सोमनाथ मंदिर का इतिहास और रोचक तथ्य – Somnath Temple History In Hindi

सोमनाथ मंदिर का इतिहास, बनावट और रोचक तथ्य - Somnath Temple History And Facts In Hindi

Somnath Temple History In Hindi – सोमनाथ मंदिर, भारतीय राज्य गुजरात में स्थित है, यह भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित एक मंदिर है। इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है और ऋग्वेद (Rigveda) में इस मंदिर के इतिहास और इसके निर्माण के कारण के बारे में भी बताया गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार सोमनाथ मंदिर का निर्माण स्वयं चंद्रदेव (God Chandra Dev) ने किया था।

गुजरात में वेरावल बंदरगाह के प्रभास पाटन के पास स्थित सोमनाथ मंदिर को भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है।  आज हम आपको इस लेख में सोमनाथ मंदिर के इतिहास (History of Somnath Temple in Hindi) के बारे में बताने की कोशिश करेंगे।

हम इस लेख में इस मंदिर से जुड़ी सभी छोटी-छोटी जानकारियां (Somnath Temple Ke Bare Mein Jankari) और सोमनाथ मंदिर की कहानी (Somnath Temple Ki Kahani In Hindi) साझा करने जा रहे हैं, इसलिए भारत के प्राचीन सोमनाथ मंदिर का इतिहास (Somnath Temple History In Hindi) जरूर पढ़ें।

सोमनाथ मंदिर का इतिहास, बनावट और रोचक तथ्य – Somnath Temple History And Facts In Hindi

सोमनाथ मंदिर अपने आप में कई इतिहास समेटे हुए है, अगर इस मंदिर की बात करें तो यहां हर रोज लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं। इस मंदिर ने कई परकीय आक्रमणों का सामना किया, उसके बाद भी सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) के कारण आज यह मंदिर एक बार फिर हमारे सामने शान से खड़ा है।

भारत में यदि किसी मंदिर का बार-बार पुनर्निर्माण किया गया है तो उनमें सोमनाथ मंदिर का नाम सबसे पहले आता है।

सोमनाथ मंदिर का इतिहास (History of Somnath Temple in Hindi)

सोमनाथ मंदिर अपने आप में खास है, अगर बात करें कि इसका निर्माण कब हुआ तो आज तक यह साबित नहीं हो पाया है कि सबसे पहले सोमनाथ मंदिर कब बना था। हालांकि इस मंदिर से जुड़ी कई ऐतिहासिक कहानियां आज भी सुनी और पढ़ी जाती हैं।

सोमनाथ मंदिर का उल्लेख प्राचीन वेद “ऋग्वेद” में किया गया है, इसलिए हम कह सकते हैं कि भारत के इस मंदिर को सबसे पुराने मंदिर की उपाधि दी जा सकती है। लेकिन इस मंदिर को बार-बार मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा नष्ट किया गया, उसके बाद भी इस मंदिर का हर बार पुनर्निर्माण किया गया।

कहा जाता है कि स्वयं भगवान चंद्रदेव ने शिव को अपना अराध्य देवता मानकर सोमनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था। इसके पीछे भी एक रहस्यमय कहानी है, जो हम आगे बता रहे हैं।

सोमनाथ मंदिर के निर्माण की कहानी (Somnath Temple Story In Hindi)

कहा जाता है कि चंद्र देव ने राजा दक्ष की 27 कन्याओं से विवाह किया था, लेकिन वे सबसे अधिक प्रेम केवल एक ही पत्नी से करते थे। अपनी अन्य पुत्रियों के साथ हुए इस अन्याय को देखकर राजा दक्ष ने चंद्रदेव को श्राप दिया कि आज से चंद्रदेव का तेज धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगा।

जैसे ही राजा दक्ष के श्राप का असर चंद्रदेव पर पड़ने लगा और उनका वैभव क्षीण होने लगा, उन्होंने महादेव यानी देवों के देव शिवजी का आह्वान कर उनकी पूजा शुरू कर दी और उनकी भक्ति में लीन हो गए।

जब शिवजी चंद्र देव की भक्ति से प्रसन्न हुए, तो उन्होंने चंद्र देव की महिमा को बहाल करने के लिए राजा दक्ष के श्राप का उपाय खोजा। उसी समय भगवान शिव को आराध्य मानकर चंद्र देव ने उनके पहले ज्योतिर्लिंग “सोमनाथ मंदिर (Somnath Temple)” का निर्माण करवाया।

सोमनाथ मंदिर पर हुए विध्वंसक हमले (Destructive attack on Somnath temple)

सोमनाथ मंदिर भारत का पहला ऐसा मंदिर होगा जिसे बार-बार ध्वस्त किया गया और बड़ी मात्रा में नरसहांर हुआ है फिर भी यह मंदिर आज भी अपना अस्तित्व बनाये हुए है। 

