ओम (ॐ) शब्द हिंदुओं का सर्वाधिक पवित्र शब्द है और हजारों वर्षों से हिंदू धर्म में “ॐ” का विशेष महत्व रहा है, या यूँ कहें की हिंदू धर्म की उत्पत्ती ही “ॐ” से हुई है.
प्राचीन भारत से ही “ॐ” हमेशा भारतीयों के जीवनशैली का अभिन्न अंग रहा है चाहे धार्मिक कार्य हो, ज्ञान प्राप्ती हो, आत्मशुद्धी के लिये हो, या असीम शांति और समाधान की प्राप्ती के लिये, वेद और पुराण मे इसे ईश्वर का प्रतीक कहा गया है.
श्रीमद्भगवद्गीता में भी ओंकार को एकाक्षर ब्रह्म कहा है. योग साधना में इसका अधिक महत्त्व है. इसके निरंतर उच्चारण करते रहने से सभी प्रकार के मानसिक रोग मिट जाते हैं.
“ॐ” को अनाहत ध्वनि (नाद) कहते हैं जो प्रत्येक व्यक्ति के भीतर और इस ब्रह्मांड में सतत गूँजता रहता है. इसके गूँजते रहने का कोई कारण नहीं. सृष्टि के आदि में सर्वप्रथम ओंकाररूपी प्रणव का ही स्पंदन होता है. तदनंतर सात करोड़ मंत्रों का आविर्भाव होता है.
सनातन धर्म ही नहीं, भारत के अन्य धर्म-दर्शनों में भी “ॐ” को महत्व प्राप्त है. बौद्ध-दर्शन में “मणिपद्मेहुम” का प्रयोग जप एवं उपासना के लिए प्रचुरता से होता है. इस मंत्र के अनुसार “ॐ” को “मणिपुर” चक्र में अवस्थित माना जाता है. यह चक्र दस दल वाले कमल के समान है. जैन दर्शन में भी “ॐ” के महत्व को दर्शाया गया है.
महात्मा कबीर र्निगुण सन्त एवं कवि थे, उन्होंने भी “ॐ” के महत्व को स्वीकारा और इस पर “साखियाँ” भी लिखीं —
ओ ओंकार आदि मैं जाना।
लिखि औ मेटें ताहि ना माना ॥
ओ ओंकार लिखे जो कोई।
सोई लिखि मेटणा न होई ॥
यह अकेला ऐसा मंत्र है जिसका उच्चारण एक मूक भी कर सकता है. “ॐ” का अधिक महत्व तथा रहस्य के बारे में थोड़ा और समझने के लिये आज हम यहाँ कुछ बातों को बारीकी से समझने का प्रयास करते है.
क्या “ॐ” एक शब्द है? Is Om a word?
“ॐ” को “ओम” लिखना अपभ्रंश है अन्यथा यह तो “ॐ” ही है और इसका सही उच्चारण “ओउ्म” है दरअसल “ॐ” ब्रह्मांड ध्वनि हैं, यह स्वयं उत्पन्न होती है. “ॐ” मंत्र की ध्वनि ही ब्रम्हांड की पहली ध्वनि है और इसी में सभी ध्वनियाँ निहित हैं. यह अनादि है और अनंत और निर्वाण की स्थिति का प्रतीक है. “ॐ” को दुनिया में जितने भी मंत्र है उन सबका केंद्र कहा गया है.
“ॐ” संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रतीक है. बहुत-सी आकाश गंगाएँ इसी आकर में फैली हुई है. “ॐ” को “ओम” कहा जाता है, उसमें भी बोलते वक्त ‘ओ’ पर ज्यादा जोर होता है. इसे प्रणव मंत्र भी कहते हैं, इस मंत्र का प्रारंभ है किन्तु अंत नहीं हैं. यह ब्रह्मांड की अनाहत ध्वनि है. अनाहत अर्थात बिना किसी टकराव से उत्पन्न ध्वनि हैं. इसे अनहद भी कहते हैं. संपूर्ण ब्रह्मांड में यह अनवरत जारी है.
