Ravi Shastri Biography In Hindi – रवि शास्त्री ने एक क्रिकेटर के रूप में भारतीय क्रिकेट टीम के लिए 1981 से 1992 तक 80 टेस्ट क्रिकेट और 150 एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय (वनडे) क्रिकेट खेला हैं.
शास्त्री ने अपने क्रिकेट करियर में एक धीमी गति के गेंदबाज और बल्लेबाज की भूमिका निभाई, जिसके कारण उन्हें एक ऑलराउंडर के रूप में भी जाना जाता था.
रवि शास्त्री ने 15 जुलाई 2017 से 2021 तक भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच के रूप में कार्य किया है.
रवि शास्त्री का संक्षिप्त में जीवन परिचय – Brief biography of Ravi Shastri
नाम | रविशंकर जयद्रथ शास्त्री |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
जन्म तिथि | 27 मई 1962 |
जन्म स्थान | मुंबई, महाराष्ट्र |
पिता का नाम | जयद्रथ शास्त्री |
माता का नाम | लक्ष्मी शास्त्री |
धर्म | हिंदू |
पेशा | पूर्व क्रिकेट, कमेंटेटर |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
कोच | बी डी देसाई |
वनडे डेब्यू | 25 नवम्बर 1981 |
टेस्ट डेब्यू | 21 फ़रवरी 1981 |
पत्नी का नाम | रितु सिंह |
बच्चे | अलेका शास्त्री |
रवि शास्त्री का प्रारंभिक जीवन (Early Life of Ravi Shastri):
रवि शास्त्री का जन्म 27 मई 1962 को मुंबई (बॉम्बे) में हुआ था. उनका पूरा नाम रविशंकर जयद्रिता शास्त्री (Ravishankar Jayadritha Shastri) और वह मराठी-मंगलोर वंश के हैं. रवि शास्त्री के पिता पेशे से डॉक्टर थे.
रवि शास्त्री के पिता शुरू से ही उनकी पढ़ाई पर ध्यान देते थे लेकिन उनका अधिक समय गिल्ली-डंडा, कंचे और फुटबॉल-हॉकी खेलने में व्यतीत होता था.
बचपन में उन्हें दोस्तों के साथ बाहर खेलने में ज्यादा मजा आता था. उनके पास खेलने के लिए ज्यादातर खिलौने होते थे और जब वह किसी भी खेल में आउट हो जाते थे तो खेल को रोक देते थे, तब सभी दोस्त उनकी बात मानकर उन्हें एक और मौका देते थे.
रवि शास्त्री शैक्षिक विवरण (Ravi Shastri Education Details):
रवि शास्त्री ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा डॉन बॉस्को हाई स्कूल माटुंगा से पूरी की है.
रवि शास्त्री का क्रिकेट में पदार्पण (Ravi Shastri’s debut in cricket):
रवि शास्त्री का गेंदबाज से लेकर टीम इंडिया का मुख्य कोच बनने तक का सफर भी काफी दिलचस्प रहा.
रवि शास्त्री जब कक्षा 9 में थे तब उनकी मुलाकात स्कूल की क्रिकेट टीम के कोच देसाई सर (Desai Sir) से हुई और इसी के साथ उनका क्रिकेट का सफर भी शुरू हो गया. देसाई सर ने शास्त्री को क्रिकेट के गुण सिखाना शुरू किया और तभी से रवि शास्त्री ने क्रिकेट में अपना हुनर दिखाना शुरू किया.
आगे चलकर 1977 में, शास्त्री ने अपनी स्कूल टीम के लिए खेलते हुए “Giles Shield” चैंपियंस ट्रॉफी भी जीती. शास्त्री के नेतृत्व में, उनकी टीम ने इतिहास में पहली बार Giles Shield Trophy जीती थी और साथ ही रवि शास्त्री ने फैसला किया कि अब उन्हें एक अच्छा क्रिकेटर बनकर देश के लिए क्रिकेट खेलना है.
लेकिन जब पूर्णकालिक क्रिकेटर बनने की बात आई तो रवि शास्त्री को उनके करीबी लोगों का खुला समर्थन नहीं मिला.
फिर आगे की उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने आर.ए. पोद्दार कॉलेज में प्रवेश लिया और यहीं से रवि शास्त्री के जीवन का सुनहरा मोड़ आया जिसका उन्हें सालों इंतजार था. कॉलेज के दूसरे वर्ष में, उन्हें रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) खेलने के लिए महाराष्ट्र टीम में शामिल किया गया था.
