लाल किला: इतिहास, जानकारी और तथ्य (Red Fort: History, Information, and Facts)

लाल किला: इतिहास, जानकारी और तथ्य (Red Fort: History, Information, and Facts)

Red Fort: History, Information, and Facts in Hindi – लाल किला लाल बलुआ पत्थर से निर्मित, दिल्ली के ऐतिहासिक, क़िलेबंद, पुरानी दिल्ली क्षेत्र में स्थित है. इसकी दीवारों के लाल रंग के कारण किले को “लाल किला” कहा जाता है.

यह शाही किला न केवल मुगल बादशाहों का राजनीतिक केंद्र रहा है, बल्कि यह औपचारिक केंद्र भी हुआ करता था, जिस पर लगभग 200 वर्षों तक मुगल वंश के शासकों का शासन रहा था.

लाल किला, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम का गवाह है, मुगल वास्तुकला, रचनात्मकता और सुंदरता का एक अनुपम और अनूठा उदाहरण है.

250 एकड़ में फैला यह भव्य किला मुगल राजशाही और अंग्रेजों के खिलाफ गहरे संघर्ष की कहानी बयां करता है. वहीं भारत का राष्ट्रीय गौरव माने जाने वाले इस किले का प्राचीन इतिहास भी बेहद दिलचस्प है.

लाल किला दिल्ली शहर का सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल होने के साथ-साथ दिल्ली का सबसे बड़ा स्मारक भी है, जो हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है.

यह किला वह स्थान भी है जहां से भारत के प्रधान मंत्री हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर देश के लोगों को संबोधित करते हैं.

लाल किले का इतिहास – Red Fort History in Hindi 

भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित भारतीय और मुगल वास्तुकला से बनी इस शानदार ऐतिहासिक कलाकृति को पांचवें मुगल शासक शाहजहां (Shahjahan) ने बनवाया था.

लाल किले का निर्माण शाहजहां ने अपने शासनकाल में 1638 ई. में शुरू किया था. इस किले को बनाने में 10 साल का समय लगा था, इसका काम 1638 में शुरू हुआ और 1648 में खत्म हुआ था.

शाहजहां अपने द्वारा बनवाए गए सभी किलों में से लाल किले को सबसे आकर्षक और सुंदर बनाना चाहते थे, इसलिए वर्ष 1639 में, शाहजहां ने अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया.

शाहजहां ने अपनी नई राजधानी का नाम बदलकर शाहजहानाबाद (Shahjahanabad) कर दिया था, जिसे आज ओल्ड दिल्ली (Old Delhi) या पुरानी दिल्ली (Purani Dilli) के नाम से जाना जाता है..

यहीं रहकर शाहजहां ने दिल्ली के मध्य में यमुना नदी के पास इस भव्य किले का निर्माण करवाया था. 

मुगल बादशाह शाहजहां ने इस किले का शाही डिजाइन बनाने के लिए मुगल काल के प्रसिद्ध वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी (Ustad Ahmad Lahori) को चुना था, जिन्होंने आगरा में ताजमहल को भव्य रूप दिया था. 

जबकि, लाल किले का निर्माण दो प्रसिद्ध वास्तुकारों उस्ताद हामिद (Ustad Hamid) और उस्ताद अहमद (Ustad Ahmed) ने करवाया था.

लाल किला तीन तरफ से यमुना नदी से घिरा हुआ है, जिसकी अद्भुत सुंदरता और आकर्षण देखते ही बनता है.

जब 17वीं शताब्दी में लाल किले पर मुगल बादशाह जहांदार शाह (Jahandar Shah) ने कब्जा कर लिया तो लाल किला लगभग 30 वर्षों तक बिना शासक के रहा था. 

इसके बाद 1739 में फारसी बादशाह नादिर शाह (Nadir Shah) ने लाल किले पर आक्रमण कर उसे अपने नियंत्रण में ले लिया. वह भारत से अपने साथ प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा (Kohinoor diamond) और शाहजहां का रत्न जड़ित स्वर्ण मयूर सिंहासन (Peacock Throne) भी लूट कर ले गया, जो बाद में ईरानी बादशाहों का प्रतीक बन गया.

