रॉ एजेंट रवींद्र कौशिक की कहानी / जीवनी हिंदी में – Story / Biography of Raw Agent Ravindra Kaushik in Hindi

रॉ एजेंट रवींद्र कौशिक की कहानी / जीवनी हिंदी में - Story / Biography of Raw Agent Ravindra Kaushik in Hindi

Raw Agent Ravindra Kaushik Story / Biography In Hindi – किसी भी देश की आंतरिक सुरक्षा वहां की सरकार की सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों में से एक होती है, जिसके लिए लगभग सभी देशों की अपनी अत्यधिक कुशल और प्रशिक्षित खुफिया एजेंसियां या संगठन होते हैं.

इन ख़ुफ़िया एजेंसियों का काम गुप्त रूप से देश या विदेश में प्रवेश करना और उन सभी ऑपरेशनों को अंजाम देना होता है जिनसे किसी भी देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरा होता है.

भारत में भी एक ऐसी सक्षम और विश्वसनीय खुफिया एजेंसी है जिसका नाम रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (Research and Analysis Wing) है, जिसे आमतौर पर RAW के नाम से जाना जाता है.

बड़े से बड़े गोपनीय और खतरनाक ऑपरेशन को कैसे अंजाम दिया जाए, यह RAW से बेहतर कोई नहीं जानता और यह एजेंसी किसी भी हाल में देश की सुरक्षा के लिए कुछ भी करने को तैयार रहती है.

भारत की इस ख़ुफ़िया एजेंसी को दुश्मन देश को बिना किसी कार्रवाई की भनक लगे ही किसी भी साहसिक कारनामे को अंजाम देने में महारत हासिल है.

रवींद्र कौशिक (ब्लैक टाइगर) की दुखद और सच्ची कहानी (The Tragic and true story Of Ravindra Kaushik (Black Tiger)):

दोस्तों आज के इस लेख में हम आपको रॉ एजेंसी के जांबाज जासूस ब्लैक टाइगर (Black Tiger) उर्फ रवींद्र कौशिक (Ravindra Kaushik) की रोमांचक कहानी से रूबरू कराएंगे, जिसके खौफनाक कारनामे आपके रोंगटे खड़े कर देंगे.

दोस्तों रवींद्र कौशिक को रियल लाइफ जेम्स बॉन्ड कहा जाता है लेकिन उनकी कहानी फिल्मों से ज्यादा रोमांचक और खतरों से भरी रही है.

किसी दूसरे देश में जाकर जासूसी करना कोई ऐसी बात नहीं है जो पहली बार हुई हो और हर किसी को हैरान कर सकती है. लेकिन जासूसी के लिए किसी दूसरे देश में जाना, खासकर किसी दुश्मन देश में जाकर वहां की सेना में भर्ती होना वाकई चौंकाने वाली बात है. यह कारनामा भारत के होनहार जासूस रवींद्र कौशिक ने संभव कर दिखाया था, जो अपने आप में इस बात का प्रमाण है कि वह एक बेहतरीन स्तर के जासूस थे.

यह कहानी है एक भारतीय जांबाज जासूस की जो पाकिस्तान जाकर पाकिस्तानी सेना में भर्ती होकर मेजर के पद तक पहुंच गया था, लेकिन दुर्भाग्य से कुछ ऐसा हुआ जिसने सभी के होश उड़ा दिए.

रवींद्र कौशिक का प्रारंभिक जीवन (Ravindra Kaushik early life):

रविंद्र कौशिक का जन्म 11 अप्रैल 1952 को राजस्थान के सीमावर्ती जिले श्रीगंगानगर में हुआ था. 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान यह लड़का अभी किशोरावस्था में था. युवावस्था में कदम रखते ही यह युवक 1971 के भारतपाकिस्तान युद्ध का भी गवाह बना. इस कारण उनके हृदय में बचपन से ही देशभक्ति की भावना प्रबल हो गई. पिता वायु सेना में अधिकारी थे, इसलिए देश के लिए मर-मिटने का जुनून विरासत में ही मिला था.

रवींद्र कौशिक का शैक्षिक विवरण (Educational Details of Ravindra Kaushik):

कौशिक की प्रारंभिक शिक्षा श्रीगंगानगर के एक सरकारी स्कूल में हुई थी. इंटरमीडिएट के बाद उन्होंने वहां के एसडी बिहानी कॉलेज में B.Com में दाखिला लिया. रवींद्र कौशिक को शालेय जीवन से ही अभिनय और मिमिक्री का भी बहुत शौक था.

रंगमंच से जासूस तक का सफर (Journey from Theater to Detective)

वैसे रवींद्र कौशिक बचपन से ही अभिनेता बनना चाहते थे. बड़े होकर, उन्होंने अभिनेता बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए थिएटर ज्वाइन किया. 

