(Satellite in Hindi / Satellite kya hai / About Satellite In Hindi / Uses Of Satellite In Hindi)
Information and Interesting facts about satellites in Hindi – दोस्तों, सैटेलाइट से जुड़े कई सवाल आपके मन में जरूर आए होंगे कि सैटेलाइट क्या है? यह काम किस प्रकार करता है? यह हवा में कैसे टिका रहता है?
लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप अपने दैनिक जीवन में ज्यादातर काम ऐसे करते हैं कि यह किसी न किसी सैटेलाइट पर निर्भर होता है.
जैसे टीवी पर प्रसारित कार्यक्रम देखना या टीवी पर मौसम की स्थिति देखना, या यदि आप मोबाइल में जीपीएस नेविगेशन का उपयोग कर रहे हैं या प्रियजनों से बात कर रहे हैं, तो ये सभी काम किसी न किसी सैटेलाइट के आधार पर होते हैं.
उपग्रह (Satellite) पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है और पृथ्वी के वायुमंडल और पृथ्वी की हर छोटी-बड़ी चीज पर नजर रखता है.
उपग्रह / Satellite दो अलग-अलग प्रकार के होते हैं – प्राकृतिक उपग्रह (Natural Satellite) और मानव निर्मित उपग्रह (Man-made Satellite).
उदाहरण के लिए, चंद्रमा पृथ्वी का प्राकृतिक उपग्रह है. जबकि “अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन” पृथ्वी की परिक्रमा करने वाला मानव निर्मित उपग्रह है.
हालांकि, 20वीं सदी के मध्य तक कृत्रिम उपग्रह एक वास्तविकता नहीं बन पाए थे. लेकिन वर्तमान में, पृथ्वी के चारों ओर कक्षा में कृत्रिम उपग्रहों की संख्या हजारों में है.
उद्देश्य के आधार पर कृत्रिम उपग्रह दो प्रकार के होते हैं: भूस्थिर उपग्रह (Geostationary satellites) और ध्रुवीय उपग्रह (Polar satellites).
आज हम आपको उपग्रहों के बारे में कुछ रोचक जानकारी और तथ्य Facts and information about Satellite in Hindi बताने जा रहे हैं.
सैटेलाइट क्या है? What is Satellite?
Satellite information in hindi – कोई छोटी वस्तु जो अपने से बहुत बड़ी किसी वस्तु के चारों ओर चक्कर लगाती है, उसे Satellite कहते हैं, इसे हम हिन्दी में “उपग्रह” कहते हैं.
उपग्रह दो प्रकार के होते हैं, प्राकृतिक उपग्रह (Natural Satellite) और कृत्रिम उपग्रह (Man-made Satellite), जो किसी ग्रह या तारे के चारों ओर लगातार चक्कर लगाते रहते हैं.
हमारा चंद्रमा एक प्राकृतिक उपग्रह है जो पृथ्वी की परिक्रमा करता है और यहां तक कि हमारी पृथ्वी भी एक प्राकृतिक उपग्रह है क्योंकि यह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है.
मानव ने अपने स्वयं के हजारों कृत्रिम, या मानव निर्मित, उपग्रह भी बनाए हैं और उन्हें विभिन्न उद्देश्यों के लिए पृथ्वी की कक्षा में छोड़ दिया है, जो हम मनुष्यों के लिए एक बड़ी भूमिका निभा रहे हैं.
कुछ उपग्रह पृथ्वी की तस्वीरें लेते हैं जो मौसम विज्ञानियों को मौसम और तूफान आदि के बारे में भविष्यवाणी करने में मदद करते हैं.
कुछ उपग्रह अन्य दूर के ग्रहों, सूर्य, ब्लैक होल, डार्क मैटर या दूर की आकाशगंगाओं की तस्वीरें लेते हैं. ये तस्वीरें वैज्ञानिकों को सौर मंडल और ब्रह्मांड को बेहतर ढंग से समझने और अध्ययन करने में मदद करती हैं.
लेकिन आज भी, अधिकांश उपग्रहों का उपयोग मुख्य रूप से संचार के लिए किया जाता है, जैसे कि टीवी पर प्रसारण और दुनिया भर में फोन कॉल करना आदि.