एक समय था जब इस इमारत समूह में 3000 लोग रहते थे, लेकिन 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद, किले पर ब्रिटिश सेना ने कब्जा कर लिया, और किले में जमकर लूटपाट की तथा कई आवासीय महलों को नष्ट कर दिया गया.

इसे ब्रिटिश सेना का मुख्यालय भी बनाया गया था और इस संघर्ष के तुरंत बाद बहादुर शाह जफर पर मुकदमा भी चलाया गया था.

1947 में भारत की आजादी के बाद ब्रिटिश सरकार ने इस परिसर को भारतीय सेना को सौंप दिया, तब से यहां सेना का कार्यालय बना हुआ था.

22 दिसंबर 2003 को, भारतीय सेना ने अपने 56 साल पुराने कार्यालय को हटा दिया, लाल किले को खाली कर दिया और इसे एक समारोह में पर्यटन विभाग (Tourism Department) को सौंप दिया.

लाल किले का अनकहा इतिहास – Red Fort Untold History

भारत में मुगलों द्वारा निर्मित मुगलकालीन इमारतें अक्सर विवाद का विषय रही हैं. इन विवादों का कारण यह है कि इन मुगल इमारतों में हिंदू, बौद्ध, जैन और अन्य भारतीय परंपराओं के अवशेष पाए जाते हैं.

इतिहास गवाह है कि विदेशी आक्रमणकारियों ने हमेशा भारत के धार्मिक स्थलों और मूर्तियों को नष्ट किया है और इसकी बहुमूल्य संपत्ति को लूटपाट कर अपने साथ ले गए.

ताजमहल (Taj Mahal) और कुतुब मीनार (Qutub Minar) जैसी विश्व प्रसिद्ध इमारतें भी इन्हीं विवादों से घिरी हुई हैं. भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित “लाल किला” भी इसी विवादित श्रृंखला का हिस्सा है और इसका एक विवादित इतिहास भी है.

लाल किले का इतिहास देश के पराक्रमी राजपूत समुदाय से जुड़ा हुआ है, जिसके नैतिक प्रमाण भी इस किले की संरचना में देखें जा सकते है.

ऐसा माना जाता है कि मुगल शासन के समय मुगल लाल किले को “लाल हवेली (Lal Haveli)” के रूप में संबोधित करते थे, न कि लाल किला.

कुछ इतिहासकारों के अनुसार, यह लालकोट (Lalkot) का एक प्राचीन किला और हवेली है, जिस पर मुगल बादशाह शाहजहां ने कब्जा कर लिया था और उस पर तुर्की बनावट की छाप छोड़ी थी.

दिल्ली का लालकोट क्षेत्र 12 वीं शताब्दी के अंत में हिंदू राजा और दिल्ली के अंतिम सम्राट पृथ्वीराज चौहान (Prithviraj Chauhan) की राजधानी था.

लालकोट के कारण ही इसे “लाल हवेली” या “लालकोट किला (Lalkot Fort)” कहा जाता था. बाद में, शाहजहां के शासनकाल के दौरान लालकोट क्षेत्र का नाम बदलकर शाहजहानाबाद (Shahjahanabad) कर दिया गया.

लाल कोट का अर्थ है लाल रंग का किला, जो वर्तमान दिल्ली क्षेत्र का पहला निर्मित शहर था. यह अनुमान लगाया जाता है कि अगर मुगलों या शाहजहां ने इसे बनवाया होता, तो उन्होंने इसका नाम “लाल किला” नहीं रखा होता बल्कि इसका नाम किसी फारसी भाषा के नाम पर रखा होता.

जबकि कई लोगों का तर्क है कि इसका नाम लाल बलुआ पत्थर की प्राचीर और दीवारों के कारण पड़ा है.

