Pongal Par Nibandh Hindi Mein – हमारा भारत देश छोटे-बड़े और तरह-तरह के त्योहारों से समृद्ध देश है. इस देश में कई तरह के धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव मनाए जाते हैं, पोंगल का त्योहार (Pongal festival) भी उनमें से एक है.
इस लेख में हम पोंगल पर निबंध (Pongal par nibandh) साझा कर रहे हैं, जो हर साल जनवरी के मध्य में भारत के दक्षिणी भाग में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है.
पोंगल पर्व पर निबंध (Pongal essay in hindi) में पोंगल पर्व से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी आपके साथ साझा की गई है.
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पोंगल पर निबंध – Pongal Essay In Hindi
हमारा भारत देश छोटे-बड़े और विवध प्रकार के त्योहारों से समृद्ध देश है. इस देश में कई तरह के धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव मनाए जाते हैं, पोंगल का त्योहार (Pongal festival) भी उनमें से एक है, जिसे भारत के दक्षिणी भाग (South India) में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है.
दरअसल पोंगल तमिलनाडु का एक प्रसिद्ध त्योहार है जिसे राज्य स्तर पर बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है. यह त्योहार तमिल सौर कैलेंडर के अनुसार थाई महीने की शुरुआत में 14 जनवरी या 15 जनवरी को मनाया जाता है.
पोंगल शब्द तमिल भाषा का शब्द है जिसका हिन्दी में अर्थ उबालना होता है. इस दिन पोंगल नामक खीर बनाने के लिए गुड़ और चावल उबाले जाते हैं, जिसे प्रसाद के रूप में भगवान सूर्य को अर्पित किया जाता है.
पोंगल क्यों मनाया जाता है? Why is Pongal celebrated?
यह मूल रूप से सूर्य देव, सूर्य को समर्पित एक फसल उत्सव (Harvest festival) है, और मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के साथ मेल खाता है. चावल, गन्ना, हल्दी, आदि फसलों की कटाई के बाद फसल के लिए धन्यवाद देने के लिए पोंगल त्योहार चार दिनों तक मनाया जाता है.
यह त्यौहार फसल कटाई के अवसर पर मनाया जाता है. बारिश के लिए धन्यवाद देने के लिए किसान भगवान इंद्र की पूजा करते हैं और इस त्योहार को धूमधाम से मनाते हैं.
इस पर्व में भगवान इंद्रदेव के साथ-साथ सूर्य देव और बैल की भी पूजा की जाती है. एक ही पर्व में अनेक पूजाएं होती हैं, इसीलिए इस पर्व को पोंगल कहा जाता है.
कैसे मनाया जाता है पोंगल का त्योहार? Pongal festival celebration in Hindi
परंपरागत रूप से, यह समृद्धि को समर्पित त्योहार है, जिसमें समृद्धि लाने के लिए तमिलनाडु के किसान और अन्य लोगों द्वारा इस दिन सूर्य, पृथ्वी, बारिश, धूप, खेत के मवेशियों और कृषि उपकरण आदि की पूजा की जाती है, उन्हें धन्यवाद देते हैं और इस त्योहार को बड़े ही धूमधाम मनाते हैं.
इस पर्व का इतिहास कम से कम 1000 साल पुराना बताया जाता है. यह पर्व धन, समृद्धि, ऐश्वर्य, धूप, वर्षा आदि का प्रतीक माना जाता है.
पोंगल आने से पहले ही लोग अपने घरों, गौशालाओं, दुकानों और दफ्तरों आदि की साफ-सफाई करना शुरू कर देते हैं, जैसे हम दिवाली में करते हैं. महिलाएं घर को सजाती हैं. उत्सव के लिए परिवार के सदस्यों के लिए नए कपड़े खरीदे जाते हैं. बाजार साजो-सामान से भर जाते है और बहुत चहल-पहल होती है.
जैसा कि हमने अभी जाना कि पोंगल का यह त्यौहार 4 दिनों तक मनाया जाता है, इसके चार दिनों का विवरण इस प्रकार है:
पोंगल का पहला दिन:- इस त्योहार के पहले दिन को भोगी पोंगल (Bhogi Pongal) कहा जाता है. पहले दिन भगवान इंद्र (Lord Indra) की पूजा की जाती है, क्योंकि इंद्रदेव को बारिश का देवता माना जाता है. अच्छी फसल के लिए अच्छी बारिश होना बहुत जरूरी है, इसीलिए इंद्र देव की पूजा की जाती है.
इसे भोगी पोंगल इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि देवराज इंद्र को भोग-विलास में लिप्त रहनेवाले देवता माना जाता है. भोगी पोंगल तमिल नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक भी है.
भोगी पोंगल की शाम को लोग अपने घरों से पुराने कपड़े, कूड़ा करकट, अनावश्यक चीजें आदि लाते हैं और उन्हें एक जगह इकट्ठा करके जला देते हैं. यह भगवान के प्रति सम्मान और बुराइयों के अंत की भावना को दर्शाता है.
युवा इस आग के चारों ओर रात भर भोगी कोट्टम बजाते हुए लोक गीत गाते हैं. “भोगी कोट्टम” भैंस के सींग से बना एक प्रकार का वाद्य यंत्र है.
