महात्मा गौतम बुद्ध ‘बौद्ध धर्म’ के प्रवर्तक थे, जो की दुनिया के सबसे पुरातन धर्मों में से एक है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ गौतम था, वह शाक्य नरेश शुद्धोधन के सुपुत्र और एक राजकुमार थे. संसार को जरा, मरण और दुखों से मुक्ती दिलाने के मार्ग की तलाश में राजकुमार सिद्धार्थ ने आध्यात्मिक तपस्वी के रूप में ज्ञान प्राप्त करने के लिए अपने पद, संपत्ति और संसार को त्याग कर आध्यात्मिक प्राप्ति के लिए वन में चले गए. कई वर्षों की कठोर साधना के बाद, उन्होंने बोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे आत्मज्ञान प्राप्त किया और वे सिद्धार्थ से बुद्ध बन गए. उन्होंने अपने लक्ष्य को प्राप्त किया और दूसरों को अपना मार्ग बताने के लिए 2600 साल पहले 6 ठी से 5 वीं शताब्दि में भारत में बौद्ध धर्म की स्थापना की.
बुद्ध कोई नाम नहीं है, बल्कि उपाधि है, यह एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है ‘एक व्यक्ति जो पूर्णतः सचेत है’. जो बुद्ध के प्रति जागृत होता है वह यथार्थ का वास्तविक स्वरूप है. बुद्ध वह है जिसने बोधि को प्राप्त कर लिया है; और बोधि का अर्थ है ज्ञान, बौद्धिक और नैतिक पूर्णता की एक आदर्श स्थिति जिसे मनुष्य द्वारा विशुद्ध रूप से मानव साधना के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है. बुद्ध शब्द का शाब्दिक अर्थ है प्रबुद्ध, ज्ञाता. महात्मा गौतम बुद्ध के गहन अंतर्दृष्टि ने समूचे श्रुष्टि को प्रेरित किया.
महात्मा गौतम बुद्ध के अनमोल विचार हिंदी में – Mahatma Gautam Buddha Quotes in Hindi
1. हजारों लड़ाइयां जीतने के बजाय खुद पर विजय प्राप्त करना बेहतर है. फिर जीत आपकी ही है, और इसे आपसे कोई नहीं छीन सकता है.
2. मैं कभी यह नहीं देखता कि क्या किया गया है; मैं केवल यह देखता हूं कि क्या किया जाना बाकी है.
3. आप केवल वही खो देते है जिससे आप लगाव बनाये रखते है.
4. समस्या यह है कि तुम्हें लगता है तुम्हारे पास पर्याप्त समय है.
5. आपका कर्म अपने कार्य की खोज करना है और फिर अपने आप को दिल से अपने कार्य के प्रति समर्पित कर देना है.
6. आपने कह़ी पढ़ा हैं, या यह किसने आपसे कहा है, या फिर स्वयं मैंने इसे कहा है, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता; किसी भी बात पर तब तक विश्वास मत करो जब तक कि आप स्वयं अपने अनुभव और आपके स्वयं के ज्ञान से सहमत न हो.
7. जिव्हा किसी तेज चाकू की तरह होती है जो बिना खून बहाए ही मार देती है.
8. इस तीन सत्य को सभी को सिखाएं: एक उदार हृदय, दयालु भाषण, और सेवा और करुणा का जीवन ऐसी चीजें हैं जो मानवता को नई संजीवनी प्रदान करती हैं.
9. प्रत्येक मनुष्य स्वयं अपने स्वास्थ्य या बीमारी का रचयिता है.
10. झूठ बोलने से बचना वास्तव में यथोचित है.
11. बुरे कर्मों से बचें, जो जीवन से प्रेम करता है वह विष से दुरी बनाता है.
12. सदैव क्रोध करना यानि खुद जहर पीने और दूसरे व्यक्ति के मरने की उम्मीद करने जैसा है.
13. आप जैसा सोंचते है वैसे ही बन जाते है, आप जो महसूस करते हैं वही आकर्षित करते हैं, आप जो कल्पना करते हैं वही निर्माण करते है.
14. ध्यान से ज्ञान प्राप्त होता है; ध्यान की कमी से अज्ञानता बढ़ जाती है. यह अच्छी तरह से जान लें कि आपको आगे कैसे बढ़ना है और क्या है जो आपको वापस पीछे खींचता है और उस मार्ग को चुनें जो आपको ज्ञान की ओर ले जाता है.
15. शांति मन के भीतर से उत्पन्न होती है, इसके बिना इसकी तलाश करना व्यर्थ है.
