History, Information & Facts About Qutub Minar In Hindi – 12वीं और 13वीं शताब्दी में निर्मित क़ुतुब मीनार भारत के दिल्ली शहर में स्थित, ईंट से बनी विश्व की सबसे ऊंची मीनार है और यह दिल्ली का एक प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण (Tourist attraction) भी है.
यह मुगल वास्तुकला का अद्भुत नमूना है, जो भारत की सबसे भव्य और प्रसिद्ध ऐतिहासिक इमारतों और प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है.
कुतुब मीनार 72.5 मीटर ऊंची एक विशाल मीनार है जिसे गुलाम वंश के मुस्लिम शासक कुतुब-उद-दीन ऐबक (Qutb-ud-din Aibak) ने 1193 में बनवाया था.
कुतुब मीनार इस्लामी शासन (Islamic rule) को दर्शाने वाला 12वीं और 13वीं शताब्दी का स्मारक है और इसे UNESCO की विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Site) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है.
कुतुब मीनार का इतिहास – Qutub Minar History In Hindi
दिल्ली के अंतिम हिंदू शासक की हार के बाद दिल्ली में मुस्लिम प्रभुत्व का जश्न मनाने के लिए इस मीनार का निर्माण किया गया था.
यह वर्तमान में दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची मीनार है, जिसका निर्माण 12वीं और 13वीं सदी के बीच कई अलग-अलग शासकों द्वारा किया गया था.
यह मीनार भारत की सबसे ऊंची मीनार है, जिसमें पांच मंजिलें और प्रक्षेपित छज्जे (Balcony) हैं.
कुतुब मीनार का निर्माण कब और किसने किया? Qutub Minar Kisne Banaya Aur Kab Banaya?
कुतुब मीनार बनाने का संकल्प वास्तव में दिल्ली के पहले मुस्लिम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक (Qutubuddin Aibak) द्वारा लिया गया था, जो अफगानिस्तान में स्थित “मीनार-ए-जाम (Minaret of Jam)” से प्रेरित था.
इतना ही नहीं कुतुबुद्दीन ने ऐसी भव्य-दिव्य मीनार बनाने की कल्पना की थी जो दुनिया की सबसे ऊंची मीनार होगी, जिसका निर्माण कार्य साल 1193 में शुरू किया गया था.
कुतुबुद्दीन ने अपने शासनकाल में कुतुब मीनार का निर्माण कार्य तो शुरू कर दिया था, लेकिन वह इस इमारत का केवल आधार (नींव) ही बनवा पाया था और मीनार के पूरी तरह बनने से पहले ही उसकी मृत्यु हो गई थी.
कुतुबुद्दीन ऐबक ने मीनार की नींव रखी और इसकी पहली मंजिल बनाई गई थी जिसका उपयोग नमाज़ अदा करने की पुकार लगाने के लिए किया जाता था.
कुतुबुद्दीन ऐबक के शासनकाल में इस भव्य ईमारत का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका था, जिसके बाद दिल्ली के सुल्तान और कुतुब-उद-दीन ऐबक के उत्तराधिकारी और पोते शम्स उद-दीन इल्तुतमिश (Shams ud-Din Iltutmish) ने इस अधूरे काम को पूरा करने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली थी.
शम्स उद-दीन इल्तुतमिश ने 1220 में इस मीनार इसमें तीन और मंजिलें जोड़ीं और फिर 1368 में फिरोज शाह तुगलक (Firoz Shah Tughlaq) ने पांचवीं और अंतिम मंजिल का निर्माण करवाया.
वहीं कुतुब मीनार की इमारत 1508 ई. में आए एक भीषण भूकंप से क्षतिग्रस्त हो गई थी, जिसके बाद इस मीनार की देखरेख और मरम्मत लोदी वंश के दूसरे शासक सिकंदर लोदी (Sikandar Lodi) ने की थी.
1 अगस्त 1903 को एक और भूकंप आया और कुतुब मीनार को फिर से क्षतिग्रस्त कर दिया, लेकिन तब ब्रिटिश भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट स्मिथ (Major Robert Smith) ने 1928 में इसकी मरम्मत की और कुतुब मीनार के सबसे ऊपरी भाग पर एक गुंबद भी बनवाया था.
