राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर निबंध और भाषण – National Education Day (Essay and Speech)

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर निबंध और भाषण - National Education Day (Essay and Speech)

National Education Day in Hindi – आज के वैज्ञानिक युग में शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण चीज है. शिक्षा के अभाव में व्यक्ति का कोई महत्व नहीं है.

हमारे जीवन को सुखी बनाने के लिए और देश की प्रगति के लिए सभी शिक्षाओं का होना आवश्यक है. आज के लेख में हम राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर लेख, निबंध, भाषण और अन्य जानकारी प्राप्त करने जा रहे हैं.

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर निबंध और भाषण – Essay and Speech on National Education Day

हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण गुण शिक्षा है. शिक्षा हमारे जीवन को बेहतर बनाती है. 

सरकार भी राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा के लिए कई प्रयास कर रही है क्योंकि जब तक देश के नागरिक शिक्षित नहीं होंगे, देश प्रगति नहीं कर सकता. 

शिक्षा देश के सार्वभौमिक विकास में एक महत्वपूर्ण साधन है. लेकिन बहुत से लोग आज की आधुनिक दुनिया में भी शिक्षा के प्रति जागरूक नहीं हैं.

शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए भारत में हर साल 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है. भारत में पहली बार 8 सितंबर 1965 को साक्षरता दिवस मनाया गया था. तब से हम इसे हर साल मनाते आ रहे हैं.

इस दिन का मुख्य उद्देश्य देश के सभी नागरिकों को शिक्षा के प्रति जागरूक और साक्षर करना है. वैसे तो शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाना और शिक्षा प्राप्त करना जरूरी है, लेकिन इस विशेष दिन को साक्षरता दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसलिए हमें इस दिन का सम्मान कर शिक्षा को बढ़ावा देने में अपना योगदान देना चाहिए.

शिक्षा के इस अस्त्र को अपनाकर आप अपने जीवन को संवार सकते हैं. साक्षरता का अर्थ केवल ज्ञान प्राप्त करके नौकरी प्राप्त करना नहीं है, बल्कि साक्षरता का अर्थ हमारे जीवन में समान अवसर प्राप्त करना और जीवन में निरंतर विकास से संबंधित है.

शिक्षा जीवन को अच्छी तरह जीने का तरीका है. हर शिक्षित व्यक्ति का सरकारी कर्मचारी या नौकर बनना जरूरी नहीं है, लेकिन जो शिक्षा में कुशल है वह आज के समय में सबसे कुशल व्यक्ति है.

एक शिक्षित व्यक्ति शिक्षा के महत्व को गंभीरता से समझता है, जबकि अनपढ़ लोग आज भी देश के नियम-कायदों और उनके अधिकारों के बारे में नहीं समझते हैं. इसलिए आज हमारा देश पिछड़ा हुआ देश है.

कनाडा, अमेरिका और जापान जैसे देश शिक्षा के आधार पर ही दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों के रूप में उभरे हैं. आज हमारे देश को भी शिक्षा की सबसे ज्यादा जरूरत है.

देश की आर्थिक स्थिति और देश के विकास के लिए सबसे बड़ी समस्या अनपढ़ लोगों का होना है. निरक्षर लोग न केवल शिक्षा से वंचित रहते हैं, बल्कि वे अपने जीवन की हर उपलब्धि में पीछे छूट जाते हैं. हमारे देश में गरीबी का प्रमुख कारण शिक्षा का अभाव ही है, गरीबी भी देश के विकास में बाधक बनती जा रही है.

हमारे देश में ज्यादातर युवा और लड़कियां ऐसी हैं कि वे शिक्षा से वंचित हैं. इस दिन का मुख्य उद्देश्य देश के युवाओं और नई पीढ़ी को शिक्षा से परिचित कराना है.

“राष्ट्रीय शिक्षा दिवस” शिक्षा के महत्व को दिखाने और शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने का मुख्य दिन है और हमारे देश को इस दिन से बहुत लाभ भी हुआ है.

लेकिन आज भी नारी शिक्षा को महत्व नहीं दिया जा रहा है, इसलिए देश में लगभग 35 प्रतिशत महिलाएं निरक्षर हैं, यह हमारे देश की गरीबी का भी एक कारण है, अशिक्षित महिलाएं आज हमारे लिए चिंता का विषय हैं. 

हमें महिलाओं की शिक्षा पर चिंतन करना होगा और महिलाओं की शिक्षा के स्तर को मजबूत करना होगा.

एक महिला शिक्षित होकर तीन परिवारों को शिक्षित कर सकती है, जबकि एक पुरुष अपने स्वयं के केवल एक परिवार को शिक्षित कर सकता है, इसलिए महिला शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है.

साक्षरता दिवस के दिन हम सभी देशवासियों को मिलकर संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने देश से निरक्षरता को साक्षरता में बदलकर ही संतुष्ट होंगे.

