Ram Navami Kyu Manaya Jata Hai 2023 In Hindi – हमारा भारत प्राचीन काल से ही कई प्रकार के रीति-रिवाजों, धार्मिक और मौसमी त्योहारों आदि से समृद्ध रहा है और यहां कई तरह के त्योहार मनाए जाते हैं। इनमें से अति महत्वपूर्ण प्राचीन पर्व जैसे रामनवमी (Ram Navami), दीपावली (Deepawali), दशहरा (Dussehra), होली (Holi) आदि त्योहारों को लोग बड़े उत्साह से मनाते हैं।
दूसरे शब्दों में हम भारत के हिन्दू धर्म (Hindu religion) को त्योहारों का धर्म (Religion of festivals) भी कह सकते हैं क्योंकि भारतीय कलैण्डर (पंचांग) पूर्णतः त्योहारों से व्याप्त है, इसका हर मौसम छोटे-बड़े त्योहारों से परिपूर्ण है।
भारत में मनाया जाने वाला रामनवमी (Ram Navami) का त्यौहार पूरे भारत में और विदेशों में भी हिंदू धर्म के अनुयायियों द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
आज के इस लेख में हम आपको रामनवमी के बारे में जानकारी (Ram Navami Information In Hindi) बहुत ही विस्तार से प्रदान करने जा रहे हैं। इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि Ram Navami Kyu Manaya Jata Hai? रामनवमी क्यों मनाते हैं? रामनवमी का त्यौहार कब मनाया जाता है? और सबसे अहम बात यह है कि रामनवमी का पर्व मनाने का रहस्य क्या है? और अन्य जानकरी भी साझा करने वाले है।
रामनवमी क्यों मनाई जाती है? क्या है इसका इतिहास और महत्व? Ram Navami Kyu Manaya Jata Hai
अगर आप राम नवमी (Ram Navami in Hindi) से जुड़ी सभी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारा यह लेख आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण होने वाला है, इसलिए इसे अंत तक जरूर पढ़ें।
रामनवमी का त्यौहार क्या है? (Ram Navami in Hindi)
राम नवमी का पर्व हिन्दू धर्म के आराध्य देवता भगवान श्री राम (Lord Shri Ram) के जन्मोत्सव (Birth anniversary) के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता यह भी है कि भगवान राम को एक आदर्श पुरुष (Ideal man) के रूप में स्थापित करने के कारण भी यह पर्व मनाया जाता है।
पौराणिक कथाओं और कहानियों को पढ़ने या सुनने से हमें यह सीख मिलती है कि मनुष्य का चरित्र भगवान राम (Lord Rama) के समान होना चाहिए। हिंदू धर्म के अनुयायी रामनवमी के इस पर्व को भगवान श्री राम के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाते हैं।
हिन्दू अनुयायी इस दिन को इतना शुभ मानते हैं कि इस दिन बहुत से लोग भगवान श्री राम के प्रति आस्था प्रकट करने के लिए व्रत आदि रखते हैं। रामनवमी के पूरे दिन लोग भगवान श्रीराम का स्मरण, पूजा-पाठ, भजन आदि कर अपना व्रत पूरा करते हैं।
धार्मिक रूप से यह पर्व हिन्दुओं के परम प्रभु श्री राम से जुड़ा हुआ है, इसीलिए इस पर्व को अत्यंत पवित्र माना जाता है और इसीलिए इस पर्व को बड़ी आस्था के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार भारत और विदेशों में बसे हिंदुओं द्वारा बड़े पैमाने पर मनाया जाता है।
रामनवमी उत्सव की स्थापना और समापन कब होता है? (Ram Navami festival in Hindi)
हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र मास की नवरात्रि (Navratri) का समापन रामनवमी के दिन होता है। इसीलिए इस दिन हिन्दू धर्म के बहुत से अनुयायी प्रभु राम की जन्मभूमि अयोध्या (Ayodhya) जाकर सबसे प्रसिद्ध नदी सरयू (Saryu river) में स्नान करते हैं और इस दिन बहुत से लोग उपवास रखते हैं और कई जगहों पर हवन करते हैं।
भगवान राम के भक्तों की मान्यता है कि रामनवमी के दिन व्रत, उपवास रखने से उपासक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उस व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस दिन अयोध्या जिले की पवित्र भूमि में श्री राम लीला मेले (Shri Ram Leela Mela) का भी आयोजन किया जाता है और हर साल वहां भारी भीड़ उमड़ती है।
रामनवमी के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर घर की साफ-सफाई और स्नान करने के बाद अपने घरों में रामचरितमानस (Ramcharitmanas) का पाठ करते हैं। रामचरितमानस का पाठ लोग अपने घरों में ही नहीं बल्कि आसपास के मंदिरों में भी बड़े धूमधाम से करवाते हैं।
रामनवमी के दिन रामचरितमानस ही नहीं बल्कि राम चरित्र पर आधारित पुराणों का भी कई स्थानों पर पाठ किया जाता है और इस अवसर पर बहुत ही भव्य आयोजन किया जाता है।
रामनवमी क्यों मनाया जाता है? (Ramnavami Kyon Manae Jaati Hai)
शास्त्रों के अनुसार, यह माना जाता है कि राम नवमी (Ram Navami) का यह त्योहार त्रेता युग के समय से भगवान श्री विष्णु (Lord Sri Vishnu) के अवतार भगवान श्री राम के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
भगवान श्री राम का जन्म लंका नरेश रावण (Lanka King Ravana) के अत्याचारों के कारण और उसकी बुराई को समाप्त करने के लिए हुआ था। बुराई को नष्ट करने और राक्षसों को पृथ्वी से खत्म करने के लिए एक नया अनुष्ठान स्थापित किया गया था।
कथाओं के अनुसार रावण ने अपने शासनकाल में इतना अत्याचार करना शुरू कर दिया था कि प्रजा के साथ-साथ देवलोक के देवता भी रावण के अत्याचार से त्रस्त हो गए थे।
व्यथित होकर सभी देवता भगवान विष्णु के पास प्रार्थना करने गए क्योंकि भगवान विष्णु ने ही रावण को अमरता का वरदान दिया था।
भगवान विष्णु का जन्म चैत्र मास की नवमी तिथि को अयोध्या के राजा दशरथ की पहली रानी कौशल्या के गर्भ से भगवान राम के अवतार में रावण का वध करने और प्रजा और देवताओं को उसकी त्रासदी से मुक्त करने के लिए हुआ था। तभी से हर साल चैत्र मास की नवमी तिथि को भगवान राम के जन्म दिवस के रूप में रामनवमी मनाई जाती है।
श्री राम अवतार का उद्देश्य रावण के अत्याचारों को समाप्त करना और अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना करना था। कहा जाता है कि राम नवमी का पर्व न केवल भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है बल्कि यह पर्व इस नए धर्म की स्थापना के समय से मनाया जा रहा है।
शास्त्रों की यह भी मान्यता है कि लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद भगवान श्री राम द्वारा रावण के महल में देवी दुर्गा (Goddess Durga) की पूजा की गई थी, जिसके कारण चैत्र मास में नवरात्रि (Navratri) की समाप्ति के ठीक बाद से रामनवमी का पर्व शुरू हो जाता है।