‘‘ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्ण मेवा: शिष्यते॥’’
अर्थात पूर्ण से पूर्ण उत्पन्न होता है और पूर्ण में से पूर्ण निकल जाने पर पूर्ण ही शेष रह जाता है.
“ॐ” शब्द तीन ध्वनियों से बना हुआ है- अ, उ, म इन तीनों ध्वनियों का अर्थ उपनिषद में भी आता है. पहला शब्द है ‘अ’ जो कंठ से निकलता है, दूसरा है ‘उ’ जो हृदय को प्रभावित करता है, तीसरा शब्द ‘म्’ है जो नाभि में कम्पन करता है.
“अ” का अर्थ है उत्पन्न होना,
“उ” का तात्पर्य है उठना, उड़ना अर्थात् विकास,
“म” का अर्थ है मौन हो जाना अर्थात “ब्रह्मलीन” हो जाना,
“ॐ” संपूर्ण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और पूरी सृष्टि का द्योतक है. यह ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक भी है और यह भू: लोक, भूव: लोक और स्वर्ग लोग का प्रतीक है.
ॐ मंत्र के उच्चारण के लाभ – Om Chanting: What are the benefits of chanting Om?
यह ध्वनि शरीर को कंपित करती है, यह प्रक्रिया फेफड़े की कोशिकाओं को उत्तेजित करती है, जिससे फेफड़े में श्वास उचित मात्रा में आती जाती रहती है. “ॐ” शब्द के उच्चारण मात्र से शरीर में और आसपास एक सकारात्मक उर्जा उत्पन्न होती है.
हमारे शास्त्र में ओंकार ध्वनि के १०० से भी ज्यादा मतलब बतायें गये है. कई बार ऐसे देखा गया है कि मंत्रों में कुछ ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है जिसका कोई अर्थ नहीं निकलता है, लेकिन उससे निकली हुई ध्वनि शरीर पर अपना सकारात्मक प्रभाव डालती हुई प्रतीत होती है. यह सिर्फ़ आस्था नहीं, इसका वैज्ञानिक आधार भी है.
प्रतिदिन “ॐ” का उच्चारण न सिर्फ़ ऊर्जा शक्ति का संचार करता है, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर कई असाध्य बीमारियों से दूर रखने में मदद करता है. ओम नमो – ओम के साथ नमो शब्द के जुड़ने से मन में विनम्रता महसूस होती हैं
सभी मंत्रों का उच्चारण जीभ, होंठ, तालू, दाँत, कंठ और फेफड़ों से निकलने वाली वायु के सम्मिलित प्रभाव से संभव होता है. इससे निकलने वाली ध्वनि से जो कम्पन्न उतपन्न होता है वह शरीर के सभी चक्रों और हारमोन स्राव करने वाली ग्रंथियों से टकराती है. इन ग्रंथिंयों के स्राव को नियंत्रित करके बीमारियों को दूर भगाया जा सकता है.
चिकित्सीय लाभ पाने के लिए ॐ मंत्र का उपयोग – Use of Om mantra to get therapeutic benefits
“ॐ” हमारे जीवन को स्वस्थ बनाने का सबसे अच्छा तरीका है.
१. नियमित “ॐ” का मनन करने से पूरे शरीर को विश्राम मिलता है और हारमोन तंत्र नियंत्रित होता है.
२. “ॐ” के अतिरिक्त चिंता और क्रोध पर नियंत्रण पाने का इससे सरल मार्ग दूसरा नहीं है.
३. “ॐ” का उच्चारण प्रदूषित वातावरण में यह पूरे शरीर को विष मुक्त करता है.
४. “ॐ” का मनन हृदय और रक्त संचार प्रणाली को सुदृढ़ करता है.
५. “ॐ” के उच्चारण से यौवन और चेहरे पर कांति आती है.
६. “ॐ” के जप से पाचन तंत्र सुदृढ़ होता है.
७. थकान के बाद “ॐ” का मनन आपको नई ऊर्जा से भर देता है.
८. अनिद्रा रोग से छुटकारा पाने में “ॐ” का बहुत महत्व है, सोते समय इसका नियमित मनन करें.
९. थोड़े से प्रयास में “ॐ” की शक्ति आपके फेफड़ों और श्वसन तंत्र को सुदृढ़ बनाती है.