17 साल की उम्र में शास्त्री को रणजी ट्रॉफी के लिए चुना गया था और वह उस समय रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) में खेलने वाले सबसे कम उम्र के क्रिकेटर थे.
बाद में उन्हें भारत की अंडर-19 टीम में शामिल किया गया. 1981 में जब इंग्लैंड की टीम ने भारत का दौरा किया तो उन्हें भारतीय टीम में शामिल किया गया.
तभी से यह सिलसिला यूं ही चलता रहा और रवि शास्त्री ने अपनी शानदार गेंदबाजी और बल्लेबाजी से भारतीय क्रिकेट टीम में अपने लिए एक सुरक्षित जगह बना ली.
तब से लेकर उनके रिटायरमेंट तक टीम में उनकी जगह हमेशा ही पक्की थी. 1983 में, भारत ने इतिहास रचते हुए “क्रिकेट विश्व कप (Cricket World Cup)” जीता, शास्त्री भी उस टीम में शामिल थे और उन्होंने कप जीतने के लिए टूर्नामेंट में बहुत ही महत्वपूर्ण परियां भी खेली थी.
उन्होंने 1985 में ऑस्ट्रेलिया में विश्व सीरीज में सफलतापूर्वक भारत का नेतृत्व किया था. उनके करियर का खास पल था जब उन्हें “Champion of Champions” चुना गया. उन्हें 1985 में ऑस्ट्रेलिया में क्रिकेट की विश्व चैंपियनशिप के लिए इस खिताब से नवाजा गया था. इस चैंपियनशिप के दौरान उन्होंने वेस्टइंडीज के Gary Sobers के 1 ओवर में 6 छक्के मारने के रिकॉर्ड की बराबरी की थी.
शास्त्री मैचों में ओपनिंग करते थे या मिडिल ऑर्डर में खेलने आते थे.
रवि शास्त्री ने टीम इंडिया के लिए 80 टेस्ट और 150 वनडे खेले हैं, जिसमें 1985 का भारत-पाकिस्तान मैच कोई नहीं भूल सकता, जिसमें रवि शास्त्री ने 125 रनों की शानदार पारी खेलकर पाकिस्तान को हराकर उस मैच के हीरो बनकर उभरे थे. इसके अलावा रवि शास्त्री ने इंग्लैंड के खिलाफ लगातार 9 घंटे 21 मिनट तक बल्लेबाजी करते हुए सभी को हैरान कर दिया था.
उन्होंने अपना आखिरी मैच 1992 में खेला था जब भारतीय टीम दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर गई थी. बाद में 31 साल की उम्र में घुटने की चोट के कारण उन्हें क्रिकेट से संन्यास लेना पड़ा.
संन्यास लेने के बाद उन्होंने कमेंटेटर के रूप में काम करना शुरू कर दिया और माना जाए तो तभी से उनका कमेंट्री पर बोलबाला भी रहा है. 2014 में रवि शास्त्री कुछ समय के लिए भारतीय क्रिकेट टीम के संचालक भी बने थे.
13 जुलाई 2017 को, उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच के रूप में नियुक्त किया गया था. कुछ समय तक उन्होंने भारतीय टीम के कोच के रूप में काम किया.
रवि शास्त्री ने 1990 के दशक के अंत में रितु सिंह (Ritu Singh) से शादी की. 2008 में 46 साल की उम्र में रवि शास्त्री के घर बेटी का जन्म हुआ था.
अन्य लेख पढ़ें:
- रामनाथ कोविंद जी की जीवनी – Biography of Ram Nath Kovind
- विवेक अग्निहोत्री की जीवनी – Vivek Agnihotri Biography In Hindi
- अवतार मेहर बाबा की जीवनी – Biography of Avatar Meher Baba
- आचार्य चाणक्य की जीवनी – Biography of Acharya Chanakya
- तेनालीराम की जीवनी – Biography of Tenali Rama
- चंद्रगुप्त मौर्य की जीवनी और इतिहास हिंदी में – Biography and History of Chandragupta Maurya in Hindi
- मिस यूनिवर्स हरनाज़ संधू की जीवनी हिंदी में | Miss Universe Harnaaz Sandhu Biography In Hindi
- सीडीएस बिपिन रावत: जीवन परिचय | CDS Bipin Rawat Biography
- पराग अग्रवाल का संक्षिप्त में जीवन परिचय । Brief biography of Parag Agarwal in Hindi