रामनवमी का इतिहास क्या है? (Ram Navami history in Hindi)
महाकाव्य रामायण के अनुसार भगवान श्रीराम का जन्म अयोध्या (Ayodhya) के राज महल में हुआ था। भगवान श्री राम के पिता का नाम महाराजा दशरथ (Maharaja Dasaratha) था, राजा दशरथ की तीन पत्नियां थीं। महाराजा दशरथ की किसी भी पत्नी को कोई संतान नहीं हो रही थी, जिससे महाराजा बहुत दुखी और चिंतित थे। यह समस्या लेकर एक दिन महाराज दशरथ महर्षि वशिष्ठ (Maharishi Vashistha) के पास पहुंचे।
महर्षि वशिष्ठ के चरणों के पास बैठकर उन्होंने महर्षि वशिष्ठ को अपनी सारी व्यथा सुनाई। इसके बाद महर्षि वशिष्ठ ने उनसे उनकी मनोकामना पूर्ण करने के लिए कामेष्टि यज्ञ (Kameshti Yagna) करने का उपदेश दिया। उनकी आज्ञानुसार राजा दशरथ ने महर्षि श्रृंगी (Maharishi Rishi Shringi) के निर्देशन में कामेष्टि यज्ञ किया।
कहा जाता है कि यज्ञ समाप्त होने के बाद महर्षि ने उन्हें खीर का भोग प्रदान किया और महर्षि वशिष्ठ ने कहा कि आप यह खीर अपनी तीनों रानियों खिला दीजिए।
महाराज दशरथ ने उस खीर को अपनी तीनों पत्नियों को खिला दिया और 9 महीने के बाद महाराज दशरथ की पहली पत्नी कौशल्या (Kaushalya) को एक अत्यंत तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई। महाराज दशरथ का यह दिव्य पुत्र कोई और नहीं बल्कि भगवान श्री राम थे।
उसके बाद महाराज दशरथ की दूसरी पत्नी रानी कैकेयी (Queen Kaikeyi) ने भरत (Bharat) को जन्म दिया, भरत अपने भाई श्री राम के प्रति बहुत संवेदनशील थे और अपने भाई से बहुत प्यार करते थे।
राजा दशरथ की तीसरी पत्नी रानी सुमित्रा (Queen Sumitra) ने दो जुड़वां बच्चों को जन्म दिया, एक पुत्र का नाम लक्ष्मण (Lakshman) और दूसरे पुत्र का नाम शत्रुघ्न (Shatrughan) रखा गया।
शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है कि जिस दिन भगवान श्री राम का जन्म हुआ था उसी दिन लोग रामनवमी मनाते हैं। भगवान श्री राम का जन्म पृथ्वी पर राक्षसों के विनाश के लिए हुआ था और साथ ही भगवान श्री राम का जन्म पृथ्वी पर धर्म की स्थापना के लिए भी हुआ था। हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान श्री राम भगवान श्री हरि विष्णु के सातवें अवतार थे।
राजा दशरथ और महारानी कैकेयी, कौशल्या और सुमित्रा ज्येष्ठ पुत्र श्रीराम से बहुत प्रेम करती थीं। लेकिन उनकी माता कैकेयी ने एक छली दासी की बातों में आकर श्री राम को वनवास भेज दिया था। वनवास के दौरान भगवान श्रीरामचंद्र ने लंका पर विजय प्राप्त की थी और राक्षसों का संहार किया था।
आपको बता दें कि भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम (Maryada Purushottam) के नाम से भी जाना जाता है। प्रभु श्री राम जी को पुरुषोत्तम इसलिए कहा जाता है क्योंकि प्रभु श्री राम जी पुरुषों में सर्वश्रेष्ठ पुरुष थे। इसके साथ ही भगवान श्री रामचंद्र जी को एक आदर्श पुरुष (Ideal Man) के रूप में भी जाना जाता है और कई लोगों को भगवान श्री राम के चरित्र ने सही रास्ता दिखाया।
रामनवमी का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?