सोमनाथ मंदिर पर 6 से अधिक बार आक्रमण हो चुके हैं और हर बार यह मंदिर बुरी तरह से नष्ट कर दिया जाता था। लेकिन आज भी यह मंदिर पूरी दुनिया में अपनी छवि और प्रसिद्धि बनाए हुए है।

पहले यह मंदिर ईसा पूर्व में अस्तित्व में था, मंदिर का दूसरी बार उसी स्थान पर 7 वीं शताब्दी में वल्लभी के मैत्रक राजाओं द्वारा पुनर्निर्माण किया गया था। इसे आठवीं शताब्दी में सिंध के अरब शासक जुनैद ने नष्ट कर दिया था। इसे 815 ईस्वी में गुर्जर प्रतिहार राजा नागभट्ट द्वारा तीसरी बार पुनर्निर्मित किया गया था।

मोहम्मद गजनवी के हमले के बाद इस मंदिर की काफी चर्चा होने लगी और दूर-दराज के लोगों को इस मंदिर के बारे में पता चला। मोहम्मद गजनवी ने सन 1024 में पांच हजार सैनिकों के साथ सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण किया था।

इससे पहले भी इस मंदिर को तीन बार तोड़ा गया था और इस मंदिर का पुनर्निर्माण भी किया गया था। लेकिन इतिहास में इनसे जुड़ी सटीक जानकारी अभी तक नहीं मिल पाई है।

इतिहासकारों का मानना है कि गुजरात के वेरावल बंदरगाह स्थित सोमनाथ मंदिर की महिमा और कीर्ति दूर-दूर तक फैली हुई थी। 

अरब यात्री अलबरूनी ने अपने यात्रा वृतांत में इसका जिक्र किया था, जिससे प्रभावित होकर महमूद गजनवी ने 1024 में अपने पांच हजार सैनिकों के साथ सोमनाथ मंदिर पर हमला किया, उस समय मंदिर में पचास हजार से अधिक हिंदू मौजूद थे। उन सभी को मौत के घाट उतार दिया गया और सोम मंदिर को तोड़ दिया गया और इस मंदिर की अपार संपत्ति लूट ली गई।

उसके बाद गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने 1297 में एक बार फिर इस मंदिर का निर्माण करवाया। लेकिन जब अलाउद्दीन खिलजी ने गुजरात पर कब्जा किया तो पांचवीं बार इस मंदिर को तोड़ा गया।

1702 में, हिंदुओं ने इस मंदिर में पूजा फिर से शुरू की। इससे नाराज होकर मुगल बादशाह औरंगजेब ने आदेश जारी किया कि अगर कोई हिंदू फिर से सोमनाथ मंदिर में पूजा करता है तो मंदिर को पूरी तरह से नष्ट कर दिया जाएगा।

लेकिन उस समय हिंदुओं ने उस आदेश का विरोध करते हुए अपनी पूजा जारी रखी और 1706 में सोमनाथ मंदिर को एक बार फिर से तोड़ दिया गया।

आधुनिक भारत में सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण

सोमनाथ मंदिर को मुस्लिम आक्रमणकारियों ने पूरी तरह से नष्ट कर दिया था, इसमें बची हुई कुछ संपत्ति को अंग्रेजों ने लूट लिया था, जिसके कारण यह मंदिर खंडहर बन गया था। 

भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद, सरदार वल्लभभाई पटेल ने सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण शुरू करने पर जोर दिया। इस निर्णय का जवाहरलाल नेहरू ने उनके फैसले का विरोध किया था। लेकिन सरदार वल्लभभाई पटेल अपनी बात पर कायम रहे और लोगों के सहयोग से इस मंदिर का पुनर्निर्माण शुरू करवाया। वर्तमान हिंदू मंदिर को वास्तुकला की चालुक्य शैली में पुनर्निर्मित किया गया है।

उसके बाद 1 दिसंबर 1995 को भारत के राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद (Rajendra Prasad) ने इस मंदिर को राष्ट्र को समर्पित किया और मंदिर के लिए भूमि, उद्यान और बगीचे भेट दिए ताकि मंदिर की आय बनी रहे। आज इस मंदिर की देखरेख सोमनाथ ट्रस्ट के अधीन है।

श्रीकृष्ण और सोमनाथ मंदिर का संबंध

माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने अपना शरीर प्रभास्थल में त्याग दिया था, जिसे सोमनाथ मंदिर भी कहा जाता है। कहा जाता है कि श्रीकृष्ण यहां वन में विश्राम कर रहे थे और उसी समय एक शिकारी ने श्रीकृष्ण के पैर में हिरण की आंख समझकर तीर मार दिया, श्रीकृष्ण ने उसी समय शरीर त्याग दिया।

