अवतार मेहर बाबा की जीवनी – Biography of Avatar Meher Baba

अवतार मेहर बाबा की जीवनी - Biography of Avatar Meher Baba

Avatar Meher Baba Biography In Hindi – मेहर बाबा एक भारतीय आध्यात्मिक गुरु और रहस्यवादी सिद्ध पुरुष थे जिन्होंने युग के अवतार, या मानव रूप में भगवान होने का दावा किया था. 

वह 20वीं सदी के एक प्रमुख भारतीय आध्यात्मिक व्यक्ति थे. दुनिया भर में उनके लाखों अनुयायी हैं, उनमें से ज्यादातर भारत में हैं लेकिन अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में भी उनके भक्तों की संख्या उल्लेखनीय है.

मेहर बाबा के व्यक्तित्व को सूफी, वैदिक और योगिक आध्यात्मिकता का अनूठा मिश्रण बताया गया है. बाबा कई वर्षों तक मौन ध्यान में रहे. मेहर बाबा के भक्त उन्हें भगवान का अवतार मानते थे.

मेहर बाबा का संक्षिप्त में जीवन परिचय – Brief biography of Meher Baba

नाममेरवान शेरियर ईरानी (Merwan Sheriar Irani)
उपनाममेहर बाबा (Meher Baba)
राष्ट्रीयताभारतीय
जन्म तिथि25 फरवरी 1894
जन्म स्थानपुणे
पिता का नामशेरियार ईरानी (Sheriar Irani)
माता का नामशिरीन ईरानी (Shireen Irani)
पेशाआध्यात्मिक गुरु
वैवाहिक स्थितिअविवाहित
मृत्यु31 जनवरी 1969

मेहर बाबा की जीवनी – Biography of Meher Baba

मेहर बाबा का जन्म 25 फरवरी 1894 को भारत के पुणे शहर में एक ईरानी पारसी (Irani Zoroastrian) परिवार में हुआ था.

उनका नाम “मेरवान शेरियर ईरानी (Merwan Sheriar Irani)” रखा गया था, वह शेरियार ईरानी (Sheriar Irani) और शिरीन ईरानी (Shireen Irani) के दूसरे बेटे थे.

मेहर बाबा के पिता “शेरियार ईरानी” ईरान के खोर्रमशहर के एक फ़ारसी पारसी (Persian Zoroastrian) थे, जिन्होंने भारत में बसने से पहले आध्यात्मिक अनुभव की तलाश में भटकते हुए वर्षों बिताए थे.

किशोरावस्था में, बाबा ने “कॉस्मोपॉलिटन क्लब (Cosmopolitan Club)” नामक एक संगठन का गठन किया था, जो विश्व विचार-मंथन के बारे में सूचित रहने और दान के लिए धन दान करने के लिए समर्पित था.

उनकी बचपन की शिक्षा क्रिश्चियन हाई स्कूल, पूना और बाद में डेक्कन कॉलेज, पूना में हुई थी. 

वे बचपन से ही एक अच्छे कवि और वक्ता थे, बहु-वादक थे और उन्हें कई भाषाओं का ज्ञान था. वह विशेष रूप से हाफ़िज़, शेक्सपियर और शेली की कविताओं के इतने शौकीन थे की इनकी कविताएं उन्हें जबानी याद थी. 

मेहर बाबा का आध्यात्मिक परिवर्तन – Mehr Baba’s Spiritual Transformation

महज 19 साल की उम्र में, मेहर बाबा ने आध्यात्मिक परिवर्तन (Spiritual transformation) की सात साल की अवधि शुरू की, जिसके दौरान उनका सामना हज़रत बाबाजान , उपासनी महाराज, शिरडी के साईं बाबा, ताजुद्दीन बाबा और नारायण महाराज से हुआ.

19 साल की उम्र में, उनकी मुलाकात एक रहस्यवादी बुजुर्ग महिला मुस्लिम संत हजरत बाबाजान (Hazrat Babajan) से हुई, जिनका बसेरा सड़क के किनारे एक पेड़ के नीचे हुआ करता था.

एक दिन जब युवा मेरवान साइकिल से कॉलेज जा रहे थे, तो उन्होंने देखा कि पेड़ के पास बहुत भीड़ लगी थी और वह भी उत्सुकता से पेड़ के पास चले गए. 

हजरत बाबाजान ने मेरवान को अपने पास बुलाया और जब वह उसके पास पहुंचे, तो बाबाजान मेरवान के माथे पर चूमा, जिससे उन्होंने अपने शरीर के भीतर चेतना के साथ “दिव्य आनंद” के रूप में अनुभव किया और उनका जीवन बदल गया.

इस अहसास के बाद बाबा जी ने भविष्यवाणी की कि वे एक आध्यात्मिक गुरु बनेंगे और वह साकोरी के उपासनी महाराज (Upasani Maharaj) के शरण में चले गए. 

7 वर्षों तक उपासनी महाराज के अधीन ज्ञान प्राप्त करने के बाद, वे ईरानी आध्यात्मिकता के उच्च स्तर पर पहुंचे.

बाबा ने उपासनी महाराज के बारे में अपने विचारों को प्रकट करते हुए कहा की उन्होंने रहस्यमय अनुभवों को सामान्य चेतना के साथ एकीकृत करने में मदद की, इस प्रकार उन्हें ईश्वर-प्राप्ति के अपने अनुभव को कम किए बिना दुनिया में सेवा-कार्य करने में सक्षम बनाया.

इसके बाद अगले कई वर्षों में, उन्होंने नागपुर के हजरत ताजुद्दीन बाबा (Hazrat Tajuddin Baba), केडगांव के नारायण महाराज (Narayan Maharaj), शिरडी के साईं बाबा (Sai Baba) जैसे अन्य आध्यात्मिक शख्सियतों का भी पुण्यलाभ प्राप्त किया. 

