रक्षा बंधन कब से और क्यों मनाया जाता है? Raksha bandhan kyo manaya jata hai?

रक्षाबंधन के बारे में रोचक जानकारी और इतिहास - Interesting information and history about Rakshabandhan

Raksha bandhan kyo manaya jata hai? भारत में हर त्योहार एकजुटता का उत्सव होता है और वे एक बेहतर समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. “रक्षा बंधन” या “राखी (Rakhi)” त्योहार हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार श्रावण (अगस्त) के महीने में आता है.

हमारे जीवन में कई रिश्ते होते हैं, लेकिन भाई-बहन का रिश्ता सबसे अनोखा होता है. रक्षाबंधन एक सनातन भारतीय त्योहार है जिसे भाई-बहन का ही त्योहार माना जाता है. 

रक्षा बंधन का शाब्दिक अर्थ है “सुरक्षा” और “बंधन”. रक्षा बंधन भाई और बहन के बीच अद्वितीय बंधन का त्योहार है. रक्षाबंधन को हिंदू संस्कृति में गुरु-शिष्य परंपरा का प्रतीक भी माना जाता है.

इस दिन सभी भाई अपनी बहनों के लिए खास तोहफे की तलाश में रहते हैं, तो वहीं बहनें भी किसी खूबसूरत राखी की तलाश में रहती हैं और अपने आकर्षक उपहारों का इंतजार करती हैं.

रक्षाबंधन हिंदू पंचाग (Hindu calendar) के श्रावण महीने के अंतिम दिन यानि पूर्णिमा के दिन या पूर्णिमा को मनाया जाता है, इसलिए इसे श्रावणी (सवानी) या सलूनो भी कहा जाता है. 

यह मुख्य रूप से हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार है लेकिन भारत में विभिन्न धर्मों के बीच रक्षा बंधन का वास्तविक महत्व है, जिसके कारण जैन और अधिकांश सिख भी इस त्योहार को मनाते हैं.

 भारत के साथ-साथ नेपाल, पाकिस्तान और मॉरीशस में भी रक्षाबंधन मनाया जाता है.

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रक्षाबंधन का त्योहार कैसे मनाया जाता है? How is the Rakshabandhan festival celebrated?

इस पवित्र दिन की सुबह, घर के सदस्य जल्दी उठकर स्नान करते हैं और नए साफ-सुथरे कपड़े पहनकर शेष दिन की तैयारी के लिए तैयार हो जाते हैं.

अनुष्ठान की शुरुआत घर के मंदिर में दीप जलाने से होती है और रोली, अक्षत, कुमकुम और दीप जलाकर राखी की पूरी थाली सजाकर तैयार की जाती है. इस थाली में रंग-बिरंगी राखियां रखकर उनकी पूजा की जाती है. 

इष्ट देवताओं की आरती हो जाने के बाद, बहनें भाइयों के माथे पर कुमकुम, रोली और अक्षत से तिलक करती हैं फिर राखी की थाली से बहन अपने भाई की दाईं कलाई पर रेशम की डोरी से बनी राखी बांधती है. 

अंत में बहन अपने भाई को अपने हाथों से तरह-तरह की मिठाइयां और मेवा खिलाती है, बदले में भाई भी अपनी बहन को रक्षा का आशीर्वाद एवं आकर्षक उपहार व धन भेंट करता है. बहनें राखी बांधते समय भाई की लम्बी उम्र एवं सुख तथा उन्नति की कामना करती है.

रक्षा बंधन के विभिन्न नाम (Different Names of Raksha Bandhan)

रक्षा बंधन या राखी को भारत में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. भारत के विभिन्न क्षेत्रों और विभिन्न भाषाओं के साथ, लोग राखी के त्योहार को क्षेत्रीय नामों से मनाते हैं. उदाहरण के लिए, उत्तर और पश्चिम भारत में, इस उत्सव को “राखी पूर्णिमा” के रूप में जाना जाता है.

