अकबर-बीरबल की कहानी: सोने की बाली की खेती

Akbar Birbal Short Moral Stories In Hindi

सोने की बाली की खेती (अकबर बीरबल की कहानी) – Sone Ki Bali Ki Kheti | Akbar-Birbal Story In Hindi

बादशाह अकबर के महल में बहुत कीमती और सजावटी सामान रखा जाता था, लेकिन बादशाह के दिल के सबसे करीब एक फूलदान था, जो उनका पसंदीदा था।

एक सुबह की बात है जब सफाई कर्मचारी से साफ-सफाई करते समय महाराज अकबर का पसंदीदा फूलदान टूट गया।

लेकिन जब बादशाह अकबर अपने महल में घूमने गए तो उन्हें अपना पसंदीदा फूलदान उसके स्थान पर नहीं मिला और उन्होंने अपने दरबारी से अपने पसंदीदा फूलदान के बारे में पूछा, “यहां जो फूलदान पड़ा था वह कहां है।”

दरबारी ने कहा, “जब सफाईकर्मी आए तो फूलदान वहीं पड़े थे।”

तो राजा अकबर ने दरबारी को उस सफाईकर्मी को बुलाने” का आदेश दिया।

जब सफाई कर्मचारी को बुलाया गया तो सफाई कर्मचारी डर से कांप रहा था और जल्दबाजी में उसे कोई बहाना नहीं सुझा, इसलिए उसने महाराज को फूलदान के बारे में बताया, “वह फूलदान को ठीक से साफ करने के लिए उसे अपने घर ले गया है।”

यह सुनते ही बादशाह अकबर ने उस फूलदान को तत्काल लाने का आदेश दिया।

यह सुनकर सफाईकर्मी और भी घबरा गया और उसने महाराज अकबर को सारी सच्चाई बता दी।

उसके झूठ बोलने के कारण महाराज अकबर उससे बहुत नाराज हुए और गुस्से में उन्होंने सफाई कर्मचारी को अपने राज्य से बाहर निकालने का आदेश दे दिया।

अगले दिन बादशाह अकबर की सभा में जब इस बात का जिक्र हुआ तो सबने कहा, “महाराज, आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं। हमें कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए। हमें केवल सच बोलना चाहिए।” लेकिन बीरबल बिल्कुल चुप थे।

तो सिपर बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा “तुम चुप क्यों हो।”

तब बीरबल ने कहा, “हमें कभी-कभी झूठ बोलना पड़ता है।”

यह सुनकर बादशाह अकबर ने कहा, “हमारे दरबार में एक भी झूठा व्यक्ति नहीं रह सकता। कृपया चले जाओ और मैं तुम्हें फिर कभी नहीं देखना चाहता।”

इस बात पर बीरबल बादशाह अकबर से कुछ कहते, लेकिन बादशाह अकबर सुनने को तैयार नहीं थे और उन्होंने बीरबल को मंत्री पद से निकाल दिया।

घर पहुंचते ही बीरबल को एक तरकीब सूझी। बीरबल एक सुनार से मिले और उसे गेहूं की एक बाली दी और उसे ठीक वैसा ही बनाने को कहा।

अगले दिन बीरबल अपनी गेहूं की बाली लेकर महाराज अकबर के पास पहुंचे।

बादशाह अकबर ने बीरबल को देखकर कहा, “मैंने तुम्हें यहां आने से मना किया था। फिर भी तुम यहां क्यों आए?”

बीरबल ने कहा, “महाराज, मैं आपके दरबार में आया हूँ। मैंने आपके आदेश का पालन नहीं किया। मैं इसके लिए माफी मांगता हूं। लेकिन मैं इस राज्य का एक अच्छा नागरिक भी हूं। इसलिए मैं आपको एक बहुत अच्छी बात बताने आया हूं। जिससे हमारा राज्य पूरी दुनिया में सबसे अमीर राज्य बन जाएगा।”

मैं एक पूर्ण ज्ञानी व्यक्ति से मिला था जिसने मुझे यह गेहूँ की बाली दी और कहा कि “यदि इसे उपजाऊ भूमि पर बोया जाए तो सोने की खेती होगी।”

यह सुनते ही महाराजा अकबर अपने सभी मंत्रियों के साथ उपजाऊ भूमि की ओर प्रस्थान कर गए।

अकबर ने वहां पहुंचते ही बीरबल को आदेश दिया कि “यह गेहूं की बाली बोई जाए।”

बीरबल ने कहा, “महाराज, मैं यह बाली नहीं बो सकता क्योंकि मैं पहले ही कह चुका हूँ कि मैंने एक न एक बार झूठ बोला है और यह बाली सोने के गेहूँ से प्राप्त की जा सकती है, इसे एक सच्चे आदमी द्वारा बोया जा सकता है जिसने अपने जीवन में कभी झूठ नहीं बोला है, ऐसा सिद्ध पुरुष ने कहा था।”

बादशाह अकबर ने अपने सभी मंत्रियों से कहा “कि कोई भी सच्चा मंत्री आकर गेहूँ की बालि को लगा दे” लेकिन कोई मंत्री आगे नहीं आया।

यह देखकर बीरबल ने कहा, “महाराज, आप ही एक सच्चे व्यक्ति हैं, कृपया इसे स्वयं रोपित करें।”

तब बादशाह अकबर ने कहा, “मैंने भी कभी न कभी झूठ बोला है, इसलिए मैं भी गेहूँ की बाली नहीं लगा सकता।”

यह सुनकर बीरबल ने बादशाह अकबर को सारी सच्चाई बता दी और बादशाह अकबर भी समझ गए कि हम जीवन में कभी न कभी झूठ बोलते हैं।

इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती हैं?

कोई भी बड़ा फैसला लेने से पहले हमेशा सोच-विचार कर लेना चाहिए। साथ ही किसी के छोटे से झूठ के लिए उसे दोष नहीं देना चाहिए और किसी की छोटी सी गलती की बड़ी सजा देना अच्छे इंसान की सोच नहीं होती।

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