कुछ इतिहासकारों के अनुसार, लाल किले की स्थापना 1060 में तोमर वंश के महापराक्रमी शासक महाराजा अनंगपाल (Maharaja Anangpal) ने की थी.

कुछ ऐतिहासिक साक्ष्यों से पता चलता है कि तोमर वंश ने सूरज कुंड (Suraj Kund) के आसपास दक्षिण दिल्ली क्षेत्र पर शासन किया था जो 700 ईस्वी से शुरू हुआ था.

तोमर शासन के बाद, दिल्ली पर चौहान राजाओं का शासन था.

इस चौहान वंश के एक और शक्तिशाली योद्धा, पृथ्वी राज चौहान (Prithvi Raj Chauhan) ने 12 वीं शताब्दी के दौरान भारत में वर्तमान दिल्ली और हरियाणा के कुछ हिस्सों पर शासन किया और उस शहर और किले का नाम “राय पिथौरा (Rai Pithora)” रखा.

राय पिथौरा किले की दीवारों के खंडहर अवशेष अभी भी दक्षिणी दिल्ली में बिखरे हुए हैं, जो कुतुब परिसर के आसपास, साकेत, महरौली, संजय वन, किशनगढ़ और वसंत कुंज क्षेत्रों में देखे जा सकते हैं.

कुछ इतिहासकारों का मानना है कि शाहजहां (1627-1658) द्वारा तेजोमहालय (Tejo Mahalaya) के साथ की गई छेड़छाड़ को लाल कोट के साथ भी दोहराया गया था.

दिल्ली के लाल किले को पहले “लाल कोट” कहा जाता था जिसे शाहजहां के जन्म से सैकड़ों साल पहले महाराजा अनंगपाल तोमर द्वितीय द्वारा बनवाया गया था और इसे दिल्ली को बसाने के क्रम में ही बनाया गया था.

महाराजा अनंगपाल तोमर द्वितीय, परमवीर पृथ्वीराज चौहान के नाना थे और माना जाता है की वह अभिमन्यु के वंशज थे.

हाल के इतिहास के अनुसार, शाहजहां ने 1638 ई. में अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया और दिल्ली के लाल किले का निर्माण शुरू किया था. कई मुस्लिम विद्वानों के अनुसार इस किले का निर्माण 1648 में पूरा हुआ था.

लेकिन Oxford Bodleian Library में एक तस्वीर संरक्षित है, जिसमें फारस के राजदूत को 1628 ई. में शाहजहां के राज्याभिषेक के अवसर पर लाल किले पर बैठक करते हुए दिखाया गया है. और अगर किला 1648 ई. में बनाया गया था, तो यह तस्वीर सच्चाई का खुलासा करती है.

इसका सबसे बड़ा प्रमाण इंडो-फ़ारसी इतिहासलेखन में है, जहां लेखक द्वारा तारिख-ए-फ़िरोज़ शाही (Tarikh-i-Firoz Shahi) में लिखा गया है कि 1296 के अंत में, जब अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji) अपनी सेना के साथ दिल्ली आया, तो वह कुश्क-ए-लाल (लाल प्रासाद/महल) की ओर बढ़ा और वहां उसने आराम किया.

कई भारतीय विद्वान इसे लाल कोट का संशोधित रूप मानते हैं. इसमें कोई संदेह नहीं है कि लाल किले में कई प्राचीन हिंदू विशेषताओं की छाप स्पष्ट रूप से दिखाई देती है, जैसे कि किले की अष्टकोणीय प्राचीर, तोरण द्वार, हाथी के खंभे, कलाकृतियां आदि भारतीयों के अनुरूप हैं. शाहजहां के प्रशंसकों और मुस्लिम लेखकों ने किले के द्वारों, इमारतों का विस्तार से वर्णन नहीं किया है.

प्राचीन ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार लाल किले का असली नाम “लाल कोट” है जिसे महाराजा अनंगपाल द्वितीय ने 1060 ई. में बनवाया था. बाद में इस लाल कोट का महाराज पृथ्वीराज चौहान ने जीर्णोद्धार कराया. 

