दोस्तों पिछली पोस्ट में हमने आपको राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के इतिहास, विचारधारा और तथ्यों से अवगत कराया था। आज के लेख में हम आपके लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रार्थना हिंदी में अर्थ सहित (RSS prayer in Hindi) प्रस्तुत कर रहे हैं।
आरएसएस (RSS) प्रार्थना हिंदी अर्थ सहित – RSS prayer in Hindi
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की (RSS) प्रार्थना (RSS Prarthana Lyrics):
नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे
त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोहम्।
महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे
पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते।।१।।
प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता
इमे सादरं त्वां नमामो वयम्
त्वदीयाय कार्याय बध्दा कटीयं
शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये।
अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिं
सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत्
श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्ण मार्गं
स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत्।।२।।
समुत्कर्षनिःश्रेयस्यैकमुग्रं
परं साधनं नाम वीरव्रतम्
तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा
हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्रानिशम्।
विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्
विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम्।
परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं
समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम्।।३।।
भारत माता की जय!!!
नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमि Meaning in Hindi – RSS prayer Hindi meaning
नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे,
त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोऽहम्।
शब्दार्थ:
हे वात्सल्यमयी मातृभूमि, मैं आपको हमेशा प्रणाम करता हूं! इस मातृभूमि ने हमें अपने बच्चों जैसा स्नेह और प्यार दिया है।
महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे,
पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते॥ १॥
शब्दार्थ:
हे महामंगलमयी पवित्र भूमि! मैं इस हिंदू भूमि पर खुशी से पला-बढ़ा हूं। यह भूमि अत्यंत शुभ एवं पवित्र भूमि है। मैं इस भूमि की रक्षा के लिए यह नश्वर शरीर मातृभूमि को अर्पण करता हूं और इस भूमि को बार-बार नमन करता हूं।
प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता,
इमे सादरं त्वाम नमामो वयम्
त्वदीयाय कार्याय बध्दा कटीयं,
शुभामाशिषम देहि तत्पूर्तये।
शब्दार्थ:
हे सर्वशक्तिमान ईश्वर, मैं इस हिंदू राष्ट्र के एक घटक के रूप में आपको सम्मानपूर्वक प्रणाम करता हूं। हम आपके कारण के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस कार्य को पूरा करने के लिए हमें आशीर्वाद दें।
अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिम,
सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत्,
श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्ण मार्गं,
स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत्॥ २॥
शब्दार्थ:
हमें ऐसी अजेय शक्ति दो कि सारे संसार में कोई हमें जीत न सके और हमें ऐसी विनम्रता दो कि हमारी विनम्रता के आगे सारा संसार नतमस्तक हो जाए। यह रास्ता कांटों से भरा है, हमने स्वयं इस कार्य को स्वीकार किया है और इसे सुगम और कांटों से मुक्त करेंगे।
समुत्कर्षनिःश्रेयसस्यैकमुग्रं,
परं साधनं नाम वीरव्रतम्
तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा,
हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्राऽनिशम्।
शब्दार्थ:
ऐसे उच्च आध्यात्मिक सुख और ऐसी महान सांसारिक समृद्धि को प्राप्त करने के लिए एकमात्र सर्वोत्तम साधन के रूप में उग्र वीरव्रत की भावना हमारे अंदर हमेशा जलती रहे। प्रगाढ़ और अखंड भक्ति की भावना हमारे हृदय में जलती रहे।
विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्,
विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम्।
परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं,
समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम्॥ ३॥
॥ भारत माता की जय॥
शब्दार्थ:
आपकी असीम कृपा से हमारी यह विजयशालिनी संगठित कर्मशक्ति हमारे धर्म की रक्षा करके इस राष्ट्र को परम वैभव की ओर ले जाने में समर्थ हो।
॥ भारत माता की जय॥
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