नार्को टेस्ट क्या है और कैसे किया जाता है? What is Narco test and how is it done?

Narco test kya hai in Hindi / Narco test meaning in Hindi

Narco test kya hai in Hindi / Narco test meaning in Hindi – हम आए दिन अखबारों में पढ़ते हैं और टीवी पर खबरें सुनते हैं कि देश में रोज हजारों अपराध होते हैं और कुछ अपराधी पकड़े जाने के बाद भी सबूतों के अभाव में छूट जाते हैं.

दरअसल कुछ शातिर अपराधी पुलिस की पिटाई और डंडों के डर से भी अपना जुर्म कबूल नहीं करते हैं, जिससे उनका आपराधिक सच सामने नहीं आ पाता है.

लेकिन अब विज्ञान का जमाना है और बहुत उन्नत तकनीकों का आविष्कार हो चुका है, जिससे उन अपराधियों से भी सच निकालना आसान हो गया है जो प्राथमिक जांच में सच नहीं बताते हैं.

ऐसी ही एक तकनीकी प्रक्रिया है जो कानून व्यवस्था में सहायक होती है जिसे नार्को टेस्ट (Narco test) कहते हैं.

क्या आपके मन में कभी ये सवाल आया है कि आखिर ये नार्को टेस्ट होता क्या है? इसकी मदद से अपराधी सच क्यों बोलने लगते हैं?

आपने Lie detector technology के बारे में तो सुना ही होगा, जिससे हम यह जान सकते हैं कि कोई व्यक्ति सच बोल रहा है या झूठ. इसी तरह का एक और टेस्ट होता है जिसे Narco test के नाम से भी जाना जाता है, जिसके जरिए आधिकारिक तौर पर अपराधियों से सच उगलवाया जा सकता है.

दरअसल कई बार अपराधी अपराध करने के बाद कानूनी जांच के दौरान अपना मुंह नहीं खोलते हैं, ऐसे में पुलिस या जांच एजेंसियां नार्को टेस्ट करवाती हैं.

देश-विदेश में चर्चित इस तकनीक का भारत में भी कई high profile criminal cases में इस्तेमाल हो चुका है. लेकिन अब तक आम लोग इस टेस्ट से अनजान हैं और जो लोग इस टेस्ट के बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी रखते हैं उन्हें भी लगता है कि इस टेस्ट में चमत्कारिक रूप से अपराधी सच बोल देता है.

लेकिन सच्चाई यह है कि इस टेस्ट को बेहद वैज्ञानिक तरीके से अंजाम दिया जाता है क्योंकि इसकी पूरी प्रक्रिया भी बेहद संवेदनशील होती है. इस टेस्ट की मदद से जटिल और पेचीदा मामलों को भी काफी हद तक सुलझाने में मदद मिलती है.

अगर आप भी नार्को टेस्ट से अनजान हैं तो आज का यह लेख आपके लिए काफी ज्ञानवर्धक हो सकता है. क्योंकि इस लेख में हम आपको Narco test kya hota hai?, Narco test meaning in hindi, Narco test kaise hota hai? Narco test kab kiya jata hai? ऐसी तमाम जानकारी आपको देने जा रहे हैं.

आपसे अनुरोध है कि पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें.

नार्को टेस्ट क्या होता है? What is narco test in Hindi

आइए शुरुआत नार्को टेस्ट की फुल फॉर्म से करते हैं. NARCO test ka full form Narco-Analysis Test होता है. नार्को टेस्ट को Sodium Amytal Interview या Amobarbital interview या Amytal interview भी कहा जाता है.

Narco test एक तरह का medical test है जिसमें अपराधियों को उचित मात्रा में बेहोशी की दवा (Sedation drug) देकर अर्धमूर्च्छित (Semi-conscious) कर दिया जाता है ताकि उनके दिमाग की कार्यक्षमता थोड़ी धीमी हो जाए लेकिन वे बोलने में सक्षम रहे.

इस प्रकार यह परीक्षण मुख्य रूप से शातिर अपराधियों और गंभीर अपराधों के कैदियों से सच्चाई उगलवाने के लिए उपयोग किया जाता है. लेकिन ऐसा परीक्षण सभी अपराधियों पर नहीं किया जाता है. 

वैसे तो कई अपराधी पुलिस की सामान्य पूछताछ और डंडे के बल पर ही अपना जुर्म कबूल कर लेते हैं, लेकिन कुछ कट्टर प्रवृत्ति के अपराधी इतने ढीठ होते हैं कि किसी भी कीमत पर सच बोलने को तैयार नहीं होते. इसलिए इस टेस्ट का इस्तेमाल ऐसे क्रिमिनल्स के लिए किया जाता है.