लाल किले को हिंदू महल साबित करने के लिए आज भी हजारों सबूत मौजूद हैं. 12वीं शताब्दी के ब्रजभाषा महाकाव्य “पृथ्वीराज रासो” में भी लाल किले से जुड़े कई प्रमाण मिलते हैं.

इतना ही नहीं “अकबरनामा” और “अग्निपुराण” दोनों में वर्णन है कि महाराज अनंगपाल ने एक भव्य और आलीशान दिल्ली का निर्माण कराया था. शाहजहां से 250 वर्ष पूर्व 1398 ई. में आक्रमणकारी तैमूरलंग (Timur) ने भी पुरानी दिल्ली का उल्लेख किया है.

लाल किले के एक विशेष महल में आज भी सुअर के मुंह वाले चार नल लगे हुए हैं, जबकि इस्लाम के अनुसार सुअर हराम है. किले के एक द्वार पर बाहर हाथी की मूर्ति भी है, क्योंकि राजपूत राजा हाथियों के प्रति अपने प्रेम के लिए प्रसिद्ध थे.

इस किले में दीवान-ए-खास में केसर कुंड (Kesar Kund) नाम के कुंड के फर्श पर कमल का फूल खुदा हुआ है. दीवान-ए-खास और दीवान-ए-आम की मंडप शैली पूरी तरह से 984 ईस्वी के अंबर (आमेर – पुराने जयपुर) के आंतरिक महल से मिलती जुलती है, जो राजपुताना शैली में बनी है.

आज भी लाल किले से कुछ गज की दूरी पर ही मंदिर बने हैं, जिनमें से एक लाल जैन मंदिर (Lal Jain Temple) और दूसरा गौरीशंकर मंदिर (Gaurishankar Temple) है, जिसे शाहजहां से कई सदियों पहले राजपूत राजाओं ने बनवाया था.

लाल किले के मुख्य द्वार के ऊपर बनी अलमारी या आलिया इस बात का पुख्ता सबूत है कि यहां पहले गणेशजी की मूर्ति स्थापित की गई थी.

गणेश भगवान मांगल्य के देवता हैं, इसीलिए पुरानी शैली के हिंदू घरों के मुख्य द्वार के ठीक ऊपर या मंदिरों के प्रवेश द्वार के ऊपर एक छोटा सा आलिया बनाया जाता था, जिसके अंदर गणेशजी की मूर्ति विराजमान होती है.

लाल किले की संरचना – Red Fort Structure

अष्टकोणीय आकार में बने दुनिया के इस सबसे खूबसूरत किले को लाल बलुआ पत्थर (Red sandstone) और सफेद संगमरमर (White marble) के पत्थरों से बनाया गया है.

मुगल, हिंदू और फारसी स्थापत्य शैली से युक्त दुनिया के इस विशाल किले के परिसर में कई खूबसूरत और भव्य इमारतें बनी हैं, जो इसकी सुंदरता में चार गुना इजाफा कर रही हैं और इसके आकर्षण को दो गुना बढ़ा रही हैं.

करीब डेढ़ किलोमीटर के दायरे में फैले इस भव्य लाल किले के अंदर मोती मस्जिद, नौबत खाना, मीना बाजार, दीवान-ए-खास, दीवान-ए-आम, खास महल और रंग महल जैसी कई खूबसूरत ऐतिहासिक इमारतें बनाई गई हैं.

भारत का राष्ट्रीय गौरव माने जाने वाले इस भव्य किले के अंदर मुगल काल की लगभग सभी कलाकृतियां मौजूद हैं.

इस किले के निर्माण के समय, इसे कई कीमती रत्नों और सोने और चांदी से सजाया गया था, लेकिन जब बहादुर शाह जफर (Bahadur Shah Zafar) के पराजय के साथ मुगल शासन समाप्त हो गया और अंग्रेजों ने लाल किले पर कब्जा कर लिया, तो उन्होंने इस किले से सभी कीमती रत्नों और धातुओं को अपने कब्जे में ले लिया.

