सरदार वल्लभभाई पटेल पर कविता – Sardar Vallabhbhai Patel Poem in Hindi

सरदार वल्लभभाई पटेल पर कविता - Sardar Vallabhbhai Patel Poem in Hindi

Sardar Vallabhbhai Patel Poem in Hindi – सरदार वल्लभभाई पटेल, जिन्हें “लौह पुरुष” के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण भारतीय नेता और राष्ट्रीय आदर्शों के प्रतीक हैं। उनके योगदान और क्षमताओं ने भारतीय इतिहास में गौरवपूर्ण स्थान अर्जित किया है।
आज के आर्टिकल में हमने सरदार वल्लभ भाई पटेल पर कविताएं (Sardar Vallabhbhai Patel Poems in Hindi) शेयर की हैं। हमें उम्मीद है कि आपको ये कविताएं पसंद आएंगी। इसका उद्देश्य यह है कि पाठक इन कविताओं के माध्यम से सरदार पटेल के महत्वपूर्ण योगदान और विशेषताओं को समझ सकें और उनके प्रति अपना सम्मान व्यक्त कर सकें।

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लोह पुरुष का व्यक्तित्व, वो दिव्य अद्वितीय

Sardar Vallabhbhai Patel Poem in Hindi

लोह पुरुष का व्यक्तित्व, वो दिव्य अद्वितीय,
नहीं देखा, नहीं सोचा, किताबों के पृष्ठों पर।
उनकी आवाज विद्युत की तरह गर्जना,
ह्रदय में कोमलता की भरमार थी।

एकता की रचना, उन्होंने की आद्यकृति,
देश का मानचित्र, उनके द्वारा रचा।
गरीबों का सरदार, वो हमारे लिए थे,
दुश्मनों के खिलाफ, वो एक लोहा थे।

आंधी की तरह, वो बहते गए हमारे साथ,
ज्वालामुखी की तरह, वो धड़कते गए उंचाई पर।
महात्मा के अहिंसा के शस्त्र की भाषा,
वो बने एक प्रतीक, विश्व में प्रकट हुए सर्वविदित।

इतिहास के गलियारों में खोजना है उन्हें,
वैसे सरदार पटेल, एक अद्वितीय महापुरुष थे।

देश प्रेम था उनके हृदय में

Sardar Vallabhbhai Patel Kavita in Hindi

देश प्रेम था उनके हृदय में,
सबको जोड़ा, भारत को एक साथ किया।
एकीकरण के सपने को वे सच किया,
यथार्थ में, भूमि के प्यार में।

भारत के सरदार, देश के लाल,
शत-शत नमन तुम्हे है!
नडियाद के वीर, भारतरत्न हमारे,
बारडोली सत्याग्रह के सरदार।

उनके सामने हरी निजाम की शक्ति,
उनके सामने झुके आताताइयों का गर्व।
भारत के सरदार, देश के लाल,
शत-शत नमन तुम्हे है!

चाहते हैं हम वो सरदार पटेल को

Sardar Patel poem in Hindi

चाहते हैं हम वो सरदार पटेल को,
किसानों के हक की लहर लेकर आएं,
उनके दुःख और दर्द को मिटाने के लिए लड़ें,
उनकी ईमानदारी, विनम्रता की बातें हम सभी सुनाएं।

यहाँ एक ऐसा सरदार पटेल की चाहिए,
जिनकी आँखों में क्रोध की आग हो,
अन्याय के खिलाफ सशक्त विरोध करें,
उनकी आवाज से दुश्मन भी धडकने लगे।

हमें वो सरदार पटेल की तलाश है,
जो भारत को एक एकाधिकार का पाठ पढ़ाएं,
सभी धर्मों को एक साथ आने का सिखाएं,
हमेशा सच के साथ खड़े रहकर दिखाएं।

हमें वो सरदार पटेल की ख्वाहिश है,
जो देश के लिए तैयार हो कुर्बानी देने,
जिनका दिल विशाल हो, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल बने।

खुशबू से भरा, धरती का गौरव था वो

Poem on Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi

खुशबू से भरा, धरती का गौरव था वो,
सरदार वल्लभ भाई पटेल, भारतीय राष्ट्र का शान।
उनकी प्रतिभा अद्वितीय, व्यक्तित्व प्रेरणास्पद,
स्वतंत्रता संग्राम के अद्वितीय महान नेता, भारतीय महान।

