और जज्बे का हर कोई कायल था, उनके पहले ही प्रदर्शन में सुधाजी के चाहने वालों की संख्या कई गुना बढ़ गई।

धीरे-धीरे सुधा चंद्रनजी की लोकप्रियता बढ़ने लगी, एक दिन उनके पिता ने सुधाजी के पैर छुए और कहा कि वह मां सरस्वती के चरणों की वंदना कर रहे हैं। क्योंकि उनकी बेटी ने नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया था। सुधाजी रातों-रात लोकप्रिय स्टार बन गईं।

सुधा चंद्रन के जीवन पर बनी फिल्म (Film on the life of Sudha Chandran)

सुधाजी की बढ़ती लोकप्रियता के कारण उनके संघर्ष और सफलता की कहानियां अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होने लगीं। इसी बीच लोकप्रिय फिल्म निर्माता रामोजी राव (Ramoji Rao) भी उनके संघर्ष से काफी प्रभावित हुए। रामोजी राव सुधाजी के जीवन से प्रेरित हुए और उन्होंने उन पर एक फिल्म बनाने का फैसला भी किया।

1984 में तेलुगु में सुधाजी के जीवन पर आधारित फिल्म “मयूरी (Mayuri)” बनाई गई, जिसमें मुख्य किरदार की भूमिका खुद सुधाजी ने निभाई थी। इस फिल्म को दर्शकों ने खूब प्यार दिया। इस फिल्म में सुधाजी के डांस को भी दर्शकों ने खूब सराहा था। 

तेलुगु फिल्म “मयूरी” के बाद 1986 में “नाचे मयूरी (Nache Mayuri)” शीर्षक से एक हिंदी संस्करण आया। सुधाजी के जीवन पर आधारित इस फिल्म को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (National Film Award) से भी सम्मानित किया गया था।

इसके बाद सुधाजी ने और भी कई फिल्मों और टीवी सीरियल्स में काम किया। वर्तमान में भी कई ऐसे मशहूर टीवी सीरियल हैं जिनमें सुधाजी काम कर रही हैं।

सुधा चंद्रन जी को प्राप्त पुरस्कार और उपलब्धि (Sudha Chandran awards and achievements)

  • 1986 में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार – मयूरी के लिए विशेष जूरी पुरस्कार।
  • 2004 में स्टार परिवार अवार्ड।
  • 2005 में “तुम्हारी दिशा” के लिए एक नकारात्मक भूमिका में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए भारतीय टेलीविजन अकादमी पुरस्कार।
  • 2013 में एशियानेट टेलीवीसियोन अवार्ड आद्र्राम के लिए सर्वश्रेष्ठ चरित्र अभिनेत्री।
  • 2014 में “देवम थंडा वीडु” के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री विजय टेलीविजन पुरस्कार।
  • 2015 में “देवम थंडा वीडु” के लिए सर्वश्रेष्ठ सास हेतु विजय टेलीविजन पुरस्कार
  • 2016 में “नागिन” धारावाहिक के लिए पावर पैक्ड परफॉर्मेंस की ओर से “कलर्स गोल्डन पेटल अवार्ड”।
  • 2017 में “नागिन” धारावाहिक सीजन 2 के लिए “कलर्स गोल्डन पेटल अवार्ड”।

सुधा चंद्रन की प्रसिद्ध फिल्में (Sudha Chandran famous movies)

मयूरी (1984), सर्वम् शक्ति मयम् (1986), मलारुम कलियुम (1986), धर्मम् (1986), नाचे मयूरी (1986), नांबिनार केदुवथिल्लई (1986), वसंत रागम (1986), थये नेये थुनै (1987), कलाम मारी कथा मेरी (1987), चिन्ना पोव मेला पेसू (1987), चिन्ना थम्बी पेरिया थम्बी (1987), थंगा कलासम (1988), ओरिजीत्टा कोल्ली (1988), ओलाविना आसरे (1988), पति परमेश्वर (1990), थानेदारब (1990), राजनर्तकी (1990), जीने की सज़ा (1991), कुर्बान (1991), मस्करी (1991), जान पहचान (1991), निश्चय (1992), शोला और शबनम (1992), फूलन हसीना रामकली (1993), बाली उमर को सलाम (1994), रघुवीर (1995), हम आपके दिल में रहते हैं (1999), एक लूटेरे (2001), शादी करके फस गया यार (2002), प्रणली (2008), परमवीर परशुराम (2013), तेरा इंतेज़ार (2017), क्रिना (2018), सिफर (2019) मैच ऑफलाइफ (2020), राग (2021)

सुधा चंद्रन के प्रसिद्ध टीवी शो (Sudha Chandran Famous TV Shows)

रिश्ते (1998), अपराजिता (1993), साहिल (1996), चश्मे बद्दूर (1998), हीना (1998 – 2003), शक लका बूम बूम (2000 – 2001), कैसे कहूं (2001), क्योंकि सास की कभी बहु थी (2002 – 2005), तुम बिन जाऊ कहा (2003 – 2004), ज़मीन से आसमान तक (2004), कशमकश ज़िन्दगी की (2006 – 2009), झलक दिखला जा 2 (2007), शुभ कदम (2008 – 2009), मिस्टर एन्ड मिसेस शर्मा इलाहाबाद वाले (2010), झिल मिल सितारों का आँगन होगा (2012), ये है मोहब्बतें (2018 – 2019), बिग बॉस (2020)

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