मासिक दुर्गा अष्टमी क्या है और क्यों मनाई जाती है? Masik Durga Ashtami in Hindi

Masik Durga Ashtami puja vidhi vrat katha

What is Masik Durga Ashtami in Hindi (मासिक दुर्गा अष्टमी के बारे में जानकारी) – हिंदू धर्म दुनिया के सबसे पुराने धर्मों में से एक है। यह विभिन्न परंपराओं, अनुष्ठानों और रीति-रिवाजों के साथ एक विविध और जटिल विश्वास प्रणाली से परिपूर्ण है। हिंदू धर्म में आध्यात्मिक प्रथाओं, विश्वासों और देवताओं की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है, और इसका कोई एक संस्थापक या केंद्रीय धार्मिक प्राधिकरण नहीं है।

मासिक दुर्गा अष्टमी क्या है और क्यों मनाई जाती है? Masik Durga Ashtami in Hindi

भारत में व्रत और त्योहार मनाने का परंपरागत सिलसिला हजारों वर्षों से चल रहा है, इसका कारण है कि भारत धर्म शास्त्रों के आधार पर बना है, जो हजारों वर्ष पहले उत्पन्न हुआ था। हमारे धर्म शास्त्रों में सम्पूर्ण धर्मिक पर्व और त्योहारों का विवरण दिया गया है, जो हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

मासिक दुर्गा अष्टमी क्या है?

दुर्गा अष्टमी सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे बहुत श्रद्धा से मनाया जाता है। प्रत्येक माह की अष्टमी को, देवी दुर्गा के उपासक उपवास रखते हैं और उनके प्रति आशा और सम्मान के साथ अपनी अपार भक्ति व्यक्त करते हैं। 

इस व्रत को हम “मासिक दुर्गा अष्टमी” के नाम से जानते हैं। मासिक दुर्गा अष्टमी हर महीने, विशेषकर शुक्ल पक्ष की अष्टमी को देवी दुर्गा की पूजा और आराधना करके मनाई जाती है। इसलिए इसे अधिक सम्मानजनक एवं महत्वपूर्ण माना जाता है।

मासिक दुर्गा अष्टमी का पालन न केवल धार्मिक महत्व का प्रतीक है, बल्कि भक्तों के लिए आध्यात्मिक नवीनीकरण और विश्वास के नवीकरण का भी समय है। यह त्यौहार देवी दुर्गा की प्रतिष्ठा को महत्वपूर्ण रूप से उजागर करता है और इसे अच्छाई और बुराई के संघर्ष का प्रतीक माना जाता है, जिसमें अच्छाई की जीत होती है।

मासिक दुर्गा अष्टमी क्यों मनाई जाती है?

धर्म शास्त्रों के अनुसार, अष्टमी के दिन महागौरी देवी का आविर्भाव हुआ था। देवी ने दुर्गम नामक असुर का वध किया था, क्योंकि वह देवताओं को नष्ट करना चाहता था। दुर्गम असुर पृथ्वी पर मानव जाति का सर्वनाश करने की भी योजना बना रहा था और उसने देवलोक में भी देवताओं का सर्वनाश करने का प्रयास किया था।

इस परिस्थिति में, महागौरी देवी प्रकट हुई और दुर्गम असुर का वध किया, जिसके बाद महागौरी देवी को दुर्गा माता के रूप में पहचाना गया। इसीलिए, अष्टमी के दिन को दुर्गा माता के विशेष महत्व के रूप में माना जाता है, और इसी दिन दुर्गा माता ने असुर का संहार किया था। इसी आदि के आधार पर, अष्टमी को मासिक दुर्गाष्टमी के नाम से जाना जाता है, और इस दिन को दुर्गा माता की पूजा और आदरणीयता से मनाया जाता है।

मासिक दुर्गा अष्टमी का पारंपरिक महत्व (Significance of Masik Durga Ashtami)

मासिक दुर्गा अष्टमी का महत्व विशेष रूप से देवी दुर्गा के प्रति भक्तों की अपार श्रद्धा और आस्था से जुड़ा है। सनातन धर्म में मां दुर्गा को अत्यंत शक्तिशाली और दयालु देवी का दर्जा दिया गया है। वह एक देवी हैं जिनकी पूजा विशेष रूप से महिलाओं के बीच प्रमुख है, और उन्हें दैवीय शक्ति और मातृत्व का प्रतीक माना जाता है।

नवरात्रि में मासिक दुर्गा अष्टमी का महत्व (Masik Durga Ashtami significance in Navratri)

दुर्गा अष्टमी को पूरे भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों में जहां हिंदू समुदाय मौजूद हैं, हिंदुओं द्वारा बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार आम तौर पर नौ दिनों तक चलता है, जिसे नवरात्रि के रूप में जाना जाता है, जिसका समापन आखिरी दिन, दुर्गा अष्टमी पर होता है।