देश की crime agency CBI यानी Central Bureau of Investigation ने भी अपने अपराधियों से सच उगलने के लिए कई बार Narco test का इस्तेमाल किया है.

नार्को टेस्ट के दौरान इन लोगों की मौजूदगी जरूरी होती है

यह परीक्षण इतना आसान और सस्ता नहीं है, इसीलिए इसका प्रयोग सभी कैदियों पर नहीं किया जाता है और न ही यह सभी मामलों में आवश्यक होता है.

इस परीक्षण की पारदर्शिता यह है कि जिस किसी भी अपराधी पर नार्को टेस्ट का प्रयोग किया जाता है, उस पर यह परीक्षण कभी भी एकांत (Isolation) में नहीं किया जाता है. बल्कि इस परीक्षण के दौरान कैदी के पास जांच अधिकारियों, डॉक्टरों, मनोचिकित्सकों, फोरेंसिक विशेषज्ञों और कई अन्य विशेषज्ञों की एक टीम मौजूद होती है और उनकी देखरेख में ही इस प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है.

यहां तक कि इस पूरी प्रक्रिया के होने के बाद जो रिपोर्ट तैयार की जाती है, उसमें टेस्ट के दौरान मौजूद सभी एक्सपर्ट्स के नाम भी गवाह के तौर पर दर्ज होते हैं, ताकि बाद में कोई इस पर सवाल न उठा सके.

अब तक आप जान चुके हैं कि Narco test kya hai? आइए अब जानते हैं कि Narco Test कैसे होता है?

नार्को टेस्ट कैसे किया जाता है? Narco test kaise hota hai?

जिस भी अपराधी का narco test होना होता है, उसे सबसे पहले Sodium Pentothal का इंजेक्शन दिया जाता है जिसे Truth drug भी कहा जाता है. इस इंजेक्शन को शरीर में लगाने पर व्यक्ति अर्धमूर्च्छित हो जाता है. यानी वह न तो पूरी तरह होश में होता है और न ही पूरी तरह से बेहोश होता है.

इस स्थिति में पहुंचने के बाद व्यक्ति की सोचने-समझने की शक्ति कमजोर हो जाती है और ऐसे में उस व्यक्ति से सच उगलवाना आसान हो जाता है. क्योंकि सच बोलने के लिए ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं होती, बल्कि झूठ बोलने के लिए इंसान को सोच समझकर बोलना पड़ता है.

उसके बाद उस व्यक्ति से संबंधित घटना के बारे में गहन प्रश्न पूछे जाते हैं और उसकी परीक्षा ली जाती है. चूंकि इस इंजेक्शन के लगने के बाद व्यक्ति की सोचने-समझने की शक्ति कुछ समय के लिए कमजोर हो जाती है, इसलिए वह न चाहते हुए भी सच बोल देता है.

अर्धचेतन अवस्था में अक्सर लोग बातों को घुमा-फिरा कर नहीं बोल पाते हैं, ऐसे में फोरेंसिक और मनोवैज्ञानिकों की टीम झूठ पकड़ लेती है.

सामान्य दृश्यों को भी दिखाया जाता है

नार्को टेस्ट में कई बार अपराधियों से पूछताछ के अलावा computer screen पर सामान्य दृश्य भी दिखाए जाते हैं. दरअसल, टेस्ट के दौरान आरोपी के शरीर के रिएक्शन को ऑब्जरवेशन और विचार में लिया जाता है. कई मामलों में नार्को टेस्ट का मकसद सिर्फ यह जानना होता है कि आरोपी आपराधिक घटना में शामिल था या नहीं.

इसलिए उसे कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बिठाया जाता है, जहां उसे पहले उसके आस-पास की सामान्य चीजें जैसे उसका घर, जाने-पहचाने चेहरे, फल-फूल, पत्ते, पहाड़, नदियां आदि जैसे साधारण प्राकृतिक दृश्य दिखाए जाते हैं और फिर मामलों से संबंधित दृश्य दिखाए जाते हैं.

यदि इन दो भिन्न दृश्य परिस्थितियों में उस व्यक्ति के शरीर की गति में परिवर्तन होता है तो यह अनुमान लगाया जा सकता है कि वह व्यक्ति उस घटना से संबंधित है या नहीं. क्योंकि अपराधी भले ही सामान्य दृश्य को देखकर कुछ भी प्रतिक्रिया नहीं देता हो, लेकिन यदि वह संबंधित घटना में शामिल होता है, तो उस घटना की तस्वीरों को देखने के बाद उसके दिल और दिमाग की प्रतिक्रिया में बदलाव आता है.