बाबाजन और उपासनी महाराज के साथ मेहर बाबा ने 5 महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों को अपना गुरु माना और कहा कि वे इस युग के पांच “परिपूर्ण गुरु (Perfect Masters)” थे.

1922 की शुरुआत में, 27 साल की उम्र में, बाबा ने अपने शिष्यों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया. तभी से उनके शिष्यों ने उनका नाम मेहर बाबा (Mehar Baba) रखा, मेहर जिसका पर्शियन भाषा में अर्थ है महादयालु पिता (Merciful Father).

1922 में, मेहर बाबा और उनके अनुयायियों ने बॉम्बे (अब मुंबई) में मंजिल-ए-मीम (House of the Master) की स्थापना की. वहां, बाबा ने अपने शिष्यों से सख्त अनुशासन और आज्ञाकारिता की प्रथा शुरू की.

एक साल बाद, बाबा और उनकी मंडली (शिष्य मंडल) महाराष्ट्र के अहमदनगर के पास कुछ मील दूर एक क्षेत्र में चले गए, जिसका नाम उन्होंने “मेहराबाद (Mehrabad)” रखा. यहां उन्होंने एक विशाल आश्रम की स्थापना की जिसे मेहर बाबा के भक्तों की गतिविधियों का केंद्र माना जाता है.

1920 के दशक के दौरान, मेहर बाबा ने मेहराबाद में सभी जातियों और धर्मों के लिए समर्पित एक स्कूल, अस्पताल और औषधालय भी खोला. 

मेहर बाबा ने की मौन की शुरुआत – Meher Baba commenced of Silence

1925 में, 29 वर्ष की आयु में, अवतार मेहर बाबा ने 10 जुलाई से मौन शुरू कर दिया, जो अगले 44 वर्षों तक यानि बाबा की मृत्यु तक अखंड रहा. 

वे कहते थे कि वाणी पर संयम रखना अर्थात मौन आरंभ करने की पहली सीढ़ी है और यह क्रिया मन को वश में करना सिखाती है और अपनी सुविधानुसार प्रतिदिन सुबह-शाम 5 मिनट का मौन रखा जा सकता है.

इसलिए धीरे-धीरे अपनी सभी इंद्रियों पर मौन का नियंत्रण अपनाना ही ईश्वर को प्राप्त करने का सबसे आसान तरीका है.

इसलिए, मेहर बाबा के भक्त 10 जुलाई को मौन धारण कर उनका स्मरण कर प्रार्थना करते हैं और इस दिन को अवतार मेहर बाबा “मौन पर्व (Maun Parv)” दिवस के रूप में मनाया जाता है.

अपनी मंडली के साथ, बाबा ने लंबे समय तक एकांत में बिताया, जिसके दौरान वे अक्सर उपवास करते थे. उन्होंने दूर-दूर तक यात्राएं कीं, सार्वजनिक सभाएं कीं, और कोढ़ी और गरीबों के साथ दानपुण्य के कार्यों में लगे रहे.

अपनी मौनावस्था के दौरान उन्होंने पहली बार एक लेखनी (Chalk) और वर्णमाला बोर्ड का उपयोग करते हुए, और 1954 तक, पूरी तरह से एक दुभाषिया का उपयोग करते हुए हाथ के इशारों के माध्यम से जीवन संचार किया.

अंत में उन्होंने 31 जनवरी 1969 को एकांत निवास में उपवास और तपस्या करते हुए मेहराबाद में अपना शरीर छोड़ दिया.

बाबा की समाधि मेहराबाद में ही मेहर बाबा के अनुयायियों द्वारा बनाई गई. उनकी समाधि उनके अनुयायियों के लिए तीर्थ स्थान बन गया है, जिन्हें अक्सर “बाबा प्रेमी (Baba lovers)” के रूप में जाना जाता है.

उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में बाबा के एक भक्त परमेश्वरी दयाल पुकर (Parmeshwari Dayal Pukar) ने 1964 में “मेहर मंदिर (Meher temple)” का निर्माण करवाया.

18 नवंबर 1970 को मंदिर में अवतार मेहर बाबा की प्रतिमा स्थापित की गई. यहां हर साल 18 और 19 नवंबर को “मेहर प्रेम मेले (Mehr Prem Fair)” का आयोजन किया जाता है.

इसके अलावा यहां मेहर बाबा के कई मंदिर हैं.

मेहर बाबा की शिक्षाएं – Teachings of Meher Baba

मेहर बाबा की शिक्षाओं का संबंध जीवन की प्रकृति और उद्देश्य से था. उन्होंने सिखाया कि सभी जीवों का लक्ष्य अपनी दिव्यता की चेतना प्राप्त करना और ईश्वर की पूर्ण एकता का एहसास करना है.

उन्होंने अभूतपूर्व दुनिया को एक भ्रम के रूप में वर्णित किया, और यह विचार प्रस्तुत किया कि ब्रह्मांड एक कल्पना है.

उन्होंने सिखाया कि केवल ईश्वर का ही अस्तित्व है, और संसार में प्रत्येक आत्मा ईश्वर है जो अपनी दिव्यता को महसूस करने के लिए कल्पना से गुजर रहा है.

उन्होंने ईश्वर-प्राप्ति की इच्छा रखने वाले अनुयायियों को आध्यात्मिकता का ज्ञान प्रदान करके जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त किया.

उनकी अन्य शिक्षाओं में परिपूर्ण गुरु, अवतार और आध्यात्मिक पथ के विभिन्न चरणों पर शास्रार्थ शामिल था, जिसे उन्होंने योगवाद कहा.

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