16. जो व्यक्ति बुद्धिमानी से जीता है वह मृत्यु से भी नहीं डरता है.
17. हजारों खोखले शब्दों से बेहतर एक ऐसा शब्द होता है जो शांति लाता है.
18. सभी बुरे कार्य मन के कारण उत्पन्न होते हैं. यदि मन को बदल दिया जाए तो क्या अनैतिक कार्य टिक सकते हैं?
19. यदि आप वास्तव में खुद से प्यार करते हैं, तो आप कभी भी दूसरे को चोट नहीं पहुंचाएंगे
20. पैर को केवल तभी पैर महसूस किया जाता है जब वह जमीन को छूता है.
21. सच्चा प्यार समझ से पैदा होता है.
22. बूंद-बूंद से घड़ा भरता है.
23. आप स्वयं अपने प्यार और स्नेह के लायक हैं.
24. घृणा को कभी भी घृणा से नहीं मिटाया जा सकता है. प्रेम से ही घृणा समाप्त हो जाती है. यह एक अटल सत्य है.
23. वह जो 50 लोगों से प्यार करता है उसके पास दुःख के 50 कारण होते हैं; वह जो किसी से प्यार नहीं करता है उसके पास दुःख का कोई भी कारण नहीं होता है.
24. आकाश में पूर्व और पश्चिम का कोई भेद नहीं है, लोग अपने मन में भेदभाव को जन्म देते हैं और फिर मानते हैं कि यही सच है.
25. स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतुष्टि सबसे बड़ा धन है, विश्वास सबसे बड़ा रिश्ता है.
26. खुशी साझा करने से कभी भी कम नहीं होती है.
27. सुख का अर्थ, बहुत कुछ पाना नहीं है. सुख का अर्थ है, बहुत कुछ दान करना है.
28. आप अपने क्रोध के लिए दंडित नहीं किए जाएंगे, लेकिन आप अपने क्रोध से दंड पाओगे.
29. तीन चीजें लंबे समय तक नहीं छिपी रह सकती हैं, सूर्य, चंद्रमा और सत्य.
30. एक अनुशासित मन जीवन में खुशी लाता है.
31. प्रसन्नता इस बात पर निर्भर नहीं करती है कि आपके पास क्या है या आप कौन हैं. यह पूरी तरह से आपके विचारों पर निर्भर करता है.
32. यह सोचना हास्यास्पद है कि कोई और आपको खुश या दुखी कर सकता है. आप स्वयं अपनी भावनाओं के प्रभारी हैं.
33. जैसे मोमबत्ती बिना अग्नि के नहीं जल सकती, वैसे ही मनुष्य आध्यात्मिक जीवन के बिना नहीं जी सकता.
34. अपने मुक्ति के लिए स्वयं प्रयास करें. दूसरों पर निर्भर न रहें.
35. अज्ञानी व्यक्ति एक बैल के भाति होता है, वह आकार से बढ़ता है, ज्ञान से नहीं.
36. जब तक आप स्वयं एक पथ नहीं बन जाते, तब तक आप अपने पथ पर नहीं चल सकते.
37. सुख का कोई मार्ग नहीं है. सुख ही मार्ग है.
38. खुशी उन लोगों को कभी प्राप्त नहीं होंगी जिनके पास वह पहले से मौजूद हैं.
39. आपके पास जो कुछ भी है उससे अतिशयोक्ति न करें और न ही दूसरों से ईर्ष्या करें. जो दूसरों से ईर्ष्या करता है उसे मन की शांति नहीं मिलती है.
40. यहां तक कि अगर आप सभी पवित्र शब्दों को पढ़ते हैं या बोलते हैं, लेकिन जब तक आप उनका उपयोग नहीं करेंगे, तब तक वे किसी काम के नहीं.
41. निश्चित रूप से जो लोग क्रोधित विचारों से मुक्त रहते हैं उन्हें शांति मिलती है.
42. शंका की आदत से भयावह कुछ भी नहीं है. संदेह लोगों को अलग करता है. यह एक ऐसा जहर है जो मित्रता को खा जाता है और अच्छे रिश्तों को तोड़ देता है. यह एक कांटा है जो चोट करता है, एक तलवार जो वध कर देती है.
43. सत्य के मार्ग पर चलते हुए व्यक्ति दो ही गलतियां कर सकता है; पूरे रास्ते को तय न करना, या इसकी शुरुआत ही न करना.
44. शुद्ध निस्वार्थ जीवन जीने के लिए, किसी व्यक्ति को यह विश्वास करना चाहिए कि विपुलता में कुछ भी उसका अपना नहीं है.
