अकबर-बीरबल की कहानी: संसार की सबसे बड़ी चीज

Akbar Birbal Short Moral Stories In Hindi

संसार की सबसे बड़ी चीज (अकबर बीरबल की कहानी) – Sansaar Ki Sabase Badi Cheej | Akbar-Birbal Story In Hindi

एक बार बीरबल बादशाह अकबर के दरबार में मौजूद नहीं थे। बीरबल को उपस्थित न देखकर, राज दरबार के सभी दरबारी बादशाह अकबर से बीरबल की बुराई कर रहे थे। बादशाह अकबर के सामने सभी बीरबल के खिलाफ बोल रहे थे।

सभी दरबारियों ने बादशाह अकबर से कहा, “आप हमें भी एक मौका दें, आपने बीरबल को बहुत अधिक सम्मान दिया है।”

“जहांपनाह! आप हम सभी दरबारियों से ज्यादा बीरबल को क्यों पसंद करते हैं।”

बादशाह अकबर सभी दरबारियों की बातें ध्यान से सुन रहे थे।

बादशाह अकबर ने कहा “मैं तुम्हें भी एक मौका दूंगा।”

सम्राट अकबर ने सभी दरबारियों में से चार दरबारियों का चयन किया। ये वो दरबारी थे जो बीरबल की सबसे ज्यादा बुराई करते थे।

बादशाह अकबर ने कहा, “मैं आपको एक सवाल दूंगा, जिसका सही जबाव देना होगा। यदि कोई जबाव गलत दिया जाता है तो उसकी सजा फांसी होगी।”

बादशाह अकबर की बात सुनकर चारों दरबारी डर गए। फिर भी चारों दरबारियों ने कहा, “जहाँपनाह! हमें स्वीकार है! आप सवाल बताइये।”

बादशाह अकबर ने कहा, “दुनिया में सबसे बड़ी कौन सी चीज है।”

चारों दरबारी कुछ देर सोचने लगे, फिर उन्होंने कुछ समय माँगा।

बादशाह अकबर ने एक बार फिर कहा “जितना समय चाहो ले लो लेकिन जबाव सही होने चाहिए।”

चारों दरबारी दरबार से बाहर आकर सोचने लगे कि इस संसार में सबसे बड़ी वस्तु क्या हो सकती है?

कुछ देर बाद भी चारों दरबारियों को कोई जवाब नहीं मिला, लेकिन वे बादशाह अकबर की सजा से भी बहुत डरे हुए थे।

एक दिन चारों दरबारी एक स्थान पर मिलते हैं और एक साथ सवाल का जवाब खोजने लगते हैं।

एक दरबारी ने कहा, “केवल अल्लाह ही इस दुनिया में सबसे बड़ा है।”

दूसरे दरबारी ने कहा, “अल्लाह कोई चीज़ नहीं है। दुनिया में हमारे लिए सबसे बड़ी चीज क्या है? यह सोचना है।

तीसरे दरबारी ने कहा, “सबसे बड़ी चीज भूख है। भूख इंसान से कुछ भी करवा सकती है।”

चौथे दरबारी ने कहा “नहीं… समय आने पर भूख भी सहन की जा सकती है।”

चारों दरबारियों को इस प्रश्न का उत्तर नहीं मिल पाता है तो वे हारकर अंत में बीरबल के पास जाते हैं और सारी जानकारी बीरबल को दे देते हैं।

चारों दरबारी बीरबल से हाथ जोड़कर माफी मांगते हैं और साथ ही अपनी जान बचाने की गुहार लगाते हैं।

बीरबल धीरे से मुस्कुराते हुए कहते हैं, “मेरे पास आपके प्रश्न का उत्तर है, लेकिन आप लोगों को मेरी एक शर्त माननी होगी।”

चारों दरबारी बिना देर किए हाँ कर देते है।

बीरबल ने कहा, “दो लोगों को मेरी खाट कंधे पर लादकर दरबार में जाना होगा। किसी को मेरा हुक्का लेना होगा और किसी को मेरा जूता शाही दरबार में ले जाना होगा।”

बीरबल की शर्त सुनकर चारों दरबारी हैरान रह गए, लेकिन बात उनकी जान पर बन आई थी, इसलिए सभी दरबारियों ने बीरबल की शर्त के मुताबिक काम किया।

जब चारों दरबारी इस तरह राज्य के दरबार में आए तो बादशाह अकबर सहित सभी दरबारी हैरान रह गए।

बादशाह अकबर ने जब चारों दरबारियों से सवाल का जवाब पूछा तो चारों दरबारियों की आंखें झुक गईं।

तब बीरबल ने कहा “जहांपनाह! इस दुनिया में सबसे बड़ी चीज है “जरूरत”। चारों दरबारी अपनी “ज़रूरत” के कारण मेरी खाट, जूता और हुक्का लाये हैं।”

एक बार फिर राज दरबार में बीरबल की चतुराई की प्रशंसा हुई।

इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती हैं?

इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि इस संसार में लोग अपनी आवश्यकता के अनुसार कार्य करते हैं और इसलिए सभी स्वार्थी होते हैं।

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