करीब डेढ़ किलोमीटर के दायरे में फैला भारत का यह भव्य ऐतिहासिक स्मारक (Monument) करीब 30 मीटर ऊंची पत्थर की दीवार से घिरा हुआ है, जिसमें मुगल वास्तुकला का इस्तेमाल करते हुए बेहद खूबसूरत नक्काशी की गई है.

मुगल बादशाह शाहजहां के बाद उनके बेटे औरंगजेब ने इसी किले में मोती-मस्जिद (Moti Masjid) का निर्माण भी कराया था.

शाहजहां ने जन्नत (Heaven) की कल्पना करते हुए लाल किले के अंदर कुछ हिस्सों का निर्माण कराया था, जिसे अंग्रेजों ने नष्ट कर दिया था.

दुनिया के इस सबसे बड़े किले के अंदर तीन प्रवेश द्वार भी बने हैं, दिल्ली गेट और लाहौर गेट इस किले के अंदर बने मुख्य द्वार हैं, जिनका अपना ऐतिहासिक महत्व भी है.

आपको बता दें कि इस भव्य किले के अंदर बने लाहौर गेट को पर्यटकों और आम लोगों के लिए खोल दिया गया है, जबकि इस किले के अंदर बने दिल्ली गेट से सिर्फ वीवीआईपी और कुछ बेहद खास लोग ही प्रवेश कर सकते हैं.

वहीं कई इतिहासकारों के मुताबिक पहले इस भव्य किले के अंदर 4 अलग-अलग दरवाजे बनाए गए थे, लेकिन सुरक्षा के चलते बाद में 2 दरवाजे बंद कर दिए गए.

इसके साथ ही दुनिया के इस सबसे खूबसूरत ऐतिहासिक स्मारक के चारों ओर बने हरे-भरे फूलों के बगीचे, मंडप और सजावटी मेहराब भी हैं, जो इसकी सुंदरता को और भी अधिक बढ़ा रहे हैं.

दुनिया की इस सबसे भव्य और खूबसूरत ऐतिहासिक इमारत को बनाने में करीब 1 करोड़ रुपये की लागत आई थी, यह उस समय का सबसे आलीशान और महंगा किला था, जिसका प्राचीन नाम “किल्ला-ए-मुबारक (Quilla-e-Mubarak)” था.

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा खुदाई के दौरान लाल किले की असली तल-मंजिल मिली जो दिल्ली गेट के पास 3 फीट और नौबत खाना के पास इसकी गहराई 6 फीट तक है.

लाल किले के वास्तुकार – Lal Kila Kisne Banaya

इस किले का शाही डिजाइन बनाने के लिए मुगल बादशाह शाहजहां ने मुगल काल के सबसे प्रसिद्ध वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी को चुना था, जिन्होंने आगरा में ताजमहल को भव्य रूप दिया.

वहीं उस्ताद अहमद भी अपने नाम की तरह ही अपनी कल्पना शक्ति से भव्य भवन बनाने में उस्ताद थे, उन्होंने लाल किले को बनवाने के लिए अपनी पूरी सूझबूझ और कल्पनाशक्ति का इस्तेमाल किया और इसे बेहद खूबसूरत और भव्य रूप दिया.

यही कारण है कि लाल किले के निर्माण के इतने वर्षों बाद भी यह किला अपनी विशालता और सुंदरता के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है.

लाल किले के प्रांगण में बनी प्रमुख ऐतिहासिक इमारतें – Red Fort Information in Hindi

छाबरी बाजार (Chhabri Bazaar):

यह स्थान लाल किले के ठीक सामने स्थित है और इस किले में मौजूद प्रमुख ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है, जिसे पर्यटकों द्वारा खूब पसंद किया जाता है.

लाहौरी गेट (Lahori Gate):

यह दरवाजा लाल किले का मुख्य द्वार है, इसे “लाहौरी दरवाजा (Lahori Darwaza)” के नाम से जाना जाता है. लाहौरी गेट लाल किले के अंदर बने मुख्य आकर्षणों में से एक है, लाहौरी गेट का नाम लाहौर शहर से लिया गया है.

