RIP Ka Full Form / RIP Meaning In Hindi – यदि आप social media के नियमित उपयोगकर्ता हैं, तो आपने Facebook, Twitter, और Instagram जैसे social media पर अक्सर RIP शब्द पढ़ा होगा. अखबारों, किताबों आदि में भी इसका जिक्र होता है.
जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो हमें social media पर post के comment box में लोगों के comment में RIP शब्द दिखाई देता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो RIP क्यों लिखा जाता है? RIP का हिंदी में क्या मतलब होता है?
आज के इस लेख में आप जानेंगे कि RIP का full form क्या होता है? और हम RIP का उपयोग कहां कर सकते हैं?
RIP का Full Form – RIP Meaning In Hindi
RIP शब्द हमने social media पर कई बार देखा है तो आपको अंदाजा हो गया होगा कि इसका इस्तेमाल ज्यादातर किसी व्यक्ति की मृत्यु के अवसर पर किया जाता है.
दरअसल RIP का full form है- REST IN PEACE.
किसी व्यक्ति के गुजर जाने के बाद दुआ में RIP शब्द का इस्तेमाल उसके आत्मा की शांति के लिए किया जाता है.
हम रोजमर्रा की जिंदगी में बातचीत के लिए कई शब्दों का इस्तेमाल करते हैं. इनमें से कुछ शब्द ऐसे भी होते हैं जिन्हें बोलने के लिए हम संक्षिप्त रूप यानि short form का प्रयोग करते हैं.
आजकल लोग अपनी बातचीत को कम शब्दों में अधिक प्रभावी और आकर्षक बनाने के लिए RIP Ka Upayog करते हैं.
R.I.P. क्यों लिखते हैं?
आपने कई लोगों को RIP का उल्लेख “Return if possible” करते हुए देखा होगा जबकि ऐसा नहीं है. RIP लैटिन वाक्यांश Requiescat in Pace का संक्षिप्त नाम है. यह मुख्य रूप से मृत व्यक्ति के लिए ही प्रयोग किया जाता है.
ईसाई धर्म (Christianity) में जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसे जमीन में दफन कर दिया जाता है और उसकी कब्र पर एक पत्थर पर RIP (Rest In Peace) लिखा जाता है. ईसाई धर्म से ही इस शब्द का प्रचलन बढ़ा और यह शब्द global हो गया.
RIP शब्द का प्रयोग मृत व्यक्ति को सम्मान और सहानुभूति देने के लिए किया जाता है. इसके जरिए ईश्वर से मृत व्यक्ति की आत्मा को शांति प्रदान करने की प्रार्थना करते हैं.
इसकी शुरुआत 18वीं शताब्दी से मानी जाती है. हालांकि कुछ रिपोर्टों के अनुसार, 5वीं शताब्दी में मृतकों के कब्रों पर “Requiescat In Pace” शब्द लिखा पाया गया है.
Requiescat In Pace के बारे में कहा जाता है कि अगर किसी मृत व्यक्ति को चर्च की पवित्र शांति में दफनाया जाता है, तो उसकी आत्मा ईसा मसीह (Jesus Christ) से मिलती है.
ईसाईयों का मानना है कि मृत्यु के बाद आत्मा शरीर से अलग हो जाती है और दोनों “Judgment Day” के दिन फिर से मिलते हैं.
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