नार्को टेस्ट से पहले क्या-क्या होता है?

जैसा कि आप जान चुके है कि नार्को टेस्ट में अपराधी को एक ऐसी दवा दी जाती है जिससे वह अर्धमूर्छित हो जाता है लेकिन इस दवा को उसके शरीर में इंजेक्ट करने से पहले उसका शारीरिक परीक्षण किया जाता है. यह दवा उस व्यक्ति की उम्र, स्वास्थ्य, वजन और लिंग के आधार पर उसके शरीर में उचित मात्रा में दी जाती है.

गौरतलब है कि यह टेस्ट बच्चों, बुजुर्गों और शारीरिक रूप से कमजोर लोगों के लिए नहीं किया जाता है. कई बार इस टेस्ट में drug overdose के कारण टेस्ट ही फेल हो जाता है, जिससे व्यक्ति बेहोशी की स्थिति में चला जाता है, जिसके कारण वह जवाब देने की स्थिति में नहीं रहता है.

भले ही यह टेस्ट अपराधी से सच्चाई उगलवाने में मदद करता है, लेकिन इसके लिए काफी समझदारी और सावधानी की जरूरत होती है. क्योंकि अगर अपराधी को जरा सी लापरवाही से भी दवा का ओवरडोज दे दिया जाए तो कई बार हालत बहुत खराब हो जाती है और कई मामलों में तो वह कोमा में भी जा सकता है और उसकी मौत भी हो सकती है.

इसीलिए लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद यह नार्को टेस्ट परीक्षण किया जाता है.

नार्को टेस्ट के लिए कानूनी प्रावधान – Legal provision for narco test

अपराधी का नार्को टेस्ट कराने के लिए पुलिस को कोर्ट से अनुमति लेना अनिवार्य होता है. अदालत में पेश अपराधी पर जब अदालत नार्को टेक्स्ट करने का आदेश देती है, तभी पुलिस विशेषज्ञ की टीम के साथ अपराधी का यह टेस्ट कर सकती है और इस टेस्ट को करने के लिए आरोपी की मंजूरी भी ली जाती है.

क्योंकि आरोपी की मर्जी के खिलाफ narco test, brain mapping या lie detector test कराना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20(3) का उल्लंघन है.

यहां तक कि इस अनुच्छेद में अपराधियों की जांच के संबंध में एक प्रमुख प्रावधान भी है. इसमें अपराधियों के आत्म उत्पीड़न के खिलाफ विशेषाधिकार का उल्लेख है, जिसमें कहा गया है कि किसी भी आरोपी को संबंधित अपराध के लिए खुद के खिलाफ गवाह बनने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है.

इसीलिए यह परीक्षण केवल न्यायालय के आदेश और आरोपी की स्वीकृति पर ही किया जाता है.

क्या नार्को टेस्ट के बाद अपराधियों को सजा मिलती है?

आपको जानकर हैरानी होगी कि नार्को टेस्ट के आधार पर दोषी को सजा नहीं हो पाती है. जब किसी अपराधी का नार्को टेस्ट कराया जाता है तो उसकी videography की जाती है, लेकिन उस videography को दिखाकर पुलिस आरोपियों को कोर्ट में पेश कर सजा नहीं दिला सकती है.

बल्कि इस टेस्ट के बाद भी पुलिस को अपराधी द्वारा दिए गए साक्ष्यों के अनुसार अन्य सबूतों और तथ्यों की तलाश करनी होती है और फिर उन सबूतों को अदालत में पेश करना होता है.

इस प्रकार नार्को टेस्ट की सफलता अपराधी से पूछे जाने वाले प्रश्नों के प्रकार पर निर्भर करती है. यह परीक्षण कानूनी कार्यवाही में सहायक साक्ष्य की तरह है.

किन लोगों का नार्को टेस्ट नहीं होता है?

आपके मन में भी एक सवाल जरूर आ रहा होगा कि अगर नार्को टेस्ट से अपराधियों से सच उगलवाया जा सकता है तो सभी अपराधियों का नार्को टेस्ट क्यों नहीं किया जाता? उन्हें अपना अपराध कबूल करने के लिए पुलिस द्वारा बल का प्रयोग क्यों किया जाता है?

भले ही नार्को टेस्ट अपराधियों से सच उगलने का एक कारगर तरीका है, लेकिन इस टेस्ट को सभी अपराधियों पर आजमाया नहीं जा सकता है.