दिल्ली गेट (Delhi Gate):

यह द्वार किले के दक्षिण की ओर स्थित है. इस दरवाजे के दोनों ओर विशाल हाथी थे जिन्हें ओरंगजेब द्वारा तोड़ दिया गया था. 

वहीं इस गेट से केवल वीवीआईपी और कुछ खास लोग ही प्रवेश कर सकते हैं, जबकि आम लोग इस भव्य लाल किले के अंदर बने दूसरे गेट से एंट्री ले सकते हैं.

रंग महल (Rang Mahal):

लाल किले के अंदर बना रंग महल रंगीन मिजाज के मुगल शासक शाहजहां की पत्नियों और उनकी रखैलों के लिए बनाया गया था.

इस रंग महल के बीच में एक नहर भी बनाई गई थी, जिससे गर्मी के दिनों में इस महल का तापमान बेहद ठंडा रहता था. वहीं रंग महल को बहुत ही खूबसूरती से उकेरा गया था, इसकी भव्यता और सुंदरता को देखकर हर कोई इसकी तारीफ करता था.

दीवान-ए-आम (Diwan-i-Aam):

इसे मुगल बादशाह शाहजहां ने 1631 और 1640 के बीच मुख्य दरबार के रूप में बनवाया था, उस दौरान यह मुगल बादशाहों का शाही महल हुआ करता था. 

स्मारक में उत्कृष्ट नक्काशी और विस्तृत सजावट के साथ-साथ सफेद संगमरमर के पत्थरों का उपयोग किया गया है, जहां सभी प्रमुख निर्णय लिए जाते थे.

दीवान-ए-खास (Diwan-i-Khas):

दीवान-ए-खास मुगल बादशाह शहंशाह का निजी महल भी था, यह एक बहुत ही खूबसूरत महल हुआ करता था, जिसकी दीवारों पर कीमती पत्थरों और रत्न जड़े हुए थे.

मोती मस्जिद (Moti Masjid):

मोती-मस्जिद का निर्माण वर्ष 1659 में मुगल सम्राट शाहजहां के पुत्र औरंगजेब ने अपनी निजी मस्जिद के रूप में किया था, जहां वह अपनी दैनिक नमाज अदा करता था.

मुमताज महल (Mumtaz Mahal):

मुमताज महल इस भव्य ऐतिहासिक लाल किले के परिसर के अंदर बनी 6 सबसे खूबसूरत ऐतिहासिक संरचनाओं में से एक है, जिसका नाम मुगल बादशाह शाहजहां की सबसे पसंदीदा पत्नी मुमताज महल (Mumtaz Mahal) के नाम पर रखा गया है.

खास महल (Khas Mahal):

खास महल पहले मुगल बादशाह शाहजहां का निजी निवास था, जिसके अंदर तीन अलग-अलग तरह के कमरे हैं. खास महल को बहुत ही खूबसूरती से उकेरा गया है, इसे सफेद संगमरमर के पत्थरों और फूलों की नक्काशी से बहुत ही शानदार तरीके से सजाया गया है.

हीरा महल (Heera Mahal):

हीरा महल एक बहुत ही भव्य इमारत है जिसे बहादुर शाह द्वितीय ने बनवाया था. हालांकि, लाल किले में बने हीरा महल को ब्रिटिश काल में नष्ट कर दिया गया था.

नौबत खाना (Naubat Khana):

नौबत खाना लाल किला परिसर में बनी प्रमुख ऐतिहासिक संरचनाओं में से एक है, जिसे मुख्य रूप से संगीतकारों के लिए बनाया गया था. यहां संगीतकार अपनी संगीत कला का प्रदर्शन करते थे.