भगवान राम का जन्मोत्सव देश-विदेश के हिन्दू धर्मावलंबियों द्वारा बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। विभिन्न छोटे-बड़े मंदिरों में भगवान श्री राम की मूर्ति को फूल, चंदन आदि से सजाया जाता है। साथ ही माता सीता, लक्ष्मण और हनुमानजी की प्रतिमाओं को भी सजाया जाता है।
कई जगहों पर भगवान राम के बाल रूप की भी पूजा की जाती है। हर मंदिर में भजन-कीर्तन होता है, जिसमें भगवान राम की महिमा का गुणगान किया जाता है। सभी घरों में लोग व्रत, उपवास और होम हवन करते हैं।
भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में रामनवमी के दिन एक अलग ही आकर्षक माहौल बनता है, जिसकी तैयारी कई हफ्ते पहले से ही हो जाती है। वहीं, अयोध्या मंदिर के साथ ही आसपास के इलाके को भी रंग-बिरंगी रौशनी और फूलों की मालाओं से सजाया जाता है।
इसके साथ ही वहां श्री राम लीला मेले (Shri Ram Leela Mela) का भी आयोजन किया जाता है, जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। देश भर से राम भक्त अयोध्या जाकर भगवान राम के मंदिर के द्वार पर माथा टेकते हैं। यहां आने वाले राम भक्त यमुना नदी में पवित्र स्नान भी करते हैं।
रामनवमी पूजा विधि
रामनवमी की संक्षिप्त पूजा विधि इस प्रकार है:
- सबसे पहले प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर पवित्र हो जाएं और पूजन सामग्री लेकर पूजा स्थान पर बैठ जाएं।
- पूजा की थाली में अन्य पूजा साहित्य के साथ तुलसी के पत्ते और कमल के फूल जरूर होने चाहिए।
- उसके बाद श्री राम नवमी की षोडशोपचार पूजा करें।
- श्री राम जी को खीर और फलों का भोग लगाएं और प्रसाद के रूप में सभी में बांट दें।
- पूजा के बाद घर की सबसे छोटी महिला सभी के माथे पर तिलक लगावे।
कलियुग में राम नाम का महत्व
त्रेता युग (Treta Yug) के बाद कलयुग (Kalyug) का प्रारंभ हुआ। कलयुग पूरी तरह से लालच, हिंसा और दुराचार से भरा हुआ है। पापों से भरे इस युग में केवल भगवान राम के नाम का स्मरण करने से ही मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम के जाप से ही व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं, इसलिए रामनवमी के दिन सभी हिन्दू धर्मीय भगवान राम की पूजा करते हैं।
राम नवमी कब मनाई जाती है? रामनवमी का इतिहास हिंदी में
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भगवान श्री राम का जन्म अयोध्या के राजा दशरथ की पहली पत्नी कौशल्या के गर्भ से हुआ था। भगवान श्री रामचन्द्र जी का जन्म चैत्र मास की नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र में कर्क लग्न के समय हुआ था।
भगवान श्री राम का जन्म पूरे भारत में बहुत शुभ माना जाता है और हर साल हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र महीने की नवमी तिथि को रामनवमी मनाई जाती है। इसके साथ ही चैत्र मास के अंत से रामनवमी का प्रारंभ हो जाता है।
राम नवमी का क्या महत्व है?
इस पर्व की सबसे खास बात यह है कि इस दिन हिंदू भगवान श्री राम का जन्म हुआ था। नवमी की पहली तिथि इस रामनवमी पर्व से 8 दिन पहले शुरू होती है, जो भगवान श्री रामचंद्र के जन्म के उपलक्ष्य में यानी चैत्र मास के समापन दिवस पर मनाया जाता है।
इस दिन लोग शुद्ध सात्विक रूप में भगवान श्री रामचंद्र की पूजा करते हैं और कुछ लोग भगवान श्री रामचंद्र की पूजा करने के लिए अयोध्या की सरयू नदी में स्नान करते हैं और फिर भगवान श्री राम की पूजा करते हैं।
भगवान श्री राम के जन्म के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले रामनवमी के इस पर्व को सबसे महत्वपूर्ण इसलिए कहा जाता है क्योंकि माना जाता है कि इस दिन जो भी सच्चे मन से भगवान श्री राम की व्रत कथा की पूजा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