आपको बता दें कि मानव निर्मित उपग्रह छोटे लैपटॉप के आकार से लेकर बड़े ट्रक के आकार तक के हो सकते हैं, यहां उनका आकार उनके काम पर निर्भर करता है.
उपग्रह में कौन से पुर्जे लगे होते हैं? What are the parts of a satellite?
यद्यपि उपग्रह विभिन्न आकारों में पाए जाते हैं, लेकिन अधिकांश उपग्रहों में कम से कम दो भाग समान होते हैं – एंटीना और ऊर्जा का स्रोत.
एंटेना का उपयोग अक्सर पृथ्वी से सूचना भेजने और प्राप्त करने के लिए किया जाता है जबकि सौर पैनल या बैटरी का उपयोग ऊर्जा के स्रोत के रूप में किया जाता है. सोलर पैनल सूरज की रोशनी को ऊर्जा में बदलकर बिजली बनाते हैं.
सैटेलाइट के दोनों तरफ सोलर पैनल लगे होते हैं, जिनसे उन्हें ऊर्जा यानी बिजली मिलती रहती है, जबकि उनके बीच ट्रांसमीटर और रिसीवर होते हैं जो सिग्नल को प्राप्त करने या भेजने का काम करते हैं.
इसके अलावा कुछ कंट्रोल मोटर्स भी लगे होते हैं, जिनकी मदद से हम सैटेलाइट को रिमोटली कंट्रोल कर सकते हैं. चाहे उनकी स्थिति को बदलना हो या एंगल को बदलना हो, इन कंट्रोल मोटर्स के माध्यम से सब कुछ किया जा सकता है.
इसके अलावा उपग्रह जिस उद्देश्य से बनाया गया है उस से जुड़ी वस्तुएं भी आपको उपग्रह में देखने को मिलती हैं, जैसे कि उपग्रह को पृथ्वी की छवि लेने के लिए बनाया गया है, तो उपग्रह में बड़े-बड़े कैमरे लगे होते हैं या यदि इसे स्कैनिंग के लिए बनाया गया हो तो इसमें स्कैनर्स देखने को मिलेंगे, यह सब सैटेलाइट के काम पर निर्भर करता है.
मुख्य रूप से हम संचार (Communication) के लिए उपग्रहों का उपयोग करते हैं क्योंकि रेडियो और ग्राउंड वेब का उपयोग पृथ्वी के पूर्ण संचार के लिए काम नहीं आ सकता है, इसलिए अधिकांश उपग्रहों का उपयोग संचार के लिए किया जाता है.
उपग्रह क्यों महत्वपूर्ण हैं? Why Are Satellites Important?
उपग्रहों की सहायता से एक ही समय में पृथ्वी के बड़े क्षेत्रों पर नजर रखना बहुत आसान हो जाता है. इसका मतलब है कि उपग्रह जमीन पर मौजूद उपकरणों की तुलना में अधिक तेजी से अधिक डेटा एकत्र कर सकते हैं.
चूंकि उपग्रह वायुमंडल में बादलों, धूल और अणुओं के ऊपर अंतरिक्ष में ऊंचे स्थान पर स्थित होते हैं, इसलिए वे पृथ्वी की सतह पर दूरबीनों की तुलना में अंतरिक्ष में बेहतर देख सकते हैं जो जमीनी स्तर से दृश्य को अवरुद्ध कर सकते हैं.
उपग्रहों से पहले, टीवी सिग्नल बहुत दूर तक नहीं पहुंच पाते थे क्योंकि टीवी सिग्नल केवल एक सीधी रेखा में यात्रा करते थे. अक्सर पृथ्वी की भौगोलिक संरचना जैसे पहाड़, टीले या घने जंगल और मानव निर्मित ऊंची इमारतें भी सिग्नल की पहुंच में बाधा डालती हैं.
