पंचतंत्र की कहानियों का पूरा संग्रह (Panchatantra Stories in Hindi)

पंचतंत्र की कहानियों का पूरा संग्रह (All stories of panchatantra in Hindi)

पंचतंत्र की कहानियों का पूरा संग्रह (All stories of Panchatantra in Hindi)

पंचतंत्र साहित्य यानि पंचतंत्र की कहानियां (Panchatantra Stories in Hindi) न केवल भारत में बल्कि विश्व के साहित्य में भी अपना विशेष स्थान रखती है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इसके इतना प्रसिद्ध होने का कारण मनोरंजन, सफलता, रोचकता, मनोविज्ञान और राजनीति विज्ञान का संगम है।

यही कारण है कि पंचतंत्र को हर वर्ग के लोग पसंद करते हैं, चाहे बच्चे हों, बूढ़े हों, जवान हों, दार्शनिक हों या नेता।

पंचतंत्र क्या है? Panchatantra Kya Hai

पंचतंत्र संस्कृत साहित्य में रचित भारतीय पशु दंतकथाओं (Animal fables) का संग्रह है। पंचतंत्र (Panchatantra ki kathaye) के मूल संस्करण में कुल 87 कहानियों के साथ पांच पुस्तकें या खंड है जिन्हें “तंत्र” संबोधित किया गया हैं, जो प्राचीन भारतीय दंतकथाओं का एक संग्रह है। 

माना जाता है कि पंचतंत्र (Panchatantra stories in Hindi) तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व और 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व के बीच लिखा गया था।

हांलाकि, समय के साथ, पंचतंत्र (Story of panchatantra in Hindi) के कई परिवर्तन और रूपांतर बनाए गए हैं, और संस्करण और भाषा के आधार पर कहानियों की संख्या भिन्न हो सकती है। कुछ खंडों में 100 से अधिक कहानियां मिल सकती हैं, जबकि अन्य में 80 से कम कहानियां मिल सकती हैं।

लेकिन आम तौर पर, इस रचना के पांच मुख्य खंड हैं (इसलिए इस रचना को पंचतंत्र कहा गया है जिसका अर्थ है “पांच सिद्धांत” या “पांच ग्रंथ”), प्रत्येक खंड में कहानियों का एक समूह होता है:

  1. मित्र-भेद (Mitra-bheda – मित्रों में मनमुटाव व अलगाव)
  2. मित्र-सम्प्रति (Mitra-samprāpti – मित्र प्राप्ति और उसके लाभ)
  3. काकुलुकीयम् (Kākolūkīyam – कौवे और उल्लुओं की कथा)
  4. लब्धप्रणाशः (Labdhapranash – हाथ लगी चीज (लब्ध) का हाथ से निकल जाना)
  5. अप्रीक्षितकारकं (Aparīkṣitakārakaṃ – जो परीक्षण नहीं किया गया है उसे करने से पहले सावधान रहें; उतावलेपन से काम न लें)

प्रत्येक खंड संस्करण के आधार पर लगभग 20 से 50 तक की कई कहानियों को सूचीबद्ध करता है। इस प्रकार कुल मिलाकर, पंचतंत्र (Tales of panchatantra in Hindi) में 100 से अधिक कहानियां हो सकती हैं।

पंचतंत्र (Story of panchatantra in Hindi with moral) की कहानियां संस्कृत भाषा में पंडित विष्णु शर्मा (Pandit Vishnu Sharma) द्वारा लिखी गई हैं और व्यापक रूप से भारतीय साहित्य की सबसे पुरानी और सबसे प्रभावशाली रचनाओं में से एक मानी जाती हैं।

संस्कृत लोकोक्तियों में पंचतंत्र का प्रथम स्थान है। पंचतंत्र पशु पात्रों की अपनी कहानियों के लिए प्रसिद्ध है, और प्रत्येक कहानी एक नैतिक पाठ पढ़ाने या जीवन की चुनौतियों के माध्यम से सीखने के बारे में व्यावहारिक सलाह प्रदान करने के लिए बनाई गई है।

