‘माउंट एवरेस्ट’ के बारे में अज्ञात और आश्चर्यजनक तथ्य हिंदी में – Unknown and Amazing facts about Mount Everest in Hindi

Unknown and Amazing facts about Mount Everest in Hindi - ‘माउंट एवरेस्ट’ के बारे में अज्ञात और आश्चर्यजनक तथ्य हिंदी में

Amazing Facts about Mount Everest in Hindi‘माउंट एवरेस्ट’ (Mount Everest) समुद्र तल (sea level) से पृथ्वी का सबसे ऊंचा पर्वत है, जो हमारे पड़ोसी देश नेपाल में स्थित है और नेपाल और चीन की सीमा में फैला है. माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 29,032 फीट (8,849 मीटर) मापी गई है और यह हिमालय पर्वतमाला का हिस्सा है. 

आपको जानकर हैरानी होगी कि हिमालय दुनिया की सबसे युवा पर्वत श्रंखला है, जिसकी ऊंचाई अभी भी लगातार बढ़ रही है.

माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई की तरह इसका वैभव भी भव्य और शानदार है. अपनी विशालता की वजह से माउंट एवरेस्ट को ‘धरती का मुकुट’ (Crown of the Earth) भी कहा जाता है. 

आज हम आपको बताएंगे कि माउंट एवरेस्ट का नाम किसके नाम पर पड़ा और माउंट एवरेस्ट के चौंकाने वाले तथ्य क्या हैं.

क्या माउंट एवरेस्ट का नाम किसी व्यक्ति के नाम पर रखा गया है? Is Mount Everest named after a person?

यह तो सच है कि माउंट एवरेस्ट का नाम एक व्यक्ति के नाम पर रखा गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट का नाम एक व्यक्ति के नाम पर क्यों रखा गया है.

दरअसल, एवरेस्ट पर्वत का नाम ‘वेल्स’ के निवासी सर्वेयर और जियोग्राफर ‘जॉर्ज एवरेस्ट’ (George Everest) के नाम पर रखा गया था. एवरेस्ट पर्वत की सटीक ऊंचाई और स्थान का अनुमान लगाने वाले पहले व्यक्ति Sir Everest ही थे. इसलिए, वर्ष 1865 में ‘एवरेस्ट पर्वत’ का नाम उनके नाम पर रखा गया था. पहले इस पर्वत को Peak-15 के नाम से जाना जाता था.

जॉर्ज ने 13 साल तक भारत की सबसे ऊंची चोटियों का सर्वेक्षण किया था. जॉर्ज एवरेस्ट 1830 से 1843 तक भारत के सर्वेयर जनरल रहे थे और  वे वर्ष 1862 में रॉयल ज्योग्राफिकल सोसाइटी के उपाध्यक्ष भी थे. अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने ऐसे नायाब और कारगर उपकरण पेश किए जिनसे सर्वेक्षणों का सही-सही आकलन किया जा सका. 

माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई पहली बार किसने मापी थी? Who measured the height of Mount Everest for the first time?

कुछ विद्वानों का मानना है कि दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत की ऊंचाई मापने का श्रेय ‘जॉर्ज एवरेस्ट’ को नहीं बल्कि भारत के महान गणितज्ञ ‘राधानाथ सिकदर’ को जाता है, जिन्होंने वर्ष 1852 में पहली बार दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत की ऊंचाई मापी थी. 

लेकिन, अंग्रेजों ने इसका श्रेय ‘राधानाथ सिकदर’ को नहीं दिया और इस पर्वत शिखर का नाम ‘जॉर्ज एवरेस्ट’ रखा गया. विद्वानों के अनुसार ‘जॉर्ज एवरेस्ट’ ने कभी माउंट एवरेस्ट नहीं देखा था और न ही उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी थी.

माउंट एवरेस्ट के बारे में रोचक तथ्य हिंदी में – Interesting Facts about Mount Everest in Hindi

#1. माउंट एवरेस्ट को संस्कृत में ‘देवगिरी’ पर्वत, नेपाली भाषा में ‘सागरमाथा’, और तिब्बत में ‘चोमोलंगमा’ के नाम से जाना जाता है. 

#2. वैज्ञानिकों ने अपने एक शोध में पाया है कि माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई हर साल 2 सेंटीमीटर बढ़ जाती है, ऐसा ‘यूरेशियन’ और ‘इंडो-ऑस्ट्रेलियाई’ प्लेटों के आपस में टकराने के कारण होता है.

#3. नेपाल में माउंट एवरेस्ट को ‘सागरमाथा’ कहा जाता है, इसका नाम नेपाल के इतिहासकार ‘बाबू राम आचार्य’ ने 1930 में दिया था. ‘सागरमाथा’ का अर्थ होता है आकाश की देवी.

#4. तिब्बत में माउंट एवरेस्ट को ‘चोमोलंगमा’ के नाम से जाना जाता है, ‘चोमोलंगमा’ का अर्थ होता है ब्रह्माण्ड की देवी.