सभी देशवासियों को शिक्षा के प्रति जागरूक करना होगा और देश के प्रत्येक नागरिक को अपने ऊपर जिम्मेदारी लेकर इस कार्य को पूरा करना होगा. जन-जन की जागरूकता ही निरक्षरता को साक्षरता में बदलने  का प्रमुख साधन है.

भारत में शिक्षा का इतिहास (History of Education in India):

हमारे संस्कृति प्रधान देश में शिक्षा व्यवस्था प्राचीन काल से चली आ रही है. प्राचीन काल में शिक्षा प्रणाली आज की तरह नहीं थी, प्राचीन काल में शिक्षा ऋषि-मुनियों द्वारा दी जाती थी और वह शिक्षा मौखिक रूप से दी जाती थी क्योंकि उस समय लिखित रूप में शिक्षा प्राप्त करने के संसाधन उपलब्ध नहीं थे.

इतिहासकारों के अनुसार हमारे देश में शिक्षा का विकास वर्णमाला (Alphabet) के प्रचलित होने के बाद तेजीसे हुआ. जैसे ही वर्णमाला प्रचलन में आई, लोगों ने अपना ध्यान शिक्षा पर केंद्रित किया और उसके बाद लोगों ने मौखिक और लिखित रूप में शिक्षा प्राप्त करने का प्रावधान किया.

प्राचीन काल में वृक्षों की छाल पर लेखन कार्य लिखा जाता था और अनेक लेखक इस कला से बड़े-बड़े साहित्यिक उपन्यास लिखने में भी सफल हुए.

बाद में भारत में शिक्षा प्राप्त करने के लिए नालंदा, विक्रमशिला और तक्षशिला जैसे विश्व प्रसिद्ध संस्थान बनाकर शिक्षा प्रदान की जाती थी. इन विश्वविख्यात संस्थानों के कारण ही देश के कोने-कोने से और विदेशों से भी अधिकतर लोग शिक्षा ग्रहण करने के लिए यहां आते थे.

इस प्रकार प्राचीन संस्थाओं ने भारत में शिक्षा के उत्थान और विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया.

भारत में शिक्षा का प्रसार (Spread of education in India):

हमारे देश में आधुनिक शिक्षा का प्रसार और प्रसार ब्रिटिश शासन से शुरू हुआ था, इससे पहले ऋषि-मुनियों द्वारा गुरुकुल में मौखिक रूप से ज्ञान प्राप्त किया जाता था. ब्रिटिश शासन के दौरान शिक्षा प्रणाली में अभूतपूर्व परिवर्तन हुआ और शिक्षा लिखित रूप में प्रचलित होने लगी.

प्राचीन काल में, नालंदा, तक्षशिला और विक्रमशिला पूरे भारत में केवल तीन संस्थान थे जहां ज्ञान प्राप्त किया जाता था और देश के सभी हिस्सों से छात्र यहां ज्ञान प्राप्त करने के लिए आते थे.

आज हमारे देश में हजारों स्कूल और कॉलेज बन गए हैं, जहां उच्च शिक्षा दी जाती है, लेकिन इतनी बेहतर शिक्षा व्यवस्था होने के बाद भी लोग शिक्षा पर ध्यान नहीं दे रहे हैं.

आज हमारे देश में उच्च स्तरीय शिक्षा दी जाती है, जिससे हमारा जीवन आसान हो सकता है और यदि सभी नागरिक शिक्षा पर ध्यान दें तो हमारे देश का विकास संभव है.

आज हमारे देश में गरीबी के कारण बहुत से परिवार ऐसे हैं जो अपने बच्चों की शिक्षा कॉलेज में नहीं करवा पा रहे हैं, वे मुश्किल से ही अपने परिवार का भरण-पोषण कर पा रहे हैं. ऐसे गरीब छात्रों के लिए कई आश्रम और मुफ्त शिक्षा के स्कूल खोले गए जहां आप मुफ्त शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं.

आजादी के बाद से हमारे देश में महिला साक्षरता में काफी वृद्धि हुई है लेकिन फिर भी हमें महिला साक्षरता पर और प्रगति करने की जरूरत है.

आंकड़ों के अनुसार, 1950 में हमारे देश की साक्षरता दर 18% थी, जो आज 77% का आंकड़ा पार कर गई है और इस तरह अगले कुछ वर्षों में हमारा देश दुनिया के सबसे अधिक साक्षर देशों में से एक बन जाएगा. इसके अलावा केरल (Kerala) हमारे देश का एक ऐसा राज्य है जो 100% साक्षरता वाला राज्य है.