21 साल की उम्र में, उन्होंने लखनऊ में राष्ट्रीय नाट्य समारोह में भी भाग लिया. एक बार जब वे लखनऊ में थिएटर कर रहे थे, तभी RAW के अधिकारियों की नजर उन पर पड़ी, तब अधिकारियों ने उनके सामने जासूस बनकर पाकिस्तान जाने का प्रस्ताव रखा, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया.

1973 में B.Com की शिक्षा पूरी करने के बाद एक दिन कौशिक ने अपने पिता से कहा कि वह नौकरी के लिए दिल्ली जा रहे हैं.

फिर क्या था, 23 साल की उम्र में एक सफल जासूस बनने के लिए RAW के तहत उनकी कड़ी ट्रेनिंग शुरू हुई. पाकिस्तान जाने से पहले उनका गहन प्रशिक्षण दिल्ली में करीब दो साल तक चला और पाकिस्तान में किसी भी तरह की परेशानी से बचने के लिए उनका खतना भी कराया गया. 

उन्हें पाकिस्तान की स्थलाकृति और अन्य विवरणों से परिचित कराया गया, उर्दू भाषा का ज्ञान और इस्लाम की धार्मिक शिक्षा भी दी गई थी. उन्हें वह सब कुछ सिखाया गया जिससे वह पाकिस्तान में एक सामान्य पाकिस्तानी की तरह रह सके. 

ट्रेनिंग के दौरान कौशिक बहुत तेजी से नई चीजें सीखते थे. उन्होंने जल्द ही पाकिस्तान के बारे में औसत पाकिस्तानी की तुलना में बेहतर समझ विकसित कर ली थी. 

RAW से अपना प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, 25 साल की उम्र में, उन्हें शुरुआती अनुभव के लिए दुबई और अबू-धाबी भेजा गया था.

पाकिस्तान में रवींद्र कौशिक का जासूसी अभियान (Ravindra Kaushik’s spying operation in Pakistan):

1975 में RAW द्वारा रवींद्र कौशिक से संबंधित सभी आधिकारिक भारतीय रिकॉर्ड नष्ट कर दिए गए थे. कौशिक को एक नया नाम और एक नई पहचान दी गई – नबी अहमद शाकिर (Nabi Ahmed Shakir), नागरिकता – पाकिस्तानी, पता – इस्लामाबाद. 

उन्हें जासूसी की भूमिका निभाने के लिए पाकिस्तान भेज दिया गया. अब चूंकि रवींद्र कौशिक के गांव में पंजाबी बोली जाती है और पाकिस्तान के अधिकांश प्रांतों में भी पंजाबी बोली जाती है, इसलिए रवींद्र को पाकिस्तान में अपनी पहचान बनाने में ज्यादा समय नहीं लगा.

कुछ ही समय बाद रवींद्र ने पाकिस्तान के एक विश्वविद्यालय में प्रवेश लेकर वकालत की उपाधि (LLB) भी प्राप्त कर ली. 

समय बीतता गया और पढ़ाई खत्म होने के बाद रवींद्र कौशिक पाकिस्तानी सेना में शामिल हो गए और मेजर के पद पर पहुंच गए और इसी बीच उन्होंने वहां के एक सेना अधिकारी की लड़की अमानत (Amanat) से शादी कर ली और एक बेटी के पिता भी बन गए.

1979 से 1983 तक रवींद्र कौशिक ने पाकिस्तानी सेना और सरकार से जुड़ी कई अहम जानकारियां भारत भेजीं, जिनकी मदद से न सिर्फ भारत सरकार ने कई आतंकी गतिविधियों को रोका बल्कि पाकिस्तान की कई खतरनाक योजनाओं को नाकाम भी किया.

रवींद्र कौशिक द्वारा प्रदान की गई गुप्त जानकारी का उपयोग करते हुए, भारत हमेशा पाकिस्तान से एक कदम आगे रहा और कई मौकों पर पाकिस्तान ने भारत की सीमाओं के पार युद्ध छेड़ने का साहस किया है, लेकिन समय-समय पर रवींद्र कौशिक द्वारा दिए गए अग्रिम जानकारियों के आधार परपाकिस्तान के सभी प्रयासों को विफल कर दिया गया.

बाद में रवींद्र कौशिक के काम से प्रभावित होकर RAW ने उन्हें “ब्लैक टाइगर (Black Tiger)” की उपाधि से नवाजा. 

ऐसे खुला ब्लैक टाइगर का राज (The secret of Black Tiger revealed): 

कौशिक ने अपनी असली पहचान छुपाकर पाकिस्तान में अपनी पढ़ाई पूरी की, वहां की सेना में भर्ती हुए, अंदर से एक से बढ़कर एक खुफिया सूचनाएं भारत भेजीं, लेकिन उन पर कभी किसी ने शक नहीं किया.