इस परीक्षण के लिए अपराधियों की एक विशेष चयन प्रक्रिया होती है. इस टेस्ट को करने से पहले अपराधी का शारीरिक और मानसिक परीक्षण किया जाता है और यह पता लगाया जाता है कि उसका शरीर इस टेस्ट के लिए फिट है या नहीं.

अगर दोषी बीमार या बूढ़ा या शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर है तो उसे इस टेस्ट के लिए अनफिट माना जाता है, क्योंकि इस टेस्ट में इस्तेमाल होने वाला sodium pentothal का इंजेक्शन बहुत प्रभावशाली होता है.

इस इंजेक्शन के प्रभाव से व्यक्ति की मानसिक स्थिति कमजोर होने लगती है, उसकी सोचने-समझने की क्षमता कुछ समय के लिए कमजोर हो जाती है. ऐसे में अगर व्यक्ति शारीरिक रूप से अस्वस्थ है तो इसका उस पर गलत प्रभाव पड़ सकता है और उसकी मौत भी हो सकती है.

इन सबके अलावा एक खास बात यह है कि यह टेस्ट काफी महंगा होता है. दरअसल इसमें प्रोफेशनल लोगों की टीम की भी जरूरत होती है, जिन्हें इस टेस्ट के लिए एक महीने का समय देना होता है.

यही वजह है कि हर एक अपराधी का नार्को टेस्ट नहीं हो सकता.

नार्को टेस्ट का इतिहास – Narco Test history in Hindi

आज की आधुनिक दुनिया में भले ही बहुत से लोग नार्को टेस्ट से अनभिज्ञ हों, लेकिन यह कोई आधुनिक तरीका नहीं है जिससे कैदियों से सच उगलवाया जा सकता है, बल्कि यह बहुत पुराना तरीका है.

कहा जाता है कि 1922 में पहला सफल Narco Test, जिसे Narco Analysis भी कहा जाता है, टेक्सास में दो कैदियों पर किया गया और उसके बाद यह प्रचलन में आया.

टेक्सास के प्रसूति रोग विशेषज्ञ रॉबर्ट हाउस (Robert House) ने पहली बार 1922 में जानकारी हासिल करने के लिए दो कैदियों पर इस टेस्ट का इस्तेमाल किया था. इसकी सफलता के बाद अपराधियों से सच उगलवाने के लिए कई अन्य जगहों पर भी यह परीक्षण किया गया.

इतना ही नहीं, दूसरे विश्व युद्ध के बाद भी नार्को एनालिसिस की प्रणाली का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया था. दरअसल, दूसरे विश्व युद्ध के बाद आई तबाही से लोगों में काफी डर था, जिसके चलते कई लोग trauma stress disorder के शिकार हो गए थे.

ऐसे आपातकालीन समय में लोगों को इस डर से बाहर निकालने और उनके दिमाग और दिल को आराम देने के लिए Narcosynthesis प्रक्रिया का इस्तेमाल किया गया.

ऐसी आपात स्थिति में लोगों को इस डर से बाहर निकालने और उनके दिल और दिमाग को आराम देने के लिए Narcosynthesis की प्रक्रिया का इस्तेमाल किया गया, जिसमें उन्हें एक निश्चित मात्रा में नशीली दवा की खुराक देकर लगभग बेहोशी की हालत में ले जाया जाता था.

इस प्रक्रिया से उन लोगों की सोचने-विचारने की शक्ति कम हो जाती थी और उनका दिल-दिमाग शांत हो जाता था. इस तरह इस चिकित्सा पद्धति की मदद से trauma stress disorder से पीड़ित मरीजों के इलाज में मदद मिली.

“नार्को-एनालिसिस / Narco-Analysis” शब्द कहां से अस्तित्व में आया?

Narco-Analysis शब्द ग्रीक शब्द Narco से लिया गया है जिसका अर्थ है Anaesthesia या Torpor. इसका उपयोग नैदानिक और मनोचिकित्सा तकनीक का वर्णन करने के लिए किया जाता है जो psychotropic drugs, विशेष रूप से barbiturates का उपयोग करता है.

नार्को टेस्ट कितना फायदेमंद है?

पूरी दुनिया में हर दिन हजारों अपराध हो रहे हैं और कई अपराधी पुलिस की गिरफ्त में भी आ जाते हैं. आम तौर पर पुलिस डंडे के बल पर अपराधियों को सच्चाई सामने लाने के लिए मजबूर करती है, लेकिन कुछ अपराधी बहुत शातिर होते हैं जो पुलिस के डंडे से भी सच नहीं खोलते हैं.