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का इतिहास (History of National Education Day):

मौलाना अबुल कलाम आजाद (Maulana Abul Kalam Azad) की जयंती के उपलक्ष्य में हर साल 11 नवंबर को भारत में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है. मौलाना आजाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री (First education minister) थे और उन्होंने भारत की शिक्षा प्रणाली की नींव रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

सितंबर 2008 में, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भारतीय शिक्षा प्रणाली में उनके प्रयासों का सम्मान करने के लिए 11 नवंबर को “राष्ट्रीय शिक्षा दिवस (National Education Day)” के रूप में घोषित किया.

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का आयोजन सबसे पहले तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने विज्ञान भवन, नई दिल्ली में किया था.

भारत में हर साल स्कूल, विश्वविद्यालय और यहां तक कि सरकारी कार्यालय भी आजाद के उत्कृष्ट योगदान के सम्मान में 11 नवंबर को “राष्ट्रीय शिक्षा दिवस” मनाते हैं और अपने तरीके से आजाद को श्रद्धांजलि देते हैं.

आजाद सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा, नारी शिक्षा, 14 वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों के लिए मुफ्त अनिवार्य शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और तकनीकी शिक्षा के भी प्रबल समर्थक थे.

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का महत्व (Importance of National Education Day):

हर व्यक्ति अपने जीवन को सफल बनाने के लिए तैयार रहता है, लेकिन आज भी कुछ लोग शिक्षा को समय की बर्बादी मानते हैं और अपने बच्चों को बचपन की शिक्षा से वंचित कर उन्हें श्रम पर भेजते हैं.

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस देश में शिक्षा प्राप्त करने के लिए सभी को प्रेरित करने और छात्रों के लिए शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और शिक्षा के प्रति उनके उत्साह को बढ़ाने के लिए मनाया जाता है.

यह दिवस स्वतंत्र भारतीय शिक्षा प्रणाली की नींव रखने में आजाद के योगदान को नमन करने के उपलक्ष में भी मनाया जाता  है.

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का लक्ष्य (Goal of national education day):

साक्षरता दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य शिक्षा को बढ़ावा देना और उसका प्रसार करना है. बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी को शिक्षा का समान अवसर दिया जाना चाहिए. शिक्षा देश के प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है.

सभी को इसे अपनाना चाहिए और शिक्षित होकर अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए अपने अधिकारों का लाभ प्राप्त करना चाहिए.

शिक्षा प्राप्त करके लोगों को सुसंस्कृत बनाया जाना चाहिए और देश की गरीबी और सामाजिक अपराधों को कम किया जाना चाहिए. सबको शिक्षा देकर जीवन को सफल और सुखीबनाया जाए.

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस कैसे मनाया जाता है? How is National Education Day celebrated?

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस हर साल स्कूलों, कॉलेजों और विभिन्न स्तरों पर कई सूचनात्मक और मनोरंजक गतिविधियों, निबंध लेखन, भाषण, प्रतियोगिताओ और रैलियों की मेजबानी करके मनाया जाता है.

इस दिन के अवसर पर, कई नए शिक्षा संसाधन शुरू किए जाते हैं और सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले संस्थानों को सम्मानित किया जाता है.

इस अवसर पर छात्र स्कूल में अपनी प्रस्तुति देते हैं और शिक्षक इस दिन भाषण देकर सभी को बधाई देते हैं और सभी को शिक्षा के लिए संकल्पित करते हैं.

इस दिन कई शिक्षाप्रेमी घर-घर जाकर शिक्षा के बारे में चर्चा करते हैं और सभी को शिक्षा के लिए प्रेरित करते हैं और गरीब लोगों को मुफ्त शिक्षा के संस्थानों में प्रवेश के लिए जागरूकता फैलाते हैं.

भारत में साक्षरता के बढ़ते कदम (Literacy growth in India):

आज के समय में शिक्षा के बिना व्यक्ति की प्रगति नहीं होती और अशिक्षित व्यक्ति का इस जीवन में कोई महत्व नहीं है. हमारा देश पिछले कई वर्षों से साक्षरता दर में लगातार वृद्धि कर रहा है.

साक्षरता के मामले में हमारा देश विश्व में 92वें स्थान पर है. हमारे देश में साक्षरता दर तेजी से बढ़ रही है. इसके लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है. शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियान निम्नलिखित हैं.

  • राष्ट्रीय साक्षरता मिशन
  • सर्व शिक्षा अभियान
  • साक्षर भारत मिशन
  • कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना
  • प्रौढ़ शिक्षा योजना
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना

इन योजनाओं के कारण और सरकार के नियमित प्रयासों और नागरिकों की जागरूकता के कारण, हमारे देश में साक्षरता दर में काफी वृद्धि हुई है.

हम आशा करते हैं कि इसी प्रकार हमारे देश में साक्षरता दर में वृद्धि होती रहे और इसके फलस्वरूप हमारा देश साक्षरता दर में सर्वश्रेष्ठ देश बने. साक्षर लोगों की संख्या में वृद्धि से ही हमारे देश का विकास संभव है.