बारडोली सत्याग्रह का सफल नेता,
महिलाओं ने प्राप्त की उनकी उपाधि महान,
दुश्मनों के खिलाफ वे थे एक अद्भुत लौह पुरुष,
उन्होंने भारत को स्वतंत्रता और मान दिया, उनका योगदान महान।

हृदय के कोमल, आवाज में सिंह की धड़कन,
भारतीय राजनीति के अद्वितीय पंडित थे वे, नैतिक दिग्दर्शक थे।

शत् शत् नमन करते हैं हम उन महान व्यक्ति को,
जिन्होंने दिया भारत को गर्व और शान, वे थे भारतीय राष्ट्र के महान।

पटेल सच्चें वीर सैनानी थे

Sardar Vallabhbhai Patel Poem in Hindi

पटेल सच्चें वीर सैनानी थे,
भारत क़ी सारी क़हानी थे।

थें निडर भारतमाता के सेवक़,
थें अडिग़ अग्रेजो के संबाधक़।

दुश्मन थर-थर कापा क़रते थे,
थे राज़नीति के प्रबल सम्बंधक।

सरदार युवाशक्ति क़ी बानी थें,
भाईं स्वतन्त्रता के लिये लड़े थे।

आज़ादी के नुतन पृष्ट गढे थे,
झ़ुके नही रुके नही बढ़े लक्ष्य पर।

थप्पड़ बर्बंरता के गाल जड़े थे,
बल्लभ जी पानीदार पानी थे।

पटेल सच्चें वीर सैनानी थे,
गांधीजी ने लौह पुरुष कहा।

जनमानस ने सरदार कहा,
गुज़रात प्रांत धन्य-धन्य हुआं।

भारत ने सर्वोंच्च नागरिक कहा।
निर्भय योद्धा स्वाभिमानी थे।

पटेल सच्चें वीर सैनानी थे,
अपनी दृढ इच्छाशक्ति से।

पावन वसुन्धरा की भक्ति से।
खेड़ा संघर्ष याद आज भी।

झुकाया अंग्रेजों को युक्ति से।
भारत रत्न को दृश्य जवानी थे।

पटेल सच्चें वीर सेनानी थे।

आज जरूरत है पुनः देश को

Sardar Vallabhbhai Patel Poem In Hindi

आज जरूरत है पुनः देश को,
सच्चे पहरेदार की।

फिर यादों में हम खोए हैं,
लौहपुरुष सरदार की।।

धीर-वीर दृढ़ निश्चय वाला,
सिंह पुरुष बलशाली था।

शत्रु डरते वाणी सुनकर,
ऐसा शक्तिशाली था।

सोमनाथ का उद्धारक वह,
शिवशंकर प्रलंयकर था।

ब्रिटिश-पाक दुश्मन के सम्मुख,
वीरभद्र भयंकर था।

काँपे शेख-निजाम कभी,
क्या कहना उस ललकार की।

फिर यादों में हम खोए हैं,
लौह पुरुष सरदार की।।

नीवं का पत्थर बना रहा वह,
नहीं कंगूरा बन पाया।

बड़े-बड़े महलों में रहना,
उसे रास नहीं आ पाया।

वह मजदूर किसान हितैषी,
जन-जन का सरदार था।

दीन-दुःखी का परम हितैषी,
सबका तारणहार था।

खण्ड-खण्ड भारत को जोड़ा,
जय हो उस दरबार की।

फिर यादों में हम खोए हैं,
लौह पुरुष सरदार की।।

जो जन-मन की पीड़ा समझे,
वही देश का शासक हो।

सत्ता जनता की दासी हो,
शक्ति शत्रु विनाशक हो।

हर बच्चा भारत माता का,
देशभक्त बलशाली हो।

हिन्दू राष्ट्र की रक्षा हेतु,
लड़ने की तैयारी हो।

सुखद कल्पना करता था वह,
ऐसी शुभ सरकार की।

फिर यादों में हम खोए हैं,
लौह पुरुष सरदार की।।

ऐक्य शक्ति का भाव जगाकर,
हम पटेल से बन जाएँ।

मातृभूमि की बलिवेदी पर,
प्राण प्रसून चढ़ा पाएँ।

सभी संगठित होकर अपने,
बल-वैभव को प्रगटायें।

कीमत हमें चुकानी होगी,
भारत माँ के प्यार की,
फिर यादों में हम खोए हैं,
लौह पुरुष सरदार की।।

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