इस बीच, दक्षिण भारत में, इसे अक्सर “अवनि अवित्तम” या “उपकर्मम” कहा जाता है. पश्चिमी घाट के क्षेत्र में, यह त्योहार “नारियाल पूर्णिमा” के रूप में जाना जाता है. महाराष्ट्र में नारियल पूर्णिमा को दर्शाता है.

पूरे मध्य भारत में मुख्य रूप से राखी के खुशी के अवसर को “कजरी पूर्णिमा” के रूप में मनाया जाता है. रक्षा बंधन भारत के पश्चिमी भागों में “पवित्रापन” के नाम से मनाया जाता है. 

उत्तर भारत के क्षेत्रों में, ज्यादातर जम्मू में, जन्माष्टमी और रक्षा बंधन के आस-पास के अवसरों पर पतंग उड़ाना काफी आम है. ओडिशा और पश्चिम बंगाल में, इस शुभ दिन को अक्सर “झूलन पूर्णिमा” भी कहा जाता है.

राखी का त्योहार कैसे आया? How did the festival of Rakhi come about to be?

दिलचस्प बात यह है कि त्योहार के रूप में रक्षा बंधन की परंपरा कैसे शुरू हुई, इसके बारे में कई किंवदंतियां प्रचलित हैं, लेकिन इसका कोई ठोस प्रमाण मौजूद नहीं है और इसका ठीक-ठीक पता लगाना कठिन है.

लेकिन भाई की कलाई पर राखी बांधने की प्रथा बहुत प्राचीन है. कहा जाता है कि रक्षाबंधन का त्योहार सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ा है, वह भी तब जब आर्य समाज में सभ्यता का निर्माण शुरू ही हुआ था.

रक्षाबंधन-महाभारत कथा (Rakshabandhan-Mahabharat Story)

रक्षा बंधन की यह कहानी हिंदू धर्म के सबसे पुराने महाकाव्य महाभारत से जुड़ी है.

महाभारत की कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने युद्ध में दुष्ट राजा शिशुपाल का वध किया था. युद्ध के दौरान कृष्ण के बाएं हाथ की उंगली से खून बह रहा था. यह देखकर द्रौपदी बहुत दुखी हुई और उसने अपनी साड़ी से कपड़े का एक टुकड़ा चीरकर खून बहने से रोकने के लिए उसे श्री कृष्ण की उंगली पर बांध दिया. कपड़े का वह साधारण टुकड़ा तब से एक पवित्र धागा बन गया.

जिस कपड़े से द्रौपदी ने वह पवित्र धागा बांधा था, उसे ध्यान में रखते हुए, श्री कृष्ण ने द्रौपदी को जीवन भर दुनिया की सभी बुराइयों से बचाने का वादा किया था. 

चौसर की बाजी में पांडवों द्वारा द्रौपदी को हारने के बाद, कौरवों द्वारा द्रौपदी को उसके बालों से खींचकर भरे दरबार में घसीटकर लाया गया था.

कौरव इतने पर ही नहीं रुके, उन्होंने द्रौपदी के वस्त्रहरण करने के लिए उसे प्रताड़ित भी किया लेकिन श्री कृष्ण ने द्रौपदी के शरीर को ढकने के लिए कपड़े की आपूर्ति करके उसकी गरिमा को बचाया था.

द्रौपदी द्वारा कृष्ण की घायल उंगली पर कपड़े का एक टुकड़ा बांधना तब से रक्षा बंधन का सबब बन गया. 

एक लड़की अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और बदले में, वह भाई अपनी बहन से उसकी रक्षा करने का वादा करता है जैसे श्री कृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा थी.

भगवान इंद्र और उनकी पत्नी इंद्राणी की कहानी (Story of Lord Indra and his wife Indrani)

सबसे अधिक अनुसरण की जाने वाली कहानियों में से एक भगवान इंद्र और उनकी पत्नी इंद्राणी की है.