पंचतंत्र के कई संस्करण हैं, पद्य और गद्य में पशु दंतकथाओं का यह एक प्राचीन भारतीय संग्रह। पंचतंत्र के मानक संस्करण में पांच पुस्तकें हैं, जिनमें से प्रत्येक में आपस में जुड़ी कहानियों का एक संग्रह है, या किस्से हैं, जो पशु पात्रों के उपयोग के माध्यम से नैतिक सबक देते हैं।

पंचतंत्र की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसका अनुवाद दुनिया की 50 से ज्यादा अलग-अलग भाषाओं में हो चुका है।

पंचतंत्र का इतिहास – Panchatantra History In Hindi

पंचतंत्र की कहानियों (Story of Panchatantra in Hindi) में पात्रों में मनुष्य के अतिरिक्त पशु-पक्षी भी हैं, उनके माध्यम से अनेक शिक्षाप्रद बातें कही गई हैं।

पंचतंत्र का इतिहास (History of Panchatantra) बहुत प्राचीन और रोचक है। लगभग 2000 वर्ष पूर्व दक्षिण पूर्व के किसी जनपद में महिलारोप्य (Mahilaropya) नाम का एक नगर था। वहां के राजा अमरशक्ति (Amarshakti) बड़े पराक्रमी और उदार व्यक्ति थे।

सभी कलाओं में निपुण राजा अमरशक्ति के तीन पुत्र थे, बहुशक्ति, उग्रशक्ति और अनंतशक्ति। राजा स्वयं जितने नैतिक, विद्वान, सदाचारी और कला में पारंगत थे, दुर्भाग्य से उनके तीनों पुत्र भी उतने ही असभ्य, अज्ञानी और दुराचारी थे।

राजा अमरशक्ति ने अपने लड़कों को व्यावहारिक शिक्षा देने की बहुत कोशिश की लेकिन उन पर कोई असर नहीं हुआ। 

थके हारे राजा ने एक दिन अपने मन्त्रिमण्डल से कहा कि “मूर्ख और अविवेकी पुत्रों की अपेक्षा नि:संतान रहना अच्छा होता। पुत्रों की मृत्यु से भी उतना दुःख नहीं होता जितना कि मूर्ख पुत्र से होता है। पुत्र मरने पर केवल एक बार दुःख देता है, लेकिन ऐसे नासमझ पुत्र जीवन भर एक अभिशाप के समान पीड़ा और अपमान का कारण बनते हैं।”

अमरशक्ति राजा ने अपने मंत्रियों से कहा कि हमारे राज्य में हजारों विद्वान, कलाकार और नीतिज्ञ रहते हैं। ऐसा उपाय करो कि ये निकम्मे राजकुमार शिक्षित होकर विवेक और ज्ञान की ओर अग्रसर हों।

बहुत सोच-विचार के बाद एक मंत्री सुमति (Sumati) ने राजा से कहा कि महाराज, व्यक्ति की आयु बहुत अनिश्चित और अल्प होती है। हमारे राजकुमार अब बड़े हो गए हैं। अगर हम व्याकरण और शब्दावली का ठीक से अध्ययन करना शुरू कर दें तो इसमें कई दिन लगेंगे।

उनके लिए यही उचित होगा कि उन्हें किसी संक्षिप्त शास्त्र के आधार पर शिक्षा दी जाए, जिसमें सार लिया गया हो और निसार छोड़ दिया गया हो; जैसे हंस दूध तो ग्रहण कर लेता है पर पानी छोड़ देता है।

ऐसे में राजकुमारों को शिक्षित करने और व्यावहारिक रूप से प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी हमारे ही राज्य में रहने वाले पंडित विष्णु शर्मा (Pandit Vishnu Sharma) को सौंपी जानी चाहिए। वैसे भी सभी शास्त्रों के ज्ञाता विष्णु शर्मा की छात्रों के बीच बड़ी प्रतिष्ठा है।

