Shiksha Par Nibandh In Hindi – शिक्षा हमारे जीवन को आकार देने और निरंतर प्रगति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. शिक्षा हमारे लिए बेहद जरुरी है (Shiksha ka mahatva) क्योंकि शिक्षा हमें अपने आने वाले भविष्य को बदलने की क्षमता देती है. शिक्षा एक कुंजी (चाबी) की तरह है, जिससे आप हर मुश्किल ताले को खोल सकते हैं.
शिक्षा पर आधारित यह निबंध (Shiksha par nibandh) सभी वर्गों के विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होगा. इस लेख में दी गई जानकारी का प्रयोग कर आप 100, 150, 200, 250, 500 से 1500 शब्दों में शिक्षा पर निबंध लिख सकते हैं।
शिक्षा पर निबंध – Essay On Education In Hindi
अन्न-जल, वस्त्र और आश्रय के बाद शिक्षा ही सभी मानवों के जीवन की प्राथमिकता है. शिक्षा एक प्रकार का ज्ञान है, जिसके द्वारा हर मंजिल को प्राप्त किया जा सकता है.
यथार्थवादी जीवन जीने के लिए हमारे जीवन में शिक्षा का बहुत महत्व है. अगर किसी के जीवन में शिक्षा है तो इसका सीधा सा मतलब है कि उसके लिए जीवन के कठिन पड़ाव को जीतना मुश्किल नहीं है. शिक्षा ज्ञान का वह द्वार हैं जो हमे अंधकारमय जीवन से उज्व्वल दुनिया के दर्शन करा सकता हैं.
शिक्षा ही वह माध्यम है जो हम इंसानों को पृथ्वी पर अन्य सभी प्राणियों से अलग करती है. निरंतर शिक्षा से ही मानव बुद्धि का विकास होता है. मानवीय मूल्यों की शिक्षा एक महत्वपूर्ण इकाई है. लेकिन यह जरूरी नहीं है कि पढ़ाई करने मात्र से ही आपको अच्छी शिक्षा मिलेगी और आप ज्ञानी कहलाएंगे.
अगर कोई आपको कुछ बता रहा है तो वो एक तरह से आपको सिखा रहा होता है. हांलांकि, केवल शिक्षा के बारे में जानने मात्र से आप किसी विशेष शिक्षा के बारे में जानकार नहीं हो जाते हैं. ज्ञान की शिक्षा केवल एक शिक्षक से ही नहीं बल्कि एक सच्चे मित्र और/या एक अच्छे व्यक्ति से भी प्राप्त की जा सकती है.
मनुष्य के जीवन में शिक्षा का भी उतना ही महत्व है, जितना कि भोजन, जल, प्राणवायु और वस्त्र का, इसीलिए हमेशा कहा जाता है कि शिक्षा मानव जीवन का आधार है.
जीवन में शिक्षा का होना अपने आप में सर्वोत्तम वरदान है. अच्छी शिक्षा प्राप्त कर कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में आने वाली बाधाओं को पार कर जीवन को आसान बना सकता है.
यदि किसी व्यक्ति विशेष से कुछ सीखने का अवसर मिले तो उसे स्वीकार कर लेना चाहिए क्योंकि वह शिक्षा का अमूल्य स्रोत भी हो सकता है. गीता में भी शिक्षा के बारे में कहा गया है – “सा विद्या विमुक्ते” अर्थात शिक्षा और विद्या ही एकमात्र ऐसा साधन है जो हमें सभी बंधनों से मुक्त कर सकता है.
यह आवश्यक नहीं कि विद्या का ज्ञान केवल पढ़ने-लिखने से ही प्राप्त हो; शिक्षा कुछ सुनने से, कुछ सीखने से, अनुकरण करने और अवलोकन करने से भी मिलती है. बचपन से लेकर जीवन भर हमें जीवन के हर मोड़ पर और अच्छे-बुरे समय में कुछ न कुछ नई सीख और शिक्षा मिलती रहती है जो हमारे लिए प्रेरणादायी होती है.
अच्छी शिक्षा से हम न केवल अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकते हैं बल्कि समाज और देश की सेवा करने में भी सक्षम बन सकते हैं. शिक्षित नागरिकों से ही विकसित राष्ट्र का निर्माण होता है.
किसी भी नौकरी, व्यवसाय के लिए और बेरोजगारी जैसी भयानक समस्या से लड़ने के लिए भी शिक्षा बहुत जरूरी है. निश्चित रूप से शिक्षा एक सभ्य जीवन जीने का एक शानदार माध्यम है.
शिक्षा क्या है? (What is education in Hindi)
शिक्षा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत धातु शब्द “शिक्ष” से हुई है, जिसका अर्थ है सीखना या सिखाना. अर्थात् वह प्रक्रिया जिसके द्वारा अध्ययन और अध्यापन होता है, शिक्षा कहलाती है.
शिक्षा एक ऐसी अमूल्य संपत्ति है जिसे न तो आपसे कोई चुरा सकता है और न ही आपसे कोई छीन सकता है. यही एक ऐसा धन है जो बांटने पर घटता नहीं, बल्कि बांटने पर बढ़ता रहता है.