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार राक्षसों के खिलाफ भीषण युद्ध में देवताओं का समूह हार के कगार पर था और देवराज इंद्र को राक्षस राजा बलि द्वारा अपमानित किया गया था. आकाश और वर्षा के देवता इंद्र के लिए, यह एक बड़ी मानहानि थी.

परेशान होकर, भगवान इंद्र सलाह के लिए अपने गुरु बृहस्पति की शरण में गए और उनसे अपनी दुविधा व्यक्त की. इस पर गुरु बृहस्पति ने इंद्र को अपनी पत्नी इंद्राणी से उनकी कलाई पर राखी बांधने की सलाह दी.

गुरु आज्ञा के अनुसार, इंद्राणी ने सभी बुराइयों से सुरक्षा के प्रतीक के रूप में भगवान इंद्र की कलाई पर एक पवित्र राखी बांधी और इस तरह रक्षा बंधन की परंपरा शुरू हुई. इस घटना से यह भी पता चलता है कि राखी केवल भाई-बहन के बंधन तक ही सीमित नहीं है.

राखी की रस्म कब से मनाई जा रही है? Since when has Rakhi been celebrated?

राखी के कई ऐतिहासिक संदर्भ हैं और सबसे पुराने संदर्भों में से एक 300 ईसा पूर्व का है जब भारत पर सिकंदर महान (Alexander the Great) द्वारा आक्रमण किया गया था. 

ऐसा कहा जाता है कि राजा पुरु (पोरस) सिकंदर के आक्रमण को लेकर बहुत क्रोधित थे और उसे हर हाल में भारत से खदेड़ देना चाहते थे.

इधर सिकंदर भी, जो हमेशा विजयी रहता था, भारतीय राजा पुरु के क्रोध से बहुत विचलित हो गया था. इससे सिकंदर की पत्नी काफी तनाव में आ गई थी.

सिकंदर की पत्नी रोक्साना ने रक्षाबंधन के त्योहार के बारे में सुना था और इसलिए, राजा पुरु को राखी के रूप में एक पवित्र धागा भेजा , जिससे उनसे युद्ध में अपने पति सिकंदर को चोट न पहुंचाने का अनुरोध किया था.

बदले में पुरु ने भी अपने धर्म का पालन करते हुए रोक्साना के याचना का मान रखा और युद्ध के दौरान भी अपनी कलाई पर बंधी राखी के कारण सिकंदर पर एक खरोच भी नहीं आने दी.

रानी कर्णावती और सम्राट हुमांयू की कहानी (Story of Queen Karnavati and Emperor Humayun)

रक्षाबंधन की शुरुआत का एक प्रमाण रानी कर्णावती और सम्राट हुमांयू के सन्दर्भ में भी मिलता है.

मध्यकाल में भारत में राजपूतों और मुसलमानों के बीच संघर्ष चल रहा था. रानी कर्णावती चित्तौड़ के राजा की विधवा थीं. उस दौरान, यह देखते हुए कि गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी और अपनी प्रजा की रक्षा करने का कोई रास्ता नहीं था, रानी ने मुस्लिम शासक हुमांयू के पास राखी भेजी. तब हुमांयू ने रानी कर्णावती और उनके राज्य की रक्षा करते हुए रानी कर्णावती को बहन का दर्जा दिया था.

रक्षा बंधन का महत्व (Importance of Raksha Bandhan)

इस दिन के शुभ अवसर पर बहनें बिना किसी शर्त के विश्वास को दर्शाते हुए अपने भाइयों की कलाई पर धागा या राखी बांधती हैं. बहनें अपने भाइयों के माथे पर “तिलक” लगाती हैं और अपने प्यारे भाई की लंबी उम्र की प्रार्थना भी करती हैं.