लेकिन बाद में पाकिस्तान के गवर्नर जनरल लॉर्ड हार्डिंग (Lord Hardinge) के कहने पर इस गुंबद को हटाकर कुतुबमीनार के पूर्व में लगा दिया गया.
कहा जाता है कि कुतुबमीनार के स्थापत्य का निर्माण भारत में तुर्की के आने से पहले से ही किया गया था. लेकिन कुतुबमीनार के संबंध में इतिहास में कोई ठोस दस्तावेज नहीं मिलता है. लेकिन कथित तथ्यों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि इसे राजपूत मीनारों से प्रेरित होकर बनाया गया था.
इस तरह इस ऐतिहासिक मीनार को “कुतुब मीनार” का नाम दिया गया था – Qutub Minar Information in Hindi
How was the Qutub Minar named? क्योंकि कुतुब मीनार के बारे में कोई ठोस दस्तावेज उपलब्ध नहीं है, इस वजह से कुतुब मीनार के नाम को लेकर इतिहासकारों की अलग-अलग राय है.
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि “कुतुब मीनार” का नाम गुलाम वंश के शासक और दिल्ली सल्तनत के पहले मुस्लिम शासक “कुतुब-उद-दीन ऐबक” के नाम पर रखा गया है.
कुतुब एक अरबी शब्द है जिसका अरबी में अर्थ “न्याय का ध्रुव (Pole of justice)” होता है.
जबकि कुछ इतिहासकारों का कहना है कि बगदाद के एक सूफी संत “कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी (Qutbuddin Bakhtiar Kaki)” के नाम पर इस मीनार का नाम कुतुब मीनार रखा गया था.
कुतुब मीनार की अद्भुत वास्तुकला और शानदार संरचना – Qutub Minar Architecture In Hindi
Qutub Minar informatin history in Hindi – 12वीं-13वीं सदी के मध्य में बनी मुगल वास्तुकला की इस बेहतरीन ऐतिहासिक मीनार को दिल्ली सल्तनत के कई शासकों ने अलग-अलग समय पर बनवाया है.
आपको बता दें कि इस अद्भुत कुतुब मीनार के निर्माण में मुगल स्थापत्य शैली का प्रयोग किया गया है. कुतुब मीनार को भारत का पहला इस्लामिक स्मारक माना जाता है और इस मीनार को अरबी शिलालेखों से सजाया गया है.
मध्यकालीन भारत में बनी इस इमारत को मुगल काल की स्थापत्य कला की सबसे बेहतरीन इमारत भी माना जाता है, क्योंकि वास्तुकारों और शिल्पकारों ने छोटी-छोटी बारीकियों को ध्यान में रखते हुए इस मीनार को बहुत ही खूबसूरती से तराशा है.
दिल्ली में मुगल काल के दौरान बनी कुतुब मीनार एक बहुमंजिला इमारत है, जिसमें 5 अलग-अलग मंजिलें हैं. इस भव्य मीनार की कुल ऊंचाई 72.5 मीटर (238 फ़ीट) है, जिसके अंदर लगभग 379 गोलाकार सीढ़ियां हैं, जो ऊपर तक जाती हैं.
इस मीनार की खास बात यह है कि कुतुबमीनार की मंजिलों को अलग-अलग शासकों ने अलग-अलग समय पर बनवाया है, जिनमें हर मंजिल के सामने एक बालकनी भी बनी हुई है.
1193 ईस्वी में दिल्ली के सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक ने इस भव्य मीनार की नींव और पहली मंजिल का निर्माण किया, जबकि अन्य मंजिलों का निर्माण इल्तुतमिश और फिरोज शाह तुगलक द्वारा किया गया था, जबकि इस मीनार का पुनर्निर्माण लोदी वंश के सिकंदर लोदी के शासक द्वारा किया गया था.
आपको बता दें कि कुतुब मीनार की पहली तीन मंजिलों का निर्माण केवल लाल बलुआ पत्थर (Red sandstone) से किया गया था, जबकि इसकी चौथी और पांचवीं मंजिल का निर्माण संगमरमर (Marble) और लाल बलुआ पत्थर से किया गया है.
कुतुब मीनार की नींव का व्यास 14.32 मीटर और शिखर का व्यास 2.75 मीटर है. करीब 73 मीटर ऊंची कुतुबमीनार की हर मंजिल के निर्माण पर विशेष ध्यान दिया गया है.