उचित यही होगा कि आप शिक्षा के लिए राजकुमारों को उनके हाथों में सौंप दें। वे अल्प समय में ही राजकुमारों को शिक्षित करने की क्षमता रखते हैं।

अपने मंत्री के इस सुझाव से राजा अमरशक्ति बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने तुरंत महापंडित विष्णु शर्मा को अपने दरबार में आने का निमंत्रण दिया। पंडित विष्णु शर्मा का आदर-सत्कार कर राजा ने विनयपूर्वक विनती की, “आर्य, मेरे पुत्रों पर इतनी कृपा कीजिए कि उन्हें अर्थशास्त्र का ज्ञान हो जाए। मैं आपको सौ गांव दक्षिणा में दूंगा।”

पंडित विष्णु शर्मा ने कहा कि “राजन मैं अपना ज्ञान नहीं बेचता हूं, मैं सौ गांवों के बदले अपना ज्ञान नहीं बेचूंगा। लेकिन मैं आपसे वादा करता हूं कि मैं आपके बेटों को सिर्फ 6 महीने में राजनीति में दक्ष बना दूंगा। यदि ऐसा न हो तो ईश्वर मुझे शिक्षा से रहित कर दे।”

पंडित विष्णु शर्मा की इस भीष्म प्रतिज्ञा को सुनकर राजा अमरशक्ति हैरान रह गए। तब राजा अमरशक्ति ने मन्त्रियों सहित विष्णु शर्मा की पूजा की और तीनों राजकुमारों को उन्हें सौंप दिया। पंडित विष्णु शर्मा तीनों राजकुमारों को अपने आश्रम ले आए।

विष्णु शर्मा ने राजकुमारों को विभिन्न प्रकार के आचार-विचारों से संबंधित कहानियां सुनाईं। पंचतंत्र की कहानियों के पात्रों ने मनुष्य, पशु-पक्षी आदि का वर्णन किया है और उन पात्रों के मुख से अपने विचार व्यक्त किए हैं। पंडित विष्णु शर्मा ने उन्हें पात्र बनाकर राजकुमारों को सही-गलत और व्यवहारिक ज्ञान का प्रशिक्षण दिया।

राजकुमारों की शिक्षा पूर्ण होने पर विष्णु शर्मा ने उन कथाओं को “पंचतंत्र कथाओं (Panchatantra stories)” के रूप में संकलित किया। वर्तमान में उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि पंचतंत्र ग्रंथ की रचना के समय पंडित विष्णु शर्मा की आयु लगभग 80 वर्ष रही होगी।

पंडित विष्णु शर्मा ने बहुत ही रोचक तरीके से पंचतंत्र की कहानियों (Panchatantra Stories in Hindi with Moral) को नैतिक रूप से प्रस्तुत किया है, ये कहानियां मनोविज्ञान, व्यावहारिकता, राजनीति और सिद्धांतों को सिखाती हैं।

पंचतंत्र की कथाएं बड़ी सजीव हैं, जिनमें लोक व्यवहार को बड़े ही सरल ढंग से समझाया गया है। कई लोग इन कहानियों को नेतृत्व क्षमता विकसित करने का सशक्त माध्यम मानते हैं।

इस लेख में हम पंचतंत्र की कहानियां (Panchtantra ki Kahaniyan) प्रकाशित कर रहे हैं, साथ ही इन कहानियों को समय-समय पर अपडेट किया जाएगा। आपसे अनुरोध है कि इस पेज को बुकमार्क कर लें ताकि आप इसे बाद में भी आसानी से पढ़ सकें।

पंचतंत्र कहानी संग्रह – 1 से 10

पंचतंत्र कहानी संग्रह – 11 से 20

पंचतंत्र कहानी संग्रह – 21 से 30

पंचतंत्र कहानी संग्रह – 31 से 40

पंचतंत्र कहानी संग्रह – 41 से 50

पंचतंत्र कहानी संग्रह – 51 से 60

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