अगर अपराध बहुत गंभीर है तो अदालत की अनुमति मिलने के बाद उस आरोपी का नार्को टेस्ट कराया जाता है. लेकिन यह जरूरी नहीं है कि नार्को टेस्ट हमेशा सही परिणाम ही दे. 

कुछ अपराधी इतने शातिर होते हैं कि इस टेस्ट से गुजरने के बाद भी वे सच नहीं बताते हैं और परीक्षण विफल हो जाता है. वह नार्को टेस्ट के दौरान मौजूद टीम को भी धोखा दे देते है, जिससे अपराध को सुलझाने में मुश्किलें पैदा होती हैं.

कभी-कभी दवा तो के ओवरडोज से व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है और हालत बिगड़ने पर संबंधित व्यक्ति की मौत भी हो सकती है. 

FAQ about Narco test

Q: नार्को टेस्ट कराने में कितना खर्च आता है?

A: नार्को टेस्ट बहुत महंगा होता है और बताया जाता है कि इसमें 50-60 हजार से ज्यादा का खर्च आता है क्योंकि फॉरेंसिक लैब को करीब एक महीने का समय देना होता है.

Q: नार्को टेस्ट किसके लिए होता है?

A: कुछ गंभीर और हाईप्रोफाइल मामलों में ही नार्को टेस्ट किया जाता है और वह भी लंबी कानूनी प्रक्रिया और कोर्ट की अनुमति मिलने के बाद. उसके बाद इस टेस्ट के लिए एक टीम बुलाई जाती है, जिसमें मनोवैज्ञानिक, जांच अधिकारी, फोरेंसिक विशेषज्ञ और मामले से जुड़े पुलिस अधिकारी मौजूद होते हैं.

Q: किसके लिए नार्को टेस्ट नहीं किया जा सकता है?

A: नार्को टेस्ट बच्चों, बुजुर्गों और शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर लोगों के लिए नहीं है. इसीलिए कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद भी नार्को टेस्ट कराने से पहले अपराधी की शारीरिक स्थिति की मेडिकल जांच की जाती है.

Q: नार्को टेस्ट में क्या होता है?

A: नार्को टेक्स्ट एक प्रकार का Anesthesia है जिसमें sodium pentothal नामक दवा आरोपी के शरीर में इंजेक्ट की जाती है, जिससे वह अर्धमूर्छित अवस्था में आ जाता है.

Q: क्या नार्को टेस्ट कराने के लिए सम्बन्धित व्यक्ति की सहमति जरूरी होती है?

A: सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के मुताबिक बिना किसी व्यक्ति की सहमति के narco analysis, brain mapping, और polygraph test नहीं किया जा सकता है.

Q: Lortab और Norco में क्या अंतर है?

A: Lortab और Norco के बीच मुख्य अंतर यह है कि Lortab वर्तमान में केवल एक liquid syrup के रूप में उपलब्ध है, जबकि Norco को tablet के रूप में आपूर्ति की जाती है.

Q: क्या नार्को टेस्ट के नतीजे खतरनाक हो सकते हैं?

A: हां, अगर सावधानी में कोई चूक हुई तो नार्को टेक्स्ट खतरनाक साबित हो सकता है क्योंकि इसमें एक तरह की narcotic drug का इस्तेमाल किया जाता है. कभी-कभी दवा के ओवरडोज से व्यक्ति कोमा में जा सकता है और कभी-कभी हालत बिगड़ने पर संबंधित व्यक्ति की मौत भी हो सकती है. इसलिए नार्को टेक्स्ट की इजाजत सीधे नहीं दी जाती बल्कि कोर्ट के आदेश पर दी जाती है और फिर एक्सपर्ट की मौजूदगी में ये टेस्ट किया जाता है.

निष्कर्ष:

आज के इस लेख में आपने नार्को टेस्ट (Narco test kya hai in Hindi / Narco test meaning in Hindi) नाम के एक बहुत ही महत्वपूर्ण टेस्ट के बारे में जाना. 

सच्चाई सामने लाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इस टेस्ट की प्रक्रिया क्या है? नार्को टेस्ट कैसे होता है? नार्को टेस्ट का मतलब, यह कितना फायदेमंद है और इसके लिए क्या जरूरी है, ये सारी बातें आप आज के इस लेख के जरिए जान गए होंगे.

नार्को टेस्ट में आरोपी को अर्धचेतन बनाकर जानकारी हासिल करने की संभावना ज्यादा होती है, जो आमतौर पर होश की स्थिति में सामने नहीं आ पाती है.

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