#5. तिब्बत और नेपाल दोनों ही देशों के लोग एवरेस्ट पर्वत की चोटी की पूजा करते है.

#6. माउंट एवरेस्ट की पहली चढ़ाई 29 मई 1953 को न्यूजीलैंड के ‘एडमंड हिलेरी’ और नेपाल के ‘तेनजिंग नोर्गे’ द्वारा की गई थी. तब से अब तक 4000 से अधिक लोग माउंट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ाई कर चुके हैं.

#7. दूसरी बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई जापानी पर्वतारोही ‘जुंको ताबेई’ ने 16 मई 1975 को की थी. वह एवरेस्ट पर चढ़ने वाली दुनिया की पहली महिला बनीं.

#8. ‘बछेंद्री पाल’ 1984 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला बनीं थी. ‘बछेंद्री पाल’ एक भारतीय पर्वतारोही हैं.

#-9. भारतीय पर्वतारोही ‘अरुणिमा सिन्हा’ 2013 में माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली दुनिया की पहली विकलांग महिला हैं.

#10. 8 मई 1978 को इटली के नागरिक ‘रेनहोल्ड मेसनर’ और ‘पीटर हैबेलर’ बिना ऑक्सीजन सिलेंडर के माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने वाले पहले व्यक्ति बने.

माउंट एवरेस्ट के बारे में रोचक तथ्य हिंदी में – Mind-blowing facts about Mount Everest In Hindi

#11. नेपाली पर्वतारोही ‘कामी रीता’ ने पहली बार 1994 में एवरेस्ट फतह किया था और तब से लगभग हर साल एवरेस्ट के चढ़ाई कर रहे हैं और 2020 तक वह 24 बार माउंट एवरेस्ट फतह कर चुके हैं.

#12. 22 मई 2010 को अमेरिका के ‘जॉर्डन रोमेरो’ ने 13 साल 10 महीने 10 दिन की उम्र में माउंट एवरेस्ट फतह कर सबसे कम उम्र के ‘युवा पुरुष’ का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया.

#13. भारत की गौरवशाली बेटी ‘मालवथ पूर्णा’ ने 25 मई 2014 को 13 साल 11 महीने की उम्र में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की और सबसे कम उम्र की युवती का रिकॉर्ड बनाया.

#14. 19 मई 2012 को, जापान की ‘तमाई वतनबे’ ने 73 साल की उम्र में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली सबसे उम्रदराज महिला का खिताब अपने नाम किया.

#15. 23 मई 2013 को जापान के ही ‘युइचिरो मिउरा’ ने 80 वर्ष की आयु में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की. वह माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पुरुषों में सबसे उम्रदराज व्यक्ति हैं, जिन्होंने पहली बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की है. 

#16. अप्रैल 2021 तक 486 भारतीय नागरिक माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई कर चुके हैं.

#17. भारतीय पर्वतारोही ‘लव राज सिंह धर्मशक्तु’ ने सात बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की है.

#18. ‘अजीत बजाज’ और ‘दीया बजाज’ 16 मई, 2018 को भारत से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली पिता-पुत्री टीम बन गए.

#19. भारत की दो जुड़वां बहनों, ‘ताशी मलिक’ और ‘नौगशी मलिक’ ने 19 मई 2013 को माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का रिकॉर्ड बनाया.

#20. नेपाल के ‘पेम दोरजी’ और ‘मोनी मुलेपति’ ने 30 मई 2005 को माउंट एवरेस्ट पर चढ़कर शादी की और वे माउंट एवरेस्ट पर शादी करने वाले पहले जोड़े बने.

माउंट एवरेस्ट के बारे में रोचक तथ्य हिंदी में – Interesting Facts about Mount Everest In Hindi

#21. आधिकारिक तौर पर माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने से पहले 10 सप्ताह के कठोर प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है. इसके बाद ही एवरेस्ट पर जाने की इजाजत दी जाती है.

#22. माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने और इसकी ऊंचाई के साथ तालमेल बिठाने में लोगों को लगभग 40 दिन लगते हैं.

#23. माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने में लगभग 60 दिन का समय लगता है. इसमें काठमांडू पहुंचना, लुकला में स्थानांतरण करना, एवरेस्ट बेस कैंप तक लंबी पैदल यात्रा करना, जलवायु का अभ्यस्त बनाना, तैयारी करना और अंतिम चढ़ाई करना शामिल है. इसके अंतिम चरण में आम तौर पर लगभग छह दिन लगते हैं.

#24. हालांकि माउंट एवरेस्ट की चोटी से निचे उतरने में 3 दिन लगते हैं, लेकिन 2011 में 2 नेपाली पैराग्लाइडिंग की मदद से महज 48 मिनट में नीचे आ गए थे.