मीनार की दीवारों पर पवित्र कुरान की आयतें, कुछ बारीक नक्काशियां और फूलों-बेलों की आकृतियां उकेरी गई हैं.
मीनार की हर मंजिल पर बहुत ही शानदार शिल्प कौशल किया गया है, जिसकी खूबसूरती देखते ही बनती है, जबकि भारत के इस सबसे ऊंचे मीनार (Tower) की आखिरी मंजिल से पूरे दिल्ली शहर का शानदार और अद्भुत नजारा दिखाई देता है.
मीनार की सभी मंजिलों में उभरी हुई बालकनियां हैं जो मीनार को चारों ओर से घेरती हैं तथा इन्हें पत्थर के ब्रैकेट द्वारा सहारा दिया गया हैं, जिनमें मधुमक्खी के छत्ते जैसी सजावट है और यह सजावट पहली मंजिल पर अधिक स्पष्ट दिखाई देती है.
दिल्ली स्थित इस मीनार के चारों ओर प्रांगण में भारतीय कला के कई अन्य बेहतरीन ऐतिहासिक स्मारक भी स्थित हैं, जिनमें से कुछ इसके निर्माण काल के दौरान के हैं, जो इस ऐतिहासिक मीनार के आकर्षण को दोगुना करते हैं.
इस परिसर में अन्य महत्वपूर्ण स्मारक भी मौजूद हैं जैसे 1310 में निर्मित एक प्रवेशमार्ग अलाई दरवाजा, कुवत-उल-इस्लाम मस्जिद, अल्तमिश, अलाउद्दीन खिलजी और इमाम जामीन के मकबरे, अलाई मीनार, आदि.
इस परिसर में 7.2 मीटर ऊंचा एक लोहे का स्तंभ (Iron Pillar) भी स्थित है. इस स्तंभ को गुप्त वंश के सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय (Chandragupta II) ने चौथी शताब्दी में बनवाया था.
इस स्तंभ के शिखर पर हिंदू देवता गरुड़ की मूर्ति बनाई गई है. इस स्तंभ का लगभग 98% हिस्सा लोहे से बना है, फिर भी यह पिछले 2000 वर्षों से बिना जंग खाए मजबूती से खड़ा है.
यह स्तंभ पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है. ऐसा माना जाता है कि जो कोई भी अपने दोनों हाथों से इस स्तंभ को अपने हाथों के पिछले हिस्से से छू सकता है, उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है.
कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद (Quwwat-ul-Islam Mosque) मीनार के उत्तर-पूर्व में स्थित है, जिसे कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1192 ई. के दौरान 27 हिन्दू मंदिरों को तोड़कर इसके अवशेषों से बनवाया था. यह दिल्ली के सुल्तानों द्वारा निर्मित सबसे पुरानी ध्वस्त मस्जिद है.
इसमें नक्काशीदार स्तंभों पर उभरे हुए आकार से घिरा एक आयताकार प्रांगण है और यह कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा नष्ट किए गए 27 हिंदू और जैन मंदिरों का एक वास्तुशिल्प नमूना है, जिसका विवरण मुख्य पूर्वी प्रवेश द्वार पर उत्कीर्ण एक शिलालेख में पाया जाता है.
बाद में, एक बड़ा अर्ध-गोलाकार आवरण खड़ा किया गया था और मस्जिद का विस्तार किया गया था. यह पुननिर्माण शम्सुद्दीन इल्तुतमिश और अलाउद्दीन खिलजी ने किया था.
देश की सबसे ऊंची मीनार को पहले मस्जिद की मीनार के रूप में इस्तेमाल किया जाता था और वहीं से अजान दी जाती थी, हालांकि बाद में यह एक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध हो गई.
कुतुब मीनार पर हर शाम 6:30 से 8 बजे तक सजावटी Light Show होता है और साथ ही अक्टूबर / नवंबर में कुतुब मीनार महोत्सव (Qutub Minar Festival) भी मनाया जाता है.
कुतुब मीनार से जुड़ी किंवदंतियां – Stories related to Qutub Minar
Who built qutub minar and why – दक्षिण दिल्ली का महरौली क्षेत्र जहां कुतुब मीनार स्थित है, कभी एक सुंदर और समृद्ध राजधानी शहर हुआ करता था. नई दिल्ली बनने तक इसे अक्सर पुरानी दिल्ली (Old Delhi) कहा जाता था.