मनोवैज्ञानिक चिकित्सा में ॐ मंत्र का उपयोग – The use of Om mantra in psychological therapy
१. “ॐ” की शक्ति आपको दुनिया का सामना करने की शक्ति देती है.
२. “ॐ” का नियमित मनन करने से आप क्रोध और हताशा से बचे रहते हैं.
३. “ॐ” की गूँज आपको स्वयं को नियंत्रित करने में सक्षम बनाती है, आप स्वयं में नया उत्साह महसूस करते हैं.
४. “ॐ” की ध्वनि से आपके पारंपरिक संबंध सुधरते हैं. आपके व्यक्तित्व में आने वाला बदलाव लोगों को आकर्षित करता है और लोग आपसे ईर्ष्या करना छोड़ देते हैं.
५. आप अपने जीवन के उद्देश्य और उसकी प्राप्ति की ओर अग्रसर होते हैं और आपके चेहरे पर मुस्कान बनी रहती है.
६. नई उमंग और स्फूर्ति आती है। आप में सजगता और सतर्कता बढ़ती है.
शारीरिक चिकित्सा में ॐ मंत्र का उपयोग – The use of Om mantra in physical therapy
१. “ॐ” और थायरॉईड:- “ॐ” का उच्चारण करने से गले में कंपन पैदा होती है जो थायरॉईड ग्रंथि पर सकारात्मक प्रभाव डालता है.
२. “ॐ” और घबराहट:- अगर आपको घबराहट या अधीरता होती है तो “ॐ” के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं.
३. “ॐ” और तनावः- यह शरीर के विषैले तत्त्वों को दूर करता है, अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है.
४. “ॐ” और खून का प्रवाहः- यह हृदय और ख़ून के प्रवाह को संतुलित रखता है.
५. “ॐ” और पाचनः- ॐ के उच्चारण से पाचन शक्ति तेज़ होती है.
६. “ॐ” और स्फूर्तिः- इससे शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है.
७. “ॐ”और थकान:- थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं.
८. “ॐ” और नींदः- नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है. रात को सोते समय नींद आने तक मन में इसको करने से निश्चिंत नींद आएगी.
९. “ॐ” और फेफड़े:- कुछ विशेष प्राणायाम के साथ इसे करने से फेफड़ों में मज़बूती आती है.
१०. “ॐ” और रीढ़ की हड्डी:- “ॐ” के पहले शब्द का उच्चारण करने से कंपन पैदा होती है, इन कंपन से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और इसकी क्षमता बढ़ जाती है.
११. “ॐ” दूर करे तनावः- ॐ का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव-रहित हो जाता है.
ओम उच्चारण की विधि – Om pronunciation method
शांत स्थान पर आरामदायक स्थिति में बैठिए, “ॐ” का उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, वज्रासन में बैठकर कर सकते हैं. आंखें बंद करके शरीर और नसों को ढीला छोड़िए, लम्बी सांसें लीजिए, “ॐ” मंत्र का जाप करिए और इसके कंपन को महसूस कीजिए, इसका उच्चारण ५ , ७ , १०, २१ बार अपने समयानुसार कर सकते हैं.
“ॐ” जोर से बोल सकते हैं, धीरे-धीरे बोल सकते हैं. “ॐ” जप माला से भी कर सकते हैं, आराम महसूस होने तक ॐ मंत्र का जाप करते रहिए, चित्त के पूरी तरह शांत होने पर अपनी आँखें खोलिए. इससे शरीर और मन को एकाग्र करने में मदद मिलेगी. दिल की धड़कन और रक्तसंचार व्यवस्थित होगा. इसका उच्चारण करने वाला और इसे सुनने वाला दोनों ही लाभांवित होते हैं. इसके उच्चारण में पवित्रता का ध्यान रखा जाता है.
आशा है आप अब कुछ समय ज़रुर “ॐ” का उच्चारण करेंगे. साथ ही साथ इसे उन लोगों तक भी ज़रूर पहुंचायेगे जिनकी आपको फ़िक्र है. अपना खयाल रखिये, खुश रहें.
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