दुर्गा अष्टमी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो हिंदू धर्म में पूजनीय देवी देवी दुर्गा को समर्पित है। यह नवरात्रि उत्सव के दौरान हिंदू चंद्र कैलेंडर के आठवें दिन (अष्टमी) को पड़ता है, जो आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर के महीनों में होता है। दुर्गा अष्टमी को “महा अष्टमी (Maha Ashtami)” के नाम से भी जाना जाता है।

भक्त देवी दुर्गा को समर्पित मंदिरों में जाते हैं और प्रार्थना, फूल और मिठाइयाँ चढ़ाते हैं। देवी दुर्गा को समर्पित धार्मिक भजन और गीत सहित विस्तृत समारोह और अनुष्ठान किए जाते हैं।

कई भक्त इन नौ दिनों के दौरान उपवास रखते हैं, कुछ लोग कुछ खाद्य पदार्थों और भोगों से परहेज करते हैं। भारत के कुछ क्षेत्रों में, देवी दुर्गा की मूर्तियों के जुलूस संगीत और नृत्य के साथ सड़कों पर निकाले जाते हैं।

मासिक दुर्गा अष्टमी प्रार्थना (Masik Durga Ashtami prayers)

मासिक दुर्गा अष्टमी पर प्रार्थना करते समय, आप निम्नलिखित प्रार्थना का उपयोग कर सकते हैं:

देवी दुर्गा, हम आपकी शरण में आये हैं। आप हमारी माता हैं, हमारी रक्षक हैं और हमें जीवन के सभी क्षेत्रों में आपकी कृपा और आशीर्वाद की आवश्यकता है।

हम अपनी भक्ति और श्रद्धा के साथ आपके सामने खड़े हैं, कृपया हमें सुरक्षित रखें, हमारे परिवारों को खुश और स्वस्थ रखें, हमारा मनोबल मजबूत करें और हमें सभी बुराइयों से मुक्त करें।

देवी माँ, हम आपकी शक्ति में विश्वास करते हैं और हमें आध्यात्मिक प्रगति, आत्मा की शुद्धि और सफलता की प्राप्ति में मदद करते हैं।

हमारे पापों को क्षमा करें और हमें सच्ची दृष्टि, ज्ञान और बुद्धि प्रदान करें। देवी माँ, आपकी कृपा से हमारे लिए सभी चीजें संभव हैं, और हम आपके आशीर्वाद की प्रतीक्षा करते हैं।

दुर्गा माता, कृपया हमारे जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से भर दें। आपका आशीर्वाद सदैव हम पर बना रहे। हमारी प्रार्थनाओं को हमारी भक्ति और प्रेम से सुनने के लिए धन्यवाद।

ॐ दुर्गायै नमः।

मासिक दुर्गा अष्टमी अनुष्ठान (Masik Durga Ashtami rituals)

मासिक दुर्गा अष्टमी अनुष्ठान आयोजित करने के लिए निम्नलिखित पारंपरिक और स्वीकृत तरीकों का पालन किया जा सकता है:

यह अनुष्ठान प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को आयोजित किया जाता है, जो मासिक दुर्गा अष्टमी व्रत की तिथि है। व्रती को मां का आसन लगाकर और मंत्रों का जाप करके मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। भक्त को देवी दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति के सामने ध्यान में बैठना चाहिए और मन, वाणी और कर्म से उनकी पूजा करनी चाहिए।

व्रत करने वाले व्यक्ति को मासिक दुर्गा अष्टमी कथा का पाठ करना चाहिए, जिसमें माता दुर्गा की महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन है। व्रत के दिन भक्त को उपवास रखना चाहिए। इसका मतलब यह है कि व्रत करने वाले को व्रत के दिन खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए और व्रत वाले आहार का ही पालन करना चाहिए।

कुछ स्थानों पर व्रत के दिन पूरी रात जागरण का आयोजन किया जाता है, जिसमें भजन, कीर्तन और माता दुर्गा की कहानी का पाठ किया जाता है। व्रती को अपने मन को शुद्ध करने और ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करना चाहिए, ताकि वह देवी दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त कर सके।

व्रत के दिन दान करने से व्रत का पुण्य बढ़ जाता है। व्रत के बाद मां दुर्गा का प्रसाद व्रत करने वाले को बांटा जाता है और उसे खाकर व्रती का व्रत समाप्त किया जाता है। जो व्रतधारी संतान की कामना रखते हैं वे अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए देवी दुर्गा से प्रार्थना कर सकते हैं।

यह अनुष्ठान मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन किया जाता है और भक्त का आशीर्वाद और देवी दुर्गा का आशीर्वाद पाने के लिए किया जाता है। यह आध्यात्मिक प्रगति, धार्मिकता और भक्ति के साथ जश्न मनाने का एक अच्छा तरीका माना जाता है।

