घर में कपूर जलाने के चमत्कारी फायदे (Miraculous benefits of burning camphor at home)

Miraculous benefits of burning camphor at home

हिन्दू संस्कृति में ईश्वर की प्रार्थना और उनकी पूजा-पाठ और आरती करने का प्रचलन वैदिक काल से चला आ रहा है जिसका अपना एक विधान, एक तरीका है. आपने अक्सर देखा होगा कि ईश्वर की पूजा-आरती के बाद या आरती करते वक्त उसमें ‘कपूर’ अवश्य जलाया जाता है. धूप, अगरबत्ती के साथ ‘कपूर’ जलाने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ‘कपूर’ जलाने का महत्व क्या है?

‘कर्पूर’ या ‘कपूर’ एक उड़नशील दिव्य वानस्पतिक द्रव्य है. इसे जलाने से वातावरण में सुगंध फैल जाती है और मन एवं मस्तिष्क को शांति मिलती है, कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को दूर करने में भी सहयोगी माना गया है. ‘कपूर’ को संस्कृत में कर्पूर, फारसी में काफूर और अंग्रेजी में कैंफर कहते हैं. वास्तु शास्त्र एवं ज्योतिष शास्त्र में भी इसके महत्व और उपयोग के बारे में बताया गया है, और इसीलिए प्रतिदिन सुबह और शाम घर में ‘कपूर’ जलाने की सलाह दी जाती है. 

जब ‘कपूर’ को जलाया जाता है तो वह बिना अपना कोई अंश छोड़े पूरी तरह जल जाता है. ‘कपूर’ के धुएं और सुगंध से आपके आसपास का वातावरण फिर से सक्रिय हो जाता है जिससे नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है.

वैज्ञानिक अध्ययनों से यह भी ज्ञात हुआ है कि इसकी सुगंध से अति सूक्ष्म जीवाणु, विषाणु आदि बीमारी फैलाने वाले जीव-जंतु नष्ट हो जाते हैं जिससे वातावरण शुद्ध हो जाता है तथा बीमारी होने का भय भी कम हो जाता है.

धर्म के अलावा स्वास्थ्य की दृष्टि से भी कपूर फ़ायदेमंद है. विज्ञान ने स्वयं बताया है कि पूजा या हवन करते समय जब हम ‘कपूर’ जलाते हैं, तो उससे निकलने वाला धुआं आसपास की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है.

नीम के तेल में कपूर की 2-3 टिकिया डालकर उसे जलाने से घर में मच्छर नहीं आते. साथ ही घर का वायुमंडल भी स्वच्छ हो जाता है.

कभी-कभी हमें अपने अंदर और हमारे वातावरण में तनाव, चिंता और नकारात्मकता की लगातार भावना होती है और यह नकारात्मक ऊर्जा आपके पूरे शरीर और आपके आसपास के वातावरण को प्रभावित और विकृत कर सकती हैं. ‘कपूर’ द्वारा उत्पन्न धुआं हमारे शरीर के भीतर उत्पन्न सभी बाधाओं को मुक्त कर देता है, और हमारे वातावरण में समयबद्धता, भय और नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करके यह सकारात्मक शांतिपूर्ण ऊर्जाओं के प्रवाह को बढ़ाता है. 

यह बेचैनी के साथ-साथ ऐंठन, मिर्गी के दौरे, घबराहट और चिंता जैसे मानसिक रोगों को भी कम करता है.

कपूर सूक्ष्म कीटाणुओं को मार सकता है, हवा को शुद्ध बनाता है और एक प्राकृतिक कीटनाशक के रूप में कार्य करता है. यही कारण है कि हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार, कपूर को सभी पूजा-पाठ और समारोह के दौरान एक विधान के रूप में जलाया जाता है.

रोज शाम सूर्यास्त के समय घर में ‘कपूर’ जलाएं, एवं इस जलते हुए ‘कपूर’ को घर के हर कोने में ले जाएं और हथिलीसे फैलाये ताकि इसका धुआं घर के सभी कोनों मे समाहित हो जाए.

‘कपूर’ हानिकारक प्रभाओं से मुक्त होता है, जो वातावरण में ताज़गी और सुगंध भर देता है. आप कपूर को जलाकर उपयोग में ला सकते है या किसी खुले स्थान पर रखकर इसे हवा में घुलने दें और इसकी खुशबू चारों दिशाओं में फ़ैलती रहेगी.

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