#25. अप्रैल 2015 में आए भूकंप ने माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 1 इंच कम कर दी थी.

#26. माउंट एवरेस्ट की चोटी पर हवा की गति 321 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच सकती है और तापमान -80 डिग्री फ़ारेनहाइट तक गिर सकता है.

#27. गर्मियों में माउंट एवरेस्ट के शिखर का औसत तापमान -20 डिग्री सेल्सियस और सर्दियों में -35 डिग्री सेल्सियस होता है.

#28. माउंट एवरेस्ट पर 120 टन कचरा है, जिसमें ऑक्सीजन टैंक, टेंट आदि जैसी चीजें शामिल हैं. 2008 से लेकर 2011 तक माउंट एवरेस्ट पर शुरू हुए स्वच्छता अभियान में 400 किलो कचरा हटाया गया है.

#29. माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का सबसे अच्छा समय मार्च और मई के बीच है. क्योंकि इस समय न तो ज्यादा बारिश होती है और बर्फ भी ताजा रहती है.

#30. 8 हजार मीटर की ऊंचाई से ‘Mount Everest’ का ‘Death Zone’ शुरू होता है क्योंकि यहां सबसे ज्यादा मौतें खराब मौसम और ऑक्सीजन की कमी के कारण होती हैं.

माउंट एवरेस्ट के बारे में आश्चर्यजनक तथ्य हिंदी में – Amazing facts about Mount Everest In Hindi

#31. माउंट एवरेस्ट पर सबसे ज्यादा मौतें शिखर के पास होती हैं. इस जगह पर अक्सर लोग गलती कर अपनी जान गंवा देते हैं. कई लोग ऐसे भी हैं जो पहाड़ की चोटी पर पहुंचने के बाद उतरते समय अपनी जान गंवा बैठे.

#32. अब तक लगभग 5000 लोगों ने एवरेस्ट पर चढ़ने की कोशिश की है, जिनमें से लगभग 280 लोग चढ़ाई करते समय अपनी जान गंवा चुके हैं. उन लोगों के शव आज भी पर्वत पर ही पड़े हैं, जो मील का पत्थर (milestone) का काम करते हैं, कभी-कभी पर्वतारोही उन शवों के सहारे ही आगे के चढ़ाई करते हैं.

#33. टेक्नोलॉजी के अद्ययावत विकास के कारण माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के दौरान होने वाली मौतों में हर साल 2 प्रतिशत की कमी आ रही है.

#34. माउंट एवरेस्ट के पर्वतारोहियों को “Two o’clock Rule” का पालन करना होता है. यानी पर्वतारोहियों को प्रतिदिन दोपहर 2 बजे तक ही माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करनी होती है क्योंकि उसके बाद मौसम बदलना शुरू हो जाता है.

#35. एवरेस्ट के शिखर तक जाने का दो-तिहाई रास्ता पृथ्वी के वायुमंडल के उस हिस्से में है जहां ऑक्सीजन का स्तर अत्यधिक कम है. ऊपरी ढलानों पर ऑक्सीजन की कमी, तेज हवाएं और अत्यधिक ठंड के कारण यहां किसी भी प्रकार के वानस्पतिक या पशु जीवन संभव नहीं है.

#36. 2015 में, जब नेपाल में 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था, तो माउंट एवरेस्‍ट पर 16 लोग मारे गए थे और 61 लोग बुरी तरह घायल हो गए थे.

#37. 1980 में, एक इतालवी पर्वतारोही, ‘रेनहोल्ड मेसनर’ ने अकेले ही एवरेस्ट पर चढ़ने की उपलब्धि हासिल की थी, क्योंकि एवरेस्ट पर अक्सर समूहों में चढ़ाई की जाती है.

#38. माउंट एवरेस्ट पर्वत 6 करोड़ वर्ष पुराना है और यहां हर समय हिमपात होता रहता है.

#39. 1976 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, हजारों वर्षों तक पहाड़ों में रहने के बाद, दुनिया के सबसे ऊंचे पहाड़ों पर रहने के लिए ‘शेरपा’ में आनुवंशिक संशोधन आया है, जिसके कारण वे दूसरों की तुलना में आसानी से पहाड़ों पर चढ़ जाते हैं.

#40. वैसे तो ‘माउंट एवरेस्ट’ को दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत कहा जाता है क्योंकि पहाड़ों की ऊंचाई की गणना समुद्र की सतह (Sea level) से ऊंचाई के आधार पर की जाती है. लेकिन अगर हम समुद्र के तल (Sea bottom) से शिखर तक की ऊंचाई की बात करें तो ‘Hawaiian Islands’ (हवाई द्वीप) का ‘Mauna Kea’ पर्वत माउंट एवरेस्ट से 1 किलोमीटर ऊंचा है. ‘Mauna Kea’ पर्वत का करीब 6000 मीटर हिस्सा समुद्र में है और बाकी हिस्सा समुद्र के बाहर है. समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 4207 मीटर है.

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