मासिक दुर्गा अष्टमी के लिए उपयुक्त पूजा सामग्री

मासिक दुर्गा अष्टमी के लिए उपयुक्त पूजा सामग्री की सूची निम्नलिखित है:

  • देवी दुर्गा की मूर्ति या चित्र: पूजा के लिए देवी दुर्गा की मूर्ति या चित्र की आवश्यकता होती है। आप घर में बनी माता की मूर्ति या मुद्रित चित्र का उपयोग कर सकते हैं।
  • पूजा थाली: एक पूजा थाली जिसमें दीपक, अगरबत्ती, कुमकुम, चावल, घी, दूध, दक्षिणा और फूल समाविष्ट हो।
  • पूजा के कपड़े: पूजा के लिए सफेद और सुंदर कपड़ों की आवश्यकता होती है। इन कपड़ों का उपयोग पूजा स्थल को सजाने के लिए किया जाता है।
  • देवी दुर्गा के वस्त्र: देवी दुर्गा की पोशाक की एक जोड़ी की आवश्यकता होती है।
  • फूल: फूलों की माला और पुष्पांजलि की आवश्यकता होती है।
  • दीपक और अगरबत्ती: पूजा के दौरान दीपक और अगरबत्ती का उपयोग किया जाता है।
  • कुमकुम और हल्दी: कुमकुम और हल्दी का उपयोग तिलक और टीका बनाने के लिए किया जाता है।
  • दूध, घी और मिठाइयाँ: इन्हें पूजा के प्रसाद के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जैसे दूध, घी, और मिठाइयाँ (आमतौर पर पूड़ी, हलवा, या कोई अन्य मिठाई)।
  • जप माला: माता दुर्गा के मंत्र का जाप करने के लिए माला की आवश्यकता होती है।
  • पान के पत्ते, सुपारी, मेवे: इन्हें पूजा के दौरान प्रसाद के रूप में प्रदान किया जा सकता है।
  • फल और प्रसाद: देवी दुर्गा के लिए फल और अन्य प्रसाद की आवश्यकता होती है, जैसे मिठाई, फल और पूड़ी आदि।
  • जल: पूजा के दौरान प्रतिदिन जल का उपयोग किया जाता है, इस जल का उपयोग देवी दुर्गा के प्रसाद के रूप में किया जाता है।

ये सामग्रियां आपको मासिक दुर्गा अष्टमी पूजा की तैयारी में मदद करेंगी। पूजा के साथ-साथ श्रद्धा और भक्ति से मां दुर्गा का आशीर्वाद लें।

मासिक दुर्गा अष्टमी की पूजा विधि (Masik Durga Ashtami puja vidhi)

पूजा स्थल को साफ करें और सजाएं। धूप, दीप और अगरबत्ती तैयार कर लें। पूजा स्थान पर माता दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

पूजा की थाली में दीपक और अगरबत्ती जलाएं। मां के वस्त्रों की पूजा करें और उन्हें सजाएं। मन, वाणी और कर्म से मां दुर्गा का आह्वान करें।

देवी दुर्गा के मंत्रों का जाप करें, जैसे “ओम दुं दुर्गायै नमः” और “ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे”। माता दुर्गा की कथा का पाठ करें, जो मासिक दुर्गा अष्टमी का इतिहास बताती है।

देवी दुर्गा के चरणों में जल अर्पित करें। देवी दुर्गा को फल, मिठाइयां, पूड़ी, पान, सुपारी, मेवा आदि अर्पित करें।

देवी दुर्गा की आरती गाएं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। पूजा का प्रसाद सभी शिष्यों और परिवार के सदस्यों को वितरित करें।

अंत में अपना संकल्प दोहराएं और पूजा का समापन करें।

मासिक दुर्गा अष्टमी की पूजा अनुष्ठान सावधानीपूर्वक और भक्तिपूर्वक मनाकर देवी दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करें।

मासिक दुर्गा अष्टमी के पर्व की कहानी (Masik Durga Ashtami vrat katha)

मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन, देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना के साथ-साथ दुर्गा कथा का विमोचन भी किया जाता है, जिसमें मासिक दुर्गा अष्टमी का इतिहास वर्णित होता है।

कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक अत्यंत क्रूर और निर्दयी राक्षस रहता था, जिसे दुर्गम कहा जाता था। लोग उसे “दुर्गम राक्षस” कहते थे। यह राक्षस न केवल पृथ्वी पर बल्कि आकाश और पाताल में भी अपनी क्रूरता के लिए प्रसिद्ध था।

समय के साथ, दुर्गम राक्षस का अत्याचार और बढ़ गया। उसका आतंक सर्वत्र फैलने लगा, और उसने मानव जाति को अपना शिकार बना लिया था, समाज में अत्याचार करता था, और अब उसने देवताओं के साथ भी युद्ध करने का आलंब लिया था। इस रूप में, देवताओं के साथ युद्ध करने से दुर्गम राक्षस का आतंक सर्वत्र फैल गया।