सब कुछ ठीक चल रहा था, फिर 1983 का मनहूस साल आया जो रवींद्र कौशिक के लिए सबसे घातक साबित हुआ. 1983 में, उनके भारतीय जासूस होने का रहस्य उजागर हुआ, लेकिन अपनी गलती से नहीं.

दरअसल हुआ यह कि 1983 में भारतीय खुफिया एजेंसी (RAW) ने “ब्लैक टाइगर” से मिलने और संपर्क में रहने के लिए एक और एजेंट, इनायत मसीहा (Inyat Masiha) को पाकिस्तान भेजा था, लेकिन दुर्भाग्य से वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के हाथ लग गया. कई दिनों तक भीषण यातना सहने के बाद इस एजेंट ने रवींद्र कौशिक के बारे में सबकुछ बता दिया. 

फिर, गिरफ्तारी के डर से, रवींद्रनाथ कौशिक ने पाकिस्तान से भागने के कई असफल प्रयास किए, लेकिन भारत सरकार से कोई मदद नहीं मिलने के कारण, रवींद्र कौशिक को गिरफ्तार कर लिया गया और एक पाकिस्तानी जेल में डाल दिया गया. उन्हें सियालकोट के एक पूछताछ केंद्र में दो साल तक अमानवीय यातनाएं दी गई.

कैद के दौरान पाकिस्तानी सेना ने रवींद्र को लालच और लंबी यातनाएं देकर भारत के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी निकालनी चाही थी, लेकिन गंभीर कठोर यातना के बावजूद, रवींद्र ने भारत की कोई खुफिया जानकारी देने से इनकार कर दिया.

फिर 1985 में, रवींद्र को मौत की सजा सुनाई गई, जिसे बाद में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने आजीवन कारावास में बदल दिया. उन्हें 16 साल तक सियालकोट, कोट लखपत और मियांवाली जेल सहित विभिन्न जेलों में रखा गया था. जिंदगी के आखिरी 2 साल उनके लिए बेहद दर्दनाक रहे. इस दौरान कौशिक अस्थमा और टीबी जैसी बीमारियों की चपेट में आ गए.

अपने आजीवन कारावास के दौरान, रवींद्र ने जेल से अपने परिवार के सदस्यों को गुप्त रूप से कई पत्र लिखे, जिसमें वह अपनी बिगड़ती तबीयत और पाकिस्तान में अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों की कहानी बयां करते थे.

रवींद्र ने अपने जीवन के 26 साल अपने घर और परिवार से दूर पाकिस्तान में बेहद विपरीत परिस्थितियों में गुजारे. नवंबर 2001 को, सेंट्रल जेल मुल्तान में फेफड़े, तपेदिक और हृदय रोग के कारण उनकी मृत्यु हो गई और उन्हें जेल के पीछे दफनाया गया. 

भारत के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले रवींद्र कौशिक की मृत्यु के बाद उन्हें अपने देश की मिट्टी भी नसीब नहीं हुयी. उनका पार्थिव शरीर कभी भारत नहीं लाया जा सका.

ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि कौशिक के पाकिस्तान में पकड़े जाने के बाद भारत सरकार ने उनसे पल्ला झाड़ लिया. भारत सरकार या RAW द्वारा उन्हें बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया. 

हालांकि सच्चाई यह भी है कि पकड़े जाने पर अक्सर जासूस की कोई मातृभूमि नहीं होती और यह जानते हुए भी निडर देशभक्त जासूसी को अपना फर्ज बना लेते हैं. उनका अपना देश ही उन्हें अपना नागरिक मानने से इंकार कर देता है. जासूसी की दुनिया की यही कड़वी सच्चाई है और पूरी दुनिया में यही वास्तविकता है.

भारत के वीर सपूत रवींद्र कौशिक को हमारा कोटि-कोटि प्रणाम! वंदे मातरम्!!

ब्लैक टाइगर सतीश कौशिक पर किताब (Book on Black Tiger Satish Kaushik):

दो दशक पहले प्रकाशित मलॉय कृष्णा धर (Maloy Krishna Dhar) की किताब “Mission to Pakistan: An Intelligence Agent in Pakistan” इसी “ब्लैक टाइगर” पर आधारित है. यह भारत और पाकिस्तान के बीच घटी ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित एक जासूसी उपन्यास है.

ब्लैक टाइगर सतीश कौशिक पर फिल्म (Movie on Black Tiger Satish Kaushik):

सलमान खान की 2012 में रिलीज हुई स्पाई थ्रिलर फिल्म “एक था टाइगर” रवींद्र कौशिक के जीवन से प्रेरित थी.

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