इसी वजह से सोमनाथ मंदिर को मुक्तिधाम के रूप में भी देखा जाता है और चैत्र, भाद्रपद और कार्तिक के महीनों में बड़ी संख्या में लोग यहां श्राद्ध और पिंडदान करने आते हैं।

सोमनाथ मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य (Interesting facts about Somnath temple)

सोमनाथ मंदिर प्राचीन होने के साथ-साथ अपने आप में बेहद खास भी है, इससे जुड़े कई ऐसे रोचक तथ्य हैं जो आज भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं या लोगों को हैरान करते हैं। सोमनाथ मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य इस प्रकार हैं:

  • सोमनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में पहला ज्योतिर्लिंग है।
  • सोमनाथ का अर्थ है “भगवानों के भगवान या देवताओं के देव”।
  • यहां तीन नदियों हिरण, सरस्वती और कपिला का संगम होता है। इस कारण यहां किए गए स्नान को त्रिवेणी स्नान कहा जाता है।
  • सोमनाथ मंदिर ऐसे स्थान पर बना है, जहां सोमनाथ मंदिर और दक्षिणी ध्रुव के बीच कोई जमीन या भूभाग नहीं है।
  • कहा जाता है कि आगरा में रखा देवद्वार सोमनाथ मंदिर का है, जिसे मोहम्मद गजनवी लूटकर अपने साथ ले गया था।
  • सोमनाथ मंदिर में तीन बार आरती होती है और मंदिर पर्यटकों के लिए सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है।
  • सोमनाथ मंदिर की वास्तुकला हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है, इन्हें देखने के लिए हर दिन लाखों लोग यहां आते हैं।
  • शाम को 7:30 से 8:30 बजे तक लाइट शो होता है, जिसमें मंदिर के इतिहास को दिखाया जाता है।

सोमनाथ मंदिर की संरचना (Somnath Temple Structure)

सोमनाथ मंदिर की बनावट काफी आकर्षक है, यहां की वास्तुकला देखने लायक है। इस मंदिर के शिखर की ऊंचाई 150 फीट है। मंदिर के शिखर पर स्तिथ कलश का वजन 10 टन है और इसकी ध्वजा 27 फीट ऊंची है।

मंदिर के अंदर सुंदर गर्भगृह, सभा मंडपम और नृत्य मंडपम बना हैं। मंदिर के दक्षिण में एक स्तंभ है, जिसे बाण स्तंभ कहा जाता है। इस स्तंभ पर एक बाण बना हुआ है।

यह पूरा मंदिर परिसर 10 किलोमीटर में फैला हुआ है और यहां 42 अन्य मंदिर भी हैं।

बांणस्तंभ का अदभुद रहस्य (Somnath Temple Mysterious Arrow Pillar Hindi)

इस मंदिर के प्रांगण में एक खंभे पर बाण का चिन्ह उत्कीर्ण किया गया है, जो “बाणस्तंभ (Banastambha)” के नाम से प्रचलित है। इस स्तम्भ पर लिखे शिलालेख “आसमुद्रांत दक्षिण ध्रुव, पर्यंत अबाधित ज्योर्तिमार्ग” के अनुसार यदि सोमनाथ मंदिर स्थापित स्थान से अंटार्कटिका (दक्षिणी ध्रुव) तक एक सीधी रेखा खींच दी जाए तो इन दोनों के बीच कोई भूमि या बाधा, पहाड़ या द्वीप मौजूद नहीं है।

यह भी एक ऐतिहासिक रहस्य ही है कि हजारों साल पहले इसकी भविष्यवाणी कैसे की जा सकती थी जबकि ऐसी कोई आधुनिक तकनीक उपलब्ध नहीं थी।

निष्कर्ष – सोमनाथ मंदिर का इतिहास और रोचक तथ्य

आज के इस लेख Somnath Temple History In Hindi में हमने भगवान शिव के प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ मंदिर के इतिहास और रोचक तथ्यों की जानकारी प्राप्त की और इस मंदिर से जुड़े कई यादगार तथ्यों और बाण स्तंभ के अद्भुत रहस्य के बारे में भी जाना।

सोमनाथ मंदिर हिंदुओं के प्रमुख मंदिरों में से एक है, इस मंदिर की वास्तुकला हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है। आधुनिक मंदिर का पूरा श्रेय सरदार वल्लभभाई पटेल को जाता है। उन्हीं की वजह से हम और आप इस मंदिर के दर्शन कर पा रहे हैं। अगर आप भगवान शिव के भक्त हैं तो एक बार इस मंदिर के दर्शन जरूर करें, आपको भगवान की अनुभूति अवश्य होगी।

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