महरौली शब्द संस्कृत के “मिहिर-अवेली” शब्द से बना है. राजा विक्रमादित्य (King Vikramaditya) के दरबार के एक महान खगोलशास्त्री (Astronomer) “मिहिर (Mihir)” के नाम पर शहर का नाम महरौली (Mehraul) रखा गया था.
ऐसा माना जाता है कि कुतुब मीनार का मूल नाम विष्णु स्तंभ (Vishnu Pillar) था जिसे राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक वराहमिहिर (Varahamihira) ने बनवाया था. उस समय विष्णु स्तंभ का उपयोग खगोलीय गणना और अध्ययन के लिए किया जाता था.
वराहमिहिर का मूल नाम मिहिर था जो एक प्रसिद्ध खगोलशास्त्री थे जिन्हें सर्वोच्च राजकीय सम्मान “वराह” से सम्मानित किया गया था.
दिल्ली के अंतिम हिंदू शासक की हार के बाद जब मुस्लिम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक का शासन आया, तो उसने विष्णु स्तंभ को तोड़ दिया और वहां मुस्लिम धर्म के प्रचार के लिए कुतुब मीनार की स्थापना की.
कुतुब मीनार के बारे में रोचक तथ्य हिंदी में – Qutub Minar facts in Hindi
#1. कुतुब मीनार का निर्माण 12वीं-13वीं शताब्दी में कुतुबुद्दीन ऐबक और उसके उत्तराधिकारियों द्वारा राजपूतों पर जीत के बाद एक जश्न मनाने के लिए किया गया था.
#2. एक और तथ्य यह भी बताया जाता है की कुतुबुद्दीन ऐबक ने इस्लाम के प्रचार-प्रसार के लिए यहां स्थित वेधशाला को तोड़कर कुतुब मीनार का निर्माण करवाया था.
#3. कुतुब मीनार दुनिया की सबसे ऊंची मीनार होने के साथ-साथ ईंटों से बनी दुनिया की सबसे ऊंची मीनार भी है.
#4. कहा जाता है कि मूल रूप से कुतुब मीनार सात मंजिल की थी लेकिन अब यह पांच मंजिला रह गई है.
#5. कुवत-उल-इस्लाम नामक मीनार के परिसर में बनी एक मस्जिद जो भारत में बनी पहली मस्जिद है.
#6. ऐसा माना जाता है कि क़ुतुब मीनार का इस्तेमाल पास की मस्जिद की मीनार के रूप में किया जाता था और यहीं से अज़ान दी जाती थी.
#7. कुतुब मीनार परिसर में स्थित चौथी शताब्दी में बना लौहस्तंभ (Iron pillar) में लगभग 2000 साल बाद भी जंग नहीं लगा है.
#8. कुतुब मीनार लाल और बफ बलुआ पत्थर से बनी भारत की सबसे ऊंची मीनार है.
#9. कुतुब मीनार भारत की सबसे ऊंची इमारत है, लेकिन यह बिल्कुल सीधी नहीं बल्कि थोड़ी झुकी हुई है, इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि इस इमारत की मरम्मत का काम कई बार किया जा चुका है.
#10. कुतुब मीनार का मूल नाम “विष्णु स्तंभ” बताया जाता है, इसे सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के शासनकाल में बनाया गया था.
#11. यह मीनार निश्चित रूप से भारत की संपत्ति में से एक है, यह न केवल 16वीं शताब्दी के भूकंप के नुकसान से बची है, बल्कि 14वीं शताब्दी में दो बार बिजली गिरने से भी बची है.
#12. 19वीं शताब्दी में मीनार को आकर्षक बनाने के लिए एक गुंबद जोड़ा गया था, लेकिन यह आकर्षक नहीं लगा और फिर हटा दिया गया.
#13. कुतुब मीनार एशिया की सबसे ऊंची मीनार (Tallest tower in Asia) है.
#14. वर्ष 1983 में कुतुब मीनार को UNESCO द्वारा “विश्व विरासत स्थल” का दर्जा दिया गया.
#15. एक सर्वेक्षण के अनुसार, कुतुब मीनार अपने आधार केंद्र के सापेक्ष प्रति वर्ष 3.5 सेकंड के वार्षिक परिवर्तन की औसत दर से झुक रही है.
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