इस दिन न केवल अयोध्या के निवासी सरयू नदी में स्नान करते हैं बल्कि देश के अन्य राज्यों से भी लोग सरयू नदी में स्नान करने आते हैं। मान्यता है कि इसी सरयू नदी में भगवान श्री राम ने सभी पापों को हरने की शक्ति प्रदान की है। चैत्र माह में नवरात्रि के नौवें दिन भक्तों द्वारा राम नवमी को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
रामनवमी और महानवमी में क्या अंतर है? (Ram Navami and Mahanavami difference in Hindi)
हिन्दू पंचांग के अनुसार रामनवमी (Ram Navami) और महानवमी (Mahanavami) दोनों ही हिन्दू वर्ष के प्रमुख पर्व हैं। हालांकि, दोनों त्योहारों के बीच एक सांस्कृतिक अंतर है।
रामनवमी एक वैशिष्टपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो हर साल चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से भगवान राम के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। राम नवमी को हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है।
वहीं, महानवमी भी एक और पवित्र हिंदू त्योहार है, जो शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) में आता है। महानवमी श्रद्धा और पूजा का दिन है जो नवरात्रि (Navratri) के नौ दिनों के अंत में आता है और इस दिन मां दुर्गा (Maa Durga) की पूजा की जाती है।
इस प्रकार, रामनवमी और महानवमी दोनों अलग-अलग त्योहार हैं जो अलग-अलग अवसरों पर मनाए जाते हैं। रामनवमी भगवान श्री राम के जन्म को चिह्नित करने के लिए मनाई जाती है, जबकि महानवमी नवरात्रि के नौ दिनों के अंत में मनाई जाती है और मां दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित दिवस है।
दोनों त्योहारों में पीठासीन देवता की धार्मिक पूजा की जाती है और भक्तों द्वारा विभिन्न शास्त्रों का पाठ किया जाता है। संक्षेप में, रामनवमी और महानवमी दोनों प्रमुख हिंदू त्योहार हैं, लेकिन दोनों के बीच एक सांस्कृतिक अंतर है।
साल 2023 में राम नवमी कब है? Ram Navami 2023 in Hindi
इस साल यानी 2023 में रामनवमी का पर्व 30 मार्च 2023 को मनाया जाएगा और इस दिन गुरुवार है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रामनवमी का पर्व ( Ram Navami Festival) मनाया जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान श्री रामचंद्र जी का जन्म धरती पर हुआ था।
भगवान श्री रामचन्द्र जी के इस धरती पर अवतरित होने के कारण आज के दिन हम सभी रामनवमी को बड़े ही हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाते हैं।
राम नवमी 2023 मध्याह्न मुहूर्त (Ram Navami 2023 Madhyanha Muhurat):
नीचे दी गई तालिका के माध्यम से हमने रामनवमी 2023 का मध्याह्न मुहूर्त दिया है।
Ram Navami Madhyanha Muhurt | 30 March 2023, Thursday10:54 am – 01:23 pm |
रामनवमी मध्याह्न मुहूर्त | 30 मार्च 2023, गुरुवार सुबह 10:54 – दोपहर 01:23 |
निष्कर्ष – Ram Navami Kyu Manaya Jata Hai
प्रभु श्रीराम ने त्रेता युग में माता कौशल्या की कोख से मृत्युलोक में जन्म लिया था। मृत्यु लोक वही है, जिसे हम पृथ्वी या धरती कहते हैं। इस पृथ्वी को मृत्यु लोक कहने के पीछे तात्पर्य यह है कि जो भी इस पृथ्वी पर जन्म लेता है उसकी मृत्यु निश्चित है।
भगवान श्री कृष्ण (Lord Shri Krishna) का जन्म रावण (Ravana) के अत्याचारों को समाप्त करने के लिए हुआ था, उसी प्रकार भगवान रामचंद्र का जन्म दुष्टों का संहार करने और धर्म की पुन: स्थापना के लिए हुआ था।
आज के लेख के माध्यम से हमने आपको रामनवमी के पर्व के संबंध में सभी जानकारी प्रदान की है। यहां हम जानते हैं कि रामनवमी क्यों मनाई जाती है? राम नवमी का क्या महत्व है? और इसके पीछे क्या इतिहास है? आदि विस्तार से जाना है।
हमें उम्मीद है कि हमारे द्वारा साझा की गई यह जानकारी रामनवमी क्यों मनाई जाती है? इसका इतिहास और महत्व (Ram Navami Kyu Manaya Jata Hai) आपको पसंद आया होगा, इसे आगे सोशल मीडिया पर शेयर जरूर करें। आपको भगवान श्रीराम पर आधारित यह जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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