पोंगल का दूसरा दिन:- त्योहार के दूसरे दिन को थाई पोंगल (Thai Pongal) या सूर्य पोंगल (Surya Pongal) के नाम से भी कहा जाता है. पोंगल के दूसरे दिन भगवान सूर्य (Lord Surya) की पूजा की जाती है.
इस दिन मिट्टी के नए बर्तन में पोंगल नाम की एक विशेष प्रकार की खीर बनाई जाती है, जो नए धान से तैयार, चावल, मूंग की दाल और गुड़ से बनाई जाती है.
पोंगल की तैयारी के बाद सूर्य भगवान की विशेष पूजा की जाती है और यह पोंगल (खीर) और गन्ना उन्हें प्रसाद के रूप में अर्पित किया जाता है और फसल देने के लिए आभार व्यक्त किया जाता है. इसके बाद प्रसाद परिवार के सभी सदस्यों और रिश्तेदारों में बांटा जाता है.
पोंगल का तीसरा दिन:- त्योहार के तीसरे दिन को मट्टू पोंगल (Mattu Pongal) कहा जाता है. इस दिन किसान अपने बैलों को नहलाते हैं, उनके सींगों में तेल लगाते हैं और उन्हें अन्य प्रकार से सजाते हैं.
तीसरे दिन बैल की पूजा की जाती है क्योंकि भारतीय किसान के लिए बैल का बहुत महत्व होता है. सदियों से भारतीय किसानों के लिए बैल खेती में बहुत मददगार रहे हैं. इस दिन बैल के साथ गाय और बछड़े की भी पूजा की जाती है.
कहीं-कहीं लोग इसे कानु पोंगल (Kanu Pongal) के नाम से भी मनाते हैं, जिसमें बहनें अपने भाइयों की समृद्धि के लिए पूजा करती हैं और भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं.
पोंगल का चौथा दिन:- त्योहार के चौथे दिन को तिरुवल्लुवर पोंगल (Tiruvallur Pongal) या कन्नन पोंगल (Kannan Pongal) के नाम से भी जाना जाता है.
इस दिन घर की सफाई और सजावट की जाती है और दरवाजे पर आम के पत्तों और नारियल के पत्तों से तोरण बनाया जाता है.
इस दिन महिलाएं सुबह स्नान कर अपने इष्ट देवी-देवताओं की पूजा करती हैं, नए कपड़े पहनकर घर के मुख्य द्वार पर कोलम यानि रंगोली बनाती हैं. महिलाएं इस दिन सबके घरों में मिठाइयां बांटती हैं और पर्व की शुभकामनाएं देती हैं.
पोंगल मनाने के पीछे की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान शंकर (Lord Shankar) ने अपने मट्टु नामक बैल को पृथ्वी पर जाने का आदेश दिया और पृथ्वीवासियों के लिए यह संदेश दिया कि वे प्रतिदिन तेल स्नान करें और महीने में एक बार ही भोजन करें.
लेकिन बैल ने भ्रमित होकर पृथ्वीवासियों को भगवान शंकर के उपदेश के विपरीत आचरण करने को कहा. जिससे पृथ्वी के लोग महीने में 1 दिन तेल से स्नान करते हैं और नित्य भोजन करते हैं. इसलिए भगवान शंकर ने क्रोधित होकर बैल को श्राप दे दिया.
बैल को हमेशा के लिए पृथ्वी पर रहने का श्राप दिया गया था और यह भी कहा गया था कि वह पृथ्वी पर रहने वाले लोगों को फसल और खाद्यान्न पैदा करने में मदद करेगा. तभी से खेती में किसान के लिए बैल सबसे आवश्यक हो गया, जिसे किसान अपना सच्चा मित्र और परिवार का सदस्य मानता है.
निष्कर्ष
फसल उत्सव के रूप में मनाया जाने वाला पोंगल तमिलनाडु का सबसे प्रसिद्ध त्योहार है. इसलिए वे इस त्योहार को बहुत ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाते हैं. भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में रहने वाले भारतीय मूल के लोग भी इस त्योहार को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं.
पोंगल पर 10 पंक्तियां हिंदी में (10 Lines on Pongal in Hindi)
- पोंगल तमिलनाडु राज्य का एक बहुत ही खास प्राचीन सांस्कृतिक त्योहार है.
- यह त्योहार हर साल जनवरी के मध्य में फसल कटने की खुशी में मनाया जाता है.
- पोंगल मुख्य रूप से किसानों का फसल उत्सव है और चार दिनों तक मनाया जाता है.
- यह चार दिवसीय उत्सव कृषि से संबंधित सभी देवताओं को समर्पित है.
- इस दौरान किसान मुख्य रूप से फसल और जीवन में रोशनी भरने के लिए सूर्य देव का आभार व्यक्त करते हैं.
- इस पर्व में मुख्य रूप से गुड़ और चावल उबालकर बनाई गई पोंगल नामक खीर का प्रसाद के रूप में सूर्य देव को भोग लगाया जाता है.
- पोंगल शब्द की उत्पत्ति तमिल भाषा से हुई है जिसका अर्थ उबालना होता है.
- इस त्योहार के अवसर पर तमिलनाडु के सभी सरकारी संस्थानों और स्कूलों में अवकाश रहता है.
- सभी इस दिन भाईचारा दिखाते हैं और एक-दूसरे को साल की शुभकामनाएं देते हैं.
- इस पर्व का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है और पोंगल पर्व से कुछ पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हुई हैं.
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