रामनाथ कोविंद जी की जीवनी – Biography of Ram Nath Kovind 

रामनाथ कोविंद की जीवनी - Biography of Ram Nath Kovind

Ram Nath Kovind Biography In Hindi – श्री. राम नाथ कोविंद 25 जुलाई 2017 से भारत के वर्तमान राष्ट्रपति के रूप में कार्यरत हैं. राम नाथ कोविंद को 20 जुलाई 2017 के दिन भारत के 14वें राष्ट्रपति के रूप में चुना गया था. 

25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जे.एस. खेहर (J.S. Khehar) द्वारा उन्हें भारत के राष्ट्रपति पद के लिए शपथ दिलाई गई थी. कोविंद जी ने भारत के 13वें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) के बाद 25 जुलाई 2017 को भारत के 14वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली और अपना कार्यकाल शुरू किया.

राष्ट्रपति पद ग्रहण करने से पहले, उन्होंने 2015 से 2017 तक बिहार के 26 वें राज्यपाल (Governor) और 1994 से 2006 तक संसद सदस्य (Member of Parliament), राज्यसभा के रूप में कार्य किया है.

आज भले ही रामनाथ कोविंद भारत के सर्वोच्च पद पर विराजमान हैं, लेकिन उनका जीवन हमेशा से ऐसा नहीं था क्योंकि उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा है.

आज हम बात करने जा रहे हैं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के जीवन के कुछ पहलुओं के बारे में. कोविंद भारत के एक सम्मानित व्यक्ति हैं, जिन्हें एक सामाजिक कार्यकर्ता और वकील के रूप में भी जाना जाता है.

रामनाथ कोविंद का जीवन परिचय – Ram Nath Kovind Biography in Hindi

नामरामनाथ 
उपनामकोविंद
राष्ट्रीयताभारतीय
जन्म तिथि01 अक्टूबर 1945 
जन्म स्थानपरौंख, कानपुर, उत्तर प्रदेश
पिता का नाममैकुलाल कोरी (Maikulal Kori)
माता का नामकलावती कोविंद (Kalavati Kovind)
धर्महिंदू
पेशाराजनीतिज्ञ, वकील
वैवाहिक स्थितिविवाहित
पत्नी का नामसविता कोविंद (Savita Kovind)
बच्चेस्वाति कोविंद, प्रशांत कुमार कोविंद
राजनीतिक दलभारतीय जनता पार्टी (BJP)
पदभारत के राष्ट्रपति (President of India)

रामनाथ कोविंद का प्रारंभिक जीवन (Ram Nath Kovind early life):

रामनाथ कोविंद का जन्म 1 अक्टूबर 1945 को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले के एक छोटे से गांव परौंख में एक बेहद साधारण परिवार में हुआ था. कोविंद उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति के अंतर्गत आने वाले कोरी / कोली समुदाय (Kori community) से हैं. वह अपने पांच भाई और दो बहनों में सबसे छोटे थे.

रामनाथ जी के पिता मैकुललाल एक स्थानीय वैद्य थे और साथ ही उन्होंने गांव में कपड़े की दुकान भी खोली थी. कभी-कभी कोविंद भी दवाखाने में बैठकर इलाज का तरीका सीखते थे, साथ ही कपड़े की दुकान में अपने पिता की मदद भी करते थे. उनकी मां गृहिणी थीं.

उनका पूरा परिवार घास-फूस की बनी झोपड़ी में रहता था. जब कोविंद 5-6 साल के थे, तब उनके घर में आग लग गई थी जिसमें उनकी मां की मौत हो गई. बचपन में ही अपनी मां का साया खोने के बाद, उनके पिता ने उनकी और उनके भाई-बहनों का लालन-पालन किया.