45. जैसे ही हम किसी विवाद में क्रोधित होते हैं, हम सच्चाई का मार्ग छोड़ देते हैं, और अपने लिए प्रयास करना शुरू कर देते हैं.
46. जिस प्रकार एक मोमबत्ती से हजारों मोमबत्तियां जलाई जा सकती हैं, और मोमबत्ती का अस्तित्व खत्म नहीं हो जाता. वैसे ही खुशी साझा करने से कभी भी कम नहीं होती है.
47. जीवन की यात्रा पर विश्वास पोषण है, पुण्य कार्य एक आश्रय स्थान हैं, ज्ञान दिन में प्रकाश है और रात में सचेत सुरक्षा है. यदि मनुष्य शुद्ध जीवन जीता है, तो कुछ भी उसे नष्ट नहीं कर सकता है.
48. अगर कुछ भी करने लायक है, तो उसे पूरे मन से करें.
49. अतीत के विचारों में समय बर्बाद मत करों, भविष्य के सपने मत देखो, वर्तमान क्षण पर मन को एकाग्र करो.
50. सभी प्राणियों के लिए दयाभाव रखें, अमीर और गरीब सब एक जैसे है; प्रत्येक की अपनी पीड़ा है, कुछ बहुत अधिक पीड़ित हैं, तो कुछ बहुत कम.
51. एक विचार जिसे अस्तित्व में लाया जा चुका है और उसे अमल में लाया जाता है, वह उस विचार से कई अधिक महत्वपूर्ण है जो केवल एक विचार के रूप में मौजूद है.
52. लोगों से बोलते समय हम जो भी शब्द उपयोग में लाते है उसे ध्यान से चुना जाना चाहिए क्योंकि लोग उन्हें सुनेंगे और भले या बुरे के लिए उनसे प्रभावित होंगे.
53. यदि आप सही दिशा में चलते हुए कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, तो आपको बस इतना करना है कि आपको चलते रहना है.
54. एक छोटी सी मोमबत्ती की रोशनी को बुझाने के लिए सारी दुनिया में पर्याप्त अंधेरा नहीं है.
55. एक पल एक दिन बदल सकता है, एक दिन संपूर्ण जीवन को बदल सकता है और एक जीवन पूरी दुनिया को बदल सकता है.
56. क्रोध को पाले रखना किसी गर्म कोयले को किसी और पर फेंकने के इरादे से पकड़े रखने की तरह है; इसमें आप स्वयं ही जलते हैं.
57. कुछ भी स्थायी नहीं है.
58. हर सुबह हम फिर से पैदा होते हैं. आज हम जो करते हैं वह सबसे ज्यादा मायने रखता है.
59. गलतियों को याद करना मन पर बोझ ढोने जैसा है.
60. क्योंकि एक कुत्ता अच्छा भौकता है इसलिए उसे एक अच्छा कुत्ता नहीं माना जाता है. एक व्यक्ति जो अच्छी बातें करता है इसलिए उसे एक अच्छा आदमी नहीं माना जाता है.
61. दर्द निश्चित है, पीड़ा वैकल्पिक है.
62. जिस प्रकार एक ठोस चट्टान हवा से हिलती नहीं है, वैसे ही बुद्धिमान प्रशंसा या दोषारोप से विचलित नहीं होते.
63. अंत में, ये बातें सबसे ज्यादा मायने रखती हैं की आपने कितना प्रेम किया? आप पूरी तरह से कैसे जिए? आप कितनी गहराई से मुक्त रहे?
64. अगर समस्या हल हो सकती है तो चिंता क्यों करें? और यदि समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता है तो चिंता करने से क्या अर्थ है.
65. शरीर को स्वस्थ बनाये रखना एक कर्तव्य है… अन्यथा हम अपने दिमाग को मजबूत और निर्मल नहीं रख पाएंगे.
66. अशुद्ध मन से बोलें गए शब्द या कार्य से मुसीबत आपका पीछा करेगी.
67. सब कुछ समझने का अर्थ सब कुछ मुक्त कर देना है.
68. आपका सबसे बड़ा शत्रु भी आपको उतना नुकसान नहीं पहुंचा सकता जितना कि आपके खुद के अनचाहे विचार.
69. अनुशासनहीन मन की तरह अवज्ञाकारी कुछ भी नहीं है, और एक अनुशासित मन की तरह आज्ञाकारी कुछ भी नहीं है.
70. हम अपने विचारों से विकसित होते हैं; जैसा हम सोचते हैं, वैसे ही बन जाते हैं. जब मन शुद्ध होता है, तो आनंद उस छाया की तरह होता है, जो कभी साथ नहीं छोड़ती.
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