भाई अपनी बहनों को खुश रखने और उनकी रक्षा करने का वादा करने के अलावा अपनी बहनों को उपहार और मिठाई भी देते हैं. इस मौके पर घर में मीठे व्यंजन बनाए जाते हैं और परिवार के सभी सदस्य नए कपड़े पहनकर इस त्योहार को मनाते हैं.

रक्षा बंधन के बारे में रोचक तथ्य – Raksha Bandhan Facts In Hindi

# परंपरागत रूप से राखी हमेशा दाहिनी कलाई पर बांधी जाती है.

# अमरनाथ की धार्मिक यात्रा “गुरु पूर्णिमा” से शुरू होकर रक्षा बंधन के दिन समाप्त होती है.

# भारत के साथ-साथ रक्षाबंधन का त्योहार नेपाल, पाकिस्तान और मॉरीशस में भी मनाया जाता है.

# राखी प्रेम और प्रतिबद्धता का त्योहार है, इसलिए इसका उपयोग भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जन जागरूकता के लिए किया गया था, जिसका नेतृत्व गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) ने किया था.

# रक्षाबंधन के दिन मराठी बांधव लोग नदी या समुद्र के किनारे जाकर अपना जनेऊ बदलते हैं और समुद्र की पूजा करते हैं.

# रक्षाबंधन के दिन बच्चे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की कलाइयों पर राखी बांधते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

राखी या रक्षा बंधन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ about Rakhi or Raksha Bandhan)

राखी या रक्षाबंधन का त्योहार कब मनाया जाता है?

रक्षा बंधन हर साल हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार “शारवा पूर्णिमा” के अवसर पर मनाया जाता है जो आमतौर पर अगस्त के महीने में पूर्णिमा के दिन पड़ता है.

रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है?

भाई-बहन का शाश्वत प्रेम इस पर्व का सार है. भाई और बहन का रिश्ता संसार में सबसे अनोखा होता है. भाई-बहन जन्म से आपस में सबसे अच्छे दोस्त होते हैं, और जरूरत के समय में वे एकदूसरे के सबसे अच्छे सलाहकार भी होते हैं.

“रक्षा बंधन” के रूप में लोकप्रिय इस त्योहार में “रक्षा” शब्द का अर्थ है सुरक्षा और “बंधन” शब्द का अर्थ प्राण-प्रतिष्ठा पूर्वक बाध्य है.

इस मौके पर एक बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है. यह राखी एक पवित्र धागा होता है और यह बहन का भाई के प्रति समृद्धि और खुशी की कामना का प्रतीक होता है.

रक्षा बंधन का त्योहार भाई-बहन के बीच के कड़वे-मीठे रिश्ते को दर्शाता है. सुरक्षा और प्रेम इस त्योहार का मुख्य लक्ष होता हैं. हम रक्षा बंधन को उसी बंधन का सम्मान करने के लिए मनाते हैं जो एक भाई और एक बहन उनके बीच साझा करते हैं.

आधुनिक युग में राखी की प्रथा को कैसे बढ़ावा दिया गया? How was the practice of Rakhi promoted in the modern era?

आधुनिक युग में उस समय जब भारत पर ब्रिटिश साम्राज्य का शासन था राखी को रवींद्रनाथ टैगोर ने भारतीय समुदायों के बीच शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए प्रचारित किया था.

उनके लिए, यह त्यौहार भाई-बहनों के बीच प्यार के प्रतीक से कहीं अधिक था तथा यह मानवता, जिम्मेदारी और देशवासियों के भलाई का उत्सव था.

1905 में, जब ब्रिटिश साम्राज्य ने जाति और धर्म के आधार पर बंगाल राज्य को विभाजित करने का फैसला किया, तो टैगोर ने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच के बंधन को मजबूत करने और उन्हें एकजुट होने और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए राखी के उत्सव को बढ़ावा दिया.

उनके अनुसार, रक्षा बंधन का सार रक्त संबंधों से परे था और जाति और धर्म की अवधारणाओं को छोड़कर सभी की एकजुटता महत्वपूर्ण थी.

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