शिक्षा सीखने और समझने में तत्परता लाने, ज्ञान, मूल्यों और सद्गुणों को प्राप्त करने की एक प्रक्रिया है. शिक्षा ज्ञान, सही व्यवहार, कौशल, सीखने आदि को प्राप्त करने की दिशा में निर्देशित एक उद्देश्यपूर्ण गतिविधि है. परिणामस्वरूप, शिक्षा लोगों को साक्षर बनाती है.
सबसे पहले, शिक्षा हमें निरीक्षण करने में सक्षम बनाती है जो हमें पढ़ने और लिखने के लिए प्रेरित करती है. हम कह सकते हैं कि पढ़ने-लिखने का ज्ञान होना शिक्षा की पहली सीढ़ी है.
अधिकांश जानकारी लिखित रूप में होती है, इसलिए यदि आपके पास शिक्षा या लेखन कौशल की कमी है, तो आप समाज और समाज में होने वाली गतिविधियों से दूर रह जाते हैं. शिक्षा हर किसी के लिए जीवन में सफलता प्राप्त करने और बदलाव लाने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण साधन है.
शिक्षा क्यों महत्वपूर्ण है? (Importance of education in Hindi)
आज के समय में सबसे बढ़कर रोजगार के लिए शिक्षा बहुत ही जरूरी है. जब नौकरी पाने की बात आती है तो अशिक्षित लोग पीछे रह जाते हैं.
शिक्षा न केवल नौकरी पाने और हमारी आजीविका के लिए बल्कि बेहतर संचार के लिए भी बहुत प्रभावी है. शिक्षा व्यक्ति की वाणी में सुधार कर वक्तृत्व कला का भी विकास करती है. इसके अतिरिक्त सुशिक्षित व्यक्ति शिक्षा के साथ-साथ संचार के अन्य साधनों में भी सुधार करते हैं.
शिक्षा व्यक्ति को तकनीकी तंत्रज्ञान और यांत्रिकी का बेहतर उपयोगकर्ता बनाती है. शिक्षा निश्चित रूप से तकनीकी तंत्रज्ञान जैसे स्मार्टफोन, कंप्यूटर, इंटरनेट आदि का उपयोग करने के लिए आवश्यक तकनीकी कौशल प्रदान करती है.
शिक्षा के बिना आधुनिक मशीनों और तकनीकों को समझना शायद मुश्किल होगा, इसलिए शिक्षा में प्रवीणता हासिल कर चीजों का सही उपयोग करना संभव है.
सर्वांगीण शिक्षा जीवन में कई उद्देश्यों की पूर्ति करती है जैसे व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा देना, सामाजिक स्थिति को बढ़ावा देना, शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार, आर्थिक प्रगति, जीवन में लक्ष्य निर्धारित करना आदि. यह हमें राष्ट्र की सफलता और अन्य सामाजिक मुद्दों को हल करने के लिए उचित चेतना प्रदान करती है.
आपने महसूस किया होगा कि हमारे समाज में पढ़े-लिखे लोगों का एक अलग ही सम्मान होता है और लोग उनके साथ शालीनता से पेश भी आते हैं. इसलिए आज के दौर में हर व्यक्ति चाहता है कि वह साक्षर और प्रशिक्षित हो ताकि हम समाज में सिर उठाकर जी सकें.
उच्च स्तर की शिक्षा लोगों को सामाजिक और पारिवारिक सम्मान और एक अलग पहचान हासिल करने में मदद करती है.
शिक्षा लोगों की मानसिकता को उच्च स्तर तक विकसित करने का काम करती है और समाज में लोगों के बीच सभी भेदभाव और अंधविश्वास को दूर करने में मदद करती है. यह हमें एक अच्छा अध्ययनकर्ता बनाती है जिससे हम जीवन के हर पहलू को समझने के लिए अपनी बुद्धि का उपयोग कर सकें.
शिक्षा हमें सभी मानवाधिकारों, सामाजिक अधिकारों, देश के प्रति कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को समझने में भी जिम्मेदार बनाती है.
इसके अलावा, शिक्षा के माध्यम से, ज्ञान को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित करके अद्ययावत और प्रसारित किया जाता है.
भारत में शिक्षा का विकास
भारत प्राचीन काल से शिक्षा का केंद्र रहा है, जिसकी शैक्षिक और सांस्कृतिक परंपरा विश्व इतिहास में सबसे पुरानी है.
भारत में शिक्षा प्रदान करने के लिए विश्व प्रसिद्ध गुरुकुल हुआ करते थे, जिनमें विश्व के कोने-कोने से विद्यार्थी भाग लेते थे, इनमें तक्षशिला, पाटलिपुत्र, कान्यकुब्ज, मिथिला, धारा, तंजौर आदि प्रसिद्ध गुरुकुल थे.
प्राचीन काल से ही भारत का शिक्षा का एक समृद्ध और दिलचस्प इतिहास रहा है. कहा जाता है कि प्राचीन काल में शिक्षा ऋषि-मुनियों और विद्वानों द्वारा मौखिक रूप से दी जाती थी और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक सूचना का संचार होता था.