शाही हमाम (Royal Hammam):

लाल किले के अंदर बना शाही हमाम एक ऐसा ऐतिहासिक स्मारक है, जहां बादशाह शाही स्नान किया करते थे. इस इमारत का उपयोग सम्राटों द्वारा शाही स्नान के लिए किया जाता था, जिसमें नहाने के लिए पानी के बजाय गुलाब जल का उपयोग किया जाता था.

छत्ता चौक (Chhatta Chowk):

लाहौरी गेट से प्रवेश करते हुए, इस ऐतिहासिक और भव्य लाल किले के अंदर, मुगलों के समय में एक लंबा रास्ता नुमा हाट (ढका हुआ बाजार) हुआ करता था, जहां बहुमूल्य गहने और कपड़े मिलते थे.

लाल किले के बारे में रोचक तथ्य हिंदी में – Interesting Facts About Red Fort In Hindi 

#1. ऐसा कहा जाता है कि शाहजहां ने अपनी राजधानी आगरा को दिल्ली से बदलने के लिए एक पुराने किले की जगह पर 1638 में लाल किले का निर्माण शुरू किया था, जो 1648 में पूरा हुआ था.

#2. 1648 में जब लाल किले का उद्घाटन हुआ था, तब इसके मुख्य कमरों को कीमती पर्दों से सजाया गया था. इसे तुर्की मखमल और चीनी रेशम से सजाया गया था.

#3. लाल किले का नाम असल में किला-ए-मुबारक (Qila-e-Mubarak) है.

#4. लाल किले का नाम इसके रंग के कारण पड़ा है, लेकिन यह वास्तव में सफेद किला है.

#5. इस किले की दीवारें लाल पत्थर से बनी हैं, इसलिए इसे लाल किला नाम दिया गया है.

#6. मुगल वास्तुकला की यह बेहतरीन इमारत अपने समय की सबसे महंगी इमारत थी. इसे बनाने में करीब एक करोड़ रुपए खर्च हुए थे.

#7. एक करोड़ रुपये में से आधा सिर्फ उनके शानदार महलों के निर्माण पर खर्च किया गया था.

#8. मुगल शासक बहादुर शाह जफर (Bahadur Shah Zafar) लाल किले पर शासन करने वाले अंतिम मुगल शासक थे.

#9. हिंदुओं का दावा है कि लाल किले का निर्माण पृथ्वीराज चौहान (Prithviraj Chauhan) ने करवाया था, लेकिन कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इस किले का निर्माण पृथ्वीराज चौहान के नाना महाराज अनंगपाल तोमर (Maharaj Anangpal Tomar) ने करवाया था.

#10. लाल किले में आज भी सुअर के मुंह वाले चार नल लगे हैं. इस प्रतीक को इस्लाम में निषिद्ध माना जाता है, और इसे हिंदू धर्म में भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है.

#11. 11 मार्च, 1783 को सिखों ने लाल किले पर हमला किया और इसे मुगलों से मुक्त कराया. इस कारनामे के मुखिया सरदार बघेल सिंह धालीवाल रहे है.

#12. भारत सरकार के पुरातत्व विभाग के अनुसार लाल किले का कुछ हिस्सा चूना पत्थर (Limestone) से बना है.

#13. लाल किला भी आगरा के ताजमहल (Taj Mahal) की तरह यमुना नदी के किनारे स्थित है. लाल किले के आसपास की खाई यमुना के ही पानी से भरा जाता था.

#14. लाल किले में दो प्रवेश द्वार हैं, पहला दिल्ली गेट (Delhi Gate) और दूसरा लाहौर गेट (Lahore Gate). लाहौर गेट इसलिए रखा गया था क्योंकि इसका मुख लाहौर की ओर था.

#15. VIP लोग दिल्ली गेट (Delhi Gate) से और आम लोग लाहौर गेट (Lahore Gate) से लाल किले में प्रवेश करते हैं.

#16. लाल किले को 2007 में UNESCO द्वारा विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Site) घोषित किया गया था.

#17. स्वतंत्रता दिवस पर, भारत के प्रधानमंत्री लाल किले से ही देश के लोगों को संबोधित करते हैं.

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