ऊँची दुकान फीका पकवान का अर्थ – Oonchi Dukaan Pheeka Pakwan Muhavare Ka Matlab
ऊँची दुकान फीका पकवान मुहावरे का अर्थ | बाहरी दिखावा अधिक होना लेकिन गुणकर्म बहुत ही कम होना |
ऊँची दुकान फीका पकवान मुहावरे का अर्थ
Oonchi Dukaan Pheeka Pakwan Muhavre Ka Arth – ऊँची दुकान फीका पकवान मुहावरे का अर्थ है जहाँ बाहरी दिखावा बहुत है और गुण बहुत कम है, दिखावा तो बहुत है पर हकीकत में कुछ नहीं है, दिखावा ज्यादा है पर गुण कम है, नाम के अनुरूप वस्तु नहीं है, आडंबर ही आडंबर होना।
ऊँची दुकान फीका पकवान मुहावरे का हिंदी में वाक्य प्रयोग
Oonchi Dukaan Pheeka Pakwan Muhavre Ka Vakya Prayog
#1. वाक्य प्रयोग: दिवाली के लिए मिठाई खरीदने के लिए पिताजी अपने शहर की एक बहुत मशहूर दुकान पर गए और वहां सबसे ज्यादा बिकने वाली मिठाई खरीदी, लेकिन वह मिठाई बहुत महंगी थी और खाने में बिल्कुल भी अच्छी नहीं लग रही थी, ऐसी स्थिति में ही कहा जाता है ऊंची दुकान फीके पकवान।
#2. वाक्य प्रयोग: कुमार कपड़े खरीदने के लिए एक बड़े मॉल में गया, लेकिन जब वहां गया तो वहां के कपड़े बिल्कुल चौराहे पर मिलने वाले कपड़ों की तरह थे, फिर क्या था, कुमार ने मन ही मन कहा ऊंची दुकान फीका पकवान।
#3. वाक्य प्रयोग: गुलाबचंद की दुकान बहुत बड़ी और प्रसिद्ध है, लेकिन उनकी दुकान में मिलने वाली चीजें बहुत ही औसत दर्जे की और बेकार होती हैं, ऐसे में इसे ऊँची दुकान फीका पकवान कहा जाता है।
#4. वाक्य प्रयोग: शहर के मशहूर डॉक्टर मदलनलाल ने मुझे महंगी दवाइयां दीं लेकिन उनके इलाज से मुझे कोई फायदा न हुआ, आखिर ऊंची दुकान फीके पकवान।
#5. वाक्य प्रयोग: पापा ने सबसे मशहूर ब्रांड का बासमती चावल खरीदा, लेकिन उनकी बिरयानी दालभात जैसी बनी, इसे कहते है ऊंची दुकान फीके पकवान।
मौखिक बातचीत में अक्सर मुहावरों का प्रयोग किया जाता है जो मानवीय भावनाओं को वास्तविक बनाते हैं। मुहावरों को स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं में भी मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है।
प्रत्येक पाठ्यक्रम में मुहावरों का अपना-अपना अनुभाग होता है, छोटी-बड़ी कक्षाओं में मुहावरों को पढ़ाया जाता है, याद कराया जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में भी इसे मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है और महत्व दिया जाता है।
मुहावरा अधिक असामान्य अर्थ प्रकट करता है इसीलिए मुहावरे का अर्थ दोहरा लाभ प्राप्त करना है। एक शब्द के कई अलग-अलग मुहावरे हो सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि यहां दिए गए मुहावरे ही परीक्षा में पूछे जाएंगे।
मुहावरे सभी प्रकार की परीक्षाओं की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में मुहावरों की अपनी अहमियत होती है। पेपर चाहे हिंदी में हो या अंग्रेजी में, यहां तक कि संस्कृत में भी मुहावरे पूछे जाते हैं।
मुहावरों का अभ्यास करना कोई बहुत कठिन विषय नहीं है। अगर इसे ध्यान से समझा जाए तो इसे याद रखने की जरूरत ही नहीं पड़ती। इसे समझ-समझ कर ही लिखा और बोलचाल में उपयोग किया जा सकता है।
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