समय के साथ और विदेशी आक्रमणों के बाद, भारतीय शिक्षा प्रणाली में बहुत बदलाव आया है और भारत में ब्रिटिश राज के साथ, शिक्षा का भी आधुनिकीकरण हुआ.
समय के परिवर्तन के साथ शिक्षा का स्वरूप भी बदला है और इसका महत्व भी बहुत बदल गया है. पीढ़ी दर पीढ़ी इसका विकास भी होता रहा है.
इस आधुनिक समय में सार्थक शिक्षा का महत्व कम हो गया है और आधुनिक शिक्षा शिक्षा का महत्व बढ़ गया है.
रवींद्रनाथ टैगोर जी के अनुसार, “स्वार्थ पर आधारित हमारी शिक्षा, परीक्षा उत्तीर्ण करने के संकीर्ण उद्देश्य से प्रेरित होकर शीघ्रातिशीघ्र नौकरी पाने का साधन बन गई है, जो कठिन और विदेशी भाषा में प्रदान की जा रही है”.
आज शिक्षा केवल परीक्षा और रोजगार तक ही सीमित होकर रह गई है. लोगों ने शिक्षा को केवल रोजगार का साधन बना लिया है जबकि शिक्षा का महत्व इससे कहीं अधिक है.
कुछ भी हो शिक्षा आज हर इंसान की जरूरत बन चुकी है. इसके बिना जीवन यापन करना और समाज में रहना बहुत कठिन हो गया है.
शिक्षा को सार्वभौमिक बनाने के लिए देश में शैक्षिक जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है क्योंकि शहरों में शिक्षा प्राप्त करना आसान है लेकिन आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के क्षेत्र में बहुत प्रगति नहीं हुई है.
संतोषजनक बात यह है कि ग्रामीण भारत में शिक्षा के महत्व को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा कई जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं.
शिक्षा का अधिकार (Right to Education)
प्राचीन काल से ही भारत में शिक्षा की एक महत्वपूर्ण प्रवृत्ति रही है लेकिन पहले सीमित लोग ही शिक्षा प्राप्त कर सकते थे. लेकिन अब शिक्षा हर किसी की पहुंच में आ गई है.
वैसे तो शिक्षा पाने का अधिकार सभी को है और अब देश में इस पर कानून भी बन चुका है. यानी अब हर किसी के लिए अपने बच्चों को पढ़ाना अनिवार्य हो गया है.
भारत की स्वतंत्रता के बाद संविधान बना, जिसके तहत प्रत्येक व्यक्ति को कुछ मौलिक अधिकार दिए गए हैं, जिसमें शिक्षा को भी शामिल किया गया है.
भारत के प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म या जाति और लिंग के भेदभाव के बावजूद शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है. शिक्षा के लिए उसके साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाएगा, वह जो चाहे शिक्षा प्राप्त कर सकता है.
निष्कर्ष
सर्वप्रथम शिक्षा मनुष्य को सामाजिक बनाने और समाज में बौद्धिक ज्ञान का प्रसार करने में मदद करती है, यह शायद शिक्षा का सबसे प्रबल पहलू है. शिक्षा समाज में सभी व्यक्तियों के बीच समानता की भावना पैदा करती है और देश के वृद्धि और विकास को भी बढ़ावा देती है. यह मन को सकारात्मकता की ओर मोड़ती है और सभी नकारात्मक विचारों को दूर हटाती है.
शिक्षा पर 10 पंक्तियां हिंदी में (10 Lines on Education in Hindi)
- अन्न-जल, वस्त्र और आश्रय के बाद शिक्षा ही सभी मानवों के जीवन की प्राथमिकता है.
- भारत प्राचीन काल से शिक्षा का केंद्र रहा है, जिसकी शैक्षिक और सांस्कृतिक परंपरा विश्व इतिहास में सबसे पुरानी है.
- शिक्षा हमारे जीवन को आकार देने और निरंतर प्रगति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
- शिक्षा ही वह माध्यम है जो हम इंसानों को पृथ्वी पर अन्य सभी प्राणियों से अलग करती है.
- अच्छी शिक्षा से हम न केवल अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकते हैं बल्कि समाज और देश की सेवा करने में भी सक्षम बन सकते हैं.
- शिक्षा एक ऐसी अमूल्य संपत्ति है जिसे न तो आपसे कोई चुरा सकता है और न ही आपसे कोई छीन सकता है.
- हम कह सकते हैं कि पढ़ने-लिखने का ज्ञान होना शिक्षा की पहली सीढ़ी है.
- शिक्षा हर किसी के लिए जीवन में सफलता प्राप्त करने और बदलाव लाने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण साधन है.
- उच्च स्तर की शिक्षा लोगों को सामाजिक और पारिवारिक सम्मान और एक अलग पहचान हासिल करने में मदद करती है.
- शिक्षा के माध्यम से, ज्ञान को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित करके अद्ययावत और प्रसारित किया जाता है.
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