साँच को आँच नहीं का अर्थ – Saanch Ko Aanch Nahin Muhavare Ka Matlab
साँच को आँच नहीं मुहावरे का अर्थ | सत्य किसी से नहीं डरता. |
साँच को आँच नहीं मुहावरे का अर्थ
Saanch Ko Aanch Nahin Muhavre Ka Arth – साँच को आँच नहीं मुहावरे का अर्थ होता है की सत्य किसी से नहीं डरता।
साँच को आँच नहीं मुहावरे का हिंदी में वाक्य प्रयोग
Saanch Ko Aanch Nahin Muhavre Ka Vakya Prayog
#1. वाक्य प्रयोग: साँच को आँच नहीं होती, यही कारण है की आतंकवाद के मुद्दे पर भारत ने पाकिस्तान को दुनिया के सामने बेनकाब कर दिया।
#2. वाक्य प्रयोग: सच्चा मनुष्य लाख मुसीबतों में भी कभी नहीं घबराता, क्योंकि साँच को आँच नहीं होता, अर्थात् सत्य बोलने वाला व्यक्ति किसी से नहीं डरता।
#3. वाक्य प्रयोग: जब पुलिस ने रामू पर चोरी का आरोप लगाया तो रामू ने कहा कि साहब मैंने चोरी नहीं की है और आप कार्रवाई करके देख लीजिए, मैं किसी से नहीं डरता क्योंकि साँच को आँच नहीं।
#4. वाक्य प्रयोग: दिलीप जैसा नीच आदमी ही ऐसी घटिया हरकत कर सकता है, तभी तो इतना डरा हुआ है, वरना मैंने तो कुछ नहीं किया, न ही मैं किसी से डरता हूं, क्योंकि साँच को आँच नहीं है।
#5. वाक्य प्रयोग: जब मेरे बेटे ने यह काम नहीं किया है तो उसे डरने की क्या जरूरत है क्योंकि सब जानते हैं कि साँच को आँच नहीं।
मौखिक बातचीत में अक्सर मुहावरों का प्रयोग किया जाता है जो मानवीय भावनाओं को वास्तविक बनाते हैं। मुहावरों को स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं में भी मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है।
प्रत्येक पाठ्यक्रम में मुहावरों का अपना-अपना अनुभाग होता है, छोटी-बड़ी कक्षाओं में मुहावरों को पढ़ाया जाता है, याद कराया जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में भी इसे मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है और महत्व दिया जाता है।
मुहावरा अधिक असामान्य अर्थ प्रकट करता है इसीलिए मुहावरे का अर्थ दोहरा लाभ प्राप्त करना है। एक शब्द के कई अलग-अलग मुहावरे हो सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि यहां दिए गए मुहावरे ही परीक्षा में पूछे जाएंगे।
मुहावरे सभी प्रकार की परीक्षाओं की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में मुहावरों की अपनी अहमियत होती है। पेपर चाहे हिंदी में हो या अंग्रेजी में, यहां तक कि संस्कृत में भी मुहावरे पूछे जाते हैं।
मुहावरों का अभ्यास करना कोई बहुत कठिन विषय नहीं है। अगर इसे ध्यान से समझा जाए तो इसे याद रखने की जरूरत ही नहीं पड़ती। इसे समझ-समझ कर ही लिखा और बोलचाल में उपयोग किया जा सकता है।
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