पृथ्वी के भौगोलिक संरचना के कारण दूर-दराज के इलाकों में फोन करना भी एक समस्या होती है. लंबी दूरी के सिग्नल कैप्चर या अंडरवाटर के लिए टेलीफोन तारों को स्थापित करना एक बहुत ही कठिन और महंगा काम है और इसमें बहुत अधिक जनशक्ति का उपयोग होता है.
टीवी सिग्नल और फोन कॉल उपग्रहों का उपयोग करके सीधे ओवरहेड भेजे जाते हैं, जो लगभग तुरंत, उन्हें पृथ्वी पर विभिन्न स्थानों पर वापस भेज सकते हैं.
उपग्रह कक्षा में कैसे टिके रहते हैं? How do satellites stay in orbit?
अब तो आप यह जान गए होंगे कि सैटेलाइट क्या है? लेकिन यहां सबसे बड़ा सवाल आता है कि सैटेलाइट ऊपर अंतरिक्ष में कैसे टिके रहते हैं? यह आसमान से क्यों नहीं गिरते?
इसकी स्थिरता के संबंध में एक बहुत ही सरल नियम है, जैसे कि यदि किसी वस्तु को अंतरिक्ष में टिके रहना है, तो उसे अपनी गति से किसी बड़ी वस्तु के चारों ओर निरंतर चक्कर लगाते रहना पड़ते है.
इनकी गति पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल को उन पर हावी नहीं होने देती है. अतः इस नियम के कारण ही सभी उपग्रह हवा में ऊपर टिके रहते हैं.
उपग्रहों को मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में बांटा गया है. Satellites are mainly divided into three categories.
1) Low Earth Orbit Satellite – ये उपग्रह पृथ्वी की कक्षा के बहुत करीब होते हैं, इनकी ऊंचाई 160 से 1600 किलोमीटर के बीच होती है.
Low Earth Orbit Satellite बहुत तेज गति से पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं, इसलिए वे दिन में कई बार पृथ्वी का चक्कर लगाते हैं. ऐसे में उन्हें धरती को स्कैन करने में बहुत ही कम समय लगता है, इनका इस्तेमाल ज्यादातर इमेज और स्कैनिंग के लिए किया जाता है.
2) Medium Earth Orbit Satellite – ये ऐसे उपग्रह होते हैं जो बहुत ज्यादा तेज या धीमी गति से नहीं घूमते हैं. इनकी ऊंचाई 10 हजार किलोमीटर से लेकर 20 हजार किलोमीटर तक होती है.
ये पृथ्वी का एक चक्कर लगभग 12 घंटे में पूरा करते हैं. ये उपग्रह एक निश्चित समय पर एक निश्चित स्थान से होकर गुजरते हैं. इन उपग्रहों का उपयोग नेविगेशन के लिए किया जाता है.
3) High Earth Orbit Satellite – ये वे उपग्रह होते हैं जो पृथ्वी से बहुत दूर यानि करीब 36 हजार किलोमीटर की दूरी पर स्थित होते हैं. ये उपग्रह पृथ्वी की गति से पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाते हैं, अर्थात यदि यह उपग्रह आपके ठीक ऊपर है, तो यह हमेशा आपके ऊपर ही रहेगा.
इन उपग्रहों का उपयोग संचार के लिए किया जाता है.
दोस्तों उम्मीद है कि अब आप जान गए होंगे कि सैटेलाइट क्या है? और यह कैसे काम करता है? What Is Satellite In Hindi / Satellite Kaise Kaam Karta Hai इस लेख से आपको सैटेलाइट के बारे में काफी जानकारी मिली होगी.
उपग्रहों की इस प्रतियोगिता की बात करें तो हमारी भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO किसी अन्य देश से कम नहीं है और यह हर साल नई उपलब्धियों को छू रही है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO ने 28 फरवरी 2021 तक 36 अलग-अलग देशों के लिए 342 सैटेलाइट लॉन्च किए हैं.
अंतरिक्ष में भेजा गया पहला मानव निर्मित उपग्रह कौन सा था?
सोवियत संघ ने 4 अक्टूबर, 1957 को दुनिया के पहले कृत्रिम उपग्रह “स्पुतनिक 1” के प्रक्षेपण के साथ “अंतरिक्ष-युग” की शुरुआत की थी.
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