रामनाथ कोविंद की शिक्षा (Education of Ram Nath Kovind):

रामनाथ कोविंद बचपन से ही होनहार छात्र थे. कोविंद जी की प्रारंभिक शिक्षा संदलपुर के गांव खानपुर परिषद प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालय से हुई. गरीबी के कारण बचपन में 13 साल की उम्र में कोविंद को पढ़ने के लिए 13 किमी पैदल ही जाना-आना पड़ता था. इसके बाद उन्होंने BNSD College, कानपुर से 12वीं की पढ़ाई पूरी की और बाद में कानपुर विश्वविद्यालय से B.Com की पढ़ाई पूरी की.

राम नाथ कोविंद अनुसूचित जाति के अंतर्गत आते थे और उनके घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, लेकिन फिर भी, परिवार के सदस्यों ने उन्हें कानपुर के D.A-V. College में भर्ती कराया, जहां रामनाथ कोविंद ने काफी मेहनत से वकालत (LLB) की पढ़ाई पूरी की.

कानूनी की पढ़ाई पूरी करने के बाद रामनाथ कोविंद दिल्ली आ गए और यहां IAS की तैयारी करने लगे. कड़ी मेहनत के बाद भी रामनाथ कोविंद लगातार दो बार इस परीक्षा में असफल हुए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अगली बार उन्होंने पूरी तैयारी के साथ आईएएस की प्रवेश परीक्षा (IAS entrance exam) दी और इस बार उन्हें सफलता भी मिली.

रामनाथ कोविंद के करियर की शुरुआत (Career beginning of Ram Nath Kovind)

हालांकि कड़ी मेहनत के बाद भी मनपसंद पद न मिलने के कारण उन्होंने यह काम नहीं किया और दिल्ली हाई कोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस करने लगे. 

वकालत के दौरान उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) में अभ्यास किया. यहां उन्होंने केंद्र सरकार के वकील के रूप में काम किया. दिल्ली उच्च न्यायालय में उनका कार्यकाल 1977 से 1979 तक था. 1980 से 1993 तक उन्होंने केंद्र सरकार की स्थायी परिषद की ओर से सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) में वकालत भी की. इस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई (Morarji Desai) के निजी सहायक भी रहे.

इस बीच, राम नाथ कोविंद ने 30 मई 1974 को सविता कोविंद (Savita Kovind) से शादी कर ली, जो उस समय टेलीफोन विभाग में कार्यरत थीं.

रामनाथ कोविंद के राजनीतिक करियर की शुरुआत (The beginning of the political career of Ram Nath Kovind)

मोरारजी देसाई के निजी सचिव बनने के बाद वे भाजपा नेतृत्व के संपर्क में आए. बाद में, राम नाथ कोविंद ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) की ओर से दो बार चुनाव लड़ा लेकिन दुर्भाग्य से दोनों चुनाव हार गए. 

फिर रामनाथ कोविंद की किस्मत तब खुल गई जब अप्रैल 1994 में, उन्हें उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद (Member of parliament) के रूप में नियुक्त किया गया था. अपनी कुशल कार्यकुशलता के बल पर उन्हें लगातार 2 साल राज्यसभा सांसद का पद मिला. इस तरह राज्यसभा में उनका कार्यकाल 12 साल यानी साल 2006 तक रहा. इस दौरान उन्होंने शिक्षा, कानून व्यवस्था और सामाजिक न्याय जैसे कई मुद्दों पर प्रभावी काम किया.

रामनाथ कोविंद जी का निजी जीवन (Ramnath Kovind ji personal life):

राम नाथ कोविंद का निजी जीवन हमेशा से थोड़ा अलग और उदार रहा है; इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बतौर वकील रहने के दौरान उन्होंने बिना किसी मानदेय के गरीबों और दलितों के लिए कई फ्री केस लड़े हैं. 

इतना ही नहीं, आज भी रामनाथ कोविंद के पास संपत्ति के नाम पर कुछ नहीं है. साथ ही उन्होंने गरीबों की भलाई के लिए अपना घर भी गांव वालों को दान कर दिया, जो अब उस गांव में आने वाले बारातियों के निवास के रूप में उपयोग किया जाता है. 