इस संघर्ष के दौरान, सभी देवी-देवता कैलाश पर्वत पर पहुंच गए, क्योंकि भगवान शिव वहीं निवास करते हैं। उनके निवास के कारण, कैलाश पर्वत को सुरक्षित स्थान माना जाता है। सभी देवी-देवताएं इस समस्या का समाधान पूछने के लिए भगवान शिव से मिले।

कथा के अनुसार, दुर्गम राक्षस के बढ़ते आतंक के कारण सभी देवी-देवताओं और ब्रह्मा विष्णु ने भगवान शिव से इसका समाधान पूछा। भगवान शिव ने ब्रह्मा, विष्णु सहित सभी देवी-देवताओं के साथ अपनी शक्तियों से दुर्गा माता को प्रकट किया।

भगवान शिव ने देवी दुर्गा को उनके शक्तिशाली अस्त्र-शस्त्र दिए और उन्हें दुर्गम राक्षस का वध करने के लिए भेजा। देवी दुर्गा ने कुछ ही समय में दुर्गम राक्षस को ढूंढ लिया और उसे मार डाला। इसके बाद, लोगों ने देवी दुर्गा की पूजा करना शुरू किया और इस दिन को दुर्गाष्टमी की शुरुआत माना। इस दिन से प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मासिक दुर्गा अष्टमी के नाम से जाना जाता है।

मासिक दुर्गा अष्टमी के व्रत और उपाय

सनातन धर्म की महिलाओं के लिए मासिक दुर्गा अष्टमी व्रत का अत्यधिक महत्व है क्योंकि सनातन धर्म के अनुसार माना जाता है कि जो महिलाएं मासिक दुर्गा अष्टमी का व्रत रखती हैं उनके पति की उम्र लंबी होती है और अविवाहित लड़कियों को उनकी पसंद का वर मिलता है जिससे उनका जीवन बेहतर होता है। वे सुख-समृद्धि से परिपूर्ण होते हैं और सुखी जीवन जीते हैं। इसलिए मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन देवी दुर्गा की पूजा की जाती है, व्रत रखा जाता है और देवी दुर्गा की कथा पढ़ी जाती है।

मासिक दुर्गा अष्टमी व्रत नियम (Masik Durga Ashtami fast rules)

मासिक दुर्गा अष्टमी व्रत के नियम निम्नलिखित हो सकते हैं:

  • तिथि और समय: मासिक दुर्गा अष्टमी व्रत हर महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। व्रत सुबह सूर्योदय के बाद रखा जाता है और सूर्यास्त से पहले समाप्त होता है।
  • आहार नियम: व्रत करने वाले व्यक्ति को सात्विक आहार का पालन करना चाहिए। अनाज, दालें, पत्तागोभी, प्याज, लहसुन और मांस जैसे तामसिक भोजन से बचना चाहिए।
  • व्रत करने वाले का ध्यान: व्रत करने वाले को व्रत के दिन देवी दुर्गा का ध्यान करना चाहिए।
  • जागरण: कुछ स्थानों पर व्रत के दिन पूरी रात जागरण का आयोजन किया जाता है, जिसमें भजन, कीर्तन और माता दुर्गा की कहानी का पाठ किया जाता है।
  • व्रती की पूजा : व्रती को देवी दुर्गा की पूजा करनी चाहिए, जिसमें मां का आसन और मंत्रों का जाप किया जाता है।
  • दान : व्रत करने वाले को दान देना भी एक प्रमुख नियम है। दान करने से व्रत का पुण्य बढ़ सकता है।
  • व्रत का उपवास: व्रत के दिन भक्त को उपवास रखना चाहिए। इसका मतलब यह है कि व्रत करने वाले को व्रत के दिन खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए और व्रत वाले आहार का ही पालन करना चाहिए।
  • माता दुर्गा का प्रसाद: व्रत के बाद माता दुर्गा का प्रसाद व्रत करने वाले को वितरित किया जाता है और उसे खाकर व्रती का व्रत समाप्त किया जाता है।
  • कानूनी दिशानिर्देश: व्रत के दिन कानूनी दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए और अनैतिक कार्यों से बचना चाहिए।
  • व्रत के बाद ब्राह्मण को दान: व्रत के समापन पर व्रती को ब्राह्मण को दान देना चाहिए।

ये नियम आम तौर पर मासिक दुर्गा अष्टमी व्रत के लिए पालन किए जाते हैं, लेकिन क्षेत्र और परंपराओं के आधार पर ये नियम थोड़े भिन्न हो सकते हैं। व्रत को व्यक्तिगत आदतों और परंपराओं के अनुसार रखा जा सकता है।

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