नीले सियार की कहानी – पंचतंत्र की कहानी (The Story Of The Blue Jackal In Hindi)

नीले सियार की कहानी – पंचतंत्र की कहानी (The Story Of The Blue Jackal In Hindi)

दोस्तों, पंचतंत्र की कहानियां (Tales of Panchatantra in Hindi) श्रृंखला में आज हम – नीले सियार की कहानी (Panchatantra The Story Of The Blue Jackal In Hindi) पेश कर रहे हैं। Neela Siyar Ki Kahani में बताया गया है की एक सियार जंगल के जानवरों भ्रमित करता है लेकिन एक दिन उसकी पोल खुल जाती है। उसके बाद क्या होता है? यह जानने के लिए पढ़ें – The Blue Jackal Story In Hindi

The Story Of The Blue Jackal In Hindi – Tales of Panchatantra

नीले सियार की कहानी – पंचतंत्र की कहानी (The Story Of The Blue Jackal In Hindi)
Neela Siyar Panchatantra Ki Kahani In Hindi

एक बार की बात है, एक बार एक सियार एक पुराने पेड़ के नीचे खड़ा था, उसी समय एक तेज हवा के झोंके ने उस पुराने पेड़ को गिरा दिया। तभी वह सियार उस पेड़ के नीचे आ गया और बुरी तरह घायल हो गया।

किसी तरह जान बचाकर वह वहां से रेंगते हुए अपनी मांद तक पहुंचा। चोट के कारण वह शिकार नहीं कर पा रहा था। कई दिनों से कुछ न खाने के कारण उसे बहुत तेज भूख लग रही थी। तभी उसे एक खरगोश दिखाई दिया, वह उसका शिकार करना चाहता था लेकिन अपने कमजोर शरीर के कारण शिकार नहीं कर सका।

आसान शिकार की तलाश में वह पास के गांव में पहुंच गया और वहां से मुर्गे, बत्तख आदि छोटे जानवर की तलाश में इधर-उधर भटक रहा था। तभी गली के कुत्तों ने उसे देख लिया और उसके पीछे भागने लगे।

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वह जान बचाकर वहां से भागा, लेकिन कुछ देर बाद ही अधमरा हो गया और किसी गली में छिप गया। लेकिन कुत्ते गली के हर कोने को जानते थे, इसलिए वे उसे ढूंढते हैं और उसके पीछे दौड़ना शुरू कर देते थे।

जैसे-जैसे कुत्ते उसके पीछे भाग रहे थे, वैसे-वैसे उनकी संख्या भी बढ़ती जा रही थी। तभी सियार दौड़ता हुआ पास की रंगरेजो की बस्ती में आ गया। 

बड़ी संख्या में कुत्तों को देखकर वह पास में पड़े एक रंग के पीपे में घुस गया। रंगरेज ने हाल ही में उसमें से रंग घोल कर रखा था। वह उसी पीपे में पूरी तरह से घुस हो गया था और सांस रोके रंग में डूबा रहा। वह सांस लेने के लिए केवल अपना थूथन बाहर निकालता था।

जब उसने देखा कि आस-पास कोई कुत्ते नहीं हैं, सारे कुत्ते चले गए हैं, तो वह उस पीपे से बाहर निकला और उसने पाया कि वह पूरी तरह नीले रंग में रंगा हुआ था। फिर वह वहां से जंगल की ओर चला गया।

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चलते-चलते उसका रंग पूरी तरह सूख गया। जब वह जंगल में पहुंचा तो उसने देखा कि सारे जानवर इधर-उधर भाग रहे हैं और उसे देखकर डर रहे हैं। क्योंकि जंगल के जानवर समझ ही नहीं पा रहे थे कि यह कौन सा जानवर जंगल में आ गया है।

तभी उस सियार के चतुर दिमाग में एक योजना बनी। उसने सोचा कि मैं इस डर का फायदा उठा सकता हूं। 

फिर उसने सभी जानवरों को रुकने के लिए कहा और वहां एक बड़ी चट्टान पर जाकर कहा कि स्वयं प्रजापति ब्रह्मा ने अपने हाथों से उसे यह अलौकिक रंग में भेजा है और वह जंगल के सभी जानवरों का कल्याण करने आया है।

जंगल के सभी जानवर यहां तक कि शेर, चीता, भालू, हाथी और कई अन्य जानवर भी उसे ध्यानपूर्वक सुन रहे थे।

फिर वह कहने लगा कि वह सबका भला करेगा, वह भगवान का रूप है। उसने कहा कि वह भगवान का दूत ककुदुम है और स्वर्ग से आया है।

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तभी एक शेर ने कहा कि आप भगवान का रूप हैं, हम आपको खुशी-खुशी अपना राजा स्वीकार करते हैं। हम भाग्यशाली हैं कि हमें आपकी सेवा करने का मौका मिल रहा है। तभी रंगे हुए सियार ने अपना पंजा उठाया और एक राजा की तरह बोलने लगा कि तुम्हारी इस सेवा से मुझे बहुत खुशी होगी।

तभी सियार ने अपने लिए शाही खाना मंगवाया। बहुत दिनों तक वह राजसी ढंग से भोजन करता और अनेक सुख भोगता रहा।

उसके पास खड़े दो भेड़िये उसे खाना खिलाते थे और पास में खड़ा एक भालू उसे हवा देता रहा था और जब सियार जंगल में सैर पर निकलता था तो दो हाथी अपनी सूंड उठाते थे और जोर से बिगुल की तरह चिंघालते थे और दो शेर हमेशा उसके साथ उसके दाहिनी और बाईं ओर अंगरक्षक के रूप में रहते थे।

जब उसे किसी शिकार का मांस खाना होता तो वह बस एक आदेश देता और वह उसके सामने हाजिर हो जाता। बहुत दिनों तक उसने राजा की भांति भोग-विलास में रहते हुए वन के पशुओं पर शासन किया।

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उसे खतरा था कि उसकी जाति के प्राणी उसे पहचान लेंगे, इसलिए उसने राजा बनने के पहले ही दिन उन्हें जंगल से निकाल दिया था।

एक रात नीला सियार बहुत कुछ खाकर अपनी शाही मांद में आराम कर रहा था, जब उसने आंखें खोलीं और बाहर झांका तो उसे तेज रोशनी दिखाई दी, तो वह मांद से बाहर आ गया। 

वह चांदनी रात थी और तभी पास के जंगल में उसकी जाति के सियार की टोली अपने ऊंचे स्वर से “हू…हू…हू…” करने लगे। इसलिए स्वभावतः वह भी अपने आप को रोक नहीं पाया और अपनी ही प्रजाति के प्राणियों के साथ जोर-जोर से आवाज करने लगा और वह “हू…हू…हू…” करने लगा। 

जब शेर, बाघ और बाकी जानवरों ने उसे देखा, तो वे चौंक गए और उन्हें यह समझते देर न लगी कि यह कोई और नहीं बल्कि सियार था, जो छल से सम्राट बना था। यह देखकर सभी जानवर बहुत क्रोधित हुए। फिर क्या था शेर और बाघ उस पर झपट पड़े और उसका काम खत्म कर दिया।

कहानी का भाव:

हमें कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए, एक दिन सच सामने आ ही जाता है। दुनिया में किसी को ज्यादा देर तक बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता।

The Story Of The Blue Jackal In Hindi

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