देश के प्रथम नागरिक रामनाथ कोविंद का परिवार आज भी बेहद सादगी से अपना जीवन व्यतीत कर रहा है. रामनाथ कोविंद के ग्रामीण उनकी दरियादिली के कायल हैं और उनकी काबिलियत पर गर्व भी करते हैं.

रामनाथ कोविंद की सामाजिक गतिविधियां (Ramnath Kovind’s social activities)

  • कोविंद जी ने अपने कॉलेज के दिनों से ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक और महिलाओं के लिए काम करना शुरू कर दिया था. छात्र जीवन से ही उनकी जनसेवा के कारण बहुत से लोगों ने उन्हें बहुत जल्द समझ लिया.
  • उन्होंने 16 वर्षों तक सर्वोच्च न्यायालय और विभिन्न उच्च न्यायालयों में वकालत की. इस अवधि के दौरान उन्होंने समाज के विभिन्न कमजोर वर्गों के लोगों को कानूनी सहायता प्रदान करने में प्रमुख भूमिका निभाई.
  • समाज में शिक्षा के प्रसार के लिए कई बड़े कदम उठाए. अपने 12 वर्षों तक राज्यसभा सांसद के रूप में कार्य करते हुए, उन्होंने पिछले-तबकों वर्गों के बीच शिक्षा के प्रसार पर विशेष जोर दिया.
  • सांसद के रूप में कोविंद जी ने सांसद निधि कोष का पूरी तरह से उपयोग करते हुए उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा से संबंधित विभिन्न बुनियादी व्यवस्था का निर्माण किया.
  • वकालत के दौरान एससी-एसटी जनजाति और महिलाओं के लिए कानूनी रूप से उपलब्ध कई मुफ्त सुविधाएं प्रदान की गईं. उनके प्रयासों से ही दिल्ली में “Free Legal Aid Society” जैसी संस्था अस्तित्व में आ सकी.

रामनाथ कोविंद जी के जीवन के महत्वपूर्ण क्षण (Important moments of Ramnath Kovind’s life):

  • राम नाथ कोविंद भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता, भाजपा के दलित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अखिल भारतीय कोरी समाज के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
  • उन्होंने IIM-कोलकाता में SC/ST वर्ग का प्रतिनिधित्व भी किया है.
  • कानपुर कॉलेज से वकालत की डिग्री पूरी करने के बाद वे UPSC की तैयारी के लिए दिल्ली आ गए. तीसरे प्रयास में उन्हें सफलता मिली. हालांकि, एलाइड सर्विस में चयन के कारण, उन्होंने कानून के क्षेत्र में अपना करियर जारी रखने का फैसला किया.
  • कोविंद पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के निजी सचिव भी रह चुके हैं. भाजपा ने उन्हें अपना राष्ट्रीय प्रवक्ता भी नियुक्त किया था.
  • कोविंद का राजनीति में प्रवेश 1994 में हुआ, जब वे उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने गए. वह 2006 तक दो बार संसद के उच्च सदन के सदस्य रहे.
  • कोविंद जी ने अक्टूबर 2002 में संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया था. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा को भी संबोधित किया था.
  • दलितों के बीच उनकी गहरी पैठ को देखते हुए, श्री राजनाथ सिंह ने वर्ष 2012 के उत्तर प्रदेश चुनाव में उत्तर प्रदेश के दलित क्षेत्रों में चुनाव प्रचार के लिए उनकी मदद ली थी.
  • रामनाथ कोविंद के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण क्षण अगस्त 2015 में आया जब उन्हें बिहार का राज्यपाल घोषित किया गया. 
  • रामनाथ कोविंद डॉ. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के प्रबंधन बोर्ड के सदस्य भी रह चुके हैं.

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